मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर || हिंदी व्याकरण

आज की पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत मुहावरे और लोकोक्ति(Muhavare and lokokti) में अंतर को पढेंगे |

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर – Difference between muhavare and lokokti

मुहावरा

  • कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे तो उसे मुहावरा कहते हैं।
  • मुहावरा वाक्यांश है इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

लोकोक्ति(hindi lokoktiyan)

  • लोकोक्तियाँ लोक अनुभव से बनती हैं। समाज लंबे अनुभव से सीखे हुए ज्ञान को जब वाक्य में बांध देता है तो उसे लोकोक्ति, जनश्रुति या कहावत कहते हैं।
  • लोकोक्ति सम्पूर्ण वाक्य है इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।

लोकोक्तियाँ – 

1. अक्ल बङी की भैंस – शारीरिक बल से बौद्धिक बल अधिक अच्छा होता है।
उदाहरण – किसान लोग पहले मेहनत तो खूब करते थे पर अनाज कम पैदा होता था। अब उन्नत बीज और खाद से अच्छी फसल लेने लगे हैं। सच ही कहा है कि अक्ल बङी की भैंस।

2. अटका बनिया देय उधार – स्वार्थी और मजबूर व्यक्ति अनचाहा कार्य भी करता है।
⇒उदाहरण – कारखाने में श्रमिकों की हङताल हो जाने के कारण कारखाना मालिक अकुशल श्रमिकों को भी दुगुनी-तिगुनी मजदूरी पर रख रहा हो। क्या करे अटका बनिया देय उधार।

3. अंधों में काना राजा – अज्ञानियों में अल्पज्ञ भी बुद्धिमान माना जाता है।
उदाहरण – अनपढ़ गाँववालों के बीच पटवारी ही परम विद्वान माना जाता है। सच है, अंधों में काना राजा।

4. अंधे की लकङी – एकमात्र सहारा
⇒उदाहरण – रूपचंद के एक ही तो लङका था और वह भी दुर्घटना में चल बसा। अब तो अंधे की लकङी भी नहीं रही, कैसे क्या होगा।

5. आँख का अंधा गाँठ का पूरा – मूर्ख किन्तु सम्पन्न
उदाहरण – मालिक में कोई खास अक्ल नहीं है पर उसकी फैक्ट्री से उसको खूब आमदनी हो रही है। यह तो वही बात है कि आँख का अंधा गाँठ का पूरा।

6. अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग – अपनी मनमानी करना और एक-दूसरे के साथ तालमेल न रखना।
⇒उदाहरण – राष्ट्रीय एकता की तरफ अब कोई नेता ध्यान नहीं देता। प्रादेशिक नेता राष्ट्र को भूलकर अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग अलाप रहे हैं।

लोकोक्तियाँ

7. अपनी पगङी अपने हाथ – अपने सम्मान को बनाए रखना अपने ही हाथ है

8. अब पछताए क्या होत है जब चिङियाँ चुग गई खेत – हानि हो गई, हानि से बचने का अवसर चले जाने के बाद पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं।
उदाहरण – नरेश ने परीक्षा के पहले तो मेहनत की नहीं और अब असफल होे जाने पर रो रहा है। अब पछताए क्या होत है जब चिङियाँ चुग गई खेत।

9. आगे कुआँ पीछे खाई – दोनों ओर संकट
⇒उदाहरण – महेश लङकी की शादी में रुपए न लगाए तो रिश्ता टूटता है और रुपए खर्च करे तो कर्ज मंे डूबता है। उसके तो आगे कुआँ है और पीछे खाई है।

10. अरहर की टट्टी और गुजराती महिला – अनमेल प्रबंध व्यवस्था
उदाहरण – घर में रखने को ढंग का फर्नीचर नहीं और बीस हजार रुपए किराए का मकान ले लिया। यह तो वही हुआ कि अरहर की टट्टी और गुजराती महिला।

11. आधा तीतर आधा बटेर – अनमेल योग
उदाहरण – हम एक ओर तो महिलाओं को शिक्षित करके पुरुषों के समान ही नौकरियाँ भी करवाना चाहते हैं, दूसरी तरफ उन्हें घरों में परम्परागत गृहणियों की तरह बने रहने देना चाहते हैं। दरअसल हमारे घर आधा तीतर आधा बटेर है।

12. आधी छोङ एक को ध्यावे, आधी मिले न सारी पावे – लोभ में सहज रूप से उपलब्ध वस्तु को भी त्यागना पङ सकता है।
⇒उदाहरण – विकास ने आर.ए.एस. परीक्षा उत्तीर्ण कर ली किन्तु आई.सी.एस. की तैयारी के चक्कर में आर.ए.एस. में जाने का अवसर खो दिया। बाद में विकास का आई.सी.एस. में भी चयन नहीं हो सका। इसे ही तो कहते हैं आधी छोङ एक को ध्यावे, आधी मिले न सारी पावे।

13. आ बैल मुझे मार – जान-बूझकर आफत मोल लेना।
उदाहरण – रास्ते में दो बदमाश लङ-लङकर लहूलुहान हो रहे थे। मैंने उन्हें छुङाने की कोशिश की तो दोनों मेरे ऊपर ही झपट पङे। आजकल किसी के झगङे में बोलना आ बैल मुझे मार की तरह है।

14. आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास – बङा लक्ष्य निर्धारित कर छोटे कार्य में लग जाना।
उदाहरण – उसने समाचार-पत्र तो इसलिए शुरू किया था कि वह जनता की समस्याओं को बेबाक छापेगा किन्तु वह तो नेताओं की झूठी तारीफ छापकर पैसा बनाने लगा। यह क्या हुआ – आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास।

15. आसमान से गिरा खजूर में अटका – एक आपत्ति के बाद दूसरी आपत्ति का आ जाना।
उदाहरण – चोरों ने जगदीश की पत्नी के सारे जेवर चुरा लिए, पुलिस ने जैसे-तैसे चोरों को पकङा तो जेवर पुलिसवालों ने खुर्द-बुर्द कर दिया। जगदीश तो बेचारा आसमान से गिरा और खजूर में अटका।

लोकोक्तियाँ

16. इमली के पात पर दंड पेलना – सीमित साधनों से बङा कार्य करने का प्रयास करना।
उदाहरण – आपको कोई जानता नहीं, आपके पास पैसा है नहीं, चुनाव लङने का अनुभव है नहीं और सांसद बनने के लिए खङे हो रहे हैं। आप श्रीमान् इमली के पात पर दंड पेल रहे हैं।

17. ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया – संसार में व्याप्त भिन्नता।
⇒उदाहरण – प्रकृति भी विचित्र है, असम में बाढ़ आती है और जैसलमेर में पानी की बूंद भी नहीं टपकती। यही तो है ईश्वर की माया, कहाँ धूप नहीं छाया।

18. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे – दोषी का निर्दोष पर दोषारोपण करना।
उदाहरण – कुछ नेताओं ने पहले तो साम्प्रदायिक दंगा करवा दिया और फिर प्रशासन को दोष देने लगे।

19. ऊँची दुकान फीका पकवान – प्रदर्शन तो अधिक और सार की बात कम।
उदाहण – अंग्रेजी स्कूलों में चमक-दमक तो अधिक होती है किन्तु बच्चों का वास्तविक विकास करने पर ध्यान कम देते हैं। यही है ऊँची दुकान और फीका पकवान।

20. ऊँट की चोरी और झुके-झुके – गुप्त न रह सकने वाले कार्य को गुप्त ढंग से करने का प्रयास करना।
⇒उदाहरण – आप मुख्य सङक पर दो मंजिल का मकान बनाना चाहते हैं और वह भी विकास प्राधिकार से बचकर, ऊंट की चोरी और झुके-झुके।

21. एक अनार सौ बीमार – वस्तु की पूर्ति की तुलना में माँग अधिक।
उदाहरण – घर में कमाने वाला तो एक और खाने वाले दस। सब अपने-अपने लिए कुछ न कुछ माँग करते ही रहते हैं। किस-किसके लिए क्या किया जाए, यहां तो एक अनार और सौ बीमार हैं।

22. एक हाथ से ताली नहीं बजती – केवल एकपक्षीय सक्रियता से कार्य पूरा नहीं होता।
उदाहरण – मैं तो झगङा निपटाकर उससे समझौता करना चाहता हूँ किन्तु वह भी तो तैयार हो। एक हाथ से ताली नहीं बजती है।

23. एक पंथ दो काज – एक प्रयत्न से दो काम हो जाना।
उदाहरण – दिल्ली में मेरे दोस्त की शादी और मेरा नौकरी का साक्षात्कार पास-पास है। मेरे तो एक पंथ दो काज हो जाएंगे।

24. एक तो करेला और दूसरा नीम चढ़ा – एक साथ दो-दो दोष-प्रतिकूलताएँ।
उदाहरण – भारतीयों में एक तो जातीय कट्टरता अधिक है और दूसरे अशिक्षित हैं। इसलिए स्वस्थ परिवर्तन बहुत कठिन है।

25. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्यों डरें – कठिन काम को हाथ में ले लेेने पर आने वाली बाधाओं से विचलित न होना।
⇒उदाहरण – जब पर्वतारोहण प्रारंभ कर ही दिया है तो अब धूप, बरसात, शीत की परवाह नहीं करनी चाहिए।

लोकोक्तियाँ

26. कर ले सो काम और भज ले सो राम – समय पर जो कर लिया जाए वही अपना है।
उदाहरण – जीवन का क्या ठिकाना इसलिए इस जिन्दगी में कर ले सो काम और भज ले सो राम।

27. कानी के ब्याह में कौतुक ही कौतुक – किसी दोष से युक्त होने पर कठिनाइयाँ आती ही रहती हैं।
⇒उदाहरण – सरला पढ़ने में कमजोर थी, परीक्षा के दिन नजदीक आए तो बीमार हो गई। बीमारी से ठीक होकर परीक्षा देने जा रही थी कि रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो गया और ढंग से परीक्षा भी नहीं दे पाई। बस कानी के ब्याह में कौतुक ही कौतुक हो गए।

28. काबुल में क्या गधे नहीं होते – अपवाद तो सभी जगह होते हैं।

29. कौआ चले हंस की चाल – किसी बुरे व्यक्ति द्वारा अच्छे व्यवहार का दिखावा करना।
उदाहरण – कल तक सरेआम अपराध करने वाला व्यक्ति नेता बन गया और भाषण देता है कि अपराध नहीं करना चाहिए। इसे ही तो कहते हैं कि कौआ चला हंस की चाल।

30. खग जाने खग ही की भाषा – सब अपने-अपने सम्पर्क के लोगों का हाल समझते हैं।
उदाहरण – तुम्हारे केस में न्यायालय में वकीलों की बङी बहसत हुई। तुम भी तो वहाँ थे, क्या-क्या बातें हुईं? भई हमारे पल्ले कुछ नहीं पङा। खग जाने खग ही की भाषा।

31. गुङ न दे पर गुङ की सी बात तो करें – यदि किसी की मदद नहीं की जा सके तो कम से कम मधुर व्यवहार तो करना चाहिए।
⇒उदाहरण – अगर वह मुझे रुपए उधार नहीं देना चाहता था तो कोई बात नहीं, किन्तु वह प्रेम से बात तो करता। भाई, गुङ न दे पर गुङ की सी बात तो करे।

32. घर की मुर्गी दाल बराबर – सहज सुलभ वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता।
उदाहरण – घर में बङा भाई अच्छा डाॅक्टर है पर बीमार होने पर उसे कोई नहीं दिखाता और बाहर के मामूली डाॅक्टर से इलाज करवाया जाता है। यही तो है घर की मुर्गी दाल बराबर।

33. चंदन विष व्यापै नहीं लिपटे रहत भुजंग – भले लोगों पर बुरों की संगति का असर नहीं पङता।
उदाहरण- बनवारी शराब की दुकान चलाता है और रोज उसका शराबियों से वास्ता पङता है किन्तु बनवारी ने कभी शराब नहीं पी। इसे ही कहते हैं – चंदन विष व्यापै नहीं लिपटे रहत भुजंग।

34. चन्द्रमा को भी ग्रहण लगता है – भले लोगों के भी बुरे दिन आ सकते हैं।
उदाहरण – अजय ने तो हमेशा दूसरों का भला ही भला किया किन्तु आज लोग उसके भी पीछे पङे हुए हैं लेकिन उसे धैर्य रखना चाहिए क्योंकि चन्द्रमा को भी ग्रहण लगता है।

35. चमङी जाए पर दमङी न जाए – अत्यधिक कंजूस।

लोकोक्तियाँ

36. चिकने घङे पर पानी नहीं ठहरता – बेशर्म पर कोई अच्छा असर नहीं होता।
उदाहरण – देर से आने पर मनीष को रोज डाँट पङती है किन्तु वह जल्दी आने की कोशिश ही नहीं करता। सच ही कहा है कि चिकने घङे पर पानी नहीं ठहरता।

37. चुपङी और दो-दो – अच्छी चीज और वह भी बहुतायत में।
⇒उदाहरण – विकास का न केवल आई.सी.एस. में चयन हो गया बल्कि उसे अपने प्रदेश का कैडर भी मिल गया। यही तो है चुपङी और दो-दो।

38. चोर-चोर मौसेरे भाई – दुष्ट लोगों में आपस में घनिष्ठता होती है।
उदाहरण – ठेकेदार ने घटिया सङकें बनाई फिर भी इंजीनियर और ठेकेदार दोनों में खूब पटती है। पटेगी क्यों नहीं चोर-चोर मौसेरे भाई।

39. चोरी का माल मोरी में – गलत ढंग से कमाया धन यों ही बर्बाद होता है।
उदाहरण – रविशंकर बिना रिश्वत लिए किसी के काम के हाथ नहीं लगाता किन्तु सारा पैसा शराब और जुए में लुटा देता है। चोरी का माल मोरी में ही जाता है।

40. जिन ढूँढ़ा तिन पाइया गहरे पानी पैठ – जो संकल्पशील होते हैं वे कठिन परिश्रम करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं।
उदाहरण – जो सब कुछ भूलकर प्रतियोगिता की तैयारी करते हैं वे अंततः सफल हो ही जाते हैं। कहा ही गया है कि जिन ढूँढ़ा तिन पाइया गहरे पानी पैठ।

41. ढाक के तीन पात – सदैव एक सी स्थिति।

42. तीन लोक से मथुरा न्यारी – सबसे अलग स्थिति।
⇒उदाहरण – सब लोग पढ़ने जाते हैं और समसय पर घर आ जाते हैं और तुम्हारा कुछ अता-पता ही नहीं रहता। तुम्हारी ही तीन लोक से मथुरा न्यारी है क्या ?

43. तू डाल-डाल, मैं पात-पात – एक चालाक से बढ़कर दूसरा चालाक
उदाहरण – अजय ने विजय के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई तो विजय ने अजय के खिलाफ चार मुकदमे दायर कर दिए।

लोकोक्तियाँ

44. थोथा चना बाजे घना – अकर्मण्य बात अधिक करना।
उदाहरण – आप विकास की बातों में मत जाना वह तो थोथा चना बाजे घना हैं, आपके लिए करेगा कुछ नहीं और बातें दुनिया भर की करेगा।

45. दीवारों के भी कान होते हैं – गोपनीय बातचीत बहुत सावधानी से करनी चाहिए, क्योंकि उसके औरों के ज्ञात हो जाने की संभावना बनी रहती है।
उदाहरण – ’धीरे बात करो कोई सुन लेगा।’ लेकिन यहाँ तो कोई भी नहीं है सुनने वाला ?’’ क्या पता कोई कब आ जाए, दीवारों के भी कान होते हैं।

46. दाल में काला होना – कुछ संदेहास्पद बात होना।

47. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी – किसी समस्या के मूल कारण को ही नष्ट कर देना।
उदाहरण – आतंककारियों और तस्करों से परेशान होकर भारत सरकार ने पाकिस्तानी सीमा पर तार लगाने का काम हाथ में लिया क्योंकि न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।

48. नौ दिन चले अढ़ाई कोस -बहुत सुस्ती से काम करना।
⇒उदाहरण – मैं तो अपने मकान के ठेकेदार से बदलूंगा। तीन महीने में तो अभी नींव भरी है। उसका तो यही हाल है कि नौ दिन चले अढ़ाई कोस।

49. फिसल पङे तो हर गंगा – काम बिगङ जाने पर यह कहना कि यह तो किया ही ऐसे गया था।
उदाहरण – फेल होने पर मनीष कहता है कि डिवीजन खराब हो रहा था इसलिए जान-बूझकर फेल हो गया। यह तो वही बात हुई कि फिसल पङे तो हर गंगा।

लोकोक्तियाँ

50. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी – जिसका कष्ट पाना तय है वह अंततः विपत्ति में पङेगा ही।
उदाहरण – शीला ऑपरेशन से डरती थी इसलिए ऑपरेशन करवाना टालती रही किन्तु आज तो डाॅक्टर ने कह ही दिया कि दो दिन में ऑपरेशन करना ही पङेगा। शीला ने कहा – ठीक है बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी।

51. रस्सी जल गई पर बल न गया – प्रतिष्ठा समाप्त हो जाने पर भी दंभ की बू शेष रहना।
उदाहरण – पुराने राजा-महाराजाओं का राज छिन गया किन्तु अभी जनता से मिलना-मिलाना अपनी शान के विरुद्ध समझते हैं। सच ही है कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया।

52. विनाश काले विपरीत बुद्धि – आदमी का प्रतिकूल समय आने पर उसका विवेक भी जाता रहता है।
⇒उदाहरण – रावण पंडित था, परम बुद्धिमान था किन्तु उसने यह भी नहीं सोचा कि किसी की पत्नी चुराना कितना अधर्म और वह उसके कुफल से बचेगा कैसे। विनाश काले विपरीत बुद्धि।

53. बैठे से बेगार भली – निरर्थक बैठे रहने के बजाय कम लाभ के लिए भी कुछ न कुछ काम करना।

54. सौ मन चूहे खा बिल्ली हज को चली – जीवन भर कुकर्म करने के बाद अंत समय में सुकर्म करना।

55. हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और होते हैं – कथनी और करनी में अंतर।
उदाहरण – कुछ मंत्री अपनी सम्पत्ति की सार्वजनिक घोषणा कर देते हैं किन्तु फिर अपने रिश्तेदारों के नाम सम्पत्ति इकट्ठा करते रहते हैं। सचमुच हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और होते हैं।

 

 

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