संधि – परिभाषा, भेद ,उदाहरण | Sandhi Kise Kahate Hain

आज के आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण में हिंदी संधि (Sandhi in hindi) को पढेंगे। इसमें हम संधि किसे कहते है (Sandhi kise kahate hain), संधि का अर्थ (Sandhi ka arth), संधि की परिभाषा (Sandhi ki paribhasha), संधि के प्रकार(Sandhi ke prakar), संधि के उदाहरण(Sandhi ke udaharan), संधि के प्रश्न(Sandhi ke prashn), स्वर संधि(Swar sandhi), व्यंजन संधि(Vyanjan sandhi), विसर्ग संधि(Visarg sandhi), को विस्तार से समझेंगे।

संधि – Sandhi

Table of Contents

हिंदी में संधि का शाब्दिक अर्थ है – योग अथवा मेल। 

संधि किसे कहते है – Sandhi Kise Kahate Hain

दो ध्वनियों या दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार/ परिवर्तन को ही संधि(Sandhi) कहते हैं।

Sandhi Kise Kahate Hain

संधि की परिभाषा – Sandhi ki Paribhasha

जब दो वर्ण पास-पास आते हैं या मिलते हैं तो उनमें विकार उत्पन्न होता है अर्थात् वर्ण में परिवर्तन हो जाता है। यह विकार युक्त मेल ही संधि(SANDHI) कहलाता है।

कामताप्रसाद गुरु के अनुसार, ’’दो निर्दिष्ट अक्षरों के आस-पास आने के कारण उनके मेल से जो विकार होता है, उसे संधि कहते हैं।’

श्री किशोरीदास वाजपेयी के अनुसार, ’’जब दो या अधिक वर्ण पास-पास आते हैं तो कभी-कभी उनमें रूपान्तर होता है। इसी रूपान्तर को संधि कहते हैं।’

संधि -विच्छेद क्या होता है ?

संधि

 

संधि -विच्छेद – शब्दों के मेल से उत्पन्न ध्वनि परिवर्तन को ही संधि कहते हैं। परिणाम स्वरूप उच्चारण एवं लेखन दोनों ही स्तरों पर अपने मूल रूप से भिन्नता आ जाती है। अतः उन शब्दों को पुनः मूल रूप में लाना ही संधि विच्छेद कहलाता है।

 संधि नियम केवल तत्सम शब्दों पर ही लागू होते है। तद्भव, विदेशी और देशज शब्दों पर संधि के नियम लागू नहीं होते।

जैसे –

दो शब्द           वर्ण का  मेल    =    संधि युक्त शब्द
महा + ईश       आ + ई       =     महेश

यहाँ (आ + ई) दो वर्णों के मेल से विकार स्वरूप ’ए’ ध्वनि उत्पन्न हुई ।

संधि विच्छेद के लिए पुनः मूल रूप में लिखना होगा।

संधि युक्त शब्द  – संधि विच्छेद

जैसे –

महेश महा +  ईश
मनोबलमनः + बल
गणेशगण + ईश

संधि के कितने भेद होते है – Sandhi ke kitne bhed hote hain

संधि के तीन भेद हैं –

संधि के भेद – Sandhi ke bhed

Sandhi ke bhed

 

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

स्वर संधि किसे कहते हैं – Swar sandhi kise kahate hain

स्वर संधि (Swar Sandhi)
स्वर संधि (Swar Sandhi)

स्वर संधि की परिभाषा – Swar Sandhi ki Paribhasha

दो स्वरों के मेल से उत्पन्न विकार स्वर संधि कहलाता है।

स्वर संधि के कितने भेद होते है – Swar sandhi ke kitne bhed hote hain

स्वर संधि के पाँच भेद हैं –

स्वर संधि के भेद – Swar Sandhi ke bhed

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण् संधि
  • अयादि संधि

दीर्घ संधि किसे कहतें है – Dirgha sandhi kise kahate hain

दीर्घ संधि की परिभाषा  – Dirgh Sandhi ki Paribhasha

दो समान स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं। यदि ‘अ’ ‘आ’, ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’ के बाद सजातीय लघु या दीर्घ स्वर आएँ तो दोनों मिलकर क्रमशः ‘आ’ ‘ई’ ‘ऊ’ हो जाते हैं ।

  • अ + अ = आ 
  • अ + आ = आ
  • आ + अ = आ
  • आ + आ = आ 
  • इ + इ = ई
  •  ई + इ = ई 
  • इ + ई = ई 
  • ई + ई = ई 
  • उ + उ = ऊ
  • उ + ऊ = ऊ 
  •  ऊ + उ = ऊ 
  • ऊ + ऊ = ऊ

दीर्घ संधि के उदाहरण – Dirgh Sandhi ke Udaharan

अ + अ = आ अन्न + अभाव = अन्नाभाव
अ + आ = आभोजन + आलय = भोजनालय
आ + अ = आविद्या + अर्थी = विद्यार्थी
आ + आ = आ महा + आत्मा = महात्मा
इ + इ = ईगिरि + इंद्र = गिरींद्र
ई + इ = ई 
मही + इंद्र = महींद्र
इ + ई = ई गिरि + ईश = गिरीश
ई + ई = ई रजनी + ईश = रजनीश
उ + उ = ऊ
भानु + उदय = भानूदय
उ + ऊ = ऊ अंबु + ऊर्मि = अंबूर्मि
ऊ + उ = ऊ वधू + उत्सव = वधूत्सव
ऊ + ऊ = ऊभू + ऊर्जा = भूर्जा

गुण संधि किसे कहतें है – Gun Sandhi kise kahate hain

गुण संधि की परिभाषा – Gun Sandhi ki Paribhasha

यदि ’अ’ या ’आ’ के बाद ’इ’ या ’ई’ ’उ’ या ’ऊ’, ’ऋ’ आए तो दोनों मिलकर क्रमशः ’ए’,’ओ’ और ‘अर्’ हो जाते हैं ।

गुण  संधि के उदाहरण – Dirgh Sandhi ke Udaharan
अ + इ = ए देव + इंद्र = देवेंद्र
अ + ई = ए गण + ईश = गणेश
आ + इ = एयथा + इष्ट = यथेष्ट
आ + ई = ए रमा + ईश = रमेश
अ + उ = ओवीर + उचित = वीरोचित
अ + ऊ – ओजल + ऊर्मि = जलोर्मि
आ + उ = ओमहा + उत्सव = महोत्सव
आ + ऊ = ओगंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
अ + ऋ = अर् कण्व + ऋषि = कण्वर्षि
आ + ऋ = अर् महा + ऋषि = महर्षि

वृद्धि संधि किसे कहतें है – Vridhi sandhi kise kahate hain

वृद्धि संधि की परिभाषा – Vriddhi Sandhi ki Paribhasha

जब अ या आ के बाद ए , ऐ या ओ,औ हो तो ए , ऐ के मेल से ’ऐ’ तथा यदि ’ओ’ या ’औ’  के मेल से दोनों के स्थान पर ’औ’ हो जाता है |

वृद्धि संधि के उदाहरण – Vriddhi Sandhi ke Udaharan
अ + ए = ऐएक + एक = एकैक
अ + ऐ = ऐपरम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
आ + ए = ऐसदा + एव = सदैव
आ + ऐ = ऐ महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
अ + ओ = औ परम + ओज = परमौज
आ + ओ = औमहा + ओजस्वी = महौजस्वी
अ + ओ = औ वन + औषध = वनौषध
आ + औ = औ 
महा + औषध = महौषध

यण संधि किसे कहतें है – Yan sandhi kise kahate hain

यण संधि की परिभाषा – Yan Sandhi ki Paribhasha

यदि इ, ई, उ,ऊ तथा ऋ के बाद कोई भिन्न स्वर आये, तो ’इ-ई’ का ’य्’ ’उ’ ’ऊ’ का ’व्’ और ’ऋ’ का ’र्’ हो जाता है, साथ ही बाद वाले शब्द के पहले स्वर की मात्रा य्, व्, र् में लग जाती है।

इ, ई + भिन्न स्वरय /या
उ,ऊ+ भिन्न स्वरव/वा
यण संधि के उदाहरण – Yan Sandhi ke Udaharan
इ + अ = यअति + अधिक = अत्यधिक
इ + आ = याइति + आदि = इत्यादि
ई + आ = या नदी + आगम = नद्यागम
इ + उ = यु अति + उत्तम = अत्युत्तम
इ + ऊ = यूअति + ऊष्म = अल्यूष्म
इ + ए = ये प्रति + एक = प्रत्येक
उ + अ = वसु + अच्छ = स्वच्छ
उ + आ = वासु + आगत = स्वागत
उ + ए = वेअनु + एषण = अन्वेषण
उ + इ = वि
अनु + इति = अन्विति
ऋ + आ = रापितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा

अयादि संधि किसे कहतें है – Ayadi Sandhi kise kahate hain

अयादि संधि की परिभाषा – Ayadi Sandhi ki Paribhasha

यदि ’ए’ या ’ऐ’ ’ओ’ या ’औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो ’ए’ का ’अय’, ऐ का ’आय’ हो जाता है तथा ’ओ’ का ’अव’ और ’औ’ हो जाता है |

अयादि संधि के उदाहरण – Ayadi Sandhi ke Udaharan
ए + अ = अय   ने + अन = नयन
ऐ + अ = आय नै + अक = नायक
ओ + अ = अवपो + अने = पवन
औ + अ = आवपौ + अक = पावक

व्यंजन संधि किसे कहतें है – Vyanjan sandhi kise kahate hain

व्यंजन संन्धि (vyanjan sandhi)
व्यंजन संन्धि (vyanjan sandhi)

व्यंजन संधि की परिभाषा – Vyanjan Sandhi ki Paribhasha

जब पास आने वाले दो वर्णों में से पहला वर्ण व्यंजन हो और दूसरा स्वर अथवा व्यंजन कुछ भी हो तो उनमें होने वाली संधि को ’व्यंजन-संधि ’(Vyanjan Sandhi) कहते हैं। व्यंजन संधि संबंधी कुछ प्रमुख नियम यहाँ दिये गए हैं –

sandhi hindi grammar

1. यदि प्रत्येक वर्ग के पहले वर्ण अर्थात ’क्’, ’च’, ’ट्’, ’त्’, ’प्’ के बाद किसी वर्ग का तृतीय या चतुर्थ वर्ण आए या य, र, ल, व, या कोई स्वर आये तो ’क्’, ’च’, ’ट्’, ’त्’, ’प्’ के स्थान पर अपने ही वर्ग का तीसरा वर्ण अर्थात् ’ग्’, ’ज्’, ’ङ्’, ’द्’, ’ब्’, हो जाता है |

व्यंजन संधि के उदाहरण – Vyanjan Sandhi ke Udaharan

वाक्+ईश  वागीश
दिक्+गज दिग्गज
वाक्+दान वाग्दान
सत्+वाणी   सद्वाणी
अच्+अंत
अजंत
अप्+इंधनअबिंधन
तत्+रूप  तद्रूप
जगत्+आनंद  जगदानंद
शप्+दशब्द

2. यदि प्रत्येक वर्ग के पहले वर्ण अर्थात् ’क्’, ’च्’, ’ट्’, ’त्’, ’प्’, के आद ’न’ या ’म’ आये तो ’क्’ ’च्’ ’ट्’ ’त्’ ’प्’ अपने वर्ग के पंचम वर्ण अर्थात ङ्, ञ्, ण, म् में बदल जाते हैं |

जैसे –

वाक्+मयवाङ्मय
षट्+मास षण्मास
जगत्+नाथ  जगन्नाथ
अप्+मयअम्मय

3. यदि ’म्’ के बाद कोई स्पर्श व्यंजन तो ’म’ जुङने वाले वर्ण का पंचम वर्ण या अनुस्वार हो जाता है |

जैसे –

अहम्+कारअहंकार
किम्+चित्किंचित्
सम्+गमसंगम
सम्+तोष संतोष

4. यदि म् के बाद य, र, ल, व, श, ष, स, ह में से किसी भी वर्ण का मेल हो तो ’म’ के स्थान पर अनुस्वार ही लगेगा |

जैसे –

सम्+योग संयोग
सम्+रचनासंरचना
सम्+वाद  संवाद
सम्+हारसंहार
सम्+रक्षणसंरक्षण
सम्+लग्न
संलग्न
सम्+वत्  संवत्
सम्+सार  संसार

5. यदि त् या द् के बाद ’ल’ रहे तो ’त्’ या ’द्’ ल् में बदल जाता है |

जैसे –

उत्+लासउल्लास
उत्+लेखउल्लेख

6. यदि ’त्’ या ’द्’ के बाद ’ज’ या ’झ’ हो तो ’त्’ या ’द्’ ’ज्’ में बदल जाता है |

जैसे –

सत्+जन सज्जन
उत्+झटिकाउज्झटिका

7. यदि ’त्’ या ’द्’ के बाद ’श’ हो तो ’त्’ या ’द्’ का ’च्’ और ’श्’ का ’छ्’ हो जाता है |

जैसे –

उत्+श्वास उच्छ्वास
उत्+शिष्टउच्छिष्ट
सत्+शास्त्रसच्छास्त्र

8. यदि ’त्’ या ’द्’ के बाद ’च’ या ’छ’ हो तो ’त्’ या ’द्’ का ’च्’ हो जाता है |

sandhi hindi grammar

जैसे –

उत्+चारणउच्चारण
सत्+चरित्रसच्चरित्र

9. ’त्’ या ’द्’ के बाद यदि ’ह’ हो तो त्/द् के स्थान पर ’द्’ और ’ह’ के स्थान पर ’ध’ हो जाता है|

जैसे –

तत्+हिततद्धित
उत्+हारउद्धार

10. जब पहले पद के अंत में स्वर हो और आगे के पद का पहला वर्ण ’छ’ हो तो ’छ’ के स्थान पर ’च्छ’ हो जाता है |

जैसे –

अनु      +     छेद अनुच्छेद
परि      +     छेद  परिच्छेद
आ       +     छादन
आच्छादन

11. यदि किसी शब्द के अंत में अ या आ को छोङकर कोई अन्य स्वर आये एवं दूसरे शब्द के आरंभ में ’स’ हो तो ’स’ के स्थान पर ष हो जाता है |

जैसे –

अभि+सेकअभिषेक
वि+समविषम
नि+सिद्धनिषिद्ध
सु+सुप्तिसुषुप्ति

12. ऋ, र, ष के बाद जब कोई स्वर कोई क वर्गीय या प वर्गीय वर्ण अनुस्वार अथवा य, व, ह में से कोई वर्ण आये तो अंत में आने वाला ’न’, ’ण’ हो जाता है |

जैसे –

भर्+अनभरण
भूष्+अनभूषण
राम+अयनरामायण
प्र+मानप्रमाण

विसर्ग संधि किसे कहतें है – Visarg sandhi kise kahate hain

विसर्ग संधि
विसर्ग संधि

विसर्ग संधि की परिभाषा – Visarg Sandhi ki Paribhasha

विसर्ग (: ) के साथ स्वर या व्यंजन के मेल में जो विकार होता है, उसे ’विसर्ग संधि ’ कहते हैं।

विसर्ग संधि संबंधी कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं –

जैसे –प्रातःकाल,     प्रायः,     दुःख

यदि किसी शब्द के अन्त में विसर्ग ध्वनि आती है तथा उसमें बाद में आने वाले शब्द के स्वर अथवा व्यंजन का मेल होने के कारण जो ध्वनि विकार उत्पन्न होता है वहीं विसर्ग संधि है।

(। ) यदि विसर्ग के पूर्व ’अ’ हो और बाद में ’अ’ हो तो दोनों का विकार ‘ओ’ में बदल जाता है।

विसर्ग संधि के उदाहरण – Visarg sandhi ke udaharan

मनः+अविराम  मनोविराम
यशः+अभिलाषायशोभिलाषा
मनः+अनुकूल मनोनुकूल

(।। ) यदि विसर्ग के पहले ’अ’ हो और बाद वाले शब्द के पहले ’अ’ के अतिरिक्त अन्य कोई भी अक्षर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है।

जैसे –

अतः+एव अतएव
यशः+इच्छा यशइच्छा

(।।। ) यदि विसर्ग के पहले ’अ’ हो तथा बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण अथवा य, र, ल, व व्यंजन आते हैं तो विसर्ग ’ओ’ में बदल जाता है।

जैसे –

तपः+वन तपोवन
अधः+गामीअधोगामी
वयः+वृद्व वयोवृद्व
अन्ततः+ गत्वाअन्ततोगत्वा
मनः+विज्ञान मनोविज्ञान 
[lv] यदि विसर्ग के बाद अ के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर अथवा किसी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण हो या ’य’ ’र’ ’ल’ ’व’ ’ह’ हो तो विसर्ग के स्थान में ’र्’ हो जाता है ,

जैसे –

आयुः+वेद आयुर्वेद
ज्योतिः+मय ज्योतिर्मय
चतुः+दिशि
चतुर्दिशि
आशीः+वचनआशीर्वचन
धनुः+धारी 
धनुर्धारी

(v) यदि विसर्ग के बाद ’च’ तालव्य ’श’ आता है तो विसर्ग ’श्’ हो जाता है |

जैसे –

पुनः+च पुनश्च
तपः+चर्या तपश्चर्या
यशः+शरीरयशश्शरीर

(v।।) यदि विसर्ग के पहले ’अ’ या ’आ’ हो तथा बाद में ’त’ या दन्त्य ’स’ आता है तो विसर्ग ’स्’ (अर्द्धाक्षर ) हो जाता है |

जैसे –

पुरः+सरपुनस्सर
नमः+तेनमस्ते
मनः+तापमनस्ताप

(v।।) यदि विसर्ग के पहले ’इ’ या ’उ’ स्वर हो और उसके बाद ’क’ ’ख’ ’प’ ’म’ वर्ण आये विसर्ग मूर्धन्य ’ष्’(अर्द्धाक्षर) हो जाता है|

जैसे –

आविः+कार आविष्कार
चतुः+पाद चतुष्पाद
चतुः+पथ चतुष्पथ
बहिः+कारबहिष्कार

sandhi hindi grammar

संधि अभ्यास प्रश्न (Sandhi ke prashn)


‘पुरोधा’ शब्‍द में संधि है।

(a) गुण
(b) व्‍यंजन
(c) यण
(d) विसर्ग
उत्तर – विसर्ग

इनमें से कौन सा शब्‍द स‍ंधि का उदाहरण नही है।

(a) संसार
(b) अत्‍यंत
(c) सदाचार
(d) सामाजिक
उत्तर – सामाजिक

किस समूह में यण संधि रहित शब्‍द है।

(a) अन्वित, सख्‍युचित, न्‍यून
(b) पित्रनुमति, य‍द्यपि, षडानन
(c) मात्रानंद, नद्यपर्णण, देव्‍यागम
(d) देव्‍यैश्‍वर्य, प्रत्‍युपकार, नद्युर्मि
उत्तर – पित्रनुमति, यद्यपि, षडानन

निम्‍नलिखित में से कौन से शब्‍द में विसर्ग संधि नही है।

(a) अत्‍यधिक
(b) मनोनुकूल
(c) उत्‍तम
(d) तन्‍मय
उत्तर – मनोनुकूल

निम्‍नलिखित में से कौन सा शब्‍द व्‍यंजन संधि का है।

(a) स्‍वागत
(b) उच्‍छ्वास
(c) सरोवर
(d) सरोज
उत्तर – उच्‍छवास

संधि टेस्ट


निम्‍नांकित में से सही संधियुक्‍त शब्‍द कौन सा है।

(a) गति + अवरोध = गत्‍यावरोध
(b) अभि + ईप्‍सा = अभिप्‍सा
(c) गुरू + उपदेश = गुरोपदेश
(d) लघु + उत्तर = लघूत्‍तर
उत्तर – लघूत्‍तर

इनमें से सही संधि विच्‍छेद का उदाहरण है।

(a) तथैव = तथा + ऐव
(b) स्‍वच्छ = स्‍व + च्‍छ
(c) महर्षि = महा + ऋषि
(d) अन्‍वेषण = अनु + ऐषण
उत्तर – महर्षि = महा + ऋषि

उपर्युक्‍त शब्‍द का सही संधि विच्‍छेद होगा –

(a) उपरि + युक्‍त
(b) उपर + उक्‍त
(c) ऊपर + युक्‍त
(d) उपरि + युक्‍त
उत्तर – उपरि + युक्‍त

इनमें से किस शब्‍द में गलत संधि विच्‍छेद हुआ है।

(a) संसद = सम् + सद्
(b) षडानन = षड + आनन
(c) विच्‍छेद = वि + छेद
(d) दिग्‍दर्शन = दिक् + दर्शन
उत्तर – षडानन = षड + आनन

किस समूह में सभी शब्‍द संधियुक्‍त है।

(a) नीमड़ी, दुर्जन, निश्‍चल
(b) साकार, सरोज, मयूर
(c) देवेन्‍द्र, निशीथ, संकुल
(d) मनोज, नरेश, देवर्षि
उत्तर – मनोज, नरेश, देवर्षि

किस शब्‍द में सही संधि नियम का पालन नही हुआ है।

(a) नीरव
(b) तदैव
(c) प्रतीप
(d) सञ्जीव
उत्तर – प्रतीप

संधि का सही प्रयोग किस शब्‍द में हुआ है।

(a) नीरोग
(b) निनाद
(c) विनोद
(d) निचोड़
उत्तर – नीरोग

किस शब्‍द में संधि नही है।

(a) अतएव
(b) सज्‍जन
(c) जलौक
(d) काजल
उत्तर – काजल

किस क्रमांक में सही संधि का उदाहरण नही है।

(a) मृद + मय = मृण्‍मय
(b) प्र + ऊढ़ = प्रौढ़
(c) अप् + जात = अब्‍जात
(d) मन: + प्रसाद = मनोप्रसाद
उत्तर – मन: + प्रसाद = मनोप्रसाद

अभ्‍यार्थी का संधि विच्‍छेद होगा।

(a) अभि + अर्थी
(b) अभ्‍य + अर्थी
(c) अथ + यर्थी
(d) अभ्‍या + अर्थी
उत्तर – अभि + अर्थी

किस क्रमांक संरचना में शब्‍दगत संरचना में संधि नियम का अपवाद है।

(a) प्रबोधिनी
(b) नीरोग
(c) अ‍क्षौहिणी
(d) अपरान्‍ह
उत्तर – अक्षौहिणी

घुड़दौड़ का सही संधि विच्‍छेद है।

(a) घुड़ + दौड़
(b) घोड़ + दौड़
(c) घोड़ा + दौड़
(d) इनमें से कोई नही
उत्तर – घोड़ा + दौड़

‘पावक’ में कौन सी संधि है।

(a) यण् संधि
(b) अयादि संधि
(c) विसर्ग संधि
(d) व्‍यंजन संधि
उत्तर – अयादि संधि

‘विपज्‍जाल’ में कौन सही संधि है।

(a) व्‍यंजन संधि
(b) वृद्धि संधि
(c) दीर्घ संधि
(d) गुण संधि
उत्तर – व्‍यंजन संधि

 ‘प्रत्‍युपकार’ में कौन सी संधि है।

(a) व्‍यंजन संधि
(b) विसर्ग संधि
(c) गुण संधि
(d) यण् संधि
उत्तर – यण संधि

‘नयन’ में कौन सी संधि है।

(a) अयादि
(b) गुण
(c) वृद्धि
(d) यण्
उत्तर – अयादि

‘धनुष्‍टकार’ में कौन सी संधि है।

(a) विसर्ग
(b) व्‍यंजन
(c) दीर्घ
(d) यण
उत्तर – विसर्ग

‘परस्‍पर’ में कौन सी संधि है।

(a) वृद्धि
(b) व्‍यंजन
(c) अयादि
(d) विसर्ग
उत्तर – विसर्ग

 ‘दिग्‍दर्शक’ में कौन सी संधि है।

(a) विसर्ग
(b) वृद्धि
(c) अयादि
(d) व्‍यंजन
उत्तर – व्‍यंजन

यद्यपि में कौन सी संधि है।

(a) यण्
(b) व्‍यंजन
(c) विसर्ग
(d) दीर्घ
उत्तर – यण

संधि के Question


 ‘गिरीश’ में कौन सी संधि है।

(a) गुण
(b) दीर्घ
(c) वृद्धि
(d) यण्
उत्तर – दीर्घ

‘भानूदय’ में कौन सी संधि है।

(a) गुण
(b) अयादि
(c) यण्
(d) दीर्घ
उत्तर – दीर्घ

‘बहिरंग’ में कौन सी संधि है।

(a) व्‍यंजन
(b) दीर्घ
(c) विसर्ग
(d) गुण
उत्तर – विसर्ग

‘अनुष्‍ठान’ का संधि विच्‍छेद होगा।

(a) अनु + ठान
(b) अनु + स्‍थान
(c) अनु + ठान
(d) अनु: + ठान
उत्तर – अनु + स्‍थान

किस क्रम में गुण संधि नही है।

(a) हितेच्‍छा
(b) प्रेषिति
(c) मानवेतर
(d) भूर्ध्‍व
उत्तर – भूर्ध्‍व

पुरोधा शब्‍द में सन्धि है।

(a) गुण
(b) व्‍यंजन
(c) यण
(d) विसर्ग
उत्तर – विसर्ग ।

इनमें से कौन सा शब्‍द सन्धि का उदाहरण नही है।

(a) संसार
(b) अत्‍यंत
(c) सदाचार
(d) सामाजिक
उत्तर – सामाजिक ।

निम्‍नलिखित में से कौन से शब्‍द में विसर्ग सन्धि है।

(a) अत्‍यधिक
(b) मनोनुकूल
(c) उत्‍तम
(d) तन्‍मय
उत्तर – मनोनुकूल ।

अहोरात्र शब्‍द का सन्धि विच्‍छेद है।

(a) अहा + रात्र
(b) अहो + रात्र
(c) अहन् + रात्रि
(d) अहा + रात्रि
उत्तर – अहन् + रात्रि ।

निम्‍नलिखित में से किस शब्‍द में सही संधि हुई है।

(a) स्‍वा + छंद = स्‍वछंद
(b) माह + ऋषि = महर्षि
(c) गति + अवरोध = गत्‍यावरोध
(d) मत + ऐक्‍य = मतैक्‍य
उत्तर – मत + ऐक्‍य = मतैक्‍य ।

निम्‍नलिखित में से कौन सा शब्‍द व्‍यंजन संधि का है।

(a) स्‍वागत
(b) उच्‍छ्वास
(c) सरोवर
(d) सरोज
उत्तर – उच्‍छ्वास ।

इनमें से सही संधि विच्‍छेद का उदाहरण है।

(a) तथैव = तथा + ऐव
(b) स्‍वच्‍द = स्‍व + च्‍छ
(c) महर्षि = महा + ऋषि
(d) अन्‍वेषण = अनु + ऐषण
उत्तर – महर्षि = महा + ऋषि ।

पावन में कौन सी संधि है।

(a) यण संधि
(b) अयादि संधि
(c) विसर्ग संधि
(d) व्‍यंजन संधि
उत्तर – अयादि संधि ।

विपज्‍जाल में कौन सी संधि है।

(a) व्‍यंजन संधि
(b) वृद्धि संधि
(c) दीर्घ संधि
(d) गुण संधि
उत्तर – व्‍यंजन संधि ।

प्रत्‍युपकार में कौन सी संधि है।

(a) व्‍यंजन संधि
(b) विसर्ग संधि
(c) गुण संधि
(d) यण संधि
उत्तर – यण संधि ।

नयन में कौन सी संधि है।

(a) अयादि
(b) गुण
(c) वृद्धि
(d) यण
उत्तर – अयादि ।

धनुष्‍टकार में कौन सी संधि है।

(a) विसर्ग
(b) व्‍यंजन
(c) दीर्घ
(d) यण
उत्तर – विसर्ग ।

परस्‍पर में कौन सी संधि है।

(a) वृद्धि संधि
(b) व्‍यंजन संधि
(c) विसर्ग संधि
(d) गुण संधि
उत्तर – विसर्ग संधि ।

गिरीश में कौन सी संधि है।

(a) गुण
(b) दीर्घ
(c) वृद्धि
(d) यण्
उत्तर – दीर्घ ।

परिच्‍छेद में कौन सी संधि है।

(a) व्‍यंजन
(b) दीर्घ
(c) गुण
(d) अयादि
उत्तर – व्‍यंजन ।

भानूदय में कौन सी सन्धि है।

(a) गुण
(b) अयादि
(c) यण
(d) दीर्घ
उत्तर – दीर्घ ।

अनुष्‍ठान का संधि विच्‍छेद होगा ।

(a) अनु + ठान
(b) अनु + स्‍थान
(c) अनु + थान
(d) अनु: + ठान
उत्तर – अनु + स्‍थान ।

वृद्धि संधि का उदाहरण नही है।

(a) अभ्‍यागत
(b) एकैक
(c) जलौध
(d) महौषध
उत्तर – अभ्‍यागत ।

साध्‍वाचरण का सही संधि विच्‍छेद होगा ।

(a) साध + चरण
(b) साधव + चरण
(c) साधु + आचरण
(d) साध + आचरण
उत्तर – साधु + आचरण ।

निम्‍न में से किसमें वृद्धि संधि नही है।

(a) स्‍व + ऐच्छिक = स्‍वैच्छिक
(b) महा + ऊर्जा = महोर्जा
(c) जल + ओक = जलौक
(d) वसुधा + एव = वसुधैव
उत्तर – महा + ऊर्जा ।

हिंदी संधि

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