बादल को घिरते देखा है || नागार्जुन || व्याख्या प्रश्नोत्तर सहित
बादल को घिरते देखा है बादल को घिरते देखा है(badal ko ghirte dekha hai) – [नागार्जुन] यह कविता नागार्जुन के कविता संग्रह ’युगधारा’ से संकलित है। इसमें कवि ने बादल व प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया है। ’बादल को घिरते देखा है ’कविता में बादल की प्रकृति के बारे में कवि का अपना …
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