हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय – Hazari Prasad Dwivedi ka Jivan Parichay

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हजारी प्रसाद जीवन परिचय – Hazari Prasad Dwivedi ka Jivan Parichay

Hazari prasad Dwivedi

हजारी प्रसाद की जीवनी
जन्म19 अगस्त, 1907 ई.
जन्म भूमिगाँव ‘दुबे का छपरा’, बालिया ज़िला (उत्तर प्रदेश)
निधन19 मई, 1979
कर्मभूमिवाराणसी
कर्मक्षेत्रनिबन्धकार, उपन्यासकार,आलोचक,सम्पादक,अध्यापक
माताज्योतिष्मती
पिताअनमोल द्विवेदी
बचपन का नामवैद्यनाथ द्विवेदी

पुरस्कार /उपाधि (Hazari prasad Dwivedi)

  • पद्म भूषण,(1957)
  • टैगोर सम्मान,(1962) बंग साहित्य अकादमी द्वारा
  • डी.लिट की उपाधि,(1949) (लखनऊ विश्वविद्यालय ने दी )
  • साहित्य आकादमी पुरस्कार,(1973)आलोक पर्व(निबंध)

आलोचना /साहित्येतिहास(Hazari Prasad Dwivedi ka Jivan Parichay)

  • सूर साहित्य (1936)imp
  • हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940)imp
  • प्राचीन भारत में कलात्मक विनोद (1940)
  • कबीर (1942)
  • नाथ संप्रदाय (1950)
  • हिंदी साहित्य: उद्भव एवं विकास (1952)imp
  • हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1953)imp
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य पर विचार (1949)
  • साहित्य का मर्म (1949)
  • मेघदूत: एक पुरानी कहानी (1957)
  • लालित्य मीमांसा (1962)
  • कालिदास की लालित्य योजना (1967)
  • मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) imp

निबंध  संग्रह(Hazari prasad Dwivedi)

 

  • अशोक के फूल (1948)
  • कल्पलता (1951)
  • विचार और वितर्क (1954)
  • विचार प्रवाह (1959)
  • कुटज (1964)
  • साहित्य सहचर (1965)
  • आलोक पर्व (1972)

उपन्यास

  • बाणभट्ट की आत्मकथा (1946) – 
  • चारु चंद्रलेख(1962)
  • पुनर्नवा(1973)
  • अनामदास का पोथा(1976)
  • बाणभट्ट की आत्मकथा (1946) – 7 वीं शताब्दी के हर्षकालीन परिवेश की सामाजिक, राजनैतिक एवं सास्कृतिक स्थिति का चित्रण।
  • ’प्रेम का उदात्तीकरण’ – नारी के तीन रुप बताये गये।
  • ’बाणभट्ट के जीवन की सूत्रबद्ध कथा’ प्रमख पात्र – बाणभट्ट, भट्टिनी, निपुणिका (निउनिया), कृष्णवद्धेन, विग्रहवर्मा, लोरिकदेव, अघोर भैरव, सुगतभद्र, पुजारी, महामाया, सुचारिता, भर्वुशर्मा आदि।
  • बच्चन सिंह ने इसे क्लासिकल रोमांटिक उपन्यास, भगवानशरण उपाध्याय ने कादंबरी की भाँति रोमांस तथा नलिन विलोचन शर्मा ने हिंदी के पहले दो-तीन ऐतिहासिक उपन्यास में से एक माना।
  • चारुचंद्रलेखा 1963 ई, – 12 वीं-13 वीं शताब्दी का सांस्कृतिक एवं राजनीतिक वातावरण चित्रित। प्रमुख पात्र – राजा सातवाहन एवं चंद्रलेखा’।
  • पुनर्नवा 1973 ई. ’वर्ण व्यवस्था और नारी शोषण का चिंत्रण।
  • अनामदास का पोथा – 1976 ई. औपनिषदिक युग के परिवेश एवं जीवन पद्धति का चित्रण

आलोचना ग्रंथ

  • शांति निकेतन से शिवालिक (1967) – शिव प्रसाद सिंह
  • दूसरी परंपरा की खोज (1982) – नामवर सिंह
  • व्योम केश दरवेश (आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का पुण्य स्मरण) – (2011) – विश्वनाथ त्रिपाठी
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी (1989) – विश्वनाथ प्रसाद द्विवेदी
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जय यात्रा – नामवर सिंह

विशेष तथ्य – Hajari Prasad ka Jivan Parichay

  • इनका मूल नाम  बैजनाथ द्विवेदी था।
  •  द्विवेदी ने बिहारी सतसई को ‘रसिकों के हृदय का घर’ कहा।
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शुक्ल के वीरगाथा काल को ‘आदिकाल’ नाम से पुकारा।
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आचार्य शुक्ल के सबसे बड़े आलोचक माने जाते हैं डॉक्टर गणपति चंद्र गुप्त के शब्दों में ” संभवत द्विवेदी जी सबसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने आचार्य शुक्ल की अनेक धारणाएं और स्थापना को चुनौती देते हुए उन्हें सबल प्रमाणों के आधार पर खंडित किया है।
  • इनके लिए प्रसिद्ध कथन ” भारत का लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय करें ।”शुक्ल ने कहा 
  • इन्होंने आदिकाल को ‘अत्यधिक विरोध एवं व्याघातों का युग’ कहा।
  • यह आचार्य शुक्ल के बाद दूसरे श्रेष्ठ निबंधकार माने जाते हैं।
  • इन्होंने कबीर को ‘वाणी का डिक्टेटर’ कहा।
  • इन्होंने रामानंद को ‘आकाश धर्मा गुरु’ कहा है।
  • इन्होनें निर्गुण ज्ञानमार्गी शाखा को ‘निर्गुण भक्ति साहित्य’ नाम दिया।

इतिहास ग्रंथ

  • हिंदी साहित्य की भूमिका – 1940
  • हिंदी साहित्य का आदिकाल – 1952
  • हिंदी साहित्य का उद्भव और विकास – 1952
  • नाथ संप्रदाय – 1956
  • नाथ सिद्धों की बानियाँ – 1957

अनुवाद

  • मेघदूत – एक पुरानी कहानी
  • लाल कनेर
  • मेरा बचपन – 1956
  • दो बहन – 1956

पत्र साहित्य

  • पत्र हजारी प्रसाद द्विवेदी (1983) – मुकुंद द्विवेदी

 

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