आलम कवि – रीतिकाल || जीवन परिचय

आज के आर्टिकल में हम रीतिकालीन कवि आलम कवि के जीवन परिचय और उनकी रचनाओं के बारे में पढेंगे ।

आलम कवि - रीतिकाल

आलम का जीवन परिचय और रचनाएं

  • आचार्य शुक्ल के अनुसार इनका कविता काल 1683 से 1703 ईस्वी तक रहा।
  • इनका प्रारंभिक नाम लालमणि था।
  • मुस्लिम महिला शेख नामक रंगरेजिन से विवाह के लिए इन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया और नाम आलम रखा।
  • उनकी पत्नी का नाम शेख था
  • इनके पुत्र का नाम जहान था
  • आचार्य शुक्ल के अनुसार यह औरंगजेब के दूसरे बेटे मुअज्जम के आश्रम में रहते थे
  • आलम ने एक बार अपनी पगड़ी रंगने को दी जिसमें एक कागज बंधा चला गया उसमें दोहे की आधी पंक्ति लिखी थी

“कनक छरी सी कामिनी काहे को कटि छीन”

इससे दोहे की आधी पंक्ति को शेख ने पूरा किया

कटी को कंचन काटि बिधि कुचन मध्य धरि दीन।।

  • एक बार शहजादा मुअज्जम ने शेख से पूछा” क्या आलम की औरत आप ही हैं? ”
    शेख ने जवाब दिया” हां,जहांपनाह! जहान की मां मैं ही हूं।
  • बृज भाषा में कव्वाली का आरंभ आलम ने किया।
  • ‘प्रेम की पीर’ या ‘इश्क का दर्द’ इनके ग्यारह काव्य में भरा पाया जाता है । :- आचार्य शुक्ल
  • उत्प्रेक्षाएं भी इन्होंने बड़ी अनूठी और बहुत अधिक कही है।:-आचार्य शुक्ल
  • प्रेम की तन्मयता की दृष्टि से आलम की गणना रसखान और घनानंद की कोटी में होनी चाहिए :-आचार्य शुक्ल
  • आलम प्रेम की दीवानगी के कवि हैं ।:-विश्वनाथ त्रिपाठी
  • आलम प्रेमोन्मत्त कवि है और अपनी तरंग के अनुसार रचना करते हैं ।:-आचार्य शुक्ल
  • इनकी प्रेम अनुभूति व्यक्तिगत है,अतः अब वह मार्मिक व सत्य प्रतीत होती है:- डॉ. नगेंद्र
  • संयोग हो या वियोग,कवि विशाद मग्न रहता है,आलम वियोग मे थके से जीवन का दांव हारे से लगते हैं।:- डॉ. नगेंद्र

प्रसिद्ध रचनाएं हैं :-

  • माधवनल कामकंदला
  • श्याम-स्नेही
  • सुदामा चरित
  • आलम केलि

माधवानंद कामकंदला:-

1.दोहा चौपाई शैली में रचित रचना।
2.पांच अर्धाली के बाद एक दोहा या सोरठा।
3.अकबर ने टोडरमल का उल्लेख इस रचना में मिलता है।

श्याम स्नेही :-

1. आलम द्वारा रचित द्वितीय प्रबंध काव्य है
2. कृष्ण रुक्मणी विवाह पर आधारित
3. प्रारंभ में शिव पार्वती में गणेश वंदना
4.  ग्यारह अर्धाली के बाद एक दोहा

5.”आलम जीवहु जो पलक इहि चंचल संसारु।
दे अहार पासहु मनहि प्रेम भगति अधारु।।”

सुदामाचरित :-

1. इक्यावन रेख्ताबंदो की अल्प काव्य कृति
अवधि व ब्रज भाषा में रचित।

2.अरबी व फारसी शब्दों से युक्त रचना

3.कृष्ण और निर्धन सुदामा के मिलन का वर्णन

4. इसी रचना पर नरोत्तम दास ने सुदामा चरित नामक काव्य की रचना की

5. कवित्त सवैया मे रचित रचना

आलम केलि:

1.. 1922 ईस्वी में लाला भगवानदीन ने आलम केलि का प्रकाशन करवाया।

2.आलम द्वारा रचित फुटकर कविताओं का संग्रह है

3.आलम द्वारा रचित सर्वाधिक चर्चित रचना

आलम द्वारा रचित प्रमुख काव्य पंक्तियाँ

“दाने कि न पानी कि मैं आवे सुध खाने की ।
जो गली महबूब की अराम खुसखाना है।। ”

“दिल को दिलासा दीजै हाल के न ख्याल हूजै।
बेखुद फकीर वह आशिक दीवाना है।।”

“कैंधो मोर सोर तजि गये री अनत भाजि।
कैंधो उत दादुर न बोलत है ए दई।।”

“कनक छुरी सी कामिनी काहे को कटि छीन।(आलम )
कटि को कंचन काटि विधि कुचन मध्य धरि दीन ।।(शेख )”

“जो थल किने बिहार अनेकन ता थल कांकर बैठि चुन्यो करैं।
नैननि में जो सदा रहते तिनकी अब कान कहानी सुन्यो करें।।”

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