बिहारी सतसई

बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर || व्याख्या सहित || पद 1 से 25 तक

बिहारी रत्नाकर

इस आर्टिकल में बिहारी सतसई की टीका बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर(Bihari Ratnakar Jagnath Das Ratnakar) को महत्त्वपूर्ण तथ्यों के साथ समझाया गया है। बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ। जा तन की झाँई परे, स्याम हरित-दुति होइ॥ 1 शब्दार्थ : भव – बाधा = सांसारिक कष्ठ नागरि = चतुर …

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हिन्दी सतसई परंपरा क्या है- Hindi Sahitya

दोस्तो आज हम हिंदी सतसई परंपरा के बारे मे जानेंगे मुक्तक काव्य की एक विशिष्ट विधा है। इसके अंतर्गत कविगण सात सौ या सात सौ से अधिक दोहे लिखकर एक ग्रंथ के रूप में संकलित करते हैं। “सतसई” शब्द “सत” और “सई” से बना है, “सत” का अर्थ सात और सई का अर्थ “सौ” है। …

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