• Home
  • PDF Notes
  • Videos
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • PDF NOTES
  • VIDEOS
  • कहानियाँ
  • व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • कविताएँ

छाया मत छूना || गिरिजा कुमार माथुर || सम्पूर्ण व्याख्या

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:14th Aug, 2021| Comments: 0

आज की इस पोस्ट में हम गिरिजा कुमार माथुर द्वारा रचित छाया मत छूना (Chhaya Mat Chhuna) की सम्पूर्ण व्याख्या विस्तार से पढ़ेंगे तथा इस कविता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेगें ।

छाया मत छूना

Table of Contents

  • छाया मत छूना
    • व्याख्या:
    • व्याख्या :
    • व्याख्या:

रचना-परिचय- ’छाया मत छूना’ कविता में बताया गया है कि जीवन में सुख-दुःख दोनों की उपस्थिति है। विगत सुख को याद कर वर्तमान दुःख को गहरा नहीं करना चाहिए। इससे दुःख बढ़ता है। विगत सुख से चिपक कर वर्तमान से पलायन करने की अपेक्षा कठिन यथार्थ से सामना करना ही जीवन की प्राथमिकता होनी चाहिए। अतः यह कविता अतीत की स्मृतियों को भूलकर वर्तमान का सामना कर भविष्य का वरण करने का संदेश देती है।

छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छबियाँ की चित्र-गंध फैली मनभावनी;
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी,
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण-
छाया मत छूना
मन होगा दुख दूना।

व्याख्या:

कवि अपने मन को सम्बोधित कर कहता है कि हे मन! तू कल्पनाओं के संसार में विचरण मत करना। पिछली स्मृतियाँ तुझे भ्रमित करेंगी और उनको याद कर तेरा दुःख दुगुना हो जाएगा। माना कि तुम्हारे जीवन में अनेक प्रकार की रंग-बिरंगी मनभावन मधुर यादें समायाी हुई है। उन्हें याद करके तुम्हारे मन में न केवल मनभावन चित्र उभरते है, बल्कि उनके साथ जुङी मन को अच्छी लगने वाली गंध भी तुम्हारे तन-मन को मस्त कर देती है। तुम अपनी प्रिया की यादों में जीकर उसके तन की गंध महसूस कर लेते हो। इस प्रकार पुरानी यादों में डूबकर पूरी रात बीत जाती है अर्थात् समय गुजर जाता है।

कवि को अपनी प्रिया के बालों में लगे पुष्प-गुच्छ याद आते है जो आज भी चाँदनी बनकर उसके मन को भ्रमित किए हुए है। कवि को अपनी प्रिया की भूली हुई छुअन का अहसास होता है, जो मानो जीवित होकर सामने खङा हो जाता है; परन्तु फिर भी ये यादें छायाएँ ही है। इनमें जीने से मन को दुगुना दुःख मिलता है। इसलिए इनसे दूर रहना ही उचित है।

यश है या न वैभव, मान है न सरमाया;
जितना ही दौङा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन-
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।

व्याख्या :

कवि यथार्थ का बोध कराता हुआ कहता है कि इस संसार में न तो यश का कोई मूल्य है, न धन-वैभव का, न मान-सम्मान से कोई सन्तुष्टि मिलती है और न पूँजी से। मनुष्य इस संसार में रहते हुए इनके पीछे जितना दौङता है, उतना ही वह भटकता चला जाता है, क्योंकि भौतिक वस्तुएँ व्यक्ति को भरमाती है। प्रभुता या बङप्पन आने की कामना भी एक विडम्बना है। यह केवल मृगतृष्णा या छलावा भर ही है। सत्य तो यह है कि हर चाँदनी रात के पीछे एक गहरी रात छिपी हुई है। आशय यह है कि हर सुख के पीछे एक दुःख छिपा रहता है। इसलिए छाया या कल्पनाओं में सुख खोजने की बजाय जीवन के यथार्थ को झेलने को तैयार रहना चाहिए। इसलिए भूल से भी छायाओं को नहीं छूना चाहिए,

उससे तो दुगुना दुःख होगा।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अन्त नहीं।
दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत आने पर ?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना
तन, होगा दुख दूना।

व्याख्या:

कवि कहता है कि तुम्हारा साहस मन की दुविधाओं के कारण नष्ट हो गया है जिसके कारण तुम्हें आगे बढ़ने के लिए कोई रास्ता नहीं दिखाई पङता। इसी कारण चाहे तुम शरीर से सुखी हो ; परन्तु तुम्हारे शरीर में असीम दुःख समाए हुई है अर्थात् सुख-सुविधाओं के होते हुए भी तुम मन से खुश नहीं हो। तुम्हें इस बात का दुःख है कि शरद ऋतु आने पर आकाश में चाँद नहीं खिला। आशय यह है कि प्रसन्नता के सुअवसर पर भी तुम अपने मन से खुश न हो सके और यदि रसमय बसंत के चले जाने के बाद फूल खिलें तो उन खिलने वाले फूलों से क्या फायदा ? जिस काल में मनुष्य को प्रिय का सामीप्य मिलना चाहिए था, उस काल में तो मला नहीं।

बाद में उसका मिलना सुख की बजाय दुःख ही पहुँचाता है। अतः व्यक्ति को जो नहीं मिला, उसे भूलकर वर्तमान में ही जीना चाहिए और भविष्य की सुध लेनी चाहिए अर्थात् तुम्हें असफलताओं को भूलकर वर्तमान और भविष्य को संभालने का प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि कल्पनाओं में विचरण करने से कुछ नहीं मिलता बल्कि मन का दुःख ही दुगुना हो जाता है।

यह भी पढ़ें :

कार्नेलिया का गीत 

भिक्षुक कविता 

बादल को घिरते देखा है 

गीतफरोश कविता 

यह दंतुरित मुस्कान

कविता के बहाने 

साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 

Share this:

  • Tweet
  • Telegram
  • WhatsApp
  • Email
Tweet
Share82
Pin
Share
82 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya

    आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya

  • हिन्दी में निबन्धों के प्रकार – Hindi Sahitya ka Itihas

    हिन्दी में निबन्धों के प्रकार – Hindi Sahitya ka Itihas

  • Hindi sahitya Quiz-14 || भक्तिकाल || हिंदी साहित्य

    Hindi sahitya Quiz-14 || भक्तिकाल || हिंदी साहित्य

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Search

5000 हिंदी साहित्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न

Up Election Result 2022 

सैकंड ग्रेड हिंदी कोर्स जॉइन करें

अनलिमिटेड पैसा कमाएं

ट्विटर के नए सीईओ

टेलीग्राम चैनल जॉइन करें

Recent Posts

  • चित्राधार – जयशंकर प्रसाद | हिंदी साहित्य काव्य धारा
  • तुकांत शब्द – TUKANT SHABD | HINDI VYAKARAN
  • Hindi sahitya Quiz-26 || भक्तिकाल || हिंदी साहित्य
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
  • हिन्दी में निबन्धों के प्रकार – Hindi Sahitya ka Itihas
  • Hindi sahitya Quiz-14 || भक्तिकाल || हिंदी साहित्य
  • शिक्षण सहायक सामग्री का कक्षा शिक्षण में उपयोग || Use of Teaching Aids in Classroom Teaching
  • काव्य दोष – अर्थ ,परिभाषा और उदाहरण || KAVYA DOSH
  • बाल विकास प्रश्नोत्तरी
  • पर्यायवाची शब्द

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • General Knowledge
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी पाठ प्रश्नोत्तर
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

हमारा यूट्यूब चैनल देखें

Best Article

  • बेहतरीन मोटिवेशनल सुविचार
  • बेहतरीन हिंदी कहानियाँ
  • हिंदी वर्णमाला
  • हिंदी वर्णमाला चित्र सहित
  • मैथिलीशरण गुप्त
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • महादेवी वर्मा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • कबीरदास
  • तुलसीदास

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
तुलसीदास का जीवन परिचय || Tulsidas ka jeevan parichay
रामधारी सिंह दिनकर – Ramdhari Singh Dinkar || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Footer

हिंदी व्याकरण

 वर्ण विचार
 संज्ञा
 सर्वनाम
 क्रिया
 वाक्य
 पर्यायवाची
 समास
 प्रत्यय
 संधि
 विशेषण
 विलोम शब्द
 काल
 विराम चिह्न
 उपसर्ग
 अव्यय
 कारक
 वाच्य
 शुद्ध वर्तनी
 रस
 अलंकार
 मुहावरे लोकोक्ति

कवि लेखक परिचय

 जयशंकर प्रसाद
 कबीर
 तुलसीदास
 सुमित्रानंदन पंत
 रामधारी सिंह दिनकर
 बिहारी
 महादेवी वर्मा
 देव
 मीराबाई
 बोधा
 आलम कवि
 धर्मवीर भारती
मतिराम
 रमणिका गुप्ता
 रामवृक्ष बेनीपुरी
 विष्णु प्रभाकर
 मन्नू भंडारी
 गजानन माधव मुक्तिबोध
 सुभद्रा कुमारी चौहान
 राहुल सांकृत्यायन
 कुंवर नारायण

कविता

 पथिक
 छाया मत छूना
 मेघ आए
 चन्द्रगहना से लौटती बेर
 पूजन
 कैदी और कोकिला
 यह दंतुरित मुस्कान
 कविता के बहाने
 बात सीधी थी पर
 कैमरे में बन्द अपाहिज
 भारत माता
 संध्या के बाद
 कार्नेलिया का गीत
 देवसेना का गीत
 भिक्षुक
 आत्मकथ्य
 बादल को घिरते देखा है
 गीत-फरोश
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us
loading Cancel
Post was not sent - check your email addresses!
Email check failed, please try again
Sorry, your blog cannot share posts by email.