• मुख्यपृष्ठ
  • पीडीऍफ़ नोट्स
  • साहित्य वीडियो
  • कहानियाँ
  • हिंदी व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • हिंदी कविता
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • हिंदी लेख
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • मुख्यपृष्ठ
  • पीडीऍफ़ नोट्स
  • साहित्य वीडियो
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

एक कहानी यह भी || आत्मकथा || मन्नू भंडारी || सारांश व प्रश्नोतर

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:26th Jul, 2020| Comments: 0

दोस्तो आज की पोस्ट में मन्नू भंडारी द्वारा  रचित आत्मकथा एक कहानी यह भी का सारांश व महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर भी दिए गए है , जो किसी भी परीक्षा के लिए उपयोगी साबित होंगे

एक कहानी यह भी (आत्मकथा)-मन्नू भंडारी 

Table of Contents

  • एक कहानी यह भी (आत्मकथा)-मन्नू भंडारी 
    • पाठ का सारांश
    • महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

पाठ का सारांश

आलोच्य आत्मकथा मन्नू भंडारी के बचपन और युवावस्था के जीवन के पारिवारिक व सामाजिक प्रसंगों का विवेचन है। उन्होंने इस आत्मकथा को कहानीमत न लिखकर प्रसंगवत लिखा। अजमेर का ब्रह्मपुरी मौहल्ला, सावित्री हाई स्कूल, घर में पिताजी का परिवेश, माँ की स्थिति, स्वतंत्रता आंदोलन आदि। लेखिका ने साधारण से असाधारण व्यक्तित्व के निर्माण में सहयोगी प्राध्यापक शीला अग्रवाल का व्यक्तित्व बखूबी प्रकट हुआ है।

लेखिका का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुर गाँव में हुआ। परंतु उसे जो घर याद हैं, वह है अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले का दुमंजिला मकान। इसकी ऊपरी मंजिल पर उसके पिताजी सदा पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं के ढेर से घिरे रहते थे। नीचे व्यक्तित्व-विहीन अनपढ़ माँ अपने बच्चों की इच्छा और पति की आज्ञा का पालन करने में जुटी रहती थी। पिताजी का समाज में नाम और सम्मान था। वे कांग्रेस और समाज-सुधार के कार्यों मे लगे रहते थे। खुशहाली के दिन थे। अतः दरियादिली से आठ-आठ, दस-दस विद्यार्थियों को घर पर रखकर पढ़ाते थे। वे बहुत कोमल व संवेदनशील किंतु क्रोधी और अहंकारी भी थे।


किसी आर्थिक झटके के कारण पिता इंदौर छोङकर, अजमेर आ गए। वहाँ उन्होंने अंग्रेजी-हिंदी कोश के अधूरे काम को पूरा किया। परंतु उनसे उन्हें यश ही मिला, पैसा नहीं मिला, अतः आर्थिक परेशानी बढ़ती गई। नवाबी आदतें, अधूरी इच्छाएँ और महत्त्वहीन होते जाने से उनका क्रोध बढ़ता गया। उनके ’अपनों’ द्वारा किए गए विश्वासघात ने उन्हें बहुत शक्कि बना दिया। कभी-कभी इसका दंड बच्चों को भी भुगतना पङता था।

बचपन में लेखिका मरियल, काली और दुबला थी। उससे दो साल बङी बहन खूब गोरी और स्वस्थ थी। प्रायः पिताजी बङी बहन की प्रशंसा किया करते थे। इससे उसके मन में हीनता-गंथ्रि बैठ गई। अतः आज भी जब उसे कोई सम्मान या उपलब्धि मिलती है तो उसे विश्वास नहीं होता। आज अगर लेखिका के विश्वास खंडित हो गए हैं, तो उसके पीछे भी पिताजी का शक्की स्वभाव झलकता है।

लेखिका की माँ बहुत ही धैर्यशाली थी। वे पति की हर ज्यादती और बच्चों की हर इच्छा को अपना भाग्य समझती थी। उन्होंने जिंदगी भर त्याग किया। इसलिए सब भाई-बहनों का लगाव उनकी तरफ था। परंतु वह त्याग लेखिका के लिए आदर्श न बन सका।

लेखिका पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। वे अपने से दो साल बङी बहन सुशीला के साथ बचपन के सारे खेल खेली। यों वह भाइयों के साथ गुल्ली डंडा, पतंग उङाना, माँजा सूतना आदि भी करती रही। परंतु लेखिका की सीमा होती थीं- अपना घर। उन दिनों घर का मतलब पूरा मोहल्ला होता था। कुछ घर तो परिवार के हिस्से ही माने जाते थे। लेखिका सोचती हैं- उन दिनों की तुलना में आज महानगरों के फ्लैटों का जीवन कितना संकुचित, असहाय और असुरक्षित है। लेखिका की सभी कहानियों के पात्र इसी मोहल्ले से हैं। यहाँ तक कि ’दा’ साहब भी मौका मिलते ही ’महाभोज’ नामक उपन्यास में प्रकट हो गए। तब लेखिका को अहसास हुआ कि बचपन की यादें कितनी गहरी छाप छोङ जाती है।

उस समय तक लेखिका के परिवार में लङकी के विवाह के लिए अनिवार्य योग्यता थी- उम्र में सौलह वर्ष और शिक्षा में मैट्रिक। सन् 1944 में लेखिका की बङी बहन बहन सुशीला का विवाह हो गया। दो बङे भाई भी पढ़ने के लिए बाहर चले गए। तब पिता ने उस पर ध्यान देना शुरू कर दिया। पिताजी को यह पसंद नही था कि उसे रसोई में कुशल बनाया जाए। वे रसोई को ’भटियारखाना’ कहते थे। उनके अनुसार, रसोई में रहने से प्रतिभा और क्षमता नष्ट हो जाती है। अतः वे उसे राजनीतिक बहसों में शामिल करते थे। उनके घर आए दिन राजनीतिक पार्टियांे के जमावङे होते थे। पिताजी चाहते थे कि वह देश में हो रहे आंदोलनों के बारे में जाने।

सन् 1945 में मन्नू भंडारी ने काॅलेज में प्रवेश लिया। वहाँ उनका संपर्क हिंदी की प्राध्यापिका श्रीमती शीला अग्रवाल से हुआ। उन्होेंने लेखिका केा बकायदा साहित्य की दुनिया में प्रवेश करवाया। शीला अग्रवाल ने उन्हें चुनी हुई किताबंे पढ़ने को दी। लेखिका ने शरत्-प्रेमचंद से आगे बढ़कर जैनंेद्र, अज्ञेय, यशपाल, भगवतीचरण वर्मा का पढ़ना शुरू किया। इन उपन्यासों पर बहसें होने लगीं। लेखिका को जैनेन्द्र के छोटे- छोटे सरल वाक्यों वाली शैली अच्छी लगी। वे ’सुनीता’ पढ़ गई। उन्हीं दिनों उन्हें अज्ञेय के ’शेखर- एक जीवनी ’ तथा ’नदी के द्वीप’ पढ़ने का अवसर मिला। वह युग मूल्योंके मंथन का युग था। शीला अग्रवाल ने साहित्य का दायरा ही नहीं बढ़ाया था बल्कि घर की चार दीवारी के बीच बैठकर देश की स्थितियांे को जानने-समझने का जो सिलसिला पिताजी ने शुरू किया था उन्होंने वहाँ से खींचकर उसे भी स्थितियों की सक्रिय भागीदारी में बदल दिया।

लेखिका ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सहभागिता निभाई। सब ओर प्रभात फेरियाँ, जलसे, जुलूस, हङतालें, भाषण आदि चल रहे थे। हर युवा इस माहौल में शामिल था। शीला अग्रवाल की जोशीली बातों ने रंगों में लावा भर दिया था। अतः लेखिका भी सङकों पर घूम-घूमकर नारे लगवातीं , हङतालें करवातीं। उन्होंने सारी वर्जनाएँ तोङ डालती। पिताजी से टक्कर लेने का सिलसिला शरू हा गया। स्थिति यह हुई कि ’’ एक बवंडर-शहर में मचा हुआ था और एक घर में।

एक बार पिताजी को काॅलेज की प्रिंसिलपल ने बुलावा आया। उन्होंने पूछा कि क्यों न लेखिका की गतिविधियों के कारण उस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। पिता आग-बबूला हो गए। गुस्से में भन्न्ााते हुए काॅलेज गए। वापस आए तो लेखिका डर के मारे पङोस मे छिपकर बैठ गई। सोचा, पिताजी का गुबार निकल जाए, तब घर जाया जाए। परंतु माँ ने आकर बताया कि पिताजी तो बङे खुश है। जाने पर पता चला कि पिताजी उस पर बहुत गर्व कर रहे थे। उन्हें पता चला था कि काॅलेज की सारी लङकियाँ उसी की मुट्ठी में है। पिं्रसिपल के लिए काॅले चलाना मुश्किल हो रहा है। पिताजी बङे गर्व से कहकर आए- ’’ यह आंदोलन तो पूरे देश की पुकार है। इसे कोई नहीं रोक सकता।’’ लेखिका आव्क थी। उन्हें न अपनी आँखों पर विश्वास हो रहा था, न अपने कानों पर। पर यह हकीकत थी।

उन दिनों आजाद हिंद फौज के मुकदमें के कारण देशभर में हङतालें चल रही थी। शाम के समय छात्रों ने समूह चैराहे पर अकट्ठा हुआ। खूब भाषणबाजी हुई। लेखिका ने भी जोशीला भाषाण दिया। पिताजी के एक दकियानूसी मित्र ने आकर पिता जी की अच्छी लू उतारी, ’तुम्हारी मन्नू की तो मत मारी गई है। आपकी आजादी के चलते कैसे- कैैसे लङको के बीच हुङदंग मचाती फिरती है। यह लङकियों को शोभा नही देता।’ बस यह सुनते ही पिताजी क्रोध से भनभना उठे।

उन्होंने लेखिका का घर से बाहर निकलना बंद करने की चेतावनी दे डाली। दरअसल पिताजी को अपनी प्रतिष्ठा का बहुत ख्याल था। परंतु उस दिन शहर के एक प्रतिष्ठित डाॅक्टर अंबालाल जी उनके पास आ बैठे।उन्होंने लेखिका को देखते ही प्रंशसा की। बोले- ’’ मैं तो चैपङ पर तुम्हारा भाषाण सुनकर ही भंडारी जी को बधाई देने चला आया। मुझे तुम पर गर्व है।’’ बेटी की प्रशंसा सुनकर पिता का क्रोध धीरे-धीरे गर्व में बदल गया।

वास्तव में लेखिका के पिताजी अंतर्विरोधों में जी रहे थे। वे विशिष्ट भी बनना चाहते थे और सामाजिक छवि के बारे में भी जागरूक थे। परंतु ये दोनों बातें एक-साथ कभी नहीं निभ पाई।

मई, 1947 में शीला अग्रवाल को लङकियों को भङकाने और अनुशासन बिगाङने के आरोप में काॅलेज से नोटिस दे दिया गया। जुलाई में थर्ड इयर की कक्षाएँ बंद करके लेखिका और उसकी दो साथिनों को भी निकाल दिया गया। परंतु लेखिका ने बाहर रहकर भी वह हुङदंग मचाया कि काॅलेज को अगस्त में थर्ड इयर खोलना पङा। तभी देश को इससे भी बङी खुशी मिल गई । भारत आजाद हो गया और लेखिका की सफलता उस चिरप्रतीक्षित सफलता में समाहित हो गई।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

1. ’एक कहानी यह भी’ आत्मकथा की लेखिका हैं-
(अ) कृष्णा सोबती (ब) मन्नू भंडारी®
(स) ममता कालिया (द) मेहरुन्न्ािसा परवेज

2. ’’एक ओर वे बेहद कोमल और संवेदनशील व्यक्ति थे तो दूसरी ओर बेहद क्रोधी और अहंवादी।’’ उक्त पंक्तियाँ मन्नू जी ने किसके लिए कहा-
(अ) अपने दादा जी (ब) अपने पति के लिए
(स) अपने पिताजी के लिए® (द) स्वयं के नाना के लिए

3. ’’नवाबी आदतें, अधूरी महत्त्वाकांक्षाएँ, हमेशा शीर्ष पर रहेने के बाद हाशिए पर सरकते चले जाने की यातना क्रोध बनकर हमेशा माँ को कँपाती-थरथराती रहती थी।’’ उक्त प्रवृत्तियाँ मन्नू भंडारी ने किस व्यक्तित्व के लिए कही-
(अ) अपने नाना के लिए (ब) अपने पिता के लिए ®
(स) अपने दादा के लिए (द) अपने भाई के लिए

4. मन्नू भंडारी के पिता शक्की हो गए थे क्योंकि-
(अ) अपनों के द्वारा विश्वासघात कर देने से ®
(ब) धोखा खा जाने से
(स) वृद्धावस्था आ जाने से
(द) कर्ज बढ़ जाने से

5. लेखिका किस हीन भावना से ग्रस्त थी-
(अ) कमजोर और काली होने से ®
(ब) पढ़ने में कमजोर होने से
(स) बेहद डरपोक होन से
(द) अत्यंत हीन होने से

6. लेखिका की तुलना उनके पिता किससे करते थे-
(अ) इनकी पत्नी से (ब) अपनी माँ से
(स) बहिन सुशीला से ® (द) बहिन शीला से

7. ’’धरती से कुछ ज्यादा ही धैर्य और सहनशक्ति थी शायद उनमें ।’’ उक्त कथन लेखिका किसके लिए कहती है-
(अ) अपनी माँ के लिए ® (ब) अपने पिता के लिए
(स) अपने भाई के लिए (द) अपने दादा के लिए

8. लेखिका भंडारी के साहित्य के पात्र, उन्होंने कहाँ से लिये है-
(अ) अपने परिवार से (ब) अपने इन्दौर वाले घर के पास से
(स) अपने अजमेर के मोहल्ले से ® (द) अपने ननिहाल से

9. लेखिका ने उनके परिवार के अनुसार विवाह की उम्र क्या तय की-
(अ) उम्र में सोलह और मैट्रिक पास ®
(ब) उम्र में अठारह और मैट्रिक पास
(स) उम्र में बीस और मैट्रिक पास
(द) उम्र में सत्रह और मैट्रिक पास

10. लेखिका के पिता रसोई को भटियारखाना क्यों कहते थे-
(अ) वहाँ की क्षमता को खोना था
(ब) वहाँ क्षमता और प्रतिभा दोनों को खोना था ®
(स) अपना विकास अवरुद्ध करना था
(द) केवल पाक शास्त्री बनना था

11. लेखिका ने अपनी स्कूली शिक्षा किस स्कूल से प्राप्त की ?
(अ) सावित्री हाई स्कूल ® (ब) मेयो काॅलेज
(स) सोफिया काॅलेज (द) आदर्श काॅलेज

12. लेखिका की सबसे प्रिय प्राध्यापिका कौन थी-
(अ) सुशीला चतुर्वेदी (ब) शीला अग्रवाल ®
(स) शंकुतला त्यागी (द) शोभना अग्रवाल

13. प्राध्यापिका शीला अग्रवाल ने सन् 1946-47 के स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए किसे प्रेरित किया-
(अ) उनके पिता को (ब) अपने विद्यार्थियों को
(स) मन्नू भंडारी को ® (द) अपने पुत्री को

14. ’मुझे न अपनी आँखांे पर विश्वास हो रहा था, न अपने कानों पर, पर यह हकीकत थी’- लेखिका ने ऐसा क्या सोचकर कहा-
(अ) पिताजी के स्वभाव के विपरीत स्वयं की प्रशंसा सुनकर
(ब) काॅलेज में स्वयं की शिकायत पर पिताजी द्वारा गर्व अनुभव करते पर ®
(स) यह जानकर कि पूरा काॅलेज तीन लङकियों के इशारे पर चलता हैं
(द) उक्त सभी

15. लेखिका के स्वतंत्रता संबंधी आंदोलनों पर दिए हुए भाषण की किसने तारीफ की –
(अ) स्वयं पिताजी ने (ब) उनके अंतरंग मित्र ने
(स) डाॅ. अंबालाल ने ® (द) डाॅ. सदाशिव पाठक ने

16. ’’कितनी तरह के अंतर्विरोधों के बीच जीते थे वे, एक ओर विशिष्ट बनने और बनाने की प्रबल लालसा तो दूसरी ओर अपनी सामाजिक छवि के प्रति भी उतनी सजगता।’’ उक्त कथन किसके सन्दर्भ में मन्नू भंडारी जी ने लिखें-
(अ) अपने पिता के लिए ® (ब) अपने प्राध्यापक के लिए
(स) अपने बङे भाई के लिए (द) अपने प्राचार्य के लिए

17. लेखिका ने काॅलेज के बाहर हुङदंग क्यों मचाया-
(अ) काॅलेज की व्यवस्थाओं के लिए
(ब) थर्ड ईयर खोलने के लिए ®
(स) स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए
(द) शीला अग्रवाल का नोटिस देने के विरोध में
18. सन् 1947 ई. में काॅलेज प्रशासन ने लङकियों का भङकाने और अनुशासन बिगाङने के आरोप मे किसे नोटिस दिया-
(अ) मन्नू भंडारी (ब) शीला अग्रवाल को ®
(स) सुशीला त्यागी को (द) शोभना अग्रवाल को
19. ’भग्नावशेषों का ढोते पिता’ का आशय है-
(अ) मेरे पिता जो खंडहरो में जी रहे थे।
(ब) मेरे पिता जो खंडहरों को ढो रहे थे।
(स) मेरे पिता जिनके गुण खंडहरों की तरह नष्ट हो चुके थे। ®
(द) मेरे पिता जो अब खंडहरों को हटाने की नौकरी कर रहे थे।
20. पिता के सकारात्मक गुण समाप्त क्यों होने लगी ?
(अ) विश्वासघात के कारण
(ब) गिरती आर्थिक दशा के कारण ®
(स) क्रोध के कारण,
(द) अहंकार पर चोट के कारण

21. लेखिका के विश्वास खंडित क्यों हो गए थे ?
(अ) विश्वासघात के कारण
(ब) शक्की स्वभाव होने के कारण
(स) संघर्षशीलता के कारण
(द) पिता के शक्की स्वभाव कारण ®
22. लेखिका के खेलकूद की सीमा ’घर’ थी। यहाँ घर से क्या आशय है-
(अ) अपना फ्लैट (ब) पङोसी का घर
(स) परिवार (द) आस-पङोस ®
23. लेखिका की आरंभिक कहानियों के पात्र कहाँ के हैं ?
(अ) उनके ऑफिस के (ब) बचपन के साथियों के
(स) महानगरों के (द) उनके मोहल्ले के ®
24. लेखिका को मोहल्ले के किसी भी घर मे जाने में कोई पाबंदी क्यों नही थीं ?
(अ) अच्छे व्यवहार के कारण
(ब) प्रेम के कारण
(स) मोहल्ले के आपसी सद्भाव के कारण ®
(द) पिता के रौबदाब के कारण
25. देश की स्थितियों को समझने-जानने की प्रेरणा लेखिका को किसने दी ?
(अ) उसकी अंतरात्मा ने (ब) उसके खुले विचारों ने
(स) शीला अग्रवाल ने ® (द) पिता ने

26. क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय होकर काम करने की प्रेरणा लेखिका को किसने दी ?
(अ) उसके पिता ने (ब) संगी-साथियों ने
(स) शीला अग्रवाल ने ® (द) गुरुजनों ने
27. डाॅक्टर कौन था ?
(अ) लेखिका का पारिवारिक मित्र ®(ब) एक प्रशंसक
(स) देशभक्त नागरिक (द) क्रांतिकारी
28. किस रास्ते को टकराहट का रास्ता बताया गया है ?
(अ) क्रांति औश्र शांति
(ब) सामाजिक सम्मान और विशिष्टता ®
(स) समझदारी और संघर्ष
(द) अहंकार और सम्मान
29. ’ एक कहानी और भी’ के लिए मन्नू भंडारी को कौनसा सम्मान मिला-
(अ) साहित्य अकादमी पुरस्कार (ब) शिखर सम्मान
(स) शलाका सम्मान (द) व्यास सम्मान ®

ये भी जरुर पढ़ें ⇓⇓⇓
मजदूरी और प्रेम 

net/jrf हिंदी नए सिलेबस के अनुसार मूल पीडीऍफ़ व् महत्वपूर्ण नोट्स 

रस का अर्थ व रस के भेद जानें 

साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 

Tweet
Share139
Pin
Share
139 Shares
केवल कृष्ण घोड़ेला

Published By: केवल कृष्ण घोड़ेला

आप सभी का हिंदी साहित्य की इस वेबसाइट पर स्वागत है l यहाँ पर आपको हिंदी से सम्बंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी l हम अपने विद्यार्थियों के पठन हेतु सतर्क है l और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है l धन्यवाद !

Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi

    रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi

  • Meera Bai in Hindi – मीराबाई का जीवन परिचय – Hindi Sahitya

    Meera Bai in Hindi – मीराबाई का जीवन परिचय – Hindi Sahitya

  • सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ || Surdas

    सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ || Surdas

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Hindi Sahitya PDF Notes

Search

Recent Posts

  • अनुप्रास अलंकार – अर्थ | परिभाषा | उदाहरण | हिंदी काव्यशास्त्र
  • रेवा तट – पृथ्वीराज रासो || महत्त्वपूर्ण व्याख्या सहित
  • Matiram Ka Jivan Parichay | मतिराम का जीवन परिचय – Hindi Sahitya
  • रीतिकाल कवि देव का जीवन परिचय – Biography Of Dev in Hindi
  • Meera Bai in Hindi – मीराबाई का जीवन परिचय – Hindi Sahitya
  • सूरदास का जीवन परिचय और रचनाएँ || Surdas
  • उजाले के मुसाहिब – कहानी || विजयदान देथा
  • परायी प्यास का सफर – कहानी || आलमशाह खान
  • हिन्दी उपन्यास – Hindi Upanyas – हिंदी साहित्य का गद्य
  • HPPSC LT GRADE HINDI SOLVED PAPER 2020

Join us

हिंदी साहित्य चैनल (telegram)
हिंदी साहित्य चैनल (telegram)

हिंदी साहित्य चैनल

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

Footer

Keval Krishan Ghorela

Keval Krishan Ghorela
आप सभी का हिंदी साहित्य की इस वेबसाइट पर स्वागत है. यहाँ पर आपको हिंदी से सम्बंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी. हम अपने विद्यार्थियों के पठन हेतु सतर्क है. और हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है. धन्यवाद !

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
Tulsidas ka jeevan parichay || तुलसीदास का जीवन परिचय || hindi sahitya
Ramdhari Singh Dinkar || रामधारी सिंह दिनकर || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

जीवन परिचय

  1. मैथिलीशरण गुप्त
  2. सुमित्रानंदन पन्त
  3. महादेवी वर्मा
  4. हरिवंशराय बच्चन
  5. कबीरदास
  6. तुलसीदास

Popular Pages

हिंदी साहित्य का इतिहास-Hindi Sahitya ka Itihas
Premchand Stories Hindi || प्रेमचंद की कहानियाँ || pdf || hindi sahitya
Hindi PDF Notes || hindi sahitya ka itihas pdf
रीतिकाल हिंदी साहित्य ट्रिक्स || Hindi sahitya
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us