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रमणिका गुप्ता – जीवन परिचय || Ramnika Gupta || Hindi Writer

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:11th Nov, 2021| Comments: 1

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आज के आर्टिकल में हम  प्रसिद्ध लेखिका रमणिका गुप्ता (Ramnika Gupta) के बारे में चर्चा करेंगे जो कि बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। उन्होंने कहानी, उपन्यास, आत्मकथा, कविता आदि का सृजन किया।

Ramnika Gupta

🔷जन्म:- 22 अप्रैल 1930 (सुनाम पंजाब मे हुआ)।

💠मृत्यु :-23 मार्च 2019 दिल्ली( भारत )

🔷पिता:- प्यारेलाल बेदी (मिलिट्री में लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट पर सेवारत थे। )

💠माता :-लीलावती गृहणी थी। (जो कि पटियाला रियासत के दीवान की सुपुत्री थी। )

🔷बड़े भाई :-सत्यव्रत बेदी (कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे। )

💠मंझले भाई:- चांद व्रत बेदी (चंडीगढ़ सैन्य बल में लेफ्टिनेंट कर्नल पद पर है )

🔷छोटे भाई:- रवि व्रतबेदी (दिल्ली जाकर फोटोग्राफी में महारत हासिल की )

 

पालन पोषण व व्यक्तित्व (Ramnika Gupta)

Table of Contents

  • पालन पोषण व व्यक्तित्व (Ramnika Gupta)
  • शिक्षा(Ramnika Gupta)
  • कार्य क्षेत्र
  • साहित्य में अभिरुचि (Ramnika Gupta)
  •  कृतित्व (रमणिका गुप्ता)
  • कहानी संग्रह(Ramnika Gupta)
  • उपन्यास
  • आत्मकथा
  • महत्त्वपूर्ण लिंक

 

🔷रमणिका जी का जन्म अभिजात्य वर्ग में हुआ। इनके करीबी रिश्तेदार सभी शिक्षित व उच्च पद पर आसीन थे।
💠 पिता के सकारात्मक गुण उनमें विरासत में मिले माता के नकारात्मक गुण भी उनमें आए जो कुछ संदर्भों में सकारात्मक थे।
🔷आपहुदरी में रमणिका ने लिखा है कि” पिता से उदारता व माँ से जिद मुझे विरासत में मिली।

💠 परिवार की आधुनिकता का फायदा रमणिका को मिला। इसीलिए रमणिका ने” प्रकाश गुप्ता” के साथ प्रेम विवाह किया।

शिक्षा(Ramnika Gupta)

🔷शिक्षा :-1945 विक्टोरिया स्कूल पटियाला से ‘मैट्रिक’ की परीक्षा पास की।
💠विक्टोरिया कॉलेज से’ इंटर’ की परीक्षा दी। 1947 में देश विभाजन के कारण इंटर का सर्टिफिकेट लाहौर रह गया, किंतु 1948 में लाहौर से वह मिल गया।
💠पंजाब यूनिवर्सिटी सोलन से इन्होंने m.a. किया।
🔷दिल्ली यूनिवर्सिटी सेंट्रल ऑफ एजुकेशन से इन्होने B.Ed की डिग्री प्राप्त की।

कार्य क्षेत्र

🔷अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ रमणिका कॉलेज के दिनों से ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ हड़ताल का नेतृत्व करने लगी। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चोरी छुपे आंदोलन को संगठित करने व चलाने का काम करती।

💠1960 में बतौर गृहिणी घर परिवार संभालती रही।

🔷जब उनके पति का तबादला “बिहार के धनबाद जिले” में हुआ तब रमणिका को अपना स्वतंत्र वजूद कायम रखने में कामयाबी मिली। महिला उत्थान के तौर पर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम शुरू किया।

💠उन्हें” कांग्रेस नेता “के रूप में पहचान मिली। 1962 में “कांग्रेस के कार्यकर्ता “के रूप में इन्होंने कार्य किया। 1968 में कांग्रेस को त्यागपत्र देकर उन्होंने “संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी “को ज्वाइन किया।

🔷1967 मांडू विधानसभा क्षेत्र सेकड़ी से इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गई।
💠मजदूर आंदोलन में यह प्रिय रही। 1968 कोयला श्रमिक संगठन” हजारीबाग “के नाम से मजदूर यूनियन का गठन किया।

🔷1970 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं से मनमुटाव के बाद “कांग्रेस” की सदस्यता वापिस ग्रहण की।
💠1972 में बिहार के विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुई।

🔷बाद में उन्हें “कांग्रेस का जिला अध्यक्ष “बना दिया गया

“रमणिका ने लोक हित को सर्वोपरि स्थान दिया। ”

💠1977 में कांग्रेस से त्यागपत्र देकर “लोक दल “में शामिल हो गई।

साहित्य में अभिरुचि (Ramnika Gupta)

🔷साहित्य :-राजनेता के साथ-साथ यह संवेदनशील साहित्यकार भी है। बचपन में आर्य समाज द्वारा प्रकाशित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के पश्चात इन में वैचारिक धुंधलापन दूर हो गया। अपनी अभिव्यक्ति को सजा संवरा कर लिखने की अभिव्यक्ति तेज हो गई।

 कृतित्व (रमणिका गुप्ता)

💠रमणिका जी के व्यक्तित्व की भांति उनका कृतित्व भी बहुआयामी रहा।

कविता संग्रह :-

(1)गीत अगीत
(2)अब और तब
(3)खूंटे आम आदमी के लिए
(4)प्रकृति युद्ध रत है
(5)कैसे करोगे बंटवारा इतिहास का
(6)विज्ञापन बनता कवि
(7)पत्तियां प्रेम की
(8)आदमी से आदमी तक
(9)तिल तिल नूतन
(10तुम कौन
(11)भीड़ सत्तर में चलने लगी है
(12)कोयले की चिंगारी
(13)मैं हवा लिखना चाहती हूं

(1)गीत अगीत :-यह अनूठा काव्य संग्रह है। प्रतीकात्मक बिम्बो का प्रयोग काफी हुआ है। स्त्री मन कि उस पीड़ा को गीत अगीत शक्ल देता है जिसे निष्ठुर दुनिया ना देखने सकती ना समझ सकती है।

(2)अब और तब :-भूत और वर्तमान को तुलनात्मक स्वरूप देकर उनके बीच आंतरिक साहचर्य और बंधन को दृष्टिगत करने का प्रयास किया गया है। यह कविता चार खेमों में बंटी है (1)विषय बदल गया
(2) प्रकृति
(3)भावना
(4)विचार

(3)भला मैं कैसे मरती :-काव्य संग्रह अदम्य जिजीविषा वाली स्त्री की साहसिक मनोवृति का परिचयात्मक वर्णन है।

“आम आदमी ” रमणिका गुप्ता के साहित्य सर्जन का केंद्र बिंदु रहा है।

(4)तुम कौन:- तुम कौन काव्य संग्रह भावपूर्ण सुख संवेदना और मनोवैज्ञानिक अनुभूतियों की बड़ी सुंदर मौलिक व आकर्षक कृति है।

(5)मैं आजाद हुई हूं :-काव्य संग्रह बड़े भाई सत्यव्रत बेदी को समर्पित है।

(6)भीड़ सत्तर वर्ष चलने लगी है :-उन वंचितों उपेक्षित व शोषित और दलितों के विद्रोहात्मक स्वरों की तीक्ष्ण अभिव्यक्ति है।

(7) पतियाँ प्रेम की:- प्रेम साहित्य और समाज में गौरवपूर्ण स्थान प्रदान करने का सफल प्रयास है।

(8)अब मुर्ख नहीं बनेंगे हम:- दलित चेतना पर आधारित अनूठा काव्य संग्रह है।

कहानी संग्रह(Ramnika Gupta)

बहु जूठाई :-आदिवासी व दलित स्त्रियों पर मुख्यतः केंद्रित अगर कोई सार्थक तथा प्रसिद्ध रचना है तो वह है रमणिका गुप्ता की बहू जूठाई। इसमें कुल 11 कहानियां है, जिसमें से 9 कहानियां आदिवासी व दलित स्त्रियों पर केंद्रित है।

उपन्यास

मौसी :-पंजाबी बाग तेलुगू भाषाओं में इसका अनुवाद होकर यह रचना प्रकाशित हो चुकी है। मौसी उपन्यास की नायिका की विडंबना यही है, कि वह मात्र मौसी बनकर ही रह जाती है।

न तो वह सामाजिक तौर पर किसी की पत्नी बन पाती है और न ही माँ । भले ही सलीम और भगवान बाबू के प्रति उन सारे दायित्वों का निर्वाह करती है जो एक पत्नी करती है किंतु वह रखैल बन कर ही रह जाती है इन सबसे इतर उसके जीवन का बड़ा कारुणिक प्रसंग प्रतीत होता है, ज़ब उसका भतीजा मोहना जिसे वह पुत्रवत प्रेम करती है वही उस पर चरित्र हनन का आरोप लगाकर पुत्र धर्म की सभी मर्यादाये तोड़ कर मौसी पर हाथ उठता है।

फिर भी “मौसी “का सबल पक्ष यह है की वह तमाम नकारात्मक परिस्थितियों मे भी जीवन की अविरल धारा का त्याग नहीं करती बल्कि उसकी उसकी धारा के साथ गति निभाना सीख लेती है।

सीता :-त्रासदी पूर्ण जीवन व्यतीत करने को बाध्य दलित व आदिवासी स्त्री के जीवन पर केंद्रित है। यह दोनों उपन्यास रमणिका की साहित्यिक रचनाओं में बड़ा ही गंभीर महत्व रखते हैं।
🔷”सर्वहारा वर्ग की स्त्री भूख शोषण अत्याचार अशिक्षा के दलदल से बाहर निकलकर जीवन के तमाम भावों को पीछे धकेल कर आगे आकर खड़ी होती है व नेतृत्व की कमान अपने हाथों में ले सकती है।” इसी बात का यथार्थ प्रमाण है सीता उपन्यास।

आत्मकथा

  • हादसे 2005
  • आपहुदरी 2016

🔷हादसे (2005 ):-जीवन की तमाम विसंगतियों, विपरीत परिस्थितियों से जूझती लड़ती उनसे उभरती एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में रमणिका जी के अनुभव तो है ही, साथ ही साथ मजदूर यूनियन नेता से लेकर बिहार विधान परिषद की सदस्य बनने तक का सफर में जो घटनाएं हादसे महत्वपूर्ण रहे उनका सिलसिलेवार जिक्र किया गया है रमणिका ने हादसे में।

💠हादसे में रमणिका का राजनीतिक व सामाजिक जीवन का वृतांत है

🔷आपहुदरी (2016) :-आपहुदरी लेखिका पर आधारित है। आपहुदरी पुरुष प्रधान समाज में अपने स्वतंत्र वजूद की तलाश में है। आपहुदरी लेखिका कई व्यक्तिगत तथा पारिवारिक सदस्यों का बेबाक उद्घाटन भी करती है शायद दूसरी स्त्री (लेखिका) के लिए ऐसा संभव ना हो।

💠 रमणिका ने अपनी पुस्तक “दलित हस्तक्षेप” में लिखा है जो श्रम करता है वही बड़ा है।

🔷 निष्कर्ष:- रमणिका जी का व्यक्तित्व जितना बहुआयामी था उतना कृतित्व भी विस्तृत है। इनके जीवन में विविध रंग समाए हुए हैं।

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  1. Smita Kumari says

    30/07/2020 at 12:18 AM

    Useful knowledge

    Reply

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