• मुख्यपृष्ठ
  • पीडीऍफ़ नोट्स
  • साहित्य वीडियो
  • कहानियाँ
  • हिंदी व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • हिंदी कविता
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • हिंदी लेख
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • 🏠 मुख्यपृष्ठ
  • पीडीऍफ़ नोट्स
  • साहित्य वीडियो
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

प्रमुख नाटक सारांश || Hindi sahitya || Hindi sahitya ka itihas

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:6th Oct, 2020| Comments: 3

प्रमुख नाटक सारांश||hindi sahitya||

Table of Contents

  • प्रमुख नाटक सारांश||hindi sahitya||
    • 1. अन्धेर नगरी
      • 2. चन्द्रगुप्त
      • 3. अन्धा युग
      • Natak in Hindi
        • 4. आधे-अधूरे
        • ये भी अच्छे से जानें ⇓⇓

आज की पोस्ट में हम प्रमुख नाटक सारांश के बारे में चर्चा करेंगे

Natak in Hindi

1. अन्धेर नगरी

अन्धेर नगरी भारतेन्दु द्वारा 1881 ई. में रचित नाट्यकृति है जिसकी रचना उन्होंने एक रात में की थी। इसमें छः दृश्य हैं। आलोच्य कृति में भारतेन्दु जी ने ’अन्धेर नगरी चैपट राजा’ की लोककथा को लेकर समकालीन राजनीतिक चेतना को अभिव्यक्ति दी है।

जब राजा मूर्ख होता है तो उसकी मूर्खतापूर्ण नीति का शिकार प्रजा के साथ-साथ स्वंय राजा भी बनता है। मूर्खतापूर्ण नीति के फन्दे में प्रजा के साथ-साथ राजा को भी फंसा दिखाकर भारतेन्दु जी ने तत्कालीन अंगे्रज शासको का पर्दाफाश किया है।


यह एक हास्य-व्यंग्यपूर्ण कृति है। ’अन्धेर नगरी’ कुशासन का प्रतीक है और तत्कालीन अंगे्रजी शासन व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है। इसका नाट्यशिल्प उच्चस्तर का है। संवाद छोटे-छोटे किन्तु कसे हुए हैं।

एक बकरी के मर जाने पर उसका दोष किस प्रकार एक के सिर से उतरकर दूसरे के सिर पर चला जाता है- इसे अत्यन्त मनोंरजक ढंग से इसमें प्रस्तुत किया है। इस अन्धेर नगरी में ही ’टके सेर भाजी और टके सेर खाजा’ बिकता है।

प्रसिद्ध नाट्यशिल्पी वी. पी. कारन्त ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्रों द्वारा इसका मंचन सफलतापूर्वक करवाया है।

2. चन्द्रगुप्त

 

प्रसादजी के ऐतिहासिक नाटकों में चन्द्रगुप्त का विशिष्ट स्थान है। यह नाटक उन्होंने 1931 ई. में लिखा था। चाणक्य और चन्द्रगुप्त इसके प्रमुख पात्र हैं।

इतिहास के साथ-साथ कल्पना का समावेश भी इसके कथानक में किया गया है। चन्द्रगुप्त मौर्य साम्राज्य का संस्थापक किस प्रकार चाणक्य के सहयोग से बना तथा उसने किस प्रकार एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना करके विदेशी आक्रान्ताओं को भारत से बाहर भगा दिया-

यही इस नाटक की कथावस्तु में चित्रित किया गया है। नाटक के प्रमुख पुरुष पात्र हैं- चाणक्य, चन्द्रगुप्त, सिंहरण, पर्वतेश्वर, नन्द, सेल्यूकस, अलक्षेन्द्र, महात्मा, दाण्डयायन तथा नारी पात्रों में प्रमुख हैं- सुवासिनी, अलका, मालविका, कल्याणी, कार्नेलिया।

चन्द्रगुप्त नाटक में दो गीत विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं- ’अरुण यह मधुमय देश हमारा’ और हिमाद्रि तुंग शृंग से’। इन गीतों में देशप्रेम एवं राष्ट्रीयता की भावना व्यक्त हुई। कल्याणी और मालविका अपने प्राणों की बलि देती हैं।

तक्षशिला की राजकुमारी अलका के हृदय में राष्ट्रीयता की भावनाओं का समावेश है। रंगमंचीयता एवं अभिनेता की दृष्टि से नाटक सफल नहीं कहा जा सकता। दृश्य अधिक हैं तथा कुछ दृश्य रंगमंच पर अभिनीत नहीं हो सकते।

पात्रों की संख्या अधिक है तथा भाषा संस्कृतनिष्ठ है। संवाद भी अपेक्षाकृत बङे-बङे एवं दुरूह भाषा में है। कुशल सम्पादन से ही इस नाट्यकृति को रंगमंच के योग्य बनाया जा सकता है। कार्नेलिया और चन्द्रगुप्त का विवाह अन्त में हो जाता है।

3. अन्धा युग

अन्धा युग धर्मवीर भारती द्वारा रचित एक गीत-नाट्य है जो सन् 1954 ई. में प्रकाशित हुआ। इसका कथानक महाभारत युद्ध के अठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु तक के कालखण्ड पर आधारित हैं।

’अन्धा युग’ में कुल पांच अंक है: 1. कौरव नगरी, 2. पशु का उदय, 3. अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य, 4. गांधारी का शाप और 5. विजय- एक क्रमिक आत्महत्या।

इन अंकों के अतिरिक्त प्रारम्भ में ’स्थापना’ और अन्त में ’समापन’ के अन्तर्गत ’प्रभु की मृत्यु’ का समावेश किया गया है। तीसरे और चोथे अंक के बीच में एक अन्तराल भी है जिसका शीर्षक है- पंख, पहिए और पट्ठियां।

भारतीजी ने यह स्वीकार किया है कि अन्धा युग के ’फार्म’ की प्रेरणा उन्हें बचपन में ही देखी रामलीला से मिली थी।
युद्ध में मर्यादाएं टूट जाती है, विवेक पराजित होता है और अन्धेपन की विजय होती हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध ने समूचे मानव समाज में जो गतिहीनता भर दी थी उसी को दूर करने का प्रयास ’अन्धा युग’ में भारती जी ने किया है।

युद्ध के उपरान्त मानव का भविष्य क्या होगा इसी प्रश्न पर भारतीजी ने इस कृति में विचार किया है।
अन्धा युग के प्रमुख पात्र हैं- अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा, युयुत्सु, गांधारी, संजय, विदुर, धृतराष्ट्र, दो प्रहरी, वृद्ध याचक।

इनमें प्रहरी और याचक ही कल्पित पात्र हैं, शेष सभी प्रसिद्ध पौराणिक पात्र हैं। अन्धा युग का क्रेन्दीय पात्र ’अश्वत्थामा’ है जो प्रतिहिंसा एवं घृणा की साकार प्रतिमूर्ति है।

गांधारी ’कृष्ण’ के देवत्व को नकारती है और उन्हें शाप देती है जिसे वे सहर्ष अंगीकार कर लेते हैं।

अश्वत्थामा का ब्रह्मास्त्र आधुनिक युग के परमाणु अस्त्रों को बोध कराता है। अन्धा युग का परिवेश सत्य, मर्यादा एवं दायित्व के प्रश्नों को उभारता है।

’अन्धा युग’ के प्रमुख पात्र अश्वत्थामा और गांधारी विघटन से त्रस्त, निराशा से कुण्ठित, अन्तः संघर्ष से ग्रस्त एवं मर्यादाहीन जीवनधारा के प्रतिरूप बनकर उपस्थित हुए हैं।

युयुत्सु न्याय का पक्ष लेकर भी पश्चाताप की अग्नि में झुलसता है और ग्लानि एवं क्षोभ से भरकर आत्महत्या कर लेता है।

Natak in Hindi

युद्ध में मानव मूल्यों का क्षरण इस सीमा तक हो जाता है कि अश्वत्थामा पाण्डव पुत्रों का वध करने से भी नहीं चूकता।

अश्वत्थामा के द्वारा ब्रह्मस्त्र का संधान कर देने पर व्यास द्वारा उसे धिक्कारना वर्तमान सन्दर्भों में परमाणु अस्त्रों द्वारा की जा सकने वाली विनाशलीला का बोध कराती है:

’’ मैं हूं व्यास
ज्ञात क्या तुम्हें है परिणाम इस ब्रह्मास्त्र का।
यदि यह लक्ष्य सिद्ध हुआ जो नरपशु
तो आगे आने वाली सदियों तक

पृथ्वी पर रसमय वनस्पति नहीं होगी
शिशु होंगे पैदा विकलांग कुष्ठाग्रस्त
सारी मनुष्य जाति बौनी हो जाएगी।’’

वर्तमान विश्व में व्याप्त हथियारों की दौङ शीत युद्ध का कारण बनती है। युद्ध में हुआ रक्तपात मानव को युद्ध के प्रति घृणा से भर देता है।

’अन्धा युग’ की भाषा तत्सम शब्दों से युक्त हिन्दी है। ’अन्धा युग’ में उन्होंने महाभारत में प्राचीन मिथक को सशक्त एवं बहुआयामी अभिव्यक्ति दी है।

’अन्धा युग’ की रंगमंचीयता असंदिग्ध है। इसे रंगमंच पर सफलतापूर्वक अभिनीत किया जा चुका है, साथ ही आकाशवाणी पर इसका रेडियों रूपान्तर करके प्रसारण किया जा चुका है।

4. आधे-अधूरे

’ आधे-अधूरे’ हिन्दी के प्रतिभा सम्पन्न नाटककार मोहन राकेश की 1969 ई. में रचित कृति है। यह रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण सफल है, क्योंकि इसे अनेक बार अभिनीत किया जा चुका है।

इस नाटक में समाज की विसंगतियों का चित्रण किया गया है और यह बताने का प्रयास है कि प्रत्येक व्यक्ति अधूरा है।

’ आधे-अधूरे’ एक स्त्री और पुरुष के बीच लगाव और तनाव की कहानी है। महेन्द्रनाथ सावित्री से बहुत प्रेम करता है। सावित्री भी उसे चाहती है, किन्तु विवाह के उपरान्त महेन्द्रनाथ अपनी पत्नी की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता।

वह अपनी बची-खुची जिन्दगी एक पूरे सम्पूर्ण पुरुष के साथ बिताने की आकांक्षा रखती है, पर यह आकांक्षा पूरी नहीं होती, क्योंकि ’सम्पूर्णता’ किसी में होती ही नहीं। वस्तुतः यह कृति एक पारिवारिक विघटन की गाथा है।

परिवार का प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे से कटा हुआ है। घर में जो एक अव्यक्त ’त्रास’ भरा हुआ है उससे वे एक-दूसरे के लिए जहरीले हो गए हैं। परिवार का कोई भी सदस्य एक-दूसरे से लगाव नहीं रखता। सभी पात्र आधे-अधूरे व्यक्तित्व के स्वामी हैं।

कथ्य, शिल्प, भाषा, संवेदना, यथार्थबोध एवं अभिनेयता सभी दृष्टियों से यह नाट्यकृति उच्चकोटि की है।

ये भी अच्छे से जानें ⇓⇓

समास क्या होता है ?

परीक्षा में आने वाले मुहावरे 

सर्वनाम व उसके भेद 

महत्वपूर्ण विलोम शब्द देखें 

विराम चिन्ह क्या है ?

परीक्षा में आने वाले ही शब्द युग्म ही पढ़ें 

साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 

 

  • Natak in Hindi
  • Hindi natak
  • Drama in hindi
  • Natak
Tweet
Share20
Pin
Share
20 Shares
केवल कृष्ण घोड़ेला

Published By: केवल कृष्ण घोड़ेला

आप सभी का हिंदी साहित्य की इस वेबसाइट पर स्वागत है l यहाँ पर आपको हिंदी से सम्बंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी l हम अपने विद्यार्थियों के पठन हेतु सतर्क है l और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है l धन्यवाद !

Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • Matiram Ka Jivan Parichay | मतिराम का जीवन परिचय – Hindi Sahitya

    Matiram Ka Jivan Parichay | मतिराम का जीवन परिचय – Hindi Sahitya

  • रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi

    रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi

  • Meera Bai in Hindi – मीराबाई का जीवन परिचय – Hindi Sahitya

    Meera Bai in Hindi – मीराबाई का जीवन परिचय – Hindi Sahitya

Comments

  1. AvatarPooja singh saini says

    15/08/2020 at 7:59 AM

    बहुत ही शानदार सार गर्भित सारांश।। अच्छा लगा पढ़कर समझ आ गया बहुत बहुत साधुवाद घोडेला साब।। युही रोज़ सार डालते रहिए धन्यवाद

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेलाकेवल कृष्ण घोड़ेला says

      18/08/2020 at 11:04 AM

      जी धन्यवाद ,आपके अपार स्नेह के लिए …

      Reply
  2. AvatarSmita Kumari says

    06/10/2020 at 3:41 PM

    Very knowledgeable and helpful for exa.m purposes
    Thanks sir

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Hindi Sahitya PDF Notes

Search

Recent Posts

  • Utpreksha Alankar – उत्प्रेक्षा अलंकार, परिभाषा || परीक्षोपयोगी उदाहरण
  • अनुप्रास अलंकार – अर्थ | परिभाषा | उदाहरण | हिंदी काव्यशास्त्र
  • रेवा तट – पृथ्वीराज रासो || महत्त्वपूर्ण व्याख्या सहित
  • Matiram Ka Jivan Parichay | मतिराम का जीवन परिचय – Hindi Sahitya
  • रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi
  • Meera Bai in Hindi – मीराबाई का जीवन परिचय – Hindi Sahitya
  • सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ || Surdas
  • उजाले के मुसाहिब – कहानी || विजयदान देथा
  • परायी प्यास का सफर – कहानी || आलमशाह खान
  • हिन्दी उपन्यास – Hindi Upanyas – हिंदी साहित्य का गद्य

Join us

हिंदी साहित्य चैनल (telegram)
हिंदी साहित्य चैनल (telegram)

हिंदी साहित्य चैनल

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

Footer

Keval Krishan Ghorela

Keval Krishan Ghorela
आप सभी का हिंदी साहित्य की इस वेबसाइट पर स्वागत है. यहाँ पर आपको हिंदी से सम्बंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी. हम अपने विद्यार्थियों के पठन हेतु सतर्क है. और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है. धन्यवाद !

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
Tulsidas ka jeevan parichay || तुलसीदास का जीवन परिचय || hindi sahitya
Ramdhari Singh Dinkar || रामधारी सिंह दिनकर || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

जीवन परिचय

  1. मैथिलीशरण गुप्त
  2. सुमित्रानंदन पन्त
  3. महादेवी वर्मा
  4. हरिवंशराय बच्चन
  5. कबीरदास
  6. तुलसीदास

Popular Pages

हिंदी साहित्य का इतिहास-Hindi Sahitya ka Itihas
Premchand Stories Hindi || प्रेमचंद की कहानियाँ || pdf || hindi sahitya
Hindi PDF Notes || hindi sahitya ka itihas pdf
रीतिकाल हिंदी साहित्य ट्रिक्स || Hindi sahitya
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us