• Home
  • PDF Notes
  • Videos
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • PDF NOTES
  • VIDEOS
  • कहानियाँ
  • व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • कविताएँ
  • Web Stories

महावीर प्रसाद द्विवेदी – Mahavir Prasad Dwivedi

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:14th May, 2022| Comments: 1

दोस्तो आज की इस पोस्ट मे हम  महावीर प्रसाद द्विवेदी   (Mahavir Prasad Dwivedi)जी के बारे मे विस्तार से जानेंगे ,इसलिए आप इस पोस्ट को अच्छे से पढ़िएगा।

महावीर प्रसाद द्विवेदी (Mahavir Prasad Dwivedi)

Table of Contents

  • महावीर प्रसाद द्विवेदी (Mahavir Prasad Dwivedi)
    • (क) मौलिक रचनाएँ –
    • (ख) अनूदित रचनाएँ –
    • (ग) प्रसिद्ध लेख
  • निबन्ध –
  • अनूदित गद्य साहित्य(Mahavir Prasad Dwivedi)
  • अनूदित पद्य –
    • महावीर प्रसाद द्विवेदी के प्रमुख कथन –
    • विशेष तथ्य (Special facts) –
    •  प्रमुख शैलियाँ (Mahavir Prasad Dwivedi)
महावीर प्रसाद द्विवेदी
महावीर प्रसाद द्विवेदी
  • जन्म – 1864 ई.

  • जन्मस्थान – ग्राम – दौलतपुर, जिला – रायबरेली (उ.प्र.)

  • मृत्यु – 21 दिसम्बर, 1938 ई. (रायबरेली में)

  • प्रमुख रचनाएँ – इनके द्वारा रचित मौलिक और अनूदित गद्य-पद्य रचनाओं की संख्या लगभग 80 मानी जाती है।

(क) मौलिक रचनाएँ –

  • काव्य-मंजूषा
  • सुमन (1923 ई.)
  • कान्य-कुब्ज
  • अबला विलाप
  • संपत्ति शास्त्र
  • महिला मोद
  • कविता कलाप
  • नागरी तेरी यह दशा

(ख) अनूदित रचनाएँ –

  1. कुमारसंभव सार (संस्कृत के कालिदास द्वारा विरचित ’कुमारसंभव’ महाकाव्य का हिंदी अनुवाद 1902 ई. में किया।)
  2. ऋतु-तरंगिणी
  3. गंगा – लहरी

(ग) प्रसिद्ध लेख

क्या हिंदी नाम की कोई भाषा ही नहीं (सरस्वती, 1913 ई.)

आर्य समाज का कोप (सरस्वती, 1914 ई.) 

’भुजंगभूषण भट्टाचार्य’ नाम से प्रकाशित लेख – ’कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता’ (1908 ई. की सरस्वती में )

निबन्ध –

1. कवि और कविता
2. कवि प्रतिभा
3. कवि कर्तव्य
4. साहित्य की महत्ता
5. लोभ
6. मेघदूत
7. क्या हिन्दी नाम की कोई भाषा नहीं – (सरस्वती-1913 ई.)
8. आर्य समाज का कोप – (सरस्वती 1914 ई.)

अनूदित गद्य साहित्य(Mahavir Prasad Dwivedi)

1. 1891 ई. भामिनी विलास – प. जगन्नाथ के ’भामिनी विलास’ का अनुवाद।
2. 1896 ई. अमृत लहरी – प. जगन्नाथ के ’यमुना-स्त्रोत’ का भावानुवाद।
3. 1901 ई. बेकन विचार रत्नावली – बेकन के निबंधो का अनुवाद।
4. 1906 ई. शिक्षा – हरबर्ट स्पेसर के ’एज्यूकेशन’ का अनुवाद।
5. 1907 ई. स्वाधीनता – जाॅन स्टुबर्टनील के ’ऑन -लिबर्टी’ का अनुवाद।
6. 1907 ई. जल चिकित्सा – जर्मन लेखक लुई कोने की जर्मन पुस्तक के अंगे्रजी अनुवाद का अनुवाद।
7. 1908 ई. महाभारत – महाभारत की कथा का हिन्दी रूपान्तरण।
8. 1912 ई. रघुवंश – ’रघुवंश’ महाकाव्य का भाषानुवाद।
9. 1913 ई. वेणी संहार – संस्कृत कवि भट्ट नारायण के नाटक ’वेणी संहार’ का अनुवाद।
10. 1915 ई. कुमार सम्भव – कालिदास कृत ’कुमार-संभव’ का अनुवाद।
11. 1917 ई. मेघदूत – ’मेघदूत’ का अनुवाद।
12. 1917 ई. किरातार्जुनीयम – भारवी कृत ’किरातार्जुनीयम’ का अनुवाद।
13. 1908 ई. प्राचीन पण्डित और कवि -अन्य भाषाओं के लेखो के आधार प्राचीन कवियों और पण्डितों का परिचय।
14. 1927 ई. आध्यायिका सप्तक – अन्य भाषाओं की चुनी हुई सात आख्यायिकों का अनुवाद।

अनूदित पद्य –

1889 ई. विनय विनोद – भर्तृहरि के ’वैराग्य शतक’ का दोहो में अनुवाद।
1890 ई. स्नेह माला – भर्तृहरि के ’शृंगार शतक’ का दोेहो में अनुवाद।
1890 ई. विहार वाटिका – गीत गोविंद का भावानुवाद।
1891 ई. श्री महिमन स्रोत – संस्कृत के ’महिमन-स्रोत’ का अनुवाद।
गंगालहरी – पं. जगन्नाथ की ’गंगा-लहरी’ का सवैयों में अनुवाद(1891 ई.)
1891 ई. ऋतुतरंगिणी – कालिदास के ’ऋतुसंहार’ का छायानुवाद। 
1902 ई. कुमारसम्भवसार – कालिदास कृत ’कुमारसम्भव सार’ के प्रथम 5 सर्गों का सारांश।
सुहागरात – बाइरन के ’ब्राइडल-नाइट’ का छायानुवाद।

महावीर प्रसाद द्विवेदी के प्रमुख कथन –

🔹 महावीर प्रसाद द्विवेदी – कविता का विषय मनोरंजक एवं उपदेशपरक होना चाहिए। यमुना के किनारे केलि-कौतूहल का अद्भुत वर्णन बहुत हो चुका…….चींटी से लेकर हाथी पर्यंत पशु, भिक्षुक से लेकर राजा पर्यंत मनुष्य, बिंदु से लेकर समुद्र पर्यंत जल, अनंत आकाश, अनंत पृथ्वी, अनंत पृथ्वी सभी पर कविता हो सकती है। (कवि-कत्र्तव्य निबंध)

🔸 महावीर प्रसाद द्विवेदी – किसी पुस्तक या प्रबंध में क्या लिखा गया है, किस ढंग से लिखा गया है, वह विषय उपयोगी है या नहीं, उससे किसी का मनोरंजन हो सकता है या नहीं, उससे किसी को भी लाभ पहुँच सकता है या नहीं, लेखक ने कोई नयी बात लिखी है या नहीं, यहीं विचारणीय विषय हैं। समालोचक को प्रधानतः इन्हीं बातों पर विचार करना चाहिए।

🔹 रामचंद्र शुक्ल – यदि द्विवेदी जी न उठ खङे होते तो जैसी अव्यवस्थित, व्याकरण विरुद्ध, और ऊटपटांग भाषा चारों ओर दिखायी पङी थी, उसकी परंपरा जल्दी न सकती।

🔸 रामचंद्र शुक्ल – गद्य की भाषा पर द्विवेदी जी के इस शुभ प्रभाव का स्मरण जब तक भाषा के लिए शुद्धता आवश्यक समझी जाएगी, तब तक बना रहेगा।

🔹 नंददुलारे वाजपेयी – साहित्य के क्षेत्र में एक व्यक्ति पर इतना बङा उत्तरदायित्व इतिहास की शक्तियों ने कदाचित पहली बार रखा था और पहली ही बार द्विवेदी जी ने इस उत्तरदायित्व को सफल निर्वाह का अनुपम निदर्शन प्रस्तुत किया।

🔸 रामविलास शर्मा – द्विवेदी जी प्रेमचंद की तरह कथा लेखक नहीं थे और मैथिलीशरण गुप्त की तुलना में कवि भी साधारण थे, किंतु वैचारिक स्तर पर वह इन दोनों से आगे है। इन दोनों के काव्य संसार और कथा संसार की रुपरेखाएँ उनके गद्य में स्पष्ट दिखाई देती हैं। इस दृष्टि से उन्हें युग निर्माता कहना पूर्णतः संगत है।

🔹 महावीर प्रसाद द्विवेदी – अंतःकरण की वृत्तियों के चित्रण का नाम कविता है। नाना प्रकार के योग से उत्पन्न हुए मनोभाव जब मन में नहीं समाते तब वे आप ही आप मुख मार्ग से बाहर निकलने लगते हैं, वही कविता है।

विशेष तथ्य (Special facts) –

  • ये प्रारंभ में’भुजंगभूषण भट्टाचार्य’ के छद्म (गुप्त) नाम से ’सरस्वती’ पत्रिका में अपनी रचनाएँ छापते थे। इन्होंने साहित्य को ’ज्ञान की राशि का संचित कोश’ कहकर पुकारा है।

  • हिन्दी समालोचना को स्थापित करने का श्रेय इन्हीं को दिया जाता है।

  • अपनी आजीविका चलाने के लिए इन्होंने रेलवे की नौकरी की, किंतु उच्चाधिकारी से कुछ कहा- सुनी हो जाने के कारण इन्होंने नौकरी से त्यागपत्र देकर शेष जीवन हिन्दी भाषा और साहित्य को समर्पित कर दिया।

  • ये 1903 ई. से लेकर 1920 ई. तक सरस्वती पत्रिका से सम्पादक रहे थे।

  • ये कवि, आलोचक, निबंधकार, अनुवादक तथा संपादकाचार्य थे।

  • आधुनिक काल में हिंदी गद्य एवं पद्य की भाषा के परिमार्जनकर्ता आचार्य द्विवेदीजी माने जाते हैं।

  •  ’संपत्तिशास्त्र’ इनकी अर्थशास्त्र संबंधी पुस्तक मानी जाती है।

  • ’महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली’ के पन्द्रह खण्डों में इनका सम्पूर्ण साहित्य समाहित है।

  • डाॅ. नगेन्द्र के अनुसार इन्होंने काव्य की सामाजिक उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए साहित्य में ’सरलता, असलियत और जोश’ पर बल दिया।

  • इनमें से ’असलीयत’ सबसे महत्त्वपूर्ण है।

  • मैथिलीशरण गुप्त ने एक जगह श्लेष शैली में द्विवेदी जी की प्रशंसा निम्न शब्दों में की है – ’’करते तुलसीदास भी कैसे मानस नाद। महावीर का यदि उन्हें मिलता नहीं प्रसाद।।’’ अर्थात् जैसे (For example) तुलसीदासजी ने महावीर हनुमानजी की कृपा से ’रामचरितमानस’ की रचना की, वैसे ही गुप्त ने महावीर प्रसाद द्विवेदी की कृपा से ’साकेत’ की रचना की।

  • इनके पिता ’रामसहाय द्विवेदी’ को महावीर का इष्ट था, इसी कारण (So) उन्होंने अपने पुत्र का नाम     ’महावीर’ रखा था।

  • इन्होंने हिन्दी भाषा को व्याकरण सम्मत रूप प्रदान किया।

 प्रमुख शैलियाँ (Mahavir Prasad Dwivedi)

महावीर प्रसाद द्विवेदी की गद्य रचनाओं में मुख्यतः निम्न तीन शैलियाँ देखने को मिलती हैं –

(क) व्यंग्यात्मक शैली – इस शैली में लिखे निबंधों की भाषा व्यावहारिक है। इसमें हास्य का पुट भी है।

इन निबंधों की वाक्य रचना सरल है। इनके व्यंग्य उभरे हुए हैं।

(ख) आलोचनात्मक शैली – आलोचना के लिए सरल, संयत और गंभीर भाषा का प्रयोग किया गया है।

(ग) गवेषणात्मक शैली – इस शैली में शुद्ध, संयत एवं संस्कृत शब्दों से अलंकृत भाषा का प्रयोग किया गया है।

हमे विश्वास है की आप हमारी पोस्ट को पढ़कर अपनी परीक्षा मे अच्छा परिणाम ( as a Result ) देंगे |

अज्ञेय जीवन परिचय देखें 

विद्यापति जीवन परिचय  देखें 

अमृतलाल नागर जीवन परिचय देखें 

रामनरेश त्रिपाठी जीवन परिचय  देखें 

डॉ. नगेन्द्र  जीवन परिचय देखें 

भारतेन्दु जीवन परिचय देखें 

  • महादेवी वर्मा जीवन परिचय 
  • सुमित्रानंदन पन्त  का जीवन परिचय 
  • निराला जी का जीवन परिचय 
  • भारतेन्दु जीवन परिचय देखें 
  • साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 

Tweet
Share161
Pin
Share
161 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • वर्ण किसे कहते है –  Varn Kise Kahate Hain

    वर्ण किसे कहते है – Varn Kise Kahate Hain

  • उपन्यास के अंग – तत्व || हिंदी साहित्य

    उपन्यास के अंग – तत्व || हिंदी साहित्य

Comments

  1. Sunil Abhra says

    28/06/2019 at 6:31 AM

    बहुत ही सराहनीय प्रयास!!

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Search

5000 हिंदी साहित्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सैकंड ग्रेड हिंदी कोर्स जॉइन करें

ट्विटर के नए सीईओ

टेलीग्राम चैनल जॉइन करें

Recent Posts

  • Application in Hindi – प्रार्थना पत्र कैसे लिखें
  • बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर || व्याख्या सहित || पद 1 से 25 तक
  • समुच्चयबोधक अव्यय – परिभाषा,अर्थ ,उदाहरण || Samuchaya Bodhak
  • सूफ़ीकाव्य महत्वपूर्ण तथ्य – हिंदी साहित्य
  • वर्ण किसे कहते है – Varn Kise Kahate Hain
  • उपन्यास के अंग – तत्व || हिंदी साहित्य
  • हिंदी ट्रिक 1
  • आइए जाने वेद क्या है
  • सिंधु घाटी सभ्यता सार
  • विराम चिह्न क्या है – Viram chinh in Hindi || हिंदी व्याकरण

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • General Knowledge
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • विलोम शब्द
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • संधि
  • समास
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी पाठ प्रश्नोत्तर
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

हमारा यूट्यूब चैनल देखें

Best Article

  • बेहतरीन मोटिवेशनल सुविचार
  • बेहतरीन हिंदी कहानियाँ
  • हिंदी वर्णमाला
  • हिंदी वर्णमाला चित्र सहित
  • मैथिलीशरण गुप्त
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • महादेवी वर्मा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • कबीरदास
  • तुलसीदास

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
तुलसीदास का जीवन परिचय || Tulsidas ka jeevan parichay
रामधारी सिंह दिनकर – Ramdhari Singh Dinkar || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Footer

हिंदी व्याकरण

 वर्ण विचार
 संज्ञा
 सर्वनाम
 क्रिया
 वाक्य
 पर्यायवाची
 समास
 प्रत्यय
 संधि
 विशेषण
 विलोम शब्द
 काल
 विराम चिह्न
 उपसर्ग
 अव्यय
 कारक
 वाच्य
 शुद्ध वर्तनी
 रस
 अलंकार
 मुहावरे लोकोक्ति

कवि लेखक परिचय

 जयशंकर प्रसाद
 कबीर
 तुलसीदास
 सुमित्रानंदन पंत
 रामधारी सिंह दिनकर
 बिहारी
 महादेवी वर्मा
 देव
 मीराबाई
 बोधा
 आलम कवि
 धर्मवीर भारती
मतिराम
 रमणिका गुप्ता
 रामवृक्ष बेनीपुरी
 विष्णु प्रभाकर
 मन्नू भंडारी
 गजानन माधव मुक्तिबोध
 सुभद्रा कुमारी चौहान
 राहुल सांकृत्यायन
 कुंवर नारायण

कविता

 पथिक
 छाया मत छूना
 मेघ आए
 चन्द्रगहना से लौटती बेर
 पूजन
 कैदी और कोकिला
 यह दंतुरित मुस्कान
 कविता के बहाने
 बात सीधी थी पर
 कैमरे में बन्द अपाहिज
 भारत माता
 संध्या के बाद
 कार्नेलिया का गीत
 देवसेना का गीत
 भिक्षुक
 आत्मकथ्य
 बादल को घिरते देखा है
 गीत-फरोश
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us