काव्यशास्त्र

श्लेष अलंकार – परिभाषा, उदाहरण || Shlesh Alankar

श्लेष अलंकार परिभाषा व उदाहरण

आज की पोस्ट में हम अलंकार के अंतर्गत श्लेष अलंकार की परिभाषा व उदाहरण(shlesh alankar ke paribhasha udaharan) पढेंगे  ,आप इसे अच्छे से पढ़ें श्लेष अलंकार की परिभाषा – Shlesh Alankar ki pribhahsa ⇒ श्लेष अलंकार – जब किसी पद में प्रयुक्त एक ही शब्द के अलग-अलग सन्दर्भ के अनुसार अलग-अलग अर्थ प्रयुक्त हो जाते …

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ध्वनि सिद्धान्त || Dhavni Siddhant || kaavyshastr || Hindi Sahitya

ध्वनि _सिद्धांत_काव्यशास्त्र

दोस्तों आज आप काव्यशास्त्र के अंतर्गत महत्वपूर्ण टॉपिक ध्वनि सिद्धान्त (Dhavni Siddhant)को पढेंगे ,इस विषयवस्तु को विस्तार से समझाया गया है           ध्वनि सिद्धान्त(dhavni siddhant) ध्वनि की परिभाषा – ध्वनिकार आनन्दवर्धन ने ध्वनि की परिभाषा इस प्रकार प्रस्तुत की है – प्रतीयमानं पुरन्यदेवं वस्त्वस्ति वाणीषु महाकवीनाम्। यत् तत् प्रसिद्धावयवातिरिक्तं विभाति लावण्यमिवांगनासु।।   …

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बिम्ब विधान | कविता में बिम्ब का महत्त्व | Hindi Sahitya Me Bimb

बिम्ब विधान

दोस्तों आज की पोस्ट में हिंदी साहित्य में काव्यशास्त्र के महत्वपूर्ण विषय बिम्ब विधान (Bimb Vidhan) के बारे में  अच्छी तरह से समझाया गया है ,हमें आशा है कि आप इसे अच्छे से समझेंगे | बिम्ब विधान – Bimb Vidhan आज के आर्टिकल में हम क्या सीखेंगे? बिम्ब का अर्थ  बिम्ब क्या होते है ? …

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मिथक || हिंदी साहित्य || काव्यशास्त्र || hindi sahitya

मिथक

आज हम काव्यशास्त्र का महत्वपूर्ण विषय मिथक(mithak) के बारें में अध्ययन करेंगे ,जो आपके लिए उपयोगी साबित होगा मिथक(Mithak) पश्चिम में विशेष रूप से अमेरिका में मिथक(mithak) आलोचना का प्रसार हो रहा है, इसे एक सार्वभौम तथा वैज्ञानिक पद्धति माना जाता है। साहित्य ही नहीं, मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी मिथक(mithak) पर महत्त्वपूर्ण …

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प्रतीक क्या होता है || हिंदी साहित्य || काव्यशास्त्र

प्रतीक क्या होते है

दोस्तों आज की पोस्ट में हम प्रतीक क्या होता है(Pratik kya hota hai) इसके बारे में पढेंगे |  प्रतीक ऐसा शब्द चिह्न है जो किसी वस्तु का बोध कराता है। प्रतीक  प्रतीक किसी सूक्ष्म भाव, विचार या अगोचर तत्त्व को साकार करने के लिए प्रयुक्त होता है। ⇒ प्रतीक अप्रस्तुत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रस्तुत …

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अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त || kavya shastra || काव्य शास्त्र

अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त

दोस्तो आज की पोस्ट में हम काव्यशास्त्र विषय के अंतर्गत अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त अच्छे से समझेंगे । अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त(Arstu ka Anukaran Sidhant) अरस्तू महान् यूनानी दार्शनिक प्लेटो (427 ई.पू. से 347 ई.पू.) का शिष्य माना जाता है। इनका स्थितिकाल (384 ई.पू. से 322 ई.पू.) निर्धारित किया जाता है। सिकन्दर महान् ने भी …

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काव्य रीति – Kavya Riti || काव्यशास्त्र || Hindi sahitya

काव्य रीति

दोस्तो आज हम काव्य शास्त्र के महत्वपूर्ण विषयवस्तुकाव्य रीति(Kavya Riti) , काव्य रीति की परिभाषा और काव्य रीति के प्रकार विस्तार से पढेंगे को अच्छे से समझेंगे।    काव्य रीति – Kavya Riti ⇒ ‘रीति’ शब्द की व्युत्पत्ति- ‘रीति’ शब्द संस्कृत की ’रीङ्’ धातु में ’क्तिन्’ प्रत्यय के योग से बना है, जिसका मूल अर्थ …

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काव्य प्रयोजन – अर्थ, उद्देश्य | Kavya Prayojan | काव्य शास्त्र

काव्य प्रयोजन

दोस्तो आज की पोस्ट में हम काव्यशास्त्र के महत्वपूर्ण विषय काव्य प्रयोजन के बारे में जानेंगे काव्य प्रयोजन – Kavya Prayojan   ⇒ काव्य प्रयोजन का तात्पर्य है-’काव्य रचना का उद्देश्य’। कवि काव्य-रचना क्यों करता है ? वह अपने काव्य से युग और समाज को क्या देता है ?  पाठक उसका अनुशीलन क्यों करता है …

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काव्य लक्षण -परिभाषा, उदाहरण || आसानी से समझें || Kavya Lakshan

काव्य लक्षण

दोस्तो आज की पोस्ट में हम काव्यशास्त्र के अंतर्गत महत्वपूर्ण विषयवस्तु काव्य लक्षण (Kavya Lakshan) को अच्छे से पढ़ेंगे । काव्य लक्षण – Kavya Lakshn ‘किसी वस्तु अथवा विषय के विशेष धर्म का कथन करना उसका लक्षण कहलाता है।’अलग -अलग आचार्यों के द्वारा काव्य लक्षण को परिभाषित किया गया। संस्कृत आचार्यों के काव्य लक्षण हिन्दी …

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काव्य हेतु काव्यशास्त्र || हिंदी साहित्य – काव्यशास्त्र

काव्य हेतु काव्यशास्त्र

     काव्य हेतु – Kavya Hetu ’हेतु’ का शाब्दिक अर्थ है कारण, अतः ’काव्य हेतु’ का अर्थ हुआ काव्य की उत्पत्ति का कारण।  किसी व्यक्ति में काव्य रचना की सामर्थ्य उत्पन्न कर देने वाले कारण काव्य हेतु कहलाते हैं। साहित्य की रचना क्यों होती है ? क्या कारण है जो कवि अथवा रचनाकार को …

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