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रामवृक्ष बेनीपुरी – लेखक परिचय || Rambriksh Benipuri

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:27th May, 2022| Comments: 0

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आज के आर्टिकल में हम  साहित्य जगत के बहुमुखी हस्ताक्षर रामवृक्ष बेनीपूरी(Rambriksh Benipuri)  जी की जीवनी  पढेंगे और इनसे जुडी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे ।

Rambriksh Benipuri

🔷रामवृक्ष बेनीपुरीी हिंदी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे।
💠हिंदी साहित्य जगत में इनका अभूतपूर्व अद्वितीय स्थान रहा
🔷जन्म :-23दिसंबर 1899 ( मुजफ्फरपुरी जिले के अंतर्गत बेनीपुरी गांव में )
💠मृत्यु 7 सितंबर 1968

उपाधि :-“कलम का जादूगर। “

🔷 व्यक्तित्व व पालन पोषण:-

💠 जन्म के कुछ समय पश्चात ही इनकी माता का देहांत हो गया।

🔷 इनका बचपन मामा के घर बंदखेड़ा गांव में बीता।
💠इनके पिता के देहांत के बाद यह मुजफ्फरपुर अपनी मौसी के साथ गए। वहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई।

🔷शिक्षा :-

Table of Contents

  • 🔷शिक्षा :-
  • रचना संसार :
  • रेखा चित्र
  • उपन्यास
  • ललित निबंध
  • नाटक

मुजफ्फरपुर में “भूमिहार ब्राह्मण कॉलेजिएट” स्कूल में नामांकन करवाया गया।

💠वहीं हिंदी साहित्य के महान साधक पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित थे। वह वहां अध्यापक के तौर पर नियुक्त थे। उनकी नजर रामवृक्ष पर पड़ी। दीक्षित जी ने बेनीपुरी को प्रोत्साहन देना शुरू किया तभी रामवृक्ष ने आठवीं कक्षा में पढ़ते हुए हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से विषय की परीक्षा पास की।

🔷इनकी पहली कविता 1916 में “प्रताप “में छपी तब बेनीपुरी ’17’ वर्ष के थे।
💠1921मे इन्होने मुजफ्फरपुर से “किसान” साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया इसके संपादक बेनीपुरी थे।
🔷बाद में अध्यापक दीक्षित जी ने पटना से “तरुण भारत” पत्रिका का संपादन किया उन्होंने बेनीपुरी को वहां बुला लिया।
💠1926 में “बालक “मासिक पत्रिका का संपादन किया गया

🔷1929 में “युवक पत्र” का संपादन किया गया।
💠”युवक पत्रिका” के ‘बलिदान अंक’ के संपादक के रूप में बेनीपुरी जी को गिरफ्तार कर लिया गया।
🔷 जेल में उन्होंने हस्तलिखित पत्र “कैदी “का संपादन किया जेल से छूटने पर 1935 में “लोक संग्रह “नामक पत्र का संपादन किया।
💠1934 में हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रभारी बनाए गए।
🔷माखनलाल चतुर्वेदी के साथ “कर्मवीर “में भी इन्होंने काम किया है।

रचना संसार :

इनकी साहित्य रचना “आठ खंडों “में है बेनीपुरी ग्रंथावली खंड 1 में कहानी संग्रह ‘चिता के फूल’ है।
(1)चिता के फूल :-यह बेनीपुरी जी का एकमात्र कहानी संग्रह है। इसमें 7 कहानियां है। इस कहानी संग्रह में इन्होंने यथार्थ का चित्रण किया है 1929 से 1930 के बीच लिखा गया। यह इनके जीवन पर आधारित है इस कहानी में स्वाधीनता की बलिवेदी स्वयं को भेंट करने वाले एक ग्रामीण युवक के शहीद होने का वृतांत है।

(2) भिखारिन की थाती :-कहानी में बृजेश एक हिंदी दैनिक का सहकारी संपादक है

(3)जीवन तरु :-कहानी दो उद्देश्यों को प्रकट करती है जीवन तरु कहानी में एक और तो कहानी के नायक हाकीम सिंह अपनी बेटी के लिए कोमल बाप अभिव्यक्त हुआ है, वहीं दूसरी ओर तो दूसरी ओर दमन कार्यों के प्रति घृणा का समानांतर रूप दिखाया गया है

(4)कहीं धूप कहीं छाया :-कहानी उनकी कालजई रचना है मखना और बाबू साहब के रूप में दो वर्गों का चित्रण किया गया है

(5)उस दिन झोपड़ी रोई :-कहानी रोमानीपन लिए हुए हैं

रेखा चित्र

(1) लाल तारा:- इनका पहला रेखा चित्र है। भारतीय कृषक जीवन का चित्रण इसमें किया गया है। “नायक गरभू “इस बात को लेकर परेशान है कि उसने जो कुछ उपजाया है। उसका अधिकांश भाग महाजन ले जाने वाला है।
इस संग्रह में संकलित रेखाचित्र “हलवाहा’, ” यह और वह”, ” “हंसीया और हथोड़ा” तथा “कुदाल “रेखा चित्रों के अतिरिक्त भगत सिंह की शहादत पर लिखा गया लेख “इंकलाब जिंदाबाद” भी इस संकलन में शामिल है

🔷”डुगडुगी “नामक एकांकी संग्रह में संग्रहित है

(2)माटी की मूरते :- इसमें 11 रेखा चित्र है पहला “रजिया ‘और अंतिम “बुधिया “अन्य ‘बाल गोविंद भगत’, ‘ सूरज भैया’ जैसे प्रसिद्ध रेखा चित्र “माटी की मूरते “से हैं

(3)गेहूं और गुलाब:- गेहूं और गुलाब में 31 रचनाएं शामिल है। ‘गेहूं और गुलाब ‘के अंतर्गत जीवन संघर्ष के बीच में सौंदर्य की अनिवार्यता को दर्शाया गया है।

उपन्यास

(1)पतितो के देश :-में 1932 में लिखा गया यह एक कैदी की कहानी है इसका आधार सत्य घटना पर आधारित है तथा इसका मुख्य भाग लेखक ने जेल में ही लिखा था मनोहर नामक नायक अपने ही गांव की एक लड़की जिसका नाम पियरिया है वह उस से प्रेम करता है परिवार वालों को यह कांटे की तरह झुकता है वह मनोहर को झूठे रेप केस में फंसा देते हैं।

(2)कैदी की पत्नी :-1940 में लिखा गया यह उपन्यास लेखक इसकी प्रेरणा उन्हें अपनी पत्नी उमा रानी से मिली
लेखक ज़ब जेल में थे, तब वह उनसे जेल में मिलने आई किंतु, जेल में उन्हें मिलने ने दिया गया इस घटना से भावनात्मक रूप से प्रेरित होकर बेनीपुरीी जी ने एक उपन्यास लिख डाला।

ललित निबंध

(1)सतरंगा इंद्रधनुष :-10 ललित निबंधों का यह एक संग्रह है यह रचना बेनीपुरी जी की शैली का प्रतिनिधित्व करती है

(2)गांधी नामा :-गांधी नामा 1937 बेनीपुरीी जी का अद्वितीय समृति चित्र है उन्होंने अपने पुत्र है जिसका निधन हो गया था और वह उस वक्त जेल में थे उस वक्त इन्होंने यह लिखा था उनके पुत्र का नाम सुरेंद्र था और परिवार में सब उसे प्यार से गांधी कहा करते थे इसीलिए अपने पुत्र की याद में उन्होंने यह स्मृति चित्र लिखा इसकी निराला जी की सरोज समृति से की जाती है

(3)वन्दे वाणी विनायको :-ललित गद्य है।

🔷बेनीपुरीी जी ने साहित्य जगत में शुरुआत काव्य कविता से की थी किंतु आगे चलकर उन्होंने सिर्फ गद्य भाग में अपनी लेखनी चलाई।

💠”नया आदमी 1950 “:- बेनीपुरीी जी द्वारा लिखित एक लंबी कविता है कहा जाता है कि मुक्तिबोध ने लंबी कविता का जो रास्ता अपनाया उसकी शुरुआत। रामवृक्ष बेनीपुरीी जी ने की थी

🔷 रामवृक्ष ने बिहारी सतसई पर टीका निकाली गई।
💠विद्यापति की पदावली का सम्पादन किया।

नाटक

अम्बपाली :-प्रसिद्ध नाटक अंबापाली जो कि 40 में दशक में लिखा गया दूसरे खंड में है अंबापाली मैं सभी दीन हीन भारतीय नारी का विराट अस्तित्व प्रदान किया गया है।
🔷अंबापाली के बाद” चंद्रगुप्त मौर्य” और “विजेता “नाटक लिखे गए।
💠”तथागत” बेनीपुरीी जी का पहला रेडियो नाटक है।

🔷 “नेत्रदान “और “संघमित्रा” मौर्य साम्राज्य पर लिखे गए प्रसिद्ध नाटक है।

💠सीता की मां :*एक प्रयोगात्मक रूपक है।

🔷’अमर ज्योति’ और ‘गांव का देवता ‘जीवनी पर एकांकी है।

⇒’अमर ज्योति ‘एक रेडियो रूपक है जिसमें गांधी जी के बारे में बताया गया है।

🔷रामवृक्ष बेनीपुरीी का यात्रा वृतांत है ‘पैरों में पंख बांधकर’,, उड़ते चलो उड़ते चलो’ है। 🌷

 

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