• Home
  • PDF Notes
  • Videos
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • PDF NOTES
  • VIDEOS
  • कहानियाँ
  • व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • कविताएँ
  • Web Stories

पूजन || श्यामनारायण पाण्डेय || सम्पूर्ण व्याख्या

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:18th May, 2022| Comments: 0

Tweet
Share6
Pin
Share
6 Shares

आज की इस पोस्ट में हम श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित पूजन कविता की सम्पूर्ण व्याख्या विस्तार से पढे़गें तथा इस कविता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेगें ।

पूजन(Pujan Kavita)

Table of Contents

  • पूजन(Pujan Kavita)
    • पाठ-परिचय
    • प्रसंग
    • व्याख्या
    • विशेष
    • प्रसंग
    • व्याख्या
    • विशेष
    • प्रसंग
    • व्याख्या
    • विशेष-
    • प्रसंग
    • व्याख्या
    • विशेष
    • प्रसंग
    • व्याख्या
    • विशेष

पाठ-परिचय

यह काव्यांश लेखक के ’हल्दीघाटी’ महाकाव्य से उद्घृत है। इसमें कवि ने देश हित उत्सर्ग करने वाले वीरों के प्रति श्रद्धा भाव अभिव्यक्त करते हुए देव तीर्थोें से अधिक पुण्यदायी चित्तौङ की भूमि को बताया है। स्वाभिमान और स्त्रीत्व का रक्षार्थ जीवित आग को समर्पित वीरांगनाओं के त्याग व बलिदान की गाथा से कवि भारतीय नारी के पूजनीया स्वरूप को प्रतिष्ठित करता है। अजेय दुर्ग चित्तौङ के माध्यम से कवि ने शहीदों के प्रति आदर भाव तो अभिव्यक्त किया ही है, साथ ही उसके प्रति आस्थावान बनने का सन्देश भी दिया है।

थाल सजाकर किसे पूजने,
चले प्रात की मतवाले।
कहाँ चले तुम राम नाम का,
पीताम्बर तन पर डाले ?

प्रसंग

प्रस्तुत अवतरण कवि श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा रचित ’हल्दी घाटी’ महाकाव्य से संकलित ’पूजन’ शीर्षक काव्यांश से लिया गया है। इसमें किसी सन्यासी द्वारा वीरों के तीर्थ चित्तौङ में पूजन सामग्री लेकर जाने का वर्णन है।

व्याख्या

कवि श्यामनारायण पाण्डेय वर्णन करते हुए कहते है कि हे मतवाले सन्यासी! तुम प्रातः काल ही पूजा का थाल सजाकर अर्थात् पूजन की सारी सामग्री लेकर किसे पूजने जा रहे हो ? तुम अपने शरीर पर राम नाम से अंकित पीला वस्त्र डालकर अर्थात् पीला राम-नामी वस्त्र ओढ़कर कहाँ चले जा रहे हो ? पूजन की थाली में चन्दन और अक्षत (पूजा के चावल) तथा बगल मे मृग-चर्म का आसन दबाकर तुम कहाँ जा रहे हो ? तुम्हारी यह सजी हुई आरती और जूही की माला किसके पूजन के लिए एवं कहाँ जा रही है ?

विशेष

1. पूजन के माध्यम से मेवाङ के शौर्य एवं स्वाभिमान के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया गया है।
2. पूजन की परम्परागत सभी सामग्री का उल्लेख हुआ है।

ले मौंजी, उपवीत, मेखला, कहाँ चले तुम दीवाने ?
जल से भरा कमंडलु लेकर, किसे चले तुम नहलाने ?
चले झूमते मस्ती से तुम, क्या अपना पथ आये भूल ?
कहाँ तुम्हारा दीप जलेगा, कहाँ चढ़ेगा माला फूल ?
इधर प्रयाग न गंगासागर इधर न रामेश्वर काशी।
कहाँ, किधर है तीर्थ तुम्हारा, कहाँ चले तुम सन्यासी ?

प्रसंग

यह अवतरण श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा रचित ’हल्दी घाटी’ महाकाव्य से संकलित ’पूजन’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि सन्यासी से पूछता है कि वह पूजन सामग्री लेकर कहाँ जा रहा है ?

व्याख्या

कवि कहता है कि हे सन्यासी! हे मतवाले व्यक्ति! तुम मौंजी, जनेऊ और करधनी को लेकर कहाँ चले जा रहे हो ? जल से भरा कमण्डल लेकर तुम किसे नहलाने या किसका अभिषेक कराने जा रहे हो ? तुम मस्ती में इस तरह झूमते जा रहे कि तुम्हें अपना आगे का रास्ता भी क्या याद नहीं है ? तुम कहाँ पर पूजा का दीपक जलाना चाहते हो और कहाँ पर या किसे माला व फूल चढ़ाना चाहते हो ? क्योंकि तुम जिस दिशा की ओर जा रहे हो, उस ओर न पवित्र तीर्थ प्रयाग है, न गंगासागर है, न काशी और न रामेश्वर तीर्थ है। फिर तुम किस तीर्थ की ओर जा रहे हो ? तुम्हारा वह तीर्थ कौनसा है और तुम कहाँ जाना चाहते हो ?

विशेष

1. सन्यासी चित्तौङ की ओर जा रहा है। कवि इसी कारण पूछता है कि वहाँ कौनसा तीर्थ है ? इससे चित्तौङ के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त हुआ है।
2. मौंजी पुरुष धारण करते है, जबकि मेखला स्त्रियाँ बाँधती है। कवि ने दोनों का एक साथ प्रयोग प्रश्नात्मक किया है।

मुझे न जाना गंगासागर, मुझे न रामेश्वर, काशी।
तीर्थराज चित्तौङ देखने को मेरी आँखें प्यासी।
अपने अचल स्वतंत्र दुर्ग पर, सुनकर बैरी की बोली।
निकल पङी लेकर तलवारें, जहाँ जवानों की टोली।
जहाँ आन पर माँ-बहिनों की, जला-जला पावन होली।
वीर-मण्डली गर्वित स्वर से, जय माँ की जय जय बोली।

प्रसंग

यह पद्यांश श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा रचित ’हल्दीघाटी’ महाकाव्य से संकलित ’पूजन’ कवितांश से लिया गया है। इसमें सन्यासी ने जो उत्तर दिया, उसी का वर्णन है।

व्याख्या

कवि वर्णन करता है कि सन्यासी ने कहा कि न तो मुझे गंगासागर तीर्थ जाना है, न मुझे रामेश्वर और काशी जाना है। मैं नये तीर्थराज चित्तौङ को देखना चाहता हूँ। उसी के दर्शनों के लिए मेरी आँखे लालायित है। वह तीर्थराज चित्तौङ ऐसा है, जो अपने अचल दुर्ग पर शत्रुओं की बोली या आक्रमण की आवाजें सुनकर जोश से भर गया था, जहाँ से शत्रुओं का मुकाबला करने के लिए जवानों की टोली तलवारें निकल पङी थी। जहाँ पर सतीत्व की रक्षा के लिए अपनी मान-मर्यादा की खातिर माताओं एवं बहिनों ने पवित्र जौहर की आग जलाकर आत्म-बलिदान किया था और जहाँ पर वीरों की मण्डली गर्व से भरे स्वर में हुँकार भरती हुई ’जय माँ, जय मातृभूमि’ की घोषण करती हुई शत्रुओं का सामना करने के लिए निकली थी।

विशेष-

1. कवि ने चित्तौङ दुर्ग के ऐतिहासिक गौरव को लक्ष्य कर उसे वन्दनीय तीर्थराज बताया है।
2. मेवाङ के शौर्य एवं बलिदान की व्यंजना की गई है।

सुन्दरियों ने जहाँ देश-हित, जौहर व्रत करना सीखा।
स्वतंत्रता के लिए जहाँ के बच्चों को मरना सीखा।
वहीं जा रहा पूजन करने, लेने सतियों की पद-धूल।
·वहीं हमारा दीप जलेगा, वहीं चढे़गी माला, फूल।
वहीं मिलेगी शांति वहीं पर, स्वस्थ हमारा मन होगा।
वीरवरों की पूजा होगी, खड्गों को दर्शन होगा।

प्रसंग

यह पद्यांश ’पूजन’ शीर्षक कविता से लिया गया है। यह कविता श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित ’हल्दी घाटी’ महाकाव्य से संकलित है। इसमें चित्तौङगढ़ के ऐतिहासिक शौर्य एवं बलिदान का उल्लेख किया गया है।

व्याख्या

कवि के वर्णानानुसार वह सन्यासी कहने लगा कि वह तीर्थराज चित्तौङ ऐसा गौरवशाली है कि वहाँ की सुन्दर स्त्रियों ने देश की भलाई की खातिर जौहर व्रत करना सीखा, अर्थात् अपने सतीत्व की रक्षा की रक्षा के लिए आग की लपटों में जीवन मिटा देना या आत्म-बलिदान करना सीखा। जहाँ के बच्चों ने मातृभूमि की स्वतंत्रता की खातिर सहर्ष प्राणों का त्याग करना अथवा मरण-महोत्सव करना सीखा। मैं इस पूजन की थाली को लेकर वहीं उनकी पूजा करने जा रहा हूँ और उन सती-नारियों के पैरों की धूल का स्पर्श करना चाहता हूँ। वहीं पर हमारे द्वारा पूजन का दीप जलेगा और वहीं पर ये माला और फूल चढेंगे। वहीं पर जाकर हमारे हृदय को शानत मिलेगी और हमारा मन स्वस्थ या प्रसन्न हो सकेगा। उसी तीर्थराज चित्तौङगढ़ में श्रेष्ठ पराक्रमी वीरों की पूजा होगी और उनके शौर्य के प्रतीक तलवारों के दर्शन भी होंगे।

विशेष

1. मातृभूमि की आजादी की खातिर जौहर करने वाली वीर नारियों, देशभक्त युवकों एवं वीर श्रेष्ठों के प्रति श्रद्धा का भाव व्यक्त किया गया है।
2. चित्तौङ के ऐतिहासिक शौर्य एवं बलिदान की व्यंजना हुई है।

जहाँ पद्मिनी जौहर व्रत कर, चढ़ी चिता की ज्वाला पर।
क्षण भर वहीं समाधि लगेगी, बैठ इसी मृग-छाला पर।
नहीं रही, परचिता-भस्म तो होगा ही, उस रानी का।
पङा कहीं, न कहीं होगा ही, चरण चिह्न महारानी का।
उस पर ही ये पूजा के सामान सभी अर्पण होंगे।
चिता-भस्म-कण की रानी के दर्शन हित दर्पण होंगे।

प्रसंग

प्रस्तुत पद्यांश श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित ’हल्दी घाटी’ महाकाव्य से संकलित ’पूजन’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें चित्तौङ को पवित्र तीर्थ के समान बताया गया है।

व्याख्या

कवि वर्णन करता है कि वह सन्यासी कहने लगा- उस चित्तौङगढ़ में जहाँ पर रानी पद्मिनी ने जौहर व्रत किया था और वह सहर्ष चिता की लपटों पर चढ़ी थी, मैं वही पर जाकर इस मृगछाला पर बैठूँगा और क्षण भर वहीं पर समाधि लगाऊँगा। आज भले ही वह महारानी पद्मिनी नहीं रही, परन्तु वहाँ पर उसकी चिता की भस्म तो बची होगी और वहाँ पर कहीं-न-कहीं उस महारानी के पवित्र चरणों के चिह्न शेष होंगे। मैं उन्हीं चरण चिह्नों पर इस पूजा की सामग्री को अर्पित कर दूँगा। भले ही महारानी के प्रत्यक्ष दर्शन नहीं हो सकेंगे, परन्तु उसकी चिता-भस्म के कण उसके दर्शन के दर्पण बन जायेंगे, अर्थात् उन कणों से ही रानी पद्मिनी के त्याग एवं बलिदान का परिचय मिल जायेगा, भावात्मक दर्शन हो जायेंगे।

विशेष

1. रानी पद्मिनी तथा अन्य वीर-नारियों का पवित्र स्मरण कर उनके बलिदान-स्थल को पवित्र तीर्थ जैसा बताया गया है।
2. वीरांगनाओं के त्याग एवं बलिदान पर श्रद्धा व्यक्त की गई है।

यह भी पढ़ें :

कार्नेलिया का गीत 

भिक्षुक कविता 

बादल को घिरते देखा है 

गीतफरोश कविता 

यह दंतुरित मुस्कान

कविता के बहाने 

साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 

Tweet
Share6
Pin
Share
6 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register

    My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register

  • First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF

    First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF

  • Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game

    Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Subscribe Us Now On Youtube

Search

सम्पूर्ण हिंदी साहित्य पीडीऍफ़ नोट्स और 5000 वस्तुनिष्ठ प्रश्न मात्र 100रु

सैकंड ग्रेड हिंदी कोर्स जॉइन करें

ट्विटर के नए सीईओ

टेलीग्राम चैनल जॉइन करें

Recent Posts

  • द्वन्द्व समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dwand samas
  • द्विगु समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dvigu Samas
  • NTA UGC NET Hindi Paper 2022 – Download | यूजीसी नेट हिंदी हल प्रश्न पत्र
  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register
  • First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF
  • Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game
  • कर्मधारय समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Karmadharaya Samas
  • Rush Apk Download – Latest Version App, Login, Register
  • AJIO App Download – Latest Version Apk, Login, Register
  • अव्ययीभाव समास – परिभाषा, भेद और उदाहरण || Avyayibhav Samas

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • App Review
  • General Knowledge
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • विलोम शब्द
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • संधि
  • समास
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी पाठ प्रश्नोत्तर
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

हमारा यूट्यूब चैनल देखें

Best Article

  • बेहतरीन मोटिवेशनल सुविचार
  • बेहतरीन हिंदी कहानियाँ
  • हिंदी वर्णमाला
  • हिंदी वर्णमाला चित्र सहित
  • मैथिलीशरण गुप्त
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • महादेवी वर्मा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • कबीरदास
  • तुलसीदास

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
तुलसीदास का जीवन परिचय || Tulsidas ka jeevan parichay
रामधारी सिंह दिनकर – Ramdhari Singh Dinkar || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Footer

हिंदी व्याकरण

 वर्ण विचार
 संज्ञा
 सर्वनाम
 क्रिया
 वाक्य
 पर्यायवाची
 समास
 प्रत्यय
 संधि
 विशेषण
 विलोम शब्द
 काल
 विराम चिह्न
 उपसर्ग
 अव्यय
 कारक
 वाच्य
 शुद्ध वर्तनी
 रस
 अलंकार
 मुहावरे लोकोक्ति

कवि लेखक परिचय

 जयशंकर प्रसाद
 कबीर
 तुलसीदास
 सुमित्रानंदन पंत
 रामधारी सिंह दिनकर
 बिहारी
 महादेवी वर्मा
 देव
 मीराबाई
 बोधा
 आलम कवि
 धर्मवीर भारती
मतिराम
 रमणिका गुप्ता
 रामवृक्ष बेनीपुरी
 विष्णु प्रभाकर
 मन्नू भंडारी
 गजानन माधव मुक्तिबोध
 सुभद्रा कुमारी चौहान
 राहुल सांकृत्यायन
 कुंवर नारायण

कविता

 पथिक
 छाया मत छूना
 मेघ आए
 चन्द्रगहना से लौटती बेर
 पूजन
 कैदी और कोकिला
 यह दंतुरित मुस्कान
 कविता के बहाने
 बात सीधी थी पर
 कैमरे में बन्द अपाहिज
 भारत माता
 संध्या के बाद
 कार्नेलिया का गीत
 देवसेना का गीत
 भिक्षुक
 आत्मकथ्य
 बादल को घिरते देखा है
 गीत-फरोश
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us