हिंदी साहित्य

हिंदी में व्यास सम्मान || Vyas samman || Hindi sahitya

हिंदी में व्यास सम्मान(vyas samman)

हिंदी में व्यास सम्मान(vyas samman) ⇒ व्यास सम्मान(vyas samman) #स्थापना- 1991 में के. के. बिड़ला फाउंडेशन ने प्रारंभ किया था। -भारतीय साहित्य में किये गये योगदान के लिए दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद दूसरा सबसे बड़ा साहित्य-सम्मान है। *पहला व्यास सम्मान वर्ष 1991 में रामविलास शर्मा की कृति ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार …

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कबीर के काव्य में भावपक्ष – Hindi Sahitya

कबीर के काव्य में भावपक्ष

आज की पोस्ट में हम हिंदी साहित्य के भक्तिकाल में कबीर के काव्य में भावपक्ष(Kabir ke kavy me bhavpaksh) की चर्चा करेंगे ,ताकि आप इसे अच्छे से समझ सकें | कबीर के काव्य में भावपक्ष कबीर निरक्षर थे वे शास्त्रज्ञ विद्वान् नहीं थे, तथापि कविता रचना के लिए बङी-बङी उपाधियों की आवश्यकता न पहले होती …

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हिंदी साहित्य में मिलती जुलती रचनाएँ – Hindi sahitya

आज की पोस्ट में हम हिंदी साहित्य में मिलती-जुलती रचनाएँ के बारे में पढेंगे। हिंदी साहित्य में मिलती जुलती रचनाएँ रेती के फूल________ :-रामधारी सिंह दिनकर अशोक के फूल________:- हजारी प्रसाद द्विवेदी कमल के फूल________ :-भवानी प्रसाद मिश्र शिरीष के फूल________:- हजारी प्रसाद द्विवेदी कागज के फूल________ :-भारत भूषण अग्रवाल जूही के फूल__________:- रामकुमार वर्मा …

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यात्रा वृतान्त || hindi sahitya || हिंदी साहित्य का इतिहास

आज की पोस्ट में हम हिंदी साहित्य की विधा के अंतर्गत परीक्षापयोगी  यात्रा वृतान्त पढेंगे ,इस विषयवस्तु को ध्यानपूर्वक पढ़ें  यात्रा-वृतान्त(yaatra-vrtaant)   यात्रा-वृतान्त, ’यात्रा-वृत्त’ हिन्दी गद्य की एक रोचक विधा है। जीवन दृष्टि और भाषा पर अधिकार-यात्रा वृतान्त लेखक के दो महत्त्वपूर्ण गुण है। राहुल सांकृत्यायन ने घुमक्कड़ी को धर्म का दर्जा दिया है। वे लिखते …

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संस्मरण क्या है -हिंदी साहित्य का इतिहास

संस्मरण क्या है

संस्मरण- अर्थ और स्वरूप- व्युत्पत्ति की दृष्टि से संस्मरण शब्द ’स्मृ’ धातु में सम् उपसर्ग एवं ल्युट् प्रत्यय लगने से बना है। इस प्रकार संस्मरण का शाब्दिक अर्थ है सम्यक् स्मरण। सम्यक् का अर्थ है पूर्णरूपेण। इस प्रकार संस्मरण का शाब्दिक अर्थ है किसी व्यक्ति, घटना, दृश्य, वस्तु आदि का आत्मीयता और गम्भीरतापूर्वक रचे गये …

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प्रयोजनमूलक हिन्दी क्या है || hindi sahiya || hindi sahitya ka itihas

Prayojanmulak hindi

प्रयोजनमूलक हिन्दी (Prayojanmulak hindi)में प्रयोजन शब्द का अर्थ है- ’उद्देश्य’। जिस भाषा का प्रयोग किसी विशेष प्रयोजन के लिए किया जाए, उसे ’प्रयोजनमूलक भाषा’ कहा जाता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी(Prayojanmulak hindi) हिंदी में प्रयोजनमूलक हिन्दी शब्द  ‘ functional language ‘ के रूप में प्रयुक्त किया जा रहा है, जिसका तात्पर्य है- जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं की …

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राजेन्द्र यादव -जीवन परिचय || Rajendra Yadav || हिंदी साहित्य

Rajendra Yadav

आज की पोस्ट में हम हिंदी के चर्चित लेखक राजेन्द्र यादव(Rajendra Yadav) जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी पढेंगे ,इनसे जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्यों को शामिल किया गया है | राजेन्द्र यादव का जीवन परिचय – Rajendra Yadav प्रथम उपन्यास राजेन्द्र यादव कृत प्रथम उपन्यास ’प्रेत बोलते है’ है। जो सन् 1951 ई. में प्रकाशित …

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हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण

हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण

आज के आर्टिकल में हम हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण (Hindi Sahitya ka Kaal Vibhajan aur Naamkaran) की के इतिहास को पढेंगे ।आर्टिकल को पढ़कर नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरुर लिखें । दोस्तो साहित्य इतिहासकारों ने इतिहास लेखन में कई पद्धतियों को काम में लिया ’वर्णानुक्रमी पद्धति’ सबसे पहली पद्धति ’वर्णानुक्रमी …

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निबन्ध क्या है || हिंदी साहित्य का इतिहास

निबन्ध क्या है

दोस्तो आज की पोस्ट में हम पढेंगे कि निबन्ध क्या है ,और इसके प्रकारों के बारें में भी पढेंगे जो कि परीक्षा के लिए उपयोगी होंगे। निबन्ध क्या है ?(Nibndh kya hai ?)  ’निबंध’ शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ – ’निबंध’ शब्द ’नि’ उपसर्ग व ’बंध’ धातु के योग से बना है, जिसके अनेक अर्थ ग्रहण …

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कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण – जयशंकर प्रसाद

कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण

Read: कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण, आज के आर्टिकल में हम जयशंकर प्रसाद की चर्चित रचना कामायनी पर चर्चा करेंगे ,हम यह जानेंगे कि इस रचना में महाकाव्य के कौन -कौन से लक्षण है। कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण मुख्यत:  कामायनी छायावाद की मूल कृति है। उसमें छायावादी काव्य-कृति के समस्त गुण अत्यन्त परिष्कृत रूप में मिलते …

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