कृष्णकाव्य धारा

Surdas ki Kavygat Vieshtayen || सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ

सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ

दोस्तो आज के आर्टिकल में हम भक्तिकाल के अंतर्गत सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ व भ्रमरगीत प्रसंग (Surdas ki Kavygat Vieshtayen)को विस्तार से पढेंगे । सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ महाकवि सूरदास हिन्दी की कृष्ण भक्ति शाखा के सबसे पहले और सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। वे पहले भक्त हैं और बाद में कवि है। उन्होंने कृष्ण की भक्ति में …

Surdas ki Kavygat Vieshtayen || सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ Read More »

सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ | Surdas ka Jivan Parichay

surdas ka jivan parichay

आज की पोस्ट में हम भक्तिकाल में कृष्णकाव्य में कृष्णकाव्य धारा के प्रतिनिधि कवि सूरदास का जीवन परिचय (Surdas ka Jivan Parichay)और रचनाएँ पढेंगे सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ (Surdas ka Jivan Parichay) जन्मस्थान विवाद पर तर्क :  जन्मस्थान – 1. डाॅ. नगेन्द्र के अनुसार इनका जन्म दिल्ली के निकट ’सीही’ नामक ग्राम में …

सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ | Surdas ka Jivan Parichay Read More »

रसखान के सवैये  – व्याख्या सहित – हिंदी साहित्य

रसखान

आज की पोस्ट में हम ’रसखान के सवैये’ (Raskhan ke Savaiye) को पढेंगे। रसखान के  उन महत्त्वपूूर्ण सवैयों  को पढ़ेंगे, जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते है। एक बार अभ्यास जरुर करें । रसखान के सवैये मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं …

रसखान के सवैये  – व्याख्या सहित – हिंदी साहित्य Read More »

कृष्ण काव्यधारा टेस्ट 2

कृष्ण काव्य धारा  दोस्तो आज हम भक्तिकाल के विषय कृष्ण काव्य धारा के महत्वपूर्ण प्रश्नो की चर्चा करेंगे   1- इनमें से कौन सा ग्रंथ निंबार्काचार्य का का है? अ  आदिबानी ब सुबोधिनी टीका स  तत्व दीप निबंध द  इनमें से कोई नहीं ⇒ 2 वल्लभाचार्य जी किसके समकालीन थे? अ  औरंगजेब ब अकबर स  बाबर⇒ …

कृष्ण काव्यधारा टेस्ट 2 Read More »

कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ -हिंदी साहित्य का इतिहास || भक्तिकाल

कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ

आज के आर्टिकल हम भक्तिकाल में ’कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ’ पढ़ेंगे। जो परीक्षा के लिए उपयोगी साबित होगा। कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन- कृष्ण भक्त कवियों ने अपने काव्य में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन विशेष रूप से किया है। श्रीकृष्ण के बाल रूप व प्रेम लीला के मधुर रूप की …

कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ -हिंदी साहित्य का इतिहास || भक्तिकाल Read More »

भ्रमरगीत परम्परा क्या है || bhaktikaal || कृष्णकाव्य धारा || hindi sahitya

भ्रमरगीत परम्परा

भ्रमरगीत परम्परा (Bhramar Geet ) अब उस काव्य के लिए रूढ़ हो गया है जिसमें उद्धव-गोपी संवाद होता है। भ्रमरगीत का तात्पर्य उस उपालम्भ काव्य से हैं जिसमें नायक की निष्ठुरता एवं लम्पटता के साथ-साथ नायिका की मूक व्यथा, विरह वेदना का मार्मिक चित्रण करते हुए नायक के प्रति नायिका के उपालम्भों का चित्रण किया …

भ्रमरगीत परम्परा क्या है || bhaktikaal || कृष्णकाव्य धारा || hindi sahitya Read More »

Scroll to Top