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जैनेन्द्र कुमार का जीवन परिचय – Jainendra Kumar

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:11th Nov, 2021| Comments: 0

आज की पोस्ट में हम हिंदी लेखक जैनेन्द्र कुमार(Jainendra Kumar) का जीवन परिचय पढेंगे |

जैनेन्द्र कुमार का जीवन परिचय

Table of Contents

  • जैनेन्द्र कुमार का जीवन परिचय
    • उपन्यास –
      • सम्पादन –
      • निबंध संग्रह –
      • जीवनी –
      • सहलेखन –
      • अनुवाद –
      • पुरस्कार –
      • कहानी संग्रह –
      • मनोवैज्ञानिक कहानियाँ –
      • संस्मरण ग्रन्थ –
      • महत्त्वपूर्ण तथ्य
    • महत्त्वपूर्ण लिंक :

जन्म – 26 जनवरी सन् 1905 ई.

निधन – 24 दिसम्बर सन् 1988 ई.

जन्म स्थान – अलीगढ़ के कोङीगंज गांव

पूरा नाम – आनंदी लाल था।

 

  • जैनेंद्र जब 2 वर्ष के थे तब उनके पिता का देंहात हो गया था।
  • उनका पालन-पोषण माता और मामा ने किया।
  • प्रारम्भिक शिक्षा जैन गुरूकुल हस्तिनापुर में।
  • जैनेंद्र की उच्च शिक्षा काशी हिन्दु विश्वविद्यालय से हुई।
  • 1921 ई. ’असहयोग आन्दोलन’ में भाग लेने हेतु पढ़ाई छोङी।
  • प्रेमचन्द ने जैनेंद्र को ’भारत का गोर्की’ कहा है।

उपन्यास –

परख (प्रथम उपन्यास) (विधवा विवाह की समस्या पर आधारित।) (1929 ई.), सुनीता (पति श्रीकांत) सहनायक – हरिप्रसन्न (1934 ई.), त्यागपत्र (नायिका मृणाल) (1934 ई.), कल्याणी (नायिका असरानी) (आत्मकथात्मक शैली में रचित) (1939 ई.), सुखदा (नायिका) ’धर्मयुग’ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित (1952 ई.), विवृत (नायिक जितेन) ’साप्ताहिक हिन्दूस्तान’ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित (1953 ई.), व्यतीत (नायक-जयन्त) (1953 ई.), जयवर्द्धन (नायक-जयवर्धन) अमेरिकन पत्रकार विलवर शेल्डन इस्टन की डायरी के रूप में रचित (1956 ई.), मुक्तिबोध (1965 ई.), नीलमणि (1968 ई.), अनन्तर (1968 ई.), तपोभूमि (1974 ई.), अनाम स्वामी (1974 ई.), दशार्क (अंतिम उपन्यास) (विवाह टूटने पर स्त्री का वेश्या जीवन जीना) (1985 ई.)।

सम्पादन –

साहित्य चयन (1951 ई.) (निबंध संग्रह)

विचार वल्लरी (1952 ई.) (निबंध संग्रह)

निबंध संग्रह –

प्रस्तुत प्रश्न (1936 ई.), जङ की बात (1945 ई.), पूर्वोदय (1951 ई.), साहित्य का श्रेय और प्रेय (1953 ई.), मंथन (1953 ई.), सोच विचार (1953 ई.), काम प्रेम और परिवार (1953 ई.), समय और हम (1962 ई.), राष्ट्र और राज्य (1962 ई.), सूक्ति संचयन (1962 ई.), इतस्तः (1962 ई.), परिप्रेक्ष्य (1964 ई.), विचार वल्लरी।

जीवनी –

अकाल पुरूष गाँधी (1968 ई.)।

सहलेखन –

तपोभूमि (उपन्यास) ऋषभचरण जैन के साथ।

अनुवाद –

मंदालिनी (मेंटरलिंक के नाटक का अनुवाद) (1935 ई.), प्रेम में भगवान (टाॅलस्टाय की कहानियों का अनुवाद) (1937 ई.), पाप और प्रकाश (टाॅलस्टाय के नाटक का अनुवाद) (1953 ई.)।

पुरस्कार –

साहित्य अकादमी पुरस्कार (मुक्तिबोध उपन्यास पर) (1966 ई.), पदमभूषण (1970 ई.), भारत -भारती सम्मान।

कहानी संग्रह –

खेल(प्रथम कहानी) विशाल भारत में प्रकाशित (1920 ई.), फाँसी (प्रथम कहानी संग्रह) – 3 कहानियाँ (1929 ई.), वातायन – 13 कहानियाँ (1930 ई.), नीलम देश की राजकन्या (1933 ई.), एक रात-19 कहानियाँ (1934 ई.) दो चिङिया – 8 कहानियाँ (1935 ई.), पाजेब (1942 ई.), जयसंधि (1949 ई.)।

  • जैनेन्द्र की कहानियाँ सात भाग ’ध्रुव यात्रा’ में संकलित है।
  • ⇒जैनेन्द्र की लगभग 200 कहानियाँ ’जैनेन्द्र की श्रेष्ठ कहानियाँ’ नाम से आठ भागों में प्रकाशित।

मनोवैज्ञानिक कहानियाँ –

खेल, पाजेब, तत्सत्, अपना-अपना भाग्य, नीलम देश की राजकन्या, एक कैदी, एक गौर, जान्हवी।

संस्मरण ग्रन्थ –

ये और वे, मेरे भटकाव, कश्मीर की वह यात्रा – (पठानकोट से श्री नगर की पद-यात्रा), गाँधी कुछ स्मृतियाँ, आलोचनात्मक कृतियाँ, कहानी अनुभव और शिल्प (1967 ई.), प्रेमचन्द एक कृति व्यक्तित्व (1967 ई.), काल पुरूष गाँधी।

  •  जैनेन्द्र के पात्र बाह्य वातावरण और परिस्थितियों से अप्रभावित लगते है और अपनी अन्तर्मुखी गतियों से संचालित है।
  • ⇒जैनेन्द्र ने अपनी प्रथम कहानी फोटो ग्राफी को माना है।
  • ⇒जैनेन्द्र अपने संघर्ष का वर्णन करते हुए लिखते है कि –
    ’’मैं दुनिया में आ पङा। पर दुनिया से मेरी किसी तरह की जान पहचान न थी। समन्दर की लहरों पर तिनका तैरता है, क्योंकि हल्का होता है। मुझमें में भी कहीं किसी तरह का वजन नहीं था और बरसों लहरों पर मैं इधर-उधर उतराया किया।’’
    (हिन्दी के निर्माता – कुमुद शर्मा)
  • जैनेन्द्र को ’नये व्यक्तिक अध्ययन का अग्रदूत’ भी कहा जाता है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • जैनेन्द्र को हिन्दी का शरत् भी कहा जाता है।
  • ⇒जैनेन्द्र को मनोवैज्ञानिक या मनोविश्लेषणात्मक कथाकार के रूप में ख्याति प्राप्त हुई।
  • जैनेन्द्र ने हिन्दी कहानी को परम्परागत शिल्प के स्थान पर नवीन शिल्प और शैली प्रदान की।
  •  डाॅ. प्रेमनारायण टण्डन लिखते है कि –
    ’’जैनेन्द्र के निबंधों में जहाँ एक और वैचारिक गहनता के गुण से पूरित है, वहाँ भाषा की अस्पष्टता और दुरूहता भी देखी जा सकती है।’’
  • सन् 1923 ई. में नागपुर में सम्पन्न ऐतिहासिक झंडा सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें तीन माह की सजा हुई। कारावास में ही इन्होंने अपना पहला लेख लिखा – ’देश जाग उठा था’।

महत्त्वपूर्ण लिंक :

सूक्ष्म शिक्षण विधि    🔷 पत्र लेखन      

  🔷प्रेमचंद कहानी सम्पूर्ण पीडीऍफ़    🔷प्रयोजना विधि 

🔷 सुमित्रानंदन जीवन परिचय    🔷मनोविज्ञान सिद्धांत

🔹रस के भेद  🔷हिंदी साहित्य पीडीऍफ़  

🔷शिक्षण कौशल  🔷लिंग (हिंदी व्याकरण)🔷 

🔹सूर्यकांत त्रिपाठी निराला  🔷कबीर जीवन परिचय  🔷हिंदी व्याकरण पीडीऍफ़    🔷 महादेवी वर्मा

  • साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 

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