पाठ प्रस्तावना कौशल – अर्थ, परिभाषा, प्रस्तावना, लक्षण, मूल्यांकन

इस आर्टिकल में हम पाठ प्रस्तावना कौशल(Path Prastavana Kaushal)  के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है ,उम्मीद है आपको इस टॉपिक पर सब क्लियर हो जाएगा।

प्रस्तावना कौशल – Path Prastavana Kaushal

पाठ प्रस्तावना कौशल अर्थ (Skill of Introducing a Lesson)

प्रस्तावना कौशल शिक्षण प्रक्रिया की नींव हैं, क्योंकि किसी भी प्रकरण की शुरुआत करने से पूर्व प्रस्तावना प्रश्नों की श्रेणियों का निर्माण किया जाता हैं। जिसमें 3-4 प्रश्नों का चयन किया जाता हैं। प्रथम प्रश्न से जिस उत्तर की प्राप्ति होती हैं उसी के आधार पर दूसरे प्रश्न का निर्माण किया जाता हैं। जिससे छात्रों को समझने में सरलता हो सकें और वह सरलता से प्रश्नों के उत्तर दे सकें। छात्राध्यापकों में प्रस्तावना कौशल का विकास कर उनमें छात्रों को समझने की दक्षता का विकास किया जाता हैं।

प्रस्तावना कौशल
प्रस्तावना कौशल

शिक्षक को प्रश्न पूछते समय यह ध्यान देना चाहिए कि कक्षा अनुशासन में रहें अर्थात जब प्रश्न पूछा जाए तो छात्र पूरे वाक्य में उत्तर दें और उत्तर देने से पूर्व जिन छात्रों को उस प्रश्न का उत्तर पता हैं, वह अपना हाथ ऊपर उठाएं अगर सभी छात्र उत्तेजित होकर उत्तर देने लग गए तो ऐसे में कक्षा में अनुशासनहीनता का वातावरण विद्यमान हो जाएगा। जिससे शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती।
हैं।

प्रस्तावना कौशल ( Introduction Skill) सूक्ष्म शिक्षण का प्रथम कौशल हैं जिसको शिक्षण प्रक्रिया में छात्राध्यापकों को शिक्षण हेतु तैयार करने के लिए सीखाया जाता हैं। प्रस्तावना कौशल में छात्रों में शुरुआती प्रश्न पूछने की प्रक्रिया के कौशलों का विकास किया जाता हैं।

उपनाम:

  • पाठोपस्थापन कौशल
  • विषयाभिमुख कौशल
  • विन्यास प्रेरण कौशल
  • प्रेरणा कौशल
  • उत्प्रेरणा उपक्रम कौशल

– इन सभी नामों से प्रस्तावना कौशल को जाना जाता है।

प्रस्तावना कौशल उद्देश्यः Path Prastavana kaushal ke Uddeshya

अध्यापक का उद्देश्य पाठ आरंभ करते समय केवल रूचि उत्पन्न करना ही नहीं होता बल्कि उसका उद्देश्य पूर्व अनुभवों को जाग्रत कर उसका उपयोग भी करना होता है।

  1. छात्रों को यह बताना कि आज हम क्या पढ़ने वाले हैं
  2. पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से जोड़ना
  3. पढ़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना
  4. उत्साहित करना
  5. उद्देश्य कथन कहना

क्यों:- यह कौशल विद्यार्थी के पूर्व ज्ञान से नवीन ज्ञान की और जोड़ने वाली कड़ियाँ है। इसमें संभावित विधि-प्रविधि उदाहरण का प्रयोग किया जाता है। इसमें Modal, Chart के माध्यम से भी प्रस्तावना की जा सकती है।

प्रस्तावना कौशल के लक्षण – Path Prastavana Kaushal ke lakshan

  • छात्रों के पूर्वज्ञान को जानने के लिए
  • छात्रों में रुचि जागृत करने के लिए
  • छात्रों का ध्यान केन्द्रित करने के लिए
  • अध्यापन में रोचकता लाने के लिए
  • पूर्वज्ञान से नवीन ज्ञान की ओर
  • ज्ञात से अज्ञात की ओर
  • प्रश्नों की संख्या 5-7 होनी चाहिए
  • पूर्व ज्ञान का प्रयोग करते हुए कक्षा में सक्रियता बढ़ाये।
  • उपर्युक्त विधि का प्रयोग कर अध्यापन को रोचक बनाये।
  • प्रकरण तथा कक्षा स्तर को ध्यान में रखकर उपर्युक्त विधि का चयन करें।
  • पूर्वापर सम्बन्ध/तारतम्यता/जिक जैक मैथड़ का प्रयोग
  • अन्त में सम्भावित/समस्यात्मक प्रश्न

प्रस्तावना कौशल के घटक – Path prastavana kaushal ke ghatak

1. पूर्व ज्ञान से संबंधित कथन(Statements, Related To Previous Knowledge)
2. विषय वस्तु व उसके उद्देश्यों से संबंधित कथन(Statements, Related To Content And Its Objectives)
3. कथनों में श्रंखलाबद्धता(Proper Sequence In Statements)
4. छात्रों में प्रेरणा व रुचि पैदा करने की क्षमता(Capability Of Creating Motivation And Interest In Students)
5. उचित सहायक सामग्री का प्रयोग(Using Proper Teaching Aid)
6. उद्देश्य कथन उचित रूप से कहना(Saying Statement Of Aim Properly)

प्रस्तावना कौशल के समय रखी जाने वाली सावधानियां

1. प्रस्तावना प्रश्न छात्रों के पूर्वज्ञान से संबंधित होने चाहिए अर्थात प्रकरण शुरू करने से पहले ही छात्रों के मन मे दुविधा व्याप्त होने लग जाएगी। जिससे वह उस प्रकरण को समझने में रुचि नही लेंगे।
2. प्रस्तावना प्रश्नों में क्रमबद्धता होनी चाहिए। प्रत्येक प्रश्नों से उत्पन्न उत्तर के आधार पर ही अगले प्रश्न का निर्माण किया जाना चाहिए अर्थात प्रश्नों का निर्माण Z फॉर्म में किया जाना ही उचित होगा।
3. प्रश्न पूछने की गति में स्थिरता होनी चाहिए छात्रों को उत्तर देने में ज्यादा समय नही लगना चाहिए और प्रश्नों के उत्तर हाँ और ना में नहीं होने चाहिए।
4. प्रस्तावना प्रश्नों की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए। जिससे छात्र प्रश्नों को आसानी से समझकर उसके उत्तर दे सकें।
5. प्रश्नों के प्रवाह के समय शिक्षण सहायक सामग्री का भी उचित प्रयोग किया जाना चाहिए। जिससे छात्र उसमें रुचि ले सकें और प्रश्नों की संख्या 3-6 होनी चाहिए।
6. प्रश्न पूछ लेने के पश्चात उद्देश्य कथन छात्रों में जिज्ञासा पैदा करने वाला होना चाहिए। जिससे प्रकरण को जानने और समझने में उनमें उत्सुकता बढ़ सकें।
7. प्रश्न व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होने चाहिए और प्रश्न के प्रवाह के समय शिक्षक को उत्साह का भाव अभिव्यक्त करना चाहिए।
8. प्रश्नों का प्रवाह उचित गति के साथ होना चाहिए शिक्षक को अपनी आवाज ऊची और स्पष्ट रखनी चाहिए। जिससे पीछे बैठे छात्र भी आसानी और स्पष्टता के साथ सुन सकें।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें  पाठ प्रस्तावना कौशल(Path Prastavana Kaushal)  के बारे में विस्तार से जानकारी दी है ,उम्मीद है आपको इस टॉपिक पर सब क्लियर हो जाएगा।…धन्यवाद

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top