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व्यक्तित्व और परिभाषा सिद्धान्त

Author: KK Sir | On:4th May, 2022| Comments: 0

व्यक्तित्व और परिभाषा सिद्धान्त  (Personality and definition principles)

Table of Contents

  • व्यक्तित्व और परिभाषा सिद्धान्त  (Personality and definition principles)
  • व्यक्तित्व अर्थ (Meaning of personality)
    • व्यक्तित्व की परिभाषाएँ (Definition of personality)
    • व्यक्तित्व मापन के सिद्धांत (Principles of Personality Measurement)
        • TRICK-“विकट में जागो आम व्यक्ति हमें माँगना है मन से और शरीर से” Note : शब्दो  का विग्रह/विच्छेद करने पर पहला शब्द व्यक्तित्व मापन के सिद्धान्त का नाम तथा दूसरा शब्द उस सिद्धान्त के प्रतिपादक/प्रवर्तक/मनोवैज्ञानिक का नाम है।

दोस्तों आज हम आज की पोस्ट में व्यक्तितव और परिभाषा सिद्धांत के बारे में जानेंगे

व्यक्तित्व अर्थ (Meaning of personality)

‘व्यक्तित्व’ अंग्रेजी के पर्सनेल्टी (Personality) का पर्याय है। पर्सनेल्टी शब्द की उत्पत्ति
यूनानी भाषा के ‘पर्सोना’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है ‘मुखोटा (Mask)’ ।उस समय व्यक्तित्व का तात्पर्य बाह्य गुणों से लगाया जाता था। यह धारणा व्यक्तित्व के पूर्ण अर्थ की व्याख्या नही करती। व्यक्तित्व की कुछ आधुनिक परिभाषाएँ दृष्टव्य है :

व्यक्तित्व की परिभाषाएँ (Definition of personality)

1. गिलफोर्ड : व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है।
2. वुडवर्थ : व्यक्तित के व्यवहार की एक समग्र विशेषता ही व्यक्तित्व है।
3. मार्टन : व्यक्तित्व व्यक्ति के जन्मजात तथा अर्जित स्वभाव, मूल प्रवृत्तियों, भावनाओं तथा इच्छाओं आदि का समुदाय है।
4. बिग एवं हंट : व्यक्तित्व व्यवहार प्रवृत्तियों का एक समग्र रूप है, जो व्यक्तित के सामाजिक समायोजन में अभिव्यक्त होता है।5. ऑलपोर्ट (Imp) : व्यक्तित्व का सम्बन्ध मनुष्य की उन शारीरिक तथा आन्तरिक वृत्तियों से है, जिनके आधार पर व्यक्ति अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करता है।

इस प्रकार हम निष्कर्ष रूप में कह सकते है, कि व्यक्तित्व एक व्यक्ति के समस्त मानसिक एवं शारीरिक गुणों का ऐसा गतिशील संगठन है, जो वातावरण के साथ उस व्यक्ति का समायोजन निर्धारित करता है।

 

व्यक्तित्व मापन के सिद्धांत (Principles of Personality Measurement)

TRICK-“विकट में जागो आम व्यक्ति हमें माँगना है मन से और शरीर से”
Note : शब्दो  का विग्रह/विच्छेद करने पर पहला शब्द व्यक्तित्व मापन के सिद्धान्त का नाम तथा दूसरा शब्द उस सिद्धान्त के प्रतिपादक/प्रवर्तक/मनोवैज्ञानिक का नाम है।

ट्रिक का विस्तृत्व रुप :
1. वि+कट = विशेषक सिद्धान्त-कैटल
में-silent
2. जा+गो = जिव सिद्धांत-गोल्डस्टीन
3. आ+म = आत्मज्ञान का सिद्धान्त-मास्लो
4. व्यक्ति = व्यक्ति अर्थात यह ट्रिक्स “व्यक्तित्व मापन  के सिद्धान्त” की है।

5. ह+में = हार्मिक सिद्धान्त-मैक्डूगल
6. माँगना+है = माँग सिद्धान्त-हेनरी मुरे
7. मन+से = मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त-सिंगमंड फ्रायड
और-silent
8. शरीर+से = शरीर रचना सिद्धान्त-शैल्डन

व्यक्तित्व की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व के सम्बन्ध में अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।व्यक्तित्व के प्रमुख सिद्धान्त इस प्रकार है-
1. मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त (Psychoanalytic theory)

इस सिद्धान्त का प्रतिपादन फ्रायड(Freud) ने किया था। उनके अनुसार व्यक्तित्व के तीन अंग है-
(i). इदम् (Id)
(ii). अहम् (Ego)
(iii). परम अहम् (Super Ego)
ये तीनो घटक सुसंगठित कार्य करते है, तो व्यक्ति ‘समायोजित’ कहा जाता है। इनसे संघर्ष की स्थिति होने पर व्यक्ति असमायोजित हो जाता

(i). इदम् (Id) : यह जन्मजात प्रकृति है। इसमें वासनाएँ और दमित इच्छाएँ होती है। यह तत्काल सुख व संतुष्टि पाना चाहता है। यह पूर्णतः अचेतन में कार्य करता है। यह ‘पाश्विकता का प्रतीक’ है।
(ii). अहम् (Ego) : यह सामाजिक मान्यताओं व परम्पराओं के अनुरूप कार्य करने की प्रेरणा देता है। यह संस्कार, आदर्श, त्याग और बलिदान के लिए तैयार करता है। यह ‘देवत्व का प्रतीक’ है।
(iii). परम अहम् (Super Ego) : यह इदम् और परम अहम् के बीच संघर्ष में मध्यस्थता करते हुए इन्हे जीवन की वास्तविकता से जोड़ता है अहम् मानवता का प्रतीक है, जिसका सम्बन्ध वास्तविक जगत से है। जिसमे अहम् दृढ़ व क्रियाशील होता है, वह व्यक्ति समायोजन में सफल रहता है। इस प्रकार व्यक्तित्व इन तीनों घटकों के मध्य ‘समायोजन का परिणाम’ है।

2. शरीर रचना सिद्धान्त (Body composition theory) इस सिद्धान्त के प्रवर्तक शैल्डन थे। इन्होंने शारीरिक गठन व शरीर रचना के आधार पर व्यक्तित्व की व्याख्या करने का प्रयास किया। यह शरीर रचना व व्यक्तित्व के गुणों के बीच घनिष्ठ संबंध मानते हैं। इन्होंने शारीरिक गठन के आधार पर व्यक्तियों को तीन भागों- गोलाकृति, आयताकृति, और लंबाकृति में विभक्त किया।गोलाकृति वाले प्रायः भोजन प्रिय, आराम पसंद, शौकीन मिजाज, परंपरावादी, सहनशील, सामाजिक तथा हँसमुख प्रकृति के होते हैं। आयताकृति वाले प्रायः रोमांचप्रिय, प्रभुत्ववादी, जोशीले, उद्देश्य केंद्रित तथा क्रोधी प्रकृति के होते हैं। लम्बाकृति वाले प्रायः गुमसुम, एकांतप्रिय अल्पनिद्रा वाले, एकाकी, जल्दी थक जाने वाले तथा निष्ठुर प्रकृति के होते हैं।

3. विशेषक सिद्धान्त : इस सिद्धान्त का प्रतिपादन कैटल ने किया था। उसने कारक विश्लेषण नाम की सांख्यिकीय प्रविधि का उपयोग करके व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करने वाले कुछ सामान्य गुण खोजे, जिन्हें ‘व्यक्तित्व विशेषक’ नाम दिया। इसके कुछ कारक है- धनात्मक चरित्र, संवेगात्मक स्थिरता, सामाजिकता, बृद्धि आदि।कैटल के अनुसार व्यक्तित्व वह विशेषता है, जिसके आधार पर विशेष परिस्थिति में व्यक्तित के व्यवहार का अनुमान लगाया जाता है। व्यक्तित्व विशेषक मानसिक रचनाएँ है। इन्हे व्यक्ति के व्यवहार प्रक्रिया की निरंतरता व नियमितता के द्वारा जाना जा सकता है।

4. माँग सिद्धान्त : इस सिद्धांत के प्रतिपादक हेनरी मुझे मानते हैं कि मानव एक प्रेरित जीव है जो अपने अंतर्निहित आवश्यकताओं तथा दबावों के कारण जीवन में उत्पन्न तनाव को कम करने का निरंतर प्रयास करता रहता है। वातावरण व्यक्ति के अंदर कुछ माँगो को उत्पन्न करता है। यह माँगे ही व्यक्ति के द्वारा किए जाने वाले व्यवहार को निर्धारित करती है।

व्यक्तित्व और परिभाषा सिद्धान्त

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