इकाई योजना – अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषता, महत्त्व एवं उपयोगिता

आज के आर्टिकल में हम इकाई योजना (Unit Plan in hindi) के बारे में विस्तार से जानने वाले है इकाई पाठ योजना(Unit Plan in hindi), इकाई पाठ योजना के प्रकार(Unit Plan ke Prkar), इकाई पाठ योजना के सोपान(Steps of the Unit Plan in hindi), इकाई पाठ योजना का प्रारूप, इकाई पाठ योजना की सीमाएँ और इकाई पाठ योजना की विशेषताएँ(Characteristics of Unit Plan in hindi) पढेंगे

इकाई योजना – Ikai Yojna

इकाई योजना प्रविधि

वर्तमान समय की महत्वपूर्ण व आधुनिक विधि मानी जाती है। हेनरी सी.माॅरीसन(H.C. Marison) ने 1956 में सर्वप्रथम पाठ योजना तैयार करने के लिए इकाई विधि दी थीं जो बाद में शिक्षण विधि के रूप में स्थापित हुई।

इसलिए इस विधि के प्रवर्तक एच.सी. माॅरिसन(H.C. Marison) माने जाते है।

इकाई विधि में सर्वप्रथम हरबर्ट ने इकाई योजना की अवधारणा प्रस्तुत की उसे हरबर्ट की पंचपदी कहा जाता है। इकाई विधि को यूनिट सिस्टम भी कहते है। शिक्षा के क्षेत्र में सामान्य रूप से इस विधि का प्रयोग 1920 ई. से हुआ।

इस विधि में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को कुछ खण्डों में बाँटकर ’यूनिटस’ बना ली जाती हैं और प्रत्येक यूनिट में उससे सम्बन्धित उपलब्धियों का समावेश कर छात्रों को उनका अध्ययन कराया जाता है।

ऐसे विषय वस्तु जो प्रकृति तथा गुणधर्म में एक जैसे हो उनको इसमें शामिल किया जाता है। किसी विषय वस्तु के एक इकाई को कई उपइकाइयो मे बाँटकर पढ़ाने की योजना तैयार करना ही इकाई योजना कहलाता है। विषयवस्तु को इसमें छोटे छोटे भागो मे विभक्त योजना तैयार की जाती है।
एक संपूर्ण इकाई के शिक्षण के संबंध में किसी योजना का निर्धारण करना ही इकाई योजना कहलाता है। अतः इकाई योजना, पाठ योजना का व्यापक रूप होती है जिसमें किसी विशेष इकाई के संबंध में शिक्षण की क्रियाओं का निर्धारण किया जाता है, अर्थात यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे कैसे पढ़ाया जाएगा।

इकाई विधि की सबसे बङी उपलब्धि यह है कि इसमें विद्यार्थी गिने-चुने प्रश्नों का उत्तर पढ़कर ही परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाता अपितु उसे समग्र पाठ्यक्रम का अध्ययन करना पढ़ता है। इकाई का अर्थ किसी समस्या योजना से संबंधित सीखने वाली क्रियाओं की समग्रता के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है।

इस विधि को समझने से पहले हमें इकाई का अर्थ जान लेना चाहिए।  इकाई एक ऐसा शैक्षणिक साधन है जो छात्रों को सीखने सम्बन्धी क्रियाओं में शारीरिक एवं मानसिक रूप से व्यस्त रखता है और उन्हें नयी परिस्थितियों के साथ समायोजन कर सकने के योग्य बनाता है।

वर्तमान में यूनिट अथवा इकाई योजना का प्रयोग पाठ्‌यक्रम निर्माण तथा शिक्षण पद्धति के रूप में किया जा रहा है।

H. C. मॉरीसन ने शिक्षण की चक्रीय योजना’ का प्रतिपादन किया। इन्होंने अपनी पुस्तक ” सैकेण्डरी स्कूल में शिक्षण अभ्यास” में इकाई योजना की व्याख्या की है। इकाई योजना एक मनोवैज्ञानिक पद्धति है, जिसमें केन्द्र में छात्र होता है।

दोस्तो शिक्षण योजनाएं तीन प्रकार की होती है

इकाई योजना क्या होती है

आज हम इकाई योजना के बारे में विस्तार से पढेंगे  –

इकाई पाठ योजना की परिभाषाएँ(Definition of unit method)

 

माॅरीसन – इकाई वातावरण संगठित विज्ञान कला या आचरण का एक व्यापक एवं महत्वपूर्ण अंग होती है। जिसे सीखने के फलस्वरूप व्यक्ति में सामंजस्य आ जाता है।

थाॅमस एम.रिस्क – ’’इकाई किसी समस्या या योजना से संबंध जोङने वाली क्रियाओं का अध्ययन करती है।’’

रिस्क –  ‘इकाई में पूर्व नियोजित अनुभव और क्रियाएँ निहित है और वे किसी समस्या, परिस्थिति, रुचि या वांछित परिणाम पर आधारित होती है। ”
प्रेस्टोन – ” एक जैसी वस्तुओं का समूह जो कि अधिकांश द्वारा बोधगम्य हो, इकाई कहलाती है। ”

हैनरी हैरप – ’’इकाई किसी विषय का बङा उपविभाग होता है जिसका कोई मूलभूत सिद्धान्त या प्रकरण के अनुसार ऐसे ढंग से नियोजित किया जाता है जिससे की उन्हें विषय के आवश्यक तत्वों का पूर्ण ज्ञान हो जाए।’’

डाॅ. माथुर के अनुसार ’’इकाई का अर्थ वास्तव में अनुभव या ज्ञान को एक सूत्र में पिरोना है।’’

वेस्ले तथा राॅन्स्की – ’’इकाई सीखने वाले के लिए महत्त्वपूर्ण अनुशीलनों को प्रभावित करने हेतु बनायी गयी सूचनाओं तथा अनुभवों की एक संगठित व्यवस्था है।’’

सी.वी.गुड के अनुसार – ’’इकाई किसी पाठ्यक्रम, पाठ्यवस्तु, विषय क्षेत्र, प्रयोगात्मक कलाओं तथा विज्ञानों का और विशेषकर सामाजिक अध्ययन का प्रमुख उप-विभाजन है।

बाॅसिंग के अनुसार – ’’इकाई अर्थपूर्ण एवं एक-दूसरे से सम्बन्धित क्रियाओं की एक व्यापक शृंखला है जो विकसित होने पर बालको के उद्देश्यों की पूर्ति करती है और उन्हें महत्वपूर्ण शैक्षिक अनुभव प्रदान करती है जिनके फलस्वरूप उनके व्यवहार में वांछित परिवर्तन होता है।’’

एन.सी.ई.आर.टी. के अनुसार – ’’इकाई एक निर्देशात्मक युक्ति है जो छात्रों को समवेत रूप में ज्ञान प्रदान करती है।’’

मॉरीसन ने शिक्षण की इकाई पद्धति में ‘आत्मीकरण’ पर अधिक बल दिया है। जबकि हरबर्ट महोदय ने ‘प्रस्तुतीकरण’ पर बल देता है।

इकाई योजना के प्रकार(Ikaai Yojna ke prkaar)

अमरीकन शिक्षा-शास्त्री कासबैल तथा कॉम्बेल ने इकाई के दो प्रकार बताए –

  1. पाठ्य विषय संबंधी
  2. अनुभव संबंधी

1. पाठ्य-विषय संबंधी इकाई –

इसका अभिप्राय है कि जो विषय-वस्तु तथा उसके प्रकरण से संबंधित होती है, पाठ्य-विषय संबंधी इकाइयाँ कहलाती हैं। इन इकाइयों को निम्न रूपों में बाँटा जा सकता है-
(क) प्रकरण पर आधारित इकाई –  इसमें इकाइयों का निर्माण प्रकरण के सहयोग से किया जाता है। जैसे- यदि हमें महाराणा प्रताप का पाठ पढ़ाना है तो हम सम्पूर्ण पाठ एक दिन में तो नहीं पढ़ायेंगे, किन्तु पाठ की क्रमबद्धता भी न समाप्त हो इसलिए इसे अनेक इकाइयों में बाँटेंगे। प्रत्येक इकाई अपने में पूर्ण होगी। महाराणा प्रताप का जन्म, महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक, महाराणा प्रताप के युद्ध, इत्यादि।
(ख) अनुभव आधारित इकाई – सामान्यीकरण पर आधारित इकाई रिस्क महोदय के अनुसार ये विज्ञान, गणित तथा व्याकरण शिक्षण में अधिक उपयोगी होती है। इनका निर्माण छात्रों द्वारा प्राप्त नियमों पर आधारित होता है। सम्पूर्ण पाठ इसी के चारों तरफ घूमता हैं।
(ग) वातावरण पर आधारित इकाई – इन इकाइयों का आधार सामाजिक, भौतिक, सांस्कृतिक वातावरण होता है ।

2. अनुभव से संबंधित इकाइयाँ –

अनुभव इकाइयों से अभिप्राय है कि बच्चों के अनुभव से जुड़ी होती है। इनका निर्माण बच्चों की रुचि, अभिरूचि तथा उनके संवेगों को ध्यान में रखकर किया जाता है। इन इकाइयों को भी तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(क) अनुभव व रुचि पर आधारित
(ख) उद्देश्य या लक्ष्य पर आधारित
(ग) आवश्यकता पर आधारित

इकाई योजना के अन्य प्रकार –

किसी भी इकाई के ज्ञान के साधन, अध्यापन, सहायक साम्रगी, उद्देश्य, मूल्य, उपलब्धियाँ, सौन्दर्य-प्रक्रिया, अनुभव आदि अनेक पहलू होते हैं।  किसी एक इकाई में किसी एक पहलू पर बल दिया जाता है तो दूसरी में किसी अन्य पहलू पर। इकाई में जिस पहलू पर बल दिया जाता है वह इकाई वैसी ही कहलाती है। यदि इकाई में ज्ञानार्जन पर बल दिया जाता है तो इकाई ज्ञानात्मक कहलायेगी।  यदि इकाई मे सौन्दर्य का बाहुल्य है तो इकाई सौन्दर्यात्मक कहलायेगी, इकाई में अनुभवों की अधिकता होने पर इकाई अनुभवात्मक हो जायेगी।

साधनात्मक इकाई:-

’’साधनात्मक इकाई किसी बङे पाठ से सम्बन्धित शैक्षणिक सामग्री तथा क्रियाओं का संग्रह है।’’ साधनात्मक इकाई का निर्माण शिक्षक-समूह तथा शिक्षा-विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। इसके निर्माण में पाठ्यक्रम-निर्माताओं, शिक्षा विभाग, शिक्षा-संस्थाओं तथा अन्य सामाजिक संस्थाओं की सहायता ली जा सकती हैं।

इनका निर्माण छात्रों के किसी एक समूह-विशेष के लिए नहीं किया जाता है वरन् यह तो एक विशेष स्तर के समस्त छात्रों तथा समस्त विद्यालयों के लिए बनायी जाती हैं। निर्माण के उपरान्त इसे मुद्रित कराया जाता है और बाजार में विक्रय किया जाता है।

इनमें किसी एक स्तर पर विषय की किसी एक इकाई की शैक्षणिक व्यवस्था की विस्तृत रूपरेखा एवं विषय-वस्तु दी हुई होती है।

अध्यापनात्मक इकाईः-

साधनात्मक इकाई छात्रों के किसी विशिष्ट समूह के लिए नहीं बनायी जाती हैं, किन्तु अध्यापनात्मक इकाई का निर्माण अध्यापक द्वारा छात्रों के किसी विशिष्ट वर्ग हेतु किया जाता है। इसके निर्माण में अध्यापक साधनात्मक इकाई की पूरी सहायता लेता है। अध्यापनात्मक इकाई साधनात्मक इकाई के आधारों से पृथक नहीं की जा सकती है। साधनात्मक इकाई पर्याप्त मात्रा में अध्यापनात्मक इकाई को प्रभावित करती है। जहाँ तक अध्यापनात्मक इकाई की रूपरेखाओं का प्रश्न है वह साधनात्मक इकाई के समान ही होती है।

इकाई योजना के सोपान

हरबर्ट स्पेन्सर(Herbert Spencer) ने इसे पांच भागों में विभक्त किया है। यह पांच भाग दैनिक पाठ योजना के चरण माने जाते है। माॅरीसन ने इकाई विधि को सात भागों में विभाजित किया है। इकाई विधि का अर्थ एक ज्ञान के समूह से है, जिसका अध्यापन संबंधित अध्यापक के द्वारा कराया जाता हैं। यह गेस्टाल्टवाद से प्रभावित है, जिससे ज्ञान के एकीकृत बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है।

इकाई योजना के शिक्षण पद(Teaching method of unit method)

डाॅ. माॅरीसन द्वारा पद निम्रानुसार हैं-

1. जाँच-

इस शिक्षण पद में अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों के लिए निर्धारित विषय की जाँच की जाती है। इसकी विधाएँ हैं – चर्चा, मौखिक प्रश्न, लिखित प्रश्न आदि।

2.इकाई प्रस्तुतीकरण –

इकाई के ज्ञान को भाषण, कहानी, प्रश्नोत्तर नाटकीकरण आदि विधि अथवा विधाओं द्वारा सहायक सामग्री के माध्यम से प्रस्तुत करता है।

3.आत्मीकरण-

बालकों ने जो कुछ पढ़ा है, उसे स्व-अध्ययन के लिए चर्चा, अभ्यास, प्रयोगशाला अध्ययन आदि विधियों को अपनाया है।

4.सुव्यवस्थीकरण-

बालकों के विचारों को क्रमबद्धता बनाये रखने के लिए पढ़ाई गई विषय वस्तु पर लेख तैयार करवाया जाता हैं

5.सामाजिक अभिव्यक्तिकरण-

बालक पढ़ी इकाई के ज्ञान को कक्षा के सम्मुख रखता हैं और सभी छात्र उस पर चर्चा करते है। चर्चा के पश्चात् आवश्यक सुधार कर पुनः लेख लिखवाया जाता है।

इकाई पाठ योजना के गुण(Key properties of unit method)
  1. इस विधि द्वारा प्रत्येक अध्याय को छोटी-छोटी इकाइयों में बाँटकर शिक्षण कराया जाता हैं, जिसमें बच्चे विषय-वस्तु को जल्दी ग्रहण कर लेते हैं।
  2. इस विधि के द्वारा प्रत्येक पाठ को विभिन्न छोटी-छोटी इकाईयों में बाँटकर छात्रों को उपलब्ध करवाया जा सकता है।
  3. छात्रों में सहयोग, विनम्रता, नेतृत्व, सहकारिता, धैर्य, सहनशीलता आदि गुणों का विकास किया जा सकता हैं। इसके अतिरिक्त छात्रों में उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य करने की भावना उत्पन्न की जा सकती है।
  4. इसके द्वारा छात्रों में योजना बनाने का गुण उत्पन्न किया जा सकता है।
  5. यह कक्षा-कार्य को अधिक साभिप्राययुक्त, रोचक तथा सक्रिय बनाती है।
  6. इसके द्वारा छात्रों में स्वाध्याय की आदत का निर्माण किया जा सकता है।
  7. यह विधि विभिन्न प्रकार के कौशलों के विकास के लिए प्राकृतिक परिस्थितियाँ प्रदान करती है।
  8. यह विधि छात्रों में पूरक सामग्री के प्रयोग की भावना को बढ़ाती है।
  9. इस विधि मे भी छात्र योजना विधि या समस्या विधि की तरह क्रियाशील रहते है।
  10. इकाई का निर्धारण छात्र की रूचि, योग्यता एवं क्षमता के अनुसार किया जाता है।
इकाई विधि के दोष – Defects of unit method

1. पाठ्यक्रम को नियत अवधि में पूरा करना कठिन कार्य है।

2. प्रकरण या विषय सामग्री से सम्बन्धित विभिन्न इकाइयों का ठीक से निर्माण नहीं हो पाता या अन्तःक्रमिकता का अभाव रहता है।

3. सभी प्रकार की विषय-वस्तु को इकाइयों में विभिक्त करके नही पढाया जा सकता है।

इकाई योजना से जुड़े प्रश्नोत्तर

1. शिक्षण में इकाई संप्रत्यय किसकी देन है?
(a ) ब्लूम ( b ) मॉरीसन (c ) हर्बरट (d ) जॉन डीवी

2. मॉरीसन ने बोध स्तर के शिक्षण प्रतिमान में 5 पदों का क्रम बताया है वे हैं –
1. प्रस्तुतीकरण
2. खोज
3.संगठन / व्यवस्था
4. आत्मीकरण
5.वाचन / अभिव्यक्तिकरण
(a)2,1,4,3,5 (b) 2,1,3,4,5
(c) 1,2,3,4,5 (d) 4,5,3,1,2

नोट : शिक्षण प्रतिमान के तीन स्तर दिए गए थे –

  • स्मृति स्तर (हरबर्ट)
  • बोध स्तर (मॉरीसन)
  • चिंतन स्तर (हंट)

 

 

आगमन विधि 

शिक्षण कौशल के कितने प्रकार होते है जरूर देखें 

निगमन विधि भी पढ़ें 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top