क्रिया – परिभाषा, भेद ,अकर्मक ,सकर्मक ,प्रेरणार्थक, सहायक क्रिया | Kriya in hindi

दोस्तो आज की पोस्ट मे हम क्रिया(Kriya)के बारे में जानने वाले है. जिसमें हम क्रिया किसे कहते है(Kriya kise kahate hain), क्रिया का अर्थ(Kriya ka Arth), क्रिया की परिभाषा(Kriya ki paribhasha) क्रिया के भेद(Kriya ke Bhed), क्रिया के उदाहरण(Kriya ke udaharan) एवं महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के बारे मे विस्तार से बताने जा रहें है ,हम उम्मीद करते है कि आप इसे अच्छे से समझ पाएंगे.Kriya in hindi

क्रिया -Kriya in Hindi

Table of Contents

Kriya ki pribhasha

क्रिया किसे कहते है – kriya kise kahate hai

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाए, उसे ’क्रिया’(Kriya) कहते है;

जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना इत्यादि। क्रिया विकारी शब्द है, जिसके रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते है। यह हिंदी की अपनी विशेषता है।

रचना की दृष्टि से क्रिया के  कितने भेद होते है?

क्रिया के कितने भेद होते है – Kriya ke kitne bhed hote hain

रचना की दृष्टि से क्रिया के सामान्यतः दो भेद है(Kriya ke Prakar in Hindi)-

Kriya ke kitne bhed hote hain

  • सकर्मक(Sakrmak kriya)
  • अकर्मक(Akarmak Kriya)

सकर्मक क्रिया – Sakrmak Kriya

’सकर्मक क्रिया’ उसे कहते हैं, जिसका कर्म हो या जिसके साथ कर्म की संभावना हो, अर्थात जिस क्रिया के व्यापार का संचालन तो कर्ता से हो, पर जिसका फल या प्रभाव किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु, अर्थात कर्म पर पङे।

उदाहरणार्थ- श्याम आम खाता है।

स्पष्टीकरण – इस वाक्य में ’श्याम’ कर्ता है, ’खाने’ के साथ उसका कर्तृरूप से संबंध है।

प्रश्न होता है, क्या खाता है ? उत्तर है, ’आम’।

इस तरह ’आम’ का सीधा ’खाने’ से संबंध है। अतः , ’आम’ कर्मकारक है। यहाँ श्याम के खाने का फल ’आम’ पर, अर्थात कर्म पर पङता है। इसलिए, ’खाना’ क्रिया सकर्मक है।

कभी-कभी सकर्मक क्रिया का कर्म छिपा रहता है; जैसे- वह गाता है, वह पढ़ता है। यहाँ ’गीत’ और ’पुस्तक’ जैसे कर्म छिपे हैं।

Akarmak kriya

अकर्मक क्रिया – Akarmak Kriya

जिन क्रियाओं का व्यापार और फल कर्ता पर हो, वे ’अकर्मक क्रिया’ कहलाती हैं। अकर्मक क्रियाओं का कर्म नहीं होता, क्रिया का व्यापार और फल दूसरे पर न पङकर कर्ता पर पङता है ।

उदाहरण के लिए- श्याम सोता है।

स्पष्टीकरण – इसमें ’सोना’ क्रिया अकर्मक है। ’श्याम’ कर्ता है, ’सोने’ की क्रिया उसी के द्वारा पूरी होती है। अतः, सोने का फल भी उसी पर पङता है। इसलिए, ’सोना’ क्रिया अकर्मक है।

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान कैसे करें 

सकर्मक और अकर्मक क्रियाओं की पहचान वाक्य में  ’क्या’ किसे या ’किसको’ शब्द जोड़कर कर प्रश्न करने से होती है। यदि ऐसा करने से कुछ उत्तर मिले ,तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है और यदि न मिले तो अकर्मक होगी।

उदारहणार्थ, मारना, पढ़ना, खाना- इन क्रियाओं में ’क्या’ ’किसे’ लगाकर प्रश्न किए जाएँ तो इनके उत्तर इस प्रकार होंगे-

  • प्रश्न- किसे मारा ?
  • उत्तर- किशोर को मारा।
  • प्रश्न- क्या खाया ?
  • उत्तर- खाना खाया।
  • प्रश्न- क्या पढ़ता है ?
  • उत्तर – किताब पढ़ता है।

(इन सब उदाहरणों में क्रियाएँ सकर्मक है।)

कुछ क्रियाएँ अकर्मक और सकर्मक दोनों होती हैं और प्रसंग अथवा अर्थ के अनुसार इनके भेद का निर्णय किया जाता है।

जैसे-

अकर्मक सकर्मक
उसका सिर खुजलाता है।वह अपना सिर खुजलाता है।
बूँद-बूँद से घङा भरता है। मैं घङा भरता हूँ।
तुम्हारा जी ललचाता है। 
ये चीजें तुम्हारा जी ललचाती है।
जी घबराता है।विपदा मुझे घबराती है।
वह लजा रही है।वह तुम्हें लजा रही है।

ध्यान देवें – जिन धातुओं का प्रयोग अकर्मक और सकर्मक दोनों रूपों में होता है, उन्हें उभयविध धातु कहते हैं।

क्रिया के अन्य भेद इस प्रकार है –

द्विकर्मक क्रिया – Dvikrmak kriya

कुछ क्रियाएँ एक कर्मवाली और दो कर्मवाली होती है। जैसे-राम ने रोटी खाई। इस वाक्य में कर्म एक ही है- ’रोटी’ । किंतु , ’मैं लङके को वेद पढ़ाता हूँ’, में दो कर्म हैं- ’लङके को’ और ’वेद’।

संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं – Sanyukt Kriya kise kahte hai

संयुक्त क्रिया – Sanyukt Kriya

जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya)कहते हैं। जैसे- घनश्याम रो चुका, किशोर रोने लगा, वह घर पहुँच गया। इन वाक्यों में ’रो चुका’, ’रोने लगा’ और ’पहुँच गया’ संयुक्त क्रियाएँ हैं। विधि और आज्ञा को छोङकर सभी क्रियापद दो या अधिक क्रियाओं के योग से बनते हैं , किंतु संयुक्त क्रियाएँ इनसे भिन्न हैं, क्योंकि जहाँ एक ओर साधारण क्रियापद ’हो’, ’रो’, ’सो’, ’खा’ इत्यादि धातुओं से बनते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त क्रियाएँ ’होना’, ’आना’, ’जाना’, ’रहना’, ’रखना’, ’उठाना’, ’लेना’, ’पाना’,’पङना’, ’डालना’, ’सकना’, ’चुकना’, ’लगना’, ’करना’, ’भेजना’, ’चाहना’ इत्यादि क्रियाओं के योग से बनती है।

इसके अतिरिक्त, सकर्मक तथा अकर्मक दोनों प्रकार की संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

जैसे-

  • अकर्मक क्रिया से –लेट जाना, गिर पङना
  • सकर्मक क्रिया से- बेच लेना, काम करना, बुला लेना, मार देना।

संयुक्त क्रिया की एक विशेषता यह है कि उसकी पहली क्रिया प्रायः प्रधान होती है और दूसरी उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है।

जैसे – मैं पढ़ सकता हूँ।

स्पष्टीकरण – इसमें ’सकना’ क्रिया ’पढ़ना’ क्रिया के अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है। हिंदी में संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग अधिक होता है।

संयुक्त क्रिया के भेद – Sanyukt kriya ke Bhed

अर्थ के अनुसार संयुक्त क्रिया के मुख्य 11 भेद हैं

1. आरंभबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से क्रिया के आरंभ होने का बोध होता है, उसे ’आरंभबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह पढ़ने लगा, पानी बरसने लगा, राम खेलने लगा।

2. समाप्तिबोधक– जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया की पूर्णता, व्यापार की समाप्ति का बोध हो, वह ’समाप्तिबोधक संयुुक्त क्रिया’ है। जैसे- वह खा चुका है, वह पढ़ चुका है। धातु के आगे ’चुकना’ जोङने से समाप्तिबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

3. अवकाशबोधक- जिस क्रिया को निष्पन्न करने के लिए अवकाश का बोध हो, वह ’अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते है। जैसे- वह मुश्किल से सो पाया, जाने न पाया।

4. अनुमतिबोधक- जिससे कार्य करने की अनुमति दिए जाने का बोध हो, वह ’अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- मुझे जाने दो; मुझे बोलने दो। यह क्रिया ’देना’ धातु के योग से बनती है।

5. नित्यताबोधक- जिससे कार्य की नित्यता, उसके बंद न होने का भाव प्रकट हो, वह ’नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- हवा चल रही है; पेङ बढ़ता गया, तोता पढ़ता रहा। मुख्य क्रिया के आगे ’जाना’ या ’रहना’ जोङने से नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया बनती है।

6. आवश्यकताबोधक- जिससे कार्य की आवश्यकता या कर्तव्य का बोध हो, वह ’आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया’ है। जैसे- यह काम मुझे करना पङता है; तुम्हें यह काम करना चाहिए। साधारण क्रिया के साथ ’पङना’, ’होना’ या ’चाहिए’ क्रियाओं को जोङने से आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं।

7. निश्चयबोधक – जिस संयुक्त क्रिया से मुख्य क्रिया के व्यापार की निश्चयता का बोध हो, उसे ’निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह बीच ही में बोल उठा, उसने कहा – मैं मार बैठूँगा, वह गिर पङा, अब दे ही डालो। इस प्रकार की क्रियाओं में पूर्णता और नित्यता का भाव वर्तमान है।
8. इच्छाबोधक – इससे क्रिया के करने की इच्छा प्रकट होती है। जैसे – वह घर आना चाहता है, मैं खाना चाहता हूँ। क्रिया के साधारण रूप में ’चाहना’ क्रिया जोङने से ’इच्छाबोधक संयुक्त क्रियाएँ’ बनती हैं।

9. अभ्यासबोधक – इससे क्रिया के करने के अभ्यास का बोध होता है। सामान्य भूतकाल की क्रिया में ’करना’ क्रिया लगाने से अभ्यासबोधक संयुक्त क्रियाएँ बनती है। जैसे – यह पढ़ा करता है, तुम लिखा करते हो, मैं खेला करता हूँ।

10. शक्तिबोधक – इससे कार्य करने की शक्ति का बोध होता है। जैसे – मैं चल सकता हूँ, वह बोल सकता है। इसमें ’सकना’ क्रिया जोङी जाती है।

11. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया – जब दो समानार्थक अथवा समान ध्वनि वाली क्रियाओं का संयोग होता है, तब उन्हें ’पुनरुक्त संयुक्त क्रिया’ कहते हैं। जैसे – वह पढ़ा-लिखा करता है, वह यहाँ प्रायः आया-जाया करता है, पङोसियों से बराबर मिलते-जुलते रहो।

सहायक क्रिया(Sahayak Kriya) क्या होती है ?

सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के रूप में अर्थ को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती हैं। कभी एक क्रिया और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक होती हैं।

हिंदी में इन क्रियाओं का व्यापक प्रयोग होता है। इसके हेर-फेर से क्रिया का काल बदल जाता है।

जैसे –

  • वह खाता है।
  • मैंने पढ़ा था।
  • तुम जगे हुए थे।
  • वे सुन रहे थे।

स्पष्टीकरण – इनमें खाना, पढ़ना, जगना और सुनना मुख्य क्रियाएँ है, क्योंकि यहाँ क्रियाओं के अर्थ की प्रधानता है। शेष क्रियाएँ, जैसे- है, था, हुए थे, रहे थे – सहायक क्रियाएँ है। ये मुख्य क्रियाओं के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती है।

नामबोधक क्रिया(Nambodhak kriya) क्या होती है

संज्ञा अथवा विशेषण के साथ क्रिया जोङने से जो संयुक्त क्रिया बनती है, उसे ’नामबोधक क्रिया’ कहते हैं।

जैसे –
संज्ञा+क्रिया – भस्म करना, विशेषण+क्रिया – दुखी होना, निराश होना

नामबोधक क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ नहीं हैं। संयुक्त क्रियाएँ दो क्रियाओं के योग से बनती है और नामबोधक क्रियाएँ संज्ञा अथवा विशेषण के मेल से बनती हैं। दोनों में यही अंतर है।

पूर्वकालिक क्रिया(purvkalik kriya) क्या होती है ?

परिभाषा – जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया ’पूर्वकालिक’ कहलाती है।

उदाहरण – उसने नहाकर भोजन किया।

स्पष्टीकरण – इसमें ’नहाकर’ ’पूर्वकालिक’ क्रिया है, क्योंकि इससे ’नहाने’ की क्रिया की समाप्ति के साथ ही भोजन करने की क्रिया का बोध होता है।

क्रियार्थक संज्ञा(kriyarthak kriya) क्या होती है ?

जब क्रिया संज्ञा की तरह व्यवहार में आए, तब वह ’क्रियार्थक संज्ञा’ कहलाती है।

उदाहरण – टहलना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, देश के लिए मरना कहीं अच्छा है।

प्रेरणार्थक क्रिया (prernarthak kriya) क्या होती है?

जिन क्रियाओं से इस बात का बोध हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, वे ’प्रेरणार्थक क्रियाएँ’ कहलाती है; जैसे-काटना से कटवाना, करना से कराना। एक अन्य उदाहरण इस प्रकार है- मोहन मुझसे किताब लिखाता है। इस वाक्य में मोहन (कर्ता) स्वयं किताब न लिखकर ’मुझे’ दूसरे व्यक्ति को लिखने की प्रेरणा देता है।

Prernarthak kriya examples

प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप हैं

जैसे- ’गिरना’ से ’गिराना’ और ’गिरवाना’।

स्पष्टीकरण – दोनों क्रियाएँ एक के बाद दूसरी प्रेरणा में है। याद रखें, अकर्मक क्रिया प्रेरणार्थक होने पर सकर्मक (कर्म लेनेवाली) हो जाती है

जैसे-

  • राम लजाता है।
  • वह राम को लजवाता है।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाओं से बनती है। ऐसी क्रियाएँ हर स्थिति में सकर्मक ही रहती है।

जैसे- मैंने उसे हँसाया; मैने उससे किताब लिखवाई। पहले में कर्ता अन्य को हँसाता है और दूसरे में कर्ता दूसरे को किताब लिखने को प्रेरित करता है।

इस प्रकार हिंदी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के दो रूप चलते है। प्रथम में ’ना’ का और द्वितीय में ’वाना’ का प्रयोग होता है-हँसना- हँसवाना।

मूलद्वितीय तृतीय (प्रेरणा)
उठनाउठानाउठवाना
उङनाउङानाउङवाना
चलनाचलानाचलवाना
देनादिलानादिलवाना
जीनाजिलानाजिलवाना
लिखनालिखानालिखवाना
जगनाजगानाजगवाना
सोनासुलानासुलवाना
पीनापिलानापिलवाना

यौगिक क्रिया(yogik kriya)

दो या दो से अधिक धातुओं और दूसरे शब्दों के संयोग से या धातुओं में प्रत्यय लगाने से जो क्रिया बनती है, उसे ’यौगिक क्रिया’ कहा जाता है। जैसे- चलना-चलाना, हँसना-हँसाना, चलना-चल देना।

नामधातु (Nam Dhatu Kriya)- जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है, उसे ’नामधातु’क्रिया  कहते हैं।

संज्ञा से –

  • हाथ -हथियाना
  • बात – बतियाना

विशेषण से –

  • चिकना – चिकनाना
  • गरम – गरमाना

अनुकरणात्मक क्रियाएँ – किसी वास्तविक या कल्पित ध्वनि के अनुकरण में हम क्रियाएं बना लेते हैं, जैसे – खटपट से खटखटाना, भनभन से भनभनाना, थरथर से थरथराना, सनसन से सनसनाना, थपथप से थपथपान, इत्यादि।

रंजक क्रियाएँ – रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ में विशेष रंगत लाती है, अर्थात् विशिष्ट अर्थ छवि देती है। ये आठ हैं-

1. आनारो आना, कर आना, बन आनाअनायापता का भाव
2. जानापी जाना, आ जाना, खा जानाक्रिया पूर्णता का भाव
3. उठनारो उठना, गा उठना, चिल्ला उठनाआकस्मिकता का भाव
4. बैठनामार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठनाआकस्मिकता का भाव
5. लेनापी लेना, सो लेना, ले लेनाक्रियापूर्णता/विवशता
6. देनाचल देना, रो देना, फेंक देनाक्रियापूर्णता/विवशता
7. पङनारो पङना, हँस पङना, चैंक पङनास्वतः/शीघ्रता का भाव
8. डालनामार डालना, तोङ डालना, काट डालनाबलात् भाव

धातु क्या है ?(Dhatu kya hai)

क्रिया का मूल ’धातु’ है। ’धातु’ क्रियापद के उस अंश को कहते है, जो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें ’धातु’ कहते है।

उदाहरणार्थ, ’पढ़ना’ क्रिया को लें। इसमें ’ना’ प्रत्यय है, जो मूल धातु ’पढ़’ में लगा है। इस प्रकार ’पढ़ना’ क्रिया की धातु ’पढ़’ है। इसी प्रकार, ’खाना’ क्रिया ’खा’ धातु में ’ना’ प्रत्यय लगाने से बनी है।

हिंदी में क्रिया का सामान्य रूप मूलधातु में ’ना’ जोङकर बनाया जाता है जैसे- चल+ना = चलना, देख+ना = देखना।

इन सामान्य रूपों में ’ना’ हटाकर धातु का रूप ज्ञात किया जा सकता है। धातु की यह एक बड़ी पहचान है। हिंदी में क्रियाएँ धातुओं के अलावा संज्ञा और विशेषण से भी बनती है।

जैसे- काम+आना = कमाना, चिकना+आना= चिकनाना, दुहरा+ आना = दुहराना।

धातु के भेद कितने होते है ? – Dhatu ke bhed kitne hote hai

व्युत्पत्ति अथवा शब्द-निर्माण की दृष्टि से धातु दो प्रकार की होती है-

1. मूल धातु

2. यौगिक धातु।

मूल धातु स्वतंत्र होती है। यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती; जैसे- खा, देख, पी इत्यादि।

जबकि यौगिक धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है।

जैसे- ’खाना’ से खिला, ’पढ़ना’ से पढ़ा। इस प्रकार धातुएँ अनंत हैं-कुछ एकाक्षरी, दो अक्षरी, तीन अक्षरी और चार अक्षरी धातुएँ होती है।

यौगिक धातु की रचना(Yogik Dhatu ki Rachna) कैसे होती है?

यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है-

(1) धातु में प्रत्यय लगाने से अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती है

(2) कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है

(3) संज्ञा या विशेषण से नामधातु बनती है।

क्रिया के महत्त्वपूर्ण प्रश्न (Kriya in hindi)

1. निम्न में से विकारी शब्द है –
(अ) क्रिया ® (ब) क्रिया विशेषण
(स) निपात (द) समुच्चय बोधक शब्द

2. निम्न में से अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है –
(अ) बनाना (ब) तैरना ®
(स) धोना (द) लेना

3. उसने रामू की पिटाई कर दी। इस वाक्य में क्रिया का कौनसा रूप है-
(अ) अकर्मक (ब) संयुक्त ®
(स) प्रेरणार्थक (द) पूर्वकालिक

4. मुझे उससे अपने मकान का नक्शा बनवाना हैै। इस वाक्य में अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का कौनसा रूप है-
(अ) स्थित्यर्थक (ब) गत्यर्थक
(स) अपूर्ण अकर्मक ® (द) इनमें से कोई नही

5. निम्न में से किस वाक्य में क्रिया सकर्मक रूप में है-
(अ) वह नहाकर आया। (ब) मछली तैरती है।
(स) वह खाना खाता है। ® (द) वे डूब गए।

6. निम्न में से किस वाक्य में द्विकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है-
(अ) वह मार खाकर चुपचाप चला गया।
(ब) संसद ने खाद्य सुरक्षा कानून पर चर्चा की।(स) प्रधानमंत्री ने चौधरी अजित सिंह को मंत्री बनाया। ®
(द) सवेरा हो गया।

7. क्रिया वाक्य रचना में किस कथन में शामिल रहती है-
(अ) उद्देश्य कथन (ब) विधेय कथन ®
(स) किसी से भी (द) किसी में नहीं

8. ’’द्विकर्मक क्रिया में…………….रिक्त स्थान भरिए-
(अ) प्रथम कर्म अप्राणीवाचक होता है और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होता है।
(ब)प्रथम (गौण) कर्म प्राणीवाचक होता है और द्वितीय (मुख्य) कर्म अप्राणीवाचक होता है। ®
(स) प्रथम व द्वितीय कर्म अप्राणीवाचक होते है।
(द) प्रथम और द्वितीय कर्म प्राणीवाचक होते हैं।

hindi grammar kriya with examples

10. ’’रमेश कल दिल्ली जाएगा’’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) संज्ञा (ब) क्रिया विशेषण ®
(स) संज्ञा विशेषण (द) कर्म

11. नाम धातु नहीं बनती है-
(अ) संज्ञा से (ब) सर्वनाम से
(स) विशेषण से (द) क्रिया से ®

12. अकर्मक क्रिया है-
(अ) खाना (ब) उठना ®
(स) पीना (द) लिखना

13. ’’चिङिया आकाश में उङ रही है।’’ इस वाक्य में प्रयुक्त क्रिया है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) समापिका (द) असमापिका

14. द्विकर्मक क्रिया में कौनसा कर्म प्रधान होता है-
(अ) प्राणीवाचक (ब) पदार्थवाचक ®
(स) दोनों (द) कोई भी

15. उसने अपनी जेब टटोली, पैसे निकाले और टिकट लेकर बस में बैठ गया। इस वाक्य में पूर्वकालिक क्रिया है-
(अ) टटोलना (ब) निकालना
(स) लेना ® (द) बैठना

16. मैं अभी सोकर उठा हूँ। इस वाक्य में सोकर है-
(अ) सकर्मक क्रिया (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) पूर्वकालिक क्रिया ® (द) नाम-धातु क्रिया

16. रचना की दृष्टि से क्रिया के कितने भेद हैं?
(अ) 2 ® (ब) 3
(स) 4 (द) 5

17. निम्नलिखित क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया अनुकरणात्मक नहीं है?
(अ) फङफङाना (ब) मिमियाना
(स) झुठलाना ® (द) हिनहिनाना

18. काम का होना बताने वाले शब्द को क्या कहते हैं?
(अ) संज्ञा (ब) सर्वनाम
(स) क्रिया ® (द) क्रिया-विशेषण

19. ’वह जाता है’ वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) अकर्मक ® (ब) सकर्मक
(स) प्ररेणार्थक (द) द्विकर्मक

20. ’राम पुस्तक पढता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक ®
(स) द्विकर्मक (द) प्रेरणार्थक

hindi grammar kriya with examples

21.प्ररेणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह खाता है (ब) मोहन घर गया
(स) गाय चरती है (द) अध्यापक छात्र से पाठ पढवाता है ®

22. ’सदा जागते रहना’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) सकर्मक
(स) संयुक्त क्रिया ® (द) प्ररेणार्थक

23. ’मनोरमा बहुत बतियाती है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) द्विकर्मक क्रिया
(स) सकर्मक क्रिया (द) अकर्मक क्रिया

24. पूर्वकालिक क्रिया (Purv Kalik Kriya) का उदाहरण है-
(अ) वह खाना खाकर सो गया ® (ब) मैंने लेख लिखवाया
(स) दीपक पाठ पढता है (द) दीपा घर गई

25. ’अध्यापक ने छात्र से चाॅक मँगवाई’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) प्ररेणार्थक क्रिया ® (ब) अकर्मक
(स) द्विकर्मक (द) सकर्मक

26. रात में तारों का टिमटिमाना अच्छा लगता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) नामधातु क्रिया ® (ब) प्ररेणार्थक
(स) सकर्मक (द) पूर्वकालिक

27. सोनू गया और सोनू घर गया दोनों वाक्यों में क्रिया के प्रकार का युग्म है-
(अ) प्ररेणार्थक और सकर्मक (ब) अकर्मक और सकर्मक ®
(स) पूर्पकालिक और तात्कालिक (द) अकर्मक और द्विकर्मक

28. मोहन खाती से पेङ कटवाता है-वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक ® (द) सकर्मक

29. वह गीत सुनता है-वाक्य में क्रिया का प्रकार है-
(अ) सकर्मक ® (ब) द्विकर्मक
(स) प्रेरणार्थक (द) अकर्मक

क्रिया के प्रश्न उत्तर – Kriya in hindi

30. तूने मुझे पुस्तक दी और तूने पुस्तक दी वाक्यों में क्रियाओं का युग्म है-
(अ) द्विकर्मक और सकर्मक ® (ब) सकर्मक और प्रेरणार्थक
(स) प्रेरणार्थक और अकर्मक (द) अकर्मक और सकर्मक

31. प्रेरणार्थक क्रिया का उदाहरण है-
(अ) वह सो गया (ब) अध्यापक ने पाठ पढाया
(स) परिश्रमी आगे बढा करते हैं ® (द) सरस्वती बहुत शर्मीली है

32. ’भोजन करते ही वह सो गया’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) पूर्वकालिक क्रिया (ब) तात्कालिक क्रिया ®
(स) अकर्मक (द) सकर्मक

33. ’बेटा पाठ पढकर खेलो’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) अकर्मक क्रिया (ब) सकर्मक क्रिया
(स) द्विकर्मक क्रिया (द) पूर्वकालिक क्रिया ®

34. नाम धातु क्रिया (Nam Dhatu Kriya)’ का वाक्य है-
(अ) गीता गीत गाती है (ब) अनुसूइया बहुत शर्माती है ®
(स) वह गया (द) उसने पानी पिया

35. मालिक नौकर से गड्ढ़ा खुदवाता है, वाक्य में क्रिया है-
(अ) संयुक्त क्रिया का (ब) प्रेरणार्थक क्रिया का ®
(स) अकर्मक क्रिया का (द) सकर्मक क्रिया का

verb in hindi

36. संयुक्त क्रिया युक्त वाक्य है-
(अ) राम पाठ पढकर सो गया ® (ब) सोनू खेलता है
(स) छात्र पुस्तक पढता है (द) वह गीत गाती है

37. अकर्मक क्रिया(Akarmak kriya) का उदाहरण है-
(अ) महरी पानी भरती है (ब) सीता गाती है ®
(स) राम ने सीता को पुष्प दिए (द) यशोदा मोहन को सुलाती है

38. ’सुरेश सोता है’ वाक्य में क्रिया है-
(अ) द्विकर्मक (ब) सकर्मक
(स) अकर्मक ® (द) पूर्वकालिक

39. किस वाक्य में क्रिया वर्तमान काल में है-
(अ) उसने फल खा लिए थे। (ब) मैं तुम्हारा पत्र पढ रहा हूँ। ®
(स) अचानक बिजली कौंध उठी। (द) कल वे आने वाले थे।

40. निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा ऐसा वाक्य है, जिसकी क्रिया, कर्ता के लिंग के अनुसार ठीक नहीं है
(अ) राम आता है। (ब) घोङा दौङता है।
(स) हाथी सोती है। ® (द) लङकी जाती है।

क्रिया के अभ्यास प्रश्न :

➡️ क्रिया के कितने भेद होते हैं-kriya ke kitne bhed hote hain
➡️ अकर्मक क्रिया किसे कहतें है – akarmak kriya kise kahate hain
➡️ क्रिया के मूल रूप को क्या कहतें है – kriya ke mool roop ko kya kahate hain
➡️ क्रिया की परिभाषा लिखो – kriya ki paribhasha
➡️ सकर्मक अकर्मक क्रिया क्या होती है – sakarmak akarmak kriya kya hoti hain

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