
इस आर्टिकल में बिहारी सतसई की टीका बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर(Bihari Ratnakar Jagnath Das Ratnakar) को महत्त्वपूर्ण तथ्यों के साथ समझाया गया है। बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ। जा तन की झाँई परे, स्याम हरित-दुति होइ॥ 1 शब्दार्थ : भव – बाधा = सांसारिक कष्ठ नागरि = चतुर […]