रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi

आज के आर्टिकल में हम रीतिकाल कवि देव (Ritikaal Kavi Dev) के जीवन परिचय के बारे में पढेंगे ,इनसे जुड़ें महत्त्वपूर्ण तथ्य भी जानेंगे ।

रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय

जीवनकाल – 1673-1767 ई.

रचनाकाल – 1689-1767 ई.

जन्म स्थल – इटावा (उत्तरप्रदेश)

भक्ति – हितहरिवंश के राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षित

वास्तविक नाम : देवदत्त द्विवेदी

स्वभाव : अक्खड़ स्वभाव

आश्रयदाता – औरंगजेब का पुत्र आजमशाह, भवानीदत्त वैश्य, कुशलसिंह, सेठ भोगीलाल, राजा उद्योतसिंह, सुजानमणि, अली अकबर खाँ, मोतीलाल

रचनाएँ –

  • भाव विलास
  • अष्टयाम
  • भवानीविलास
  • सुजानविनोद
  • प्रेमतरंग
  • रागरत्नाकर
  • कुशलविलास
  • देवचरित
  • प्रेमचंद्रिका
  • जातिविलास
  • रसविलास
  • काव्य रसायन
  • सुख सागर तरंग
  • वृक्षविलास
  • पावसविलास
  • ब्रह्मदर्शनपचीसी
  • तत्वदर्शन पचीसी
  • आत्मदर्शन पचीसी
  • जगदर्शन पचीसी
  • देव विलास
  • रसानंद लहरी
  • प्रेमदीपिका
  • नखशिख
  • प्रेमदर्शन

डाॅ. नगेन्द्र के अनुसार निम्न 15 ग्रंथ उपलब्ध है  –

🔸 भावविलास – 1689 ई. में मात्र 16 वर्ष की आयु में रचित प्रथम ग्रंथ ’शृंगार रस, नायक-नायिकाभेद एवं 39 अलंकारों का निरुपण। आजमशाह के आश्रय में रचित।

🔹 अष्टयाम – दिन के आठ प्रहरों में होने वाले नायक-नायिकाओं के विविध विलासों का वर्णन। आजमशाह के आश्रय में रचित।

🔸 कुशल विलास – कुशलसिंह (फफूँद नरेश) का प्रशस्ति काव्य।

🔹 भवानी विलास – भवानीदत्त वैश्य का प्रशस्ति काव्य।

🔸 प्रेमचंद्रिका – उद्योतसिंह वैश्य के आश्रय में रचित। विषय वासना के तिरस्कार, प्रेम के महात्म्य एवं उसके विविध रुपों का वर्णन।

🔹 रसविलास – 1726 ई. में राजा मोतीलाल के आश्रय में रचित। नायिका भेद सम्बन्धी ग्रन्थ ।

🔸 सुजानविनोद – राजा सुजानमणि के आश्रय में रचित।

🔹 देवशतक – आध्यात्मक संबंधी रचना जिसमें जीव, जगत, ब्रह्मतत्त्व एवं प्रेम का महात्म्य वर्णन।

🔸 देवचरित – श्री कृष्ण का प्रबंधात्मक चरित्र वर्णन।

🔹 देवमाया प्रपंच – संस्कृत कृष्ण कवि के ’प्रबोद्ध चंद्रोदय’ का पद्यबध अनुवाद ’काव्यांग विवेचन’।

🔸 शब्द रसायन या काव्य रसायन – भानुदत्त के रसमंजरी एवं रसतरंगिणी, मम्मट के काव्यप्रकाश, विश्वनाथ के साहित्य दर्पण के आधार पर काव्यस्वरूप, शब्द शक्ति, नवरस, नायक-नायिका भेद, रीति, गुण, वृत्ति, अलंकार एवं छंद विवेचन। ’छल’ नामक नया संचारी भाव एवं तात्पर्य वृत्ति बतायी।

अभिधा को महत्त्व दिया –

  • अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लच्छना लीन।
    अधम व्यंजना रसबिरस, उलटी कहत नवीन’’

🔹 राग रत्नाकर – संगीत विषयक लक्षण ग्रंथ।

🔸 प्रेम तरंग – नायक-नायिका भेद एवं शृंगार रस वर्णन।

🔹 सुखसागरतरंग – कवित सवैयों का संग्रह। अंगभेद अंतः नायक-नायिका भेद संबंधी काव्य। इसका संपादन मिश्रबंधुओं के पिता बालदत्त मिश्र ने 1897 ई. में किया। डाॅ. नगेन्द्र ने इसे ’नायक-नायिका भेद का विश्वकोश’ कहा।

🔸 जातिविलास – नायक-नायिका भेद एवं शृंगार रस वर्णन। देव के अपने भ्रमण का विवेचन। अनेक प्रदेशो की जातियों और स्त्रियों का वर्णन ।

🔹 ब्रह्मदर्शन पचीसी और तत्वदर्शन पचीसी – विरक्ति भाव की कविता।

🔸 शिवसिंह सेंगर एवं डाॅ. नगेन्द्र ने 72 ग्रंथ माने। डाॅ. नगेन्द्र ने 15 ग्रंथों का एवं रामचंद्र शुक्ल ने 23 ग्रंथों का उल्लेख कर नाम बताए है ।

आलोचना ग्रंथ –

  • देव और बिहारी – कृष्ण बिहारी मिश्र
  • बिहारी और देव – लाला भगवानदीन
  • देव और उनकी कविता – डाॅ. नगेन्द्र

विशेष –

  • हिन्दी साहित्य जगत के एकमात्र कवि जिन्होंने मौलिक उद्भावनाएँ प्रकट की।
  • इनकी रचनाओं में पदों का दोहराव प्राप्त होता है ,अर्थात पदों में थोडा बहुत परिवर्तन कर नए शीर्षक से कविता लिख देना ।
  • छल नामक नये संचारी भाव एवं तात्पर्यवृत्ति का उल्लेख।
  • आचार्य भोजराज की तरह शृंगार को मूलरस माना –
    भूलहि कहत नवरस सुकवि सकल मूल शृंगार।

देवदत्त द्विवेदी के बारे में प्रमुख कथन –

हजारी प्रसाद द्विवेदी – प्रेमचंद्रिका, रसविलास एवं प्रेमपचीसी में देव उत्तम कवि के रूप में विराजमान है।

रामस्वरूप चतुर्वेदी – देव की ध्वनिशीलता रीतिकालीन काव्यभाषा में अप्रतिम है।

रामचंद्र शुक्ल – इनका सा अर्थ सौष्ठव और नवोन्मेष बिरले कवियों में मिलता है। इनकी भाषा में प्रवाह है। कहीं-कहीं शब्द व्यय बहुत अधिक है और अर्थ अल्प।

रामचंद्र शुक्ल – कवित्वशक्ति और मौलिकता देव में खूब थी पर उनके सम्यक् स्फुरण में उनकी रुचिविशेष प्रायः बाधक हुई।

नगेन्द्र – कल्पना की ऊँची उङान के परिणामस्वरूप रंग-वैभव और प्रसाधन सामग्री ने इनकी बिंब योजना में विशेष सौन्दर्य की सृष्टि की है।

दोस्तो आज के आर्टिकल में हमने रीतिकाल कवि देव के जीवन परिचय के बारे में पढ़ा , हम आशा करतें है कि आप इस आर्टिकल से जरुर सहमत होंगे ।

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