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मैथिली कवि विद्यापति का संक्षिप्त परिचय – Vidyapati Biography In Hindi

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:5th Aug, 2022| Comments: 7

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मैथिली कवि विद्यापति (Vidyapati), 1360-1448 ई. मिथिला के राजा कीर्तिसिंह और शिवसिंह के दरबारी कवि थे, वे संस्कृत, अपभ्रंश और मैथिली भाषा के विद्वान् थे।

विद्यापति का संक्षिप्त परिचय – Introduction of Vidyapati

Table of Contents

  • विद्यापति का संक्षिप्त परिचय – Introduction of Vidyapati
    • विद्यापति के बारे में –
    • विद्यापति के बारे में प्रमुख कथन –
      • विद्यापति की प्रमुख पंक्तियाँ –
      • पदावली से –
      • विद्यापति के बारे में यह भी जानें 
    • प्रमुख रचनाएं (Vidyapati Parichay)
    • पदावली
    • मैथिली कवि विद्यापति (Vidyapati in Hindi)
  • विद्यापति का जन्म –1360-1448 ई.(अनुमानित)
  • जन्म स्थल – ग्राम विसपी, दरभंगा (बिहार)
  • पिता – गणपति
  • गुरु – पण्डित हरि मिश्र
  • आश्रयदाता – तिरहुत के राजा गणेश्वर, कीर्तिसिंह एवं शिवसिंह
  • उपाधियाँ – स्वयं को ’खेलन कवि’ कहा। अन्य – मैथिली कोकिल, अभिनव जयदेव, नवकवि शेखर कवि कष्ठहार, दशावधान, पंचानन।
  • संस्कृत में इनकी रचनाएँ – शैव सर्वस्वसार, गंगावाक्यावली, दुर्गाभक्तितरंगिणी, भूपरिक्रमा, दानवाक्यावली, पुरुष परीक्षा, लिखनावली, विभागसार, गयपत्तलक वर्णकृत्य है।
  • अवहट्ठ में इनकी रचनाएँ – कीर्तिलता (1403 ई.), कीर्तिपताका (1403 ई., अप्राप्य)
  • मैथिली में इनकी रचनाएँ – पदावली

’’गोरक्ष विजय नाटक’’ एक अंक का नाटक जिसमें संवाद संस्कृत व प्राकृत में तथा गीत मैथिली भाषा में है।

विद्यापति को अलग-अलग विद्वानों ने शृंगारी , भक्त या रहस्यवादी कवि माना है – विद्यापति मूलतः शृंगारी कवि है।

  • शृंगारी – रामचंद्र शुक्ल, हरप्रसाद शास्त्री, रामकुमार वर्मा, रामवृक्षबेनीपुरी, सुभद्रा झा
  • भक्त – बाबू ब्रजनंदन सहाय, श्यामसुंदर दास, हजारी प्रसाद द्विवेदी
  • रहस्यवादी – ग्रियर्सन, जनार्दन मिश्र, नागेन्द्रनाथ गुप्त
Vidyapati
Vidyapati

विद्यापति के बारे में –

  • मैथिली कवि विद्यापति ने हिन्दी साहित्य में सर्वप्रथम ’कृष्ण’ को काव्य का विषय बनाया।
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इन्हें ’शृंगार रस के सिद्ध वाक् कवि’ माना।
  • कीर्तिलता राजा कीर्तिसिंह का प्रशस्ति काव्य है जिसे हजारी प्रसाद द्विवेदी ने ’भृंग भृंगीसंवाद’ कहा है।
  • बच्चन सिंह ने विद्यापति को ’जातीय कवि’ की संज्ञा दी।
  • निराला ने पदावली के शृंगारिक पदों की मादकता को ’नागिन की लहर’ कहा।
  • भगवान शिव की भक्ति में रचे गये वे पद जो नृत्य के साथ गाये जाते हैं, नचारी कहलाते हैं।

विद्यापति के बारे में प्रमुख कथन –

🔸 आचार्य रामचंद्र शुक्ल – ’’आध्यात्मिक रंग के चश्में आजकल बहुत सस्ते हो गये हैं, उन्हें चढ़ाकर जैसे कुछ लोगों ने ’गीत गोविन्द’ को आध्यात्मिक संकेत बताया है वैसे ही विद्यापति के इन पदों को भी।’’

🔹 आचार्य रामचंद्र शुक्ल – ’’जयदेव की दिव्य वाणी की स्निग्ध धारा जो कि काल की कठोरता में दब गयी थी, अवकाश पाते ही मिथिला की अमराइयों में प्रकट होकर विद्यापति के कोकिल कंठ से फूट पङी।’’

🔸 शान्तिस्वरूप गुप्त – ’’विद्यापति पदावली ने साहित्य के प्रांगण में जिस अभिनव बसंत की स्थापना की है, उसके सुख-सौरभ से आज भी पाठक मुग्ध है क्योंकि उनके गीतों में जो संगीत धारा प्रवाहित होती है वह अपनी लय सुर ताल से पाठक या श्रोता को गद्गद् कर देती है।’’

🔹 श्याम सुंदर दास – ’’हिन्दी में वैष्णव साहित्य के प्रथम कवि प्रसिद्ध मैथिली कोकिल विद्यापति हुए। उनकी रचनाएँ राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम से ओत-प्रोत हैं।’’

🔸 रामकुमार वर्मा – ’’राधा का प्रेम भौतिक और वासनामय प्रेम है। आनंद ही उसका उद्देश्य है और सौन्दर्य ही उसका कार्य कलाप।’’

विद्यापति की प्रमुख पंक्तियाँ –

  • ’’देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैं सन जंपओ अवहट्ठा।।’’ – (कीर्तिलता)
  • जय जय भैरवि असुर भयाउनि, पसुपति भामिनि माया।
  • नंदक नंदन कदम्बक तरु तर, धिरे-धिरे मुरलि बजाव।
  • सहज सुन्दर गौर कलेवर पीन पयोधर सिरी।
  • खने-खने नयन कोन अनुसरई। खने-खने बसन धूलि तनु भरई।
  • पीन पयोधर इबरि गता। मेरु उपजल कनकलता।
  • जहाँ जहाँ पद जुग धरई। तहिं तहिं सरोरुह झरई।
  • नव बृंदावन नव नव तकगन, नव नव विकसित फूल।
  • सरस वसंत समय भल पाओलि, दखिन पवन बहु धीरे।
  • सखि हे, कि पूछसि अनुभव मोय।
    सोइ पिरिति अनुराग बखानिअ, तिल-तिल नूतन होय।
  • सैसव जोवन दुहु मिलि गेल।
  • ’’रज्ज लुद्ध असलान बुद्धि बिक्कम बले हारल।
    पास बइसि बिसवासि राय गयनेसर मारल।।’’
    ’’मारत राय रणरोल पडु, मेइनि हा हा सद्द हुअ।
    सुरराय नयर नरअर-रमणि बाम नयन पप्फुरिअ धुअ।।’’
  • ’’कतहुँ तुरुक बरकर। बार जाए ते बेगार धर।।
    धरि आनय बाभन बरुआ। मथा चढ़ाव इ गाय का चरुआ।।
    हिन्दू बोले दूरहि निकार। छोटउ तुरुका भभकी मार।।’’
  • ’’जइ सुरसा होसइ मम भाषा। जो जो बुन्झिहिसो करिहि पसंसा।।’’
  • ’’जाति अजाति विवाह अधम उत्तम का पारक।’’
  • ’’पुरुष कहाणी हौं कहौं जसु पंत्थावै पुन्नु।’’
  • ’’बालचंद विज्जावहू भाषा। दुहु नहि लग्गइ दुज्जन हासा।।’’

पदावली से –

  1. ’’खने खने नयन कोन अनुसरई। खने खने वसत धूलि तनु भरई।।’’
  2. ’’सुधामुख के विहि निरमल बाला
    अपरूप रूप मनोभव-मंगल, त्रिभुवन विजयी माला।।’’
  3.  ’’सरस बसंत समय भला पावलि दछिन पवन वह धीरे,
    सपनहु रूप बचन इक भाषिय मुख से दूरि करु चीरे।।’’

विद्यापति की ’पदावली’ अत्यंत प्रसिद्ध है। यह भक्तिपरक रचना है या शृंगारपरक, इसे लेकर विद्वान विभिन्न वर्गों में विभक्त हैं।

विद्यापति के बारे में यह भी जानें 

  • ’पदावली’ में प्रार्थना और नचारी के अंतर्गत पदों में दुर्गा, गंगा, जानकी, शिव, कृष्ण के आराधना-गीत हैं अतः बहुत से विद्वानों ने इन्हें भक्त कवि माना।
  • मिथिला में इन्हें कोई वैष्णव भक्त कवि नहीं मानता, जबकि बंगाल में मानते हैं।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार – ’’विद्यापति के पद अधिकतर शृंगार के ही हैं जिनमें नायिका और नायक राधा-कृष्ण हैं। विद्यापति को कृष्ण भक्तों की परंपरा में नहीं समझना चाहिये।’’
  • इनका संबंध शैव संप्रदाय से था। हिंदी में इन्हें कृष्णगीति परंपरा का प्रवर्तक माना जाता है जबकि हरप्रसाद शास्त्री ने इन्हें ’पंचदेवोपासक’ माना।
  • बच्चन सिंह ने इन्हें ’जातीय कवि’ कहा है।
  • निराला ने पदावली के पदों को ’नागिन की लहर’ कहा है।
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी ने ’शृंगार रस के सिद्ध वाक् कवि’ कहा है।
विद्यापति के संदर्भ में विद्वानों के मत
शृंगारीभक्तरहस्यवादी
हरप्रसाद शास्त्रीबाबू ब्रजनंदन सहायजाॅर्ज ग्रियर्सन
रामचंद्र शुक्लश्यामसुंदर दासनगेंद्रनाथ गुप्त
सुभद्रा झाहजारीप्रसाद द्विवेदीजनार्दन मिश्र
रामकुमार वर्मा
रामवृक्ष बेनीपुरी

उनकी रचनाओं में ’कीर्तिलता’, ’कीर्तिपताका’ और ’पदावली’ उल्लेखनीय हैं, इनमें प्रथम दो रचनाएं अपभ्रंश/अवहट्ठ में हैं तथा ’पदावली’ देश भाषा में, डाॅ. बच्चन सिंह ने ’पदावली’ को देशभाषा में प्रथम रचना मानते हुए विद्यापति को हिन्दी का पहला कवि माना है,

Vidyapati

⇒ भाषा की दृष्टि से मैथिली कवि विद्यापति द्वारा रचित ग्रन्थ निम्न हैं –

प्रमुख रचनाएं (Vidyapati Parichay)

संस्कृतअवहट्टमैथिली
शैव सर्वस्व सारकीर्तिलतापदावली
गंगा वाक्यावलीकीर्ति पताका  ’कीर्तिलता’ में कीर्ति सिंह और ’कीर्ति पताका’ मेें  शिव सिंह की वीरता और उदारता का चित्रण है।गोरक्ष विजय (नाटक) गोरक्ष विजय का गद्य भाग संस्कृत में है तथा पद्य भाग मैथिल में है।
दुर्गाभक्त तरंगिणी
भू परिक्रमा
दान-वाक्यावली
पुरुष परीक्षा
विभाग सार
लिखनावली
गया पत्तलक-वर्ण कृत्य

⇒ मैथिली कवि विद्यापति तिरहुत के राजा शिवसिंह और कीर्ति सिंह के राजदरबारी कवि थे।

पदावली

विद्यापति शैव थे, ’पदावली’ में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है जिनके आधार पर श्यामसुन्दर दास ने उन्हें परम वैष्णव कृष्ण भक्त कवि माना है, किन्तु पदावली में राधा-कृष्ण की भक्तिभाव की अपेक्षा उनके मांसल, मादक तथा मुक्त श्रंगार के प्रसंग अधिक हैं

जिनकी मादकता को कवि निराला ने ’नागिन की लहर’ कहा है, रामचन्द्र शुक्ल विद्यापति को कृष्ण भक्ति परम्परा में नहीं मानते, वे व्यंग्यपूर्वक कहते हैं –
’’ आध्यात्मिक रंग के चश्मे आजकल बहुत सस्ते हो गए हैं, उन्हें चढ़ाकर जैसे कुछ लोगों ने ’गीत गोबिन्द’ को आध्यात्मिक संकेत बताया है वैसे ही विद्यापति के इन पदों को भी’’,
डाॅ. बच्चन सिंह के शब्दों में-विद्यापति की कविता का स्थापत्य श्रंगारिक हैं, उसे आध्यात्मिक कहना खजुराहो के मन्दिर को आध्यात्मिक कहना है, उनके श्रंगार में यौवनोन्माद का शारीरिक आमंत्रण है, सम्भोग का सुख है, विलास की विहव्लता, वियोग में स्मृतियों का संबल और भावुकतापूर्ण तन्मयता है,’’

देशभाषा मैथिली में रचित ’पदावली’ (vidyapati ki padavali) अपनी भाषागत मिठास के कारण मिथिला प्रदेश के साथ ही बंगाल में भी लोकप्रिय रही है, इतना ही नहीं राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं का वर्णन करने वाले कृष्ण भक्त कवियों पर ’पदावली’ का प्रभाव पङा है।

मैथिली कवि विद्यापति (Vidyapati in Hindi)

निम्न प्रश्नों का उत्तर कमेंट बॉक्स में जरुर देवें ⇓⇓

  1. विद्यापति के गुरु कौन थे ?
  2. ⇒विद्यापति किस प्रकार के कवि माने जाते हैं ?
  3. विद्यापति का मृत्यु कब हुई ?
  4. ⇒विद्यापति किस काल के कवि माने जाते है ?
  5. विद्यापति कहाँ के रहने वाले थे ?
  6. ⇒विद्यापति पदावली की भाषा क्या है (vidyapati padavali ki bhasha kya hai) ?
  7. विद्यापति का जन्म और मृत्यु बताएं
  8. ⇒विद्यापति की काव्य भाषा क्या है (vidyapati ki kavya bhasha kya hai)?
  9. विद्यापति की रचनाएँ का नाम लिखें
  10. ⇒विद्यापति के पिता का नाम क्या था ?

ये भी अच्छे से जानें ⇓⇓

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Comments

  1. Kamal Hussain nilgar says

    20/08/2018 at 10:19 PM

    नमस्ते सर जी
    क्या हिन्दी 1ग्रेड के मेटर की पी डी एफ उपलब्ध हो सकती है
    Mo.9784455072

    Reply
  2. rakesh arya says

    25/09/2019 at 6:03 PM

    आपको इस सहयोग के लिए आभार

    Reply
  3. Nirmala Bhatt says

    07/03/2021 at 10:12 PM

    प्रणाम गुरुवर इस तरह हिन्दी भाषा प्रेमियों का मार्गदर्शन करने के लिए और हिन्दी भाषा के प्रति आपके इस सराहनीय प्रयास एव योगदान के लिए तह दिल से कोटि कोटि धन्यवाद और आभार

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      08/03/2021 at 9:13 AM

      आभार

      Reply
  4. TORAN SINGH says

    17/03/2021 at 4:42 AM

    श्रीमान ,
    आपके द्वारा किया गया कार्य अनुपम अद्वितीय है, तहे दिल से कोटि कोटि साभार।

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      17/03/2021 at 2:13 PM

      जी धन्यवाद

      Reply
  5. Pooja says

    06/04/2021 at 10:46 PM

    M a Hindi third semester ke liye objective questions answers pdf chahiy.

    Reply

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