हिन्दी रिपोर्ताज का विकास || Development of Hindi Reportage || हिन्दी साहित्य

आज की पोस्ट में हम हिन्दी रिपोर्ताज का विकास क्रम पढ़ेंगे ,इसमें महत्वपूर्ण रिपोर्ताज को ही शामिल किया गया है

हिन्दी रिपोर्ताज का विकास (Hindi Reportage)

 

⇒यह शब्द ’रिपोर्ताज’ फ्रांसीसी  है। गद्य विधा के रूप में इसका आविर्भाव द्वितीय विश्वयुद्ध के आसपास हुआ।

⇔ ’रिपोर्ताज’ के जनक के रूप में रूसी साहित्यकार इलिया एहरेनवर्ग को स्वीकार किया जाता है।

⇒ हिन्दी में रिपोर्ताज का जनक शिवदान सिंह चौहान को माना जाता है। रूपाभ पत्रिका के दिसम्बर, 1938 में प्रकाशित ’लक्ष्मीपुरा’ को हिन्दी का प्रथम रिपोर्ताज माना जाता है।

⇔ रिपोर्ताज शैली में चंडी प्रसाद सिंह लिखित ’युवराज की यात्रा’ (1897) प्रिंस ऑफ़ वेल्स की भारत यात्रा का विस्तृत और व्यौरेवार वर्णन है।

⇒ हिन्दी के प्रमुख रिपोर्ताज निम्नलिखित हैं –

 

लेखकरिपोर्ताज
शिवदान सिंह चौहान  (1) लक्ष्मीपुरा, (2) मौत के खिलाफ जिन्दगी की लङाई।
रांगेय राघवतूफानों के बीच (1941)
प्रकाश चन्द्र गुप्त(1) स्वराज्य भवन, (2) अल्मोङे का बाजार,(3) बंगाल का अकाल 
उपेन्द्रनाथ अश्क(1) पहाङों में प्रेममय संगीत
रामनारायण उपाध्याय (1) गरीब और अमीर पुस्तकें (1958), (2) नववर्षांक समारोह में।
भदन्त आनन्द कौशल्यायन (1) देश की मिट्टी बुलाती है
शिवसागर मिश्र वे लङेंगे हजार साल (1966)
धर्मवीर भारती युद्ध यात्रा (1972)
कन्हैयालाल मिश्र ’प्रभाकर’ क्षण बोले कण मुस्काए
शमशेर बहादुर सिंह प्लाट का मोर्चा (1952)
फणीश्वरनाथ रेणु (1) ऋणजल धन जल (1977), (2) नेपाली क्रांति कथा (1978)(3) श्रुत-अश्रुत पूर्व (1984), (4) एकलव्य के नोट्स।
विवेकी राय (1) जुलूस रूका है (1977),(2) बाढ!बाढ़!! बाढ़!!!
डाॅ. भगवतशरण उपाध्याय खून के छाँटे
रामकुमार वर्मा पेरिस के नोट्स
कैलाश नारदधरती के लिए
जगदीश प्रसाद चतुर्वेदीचीनियों द्वारा निर्मित काठमाण्डू-ल्हासा सङक
निर्मल वर्मा प्राग: एक स्वप्न
सती कुमारक्या हमने कोई षड्यंत्र रचा था ?
श्रीकांत वर्मा मुक्ति फौज
कमलेश्वर क्रान्ति करते हुए आदमी को देखना
चंडी प्रसाद सिंह युवराज की यात्रा (1897)

 

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ये भी अच्छे से जानें ⇓⇓

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