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बिम्ब विधान ||हिंदी साहित्य || काव्यशास्त्र || hindi shaitya me bimb

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:13th Aug, 2020| Comments: 2

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दोस्तों आज की पोस्ट में हिंदी साहित्य में काव्यशास्त्र के महत्वपूर्ण विषय बिम्ब विधान (bimb) के बारे में  अच्छी तरह से समझाया गया है ,हमें आशा है कि आप इसे अच्छे से समझेंगे |

बिम्ब क्या होते है ?

बिम्ब विधान(bimb vidhan)

Table of Contents

  • बिम्ब विधान(bimb vidhan)
    • बिम्ब के तीन मूलभूत तत्व  हैं –
    • बिम्बों के भेद (bimb ke bhed)
    • बिम्ब विधान के उदाहरण (bimb ke udaharan)
      • प्रतीक एवं बिम्ब में क्या अंतर है ?

⇒ काव्य में कार्य के मूर्तीकरण के लिए सटीक बिम्ब योजना होती है।

⇔ ’बिम्ब’ शब्द अंग्रेजी के ’इमेज’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। जिसका अर्थ है -मूर्त रूप प्रदान करना।

⇒ काव्य में बिम्ब को वह शब्द चित्र माना जाता है जो कल्पना द्वारा ऐन्द्रिय अनुभवों के आधार पर निर्मित होता है।

⇔ बिम्ब पदार्थ नहीं है, वरन् उसकी प्रतिकृति या प्रतिच्छवि है। सृष्टि नहीं पुनस्सृष्टि है।

⇒ सी.डी. लेविस – ’काव्य बिम्ब एक ऐसा भावात्मक चित्र है जो रूपक आदि का आधार ग्रहण कर भावनाओं को तीव्र करता हुआ काव्यानुभूति को सादृश्य तक पहुँचाने में समर्थ है।’

⇒ डाॅ. नगेन्द्र – ’काव्य बिम्ब शब्दार्थ के माध्यम से कल्पना द्वारा निर्मित एक ऐसी मानस छवि है जिसके मूल में भाव की प्रेरणा रहती है।’

Read this:  प्रतीक क्या होते है ?

बिम्ब के तीन मूलभूत तत्व  हैं –

  • कल्पना
  • भाव
  • ऐन्द्रिकता

⇒ बिम्ब में भावनाओं को उत्तेजित करने की शक्ति एवं सामर्थ्य होता है, नवीनता एवं ताजगी होती है।

बिम्ब विधान में औचित्य अर्थात् प्रसंग के प्रति अनुकूलता एवं सार्थकता होनी चाहिए तथा बिम्ब स्पष्ट या सजीव होना चाहिए

ताकि प्रमाता(पाठक) तुरन्त ऐन्द्रिक साक्षात्कार कर सके।

⇒ डाॅ. केदारनाथ सिंह – ’बिम्ब यथार्थ का एक सार्थक टुकङा होता है। वह अपनी ध्वनियों और संकेतों से भाषा को अधिक संवेदनशील

और पारदर्शी बनाता है। वह अभिधा की अपेक्षा लक्षणा और व्यंजना पर आधारित होता है।’

Read this: मिथक क्या होता है ?

 

बिम्बों के भेद (bimb ke bhed)

1. ऐन्द्रिय बिम्ब –

  • चाक्षुष बिम्ब
  • श्रव्य या नादात्मक बिम्ब
  • स्पर्श्य बिम्ब
  • घ्रातव्य बिम्ब
  • आस्वाद्य बिम्ब

2. काल्पनिक बिम्ब –

  • स्मृति बिम्ब
  • कल्पित बिम्ब

3. प्रेरक अनुभूति के आधार पर –

  • सरल बिम्ब
  • मिश्रित बिम्ब
  • तात्कालिक बिम्ब
  • संकुल बिम्ब
  • भावातीत बिम्ब
  • विकीर्ण बिम्ब

⇒ डाॅ. देवीशरण रस्तोगी – ’बिम्ब प्रायः अलंकारों की सहायता लेते और इसी प्रकार अलंकार अन्ततः बिम्ब को ही लक्ष्य करते हैं।’

bimb vidhan
Bimb vidhan

बिम्ब विधान के उदाहरण (bimb ke udaharan)

⇒ प्रातः का नभ था, नीला शंख जैसे (चाक्षुष बिम्ब)

⇒ खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से (श्रव्य बिम्ब)

⇒ जैसे बहन ’दा’ कहती है
ऐसे किसी बँगले के
किसी तरु (अशोक) पर कोई चिङिया कुऊकी
चलता सङक के किनारे लाल बजरी पर
चुरमुराए पाँव तले
ऊँचे तरुवर से गिरे
बङे-बङे पियराए पत्ते

प्रतीक एवं बिम्ब में क्या अंतर है ?

⇒ प्रतीक किसी सूक्ष्म भाव या अगोचर तत्त्व को साकार करने के लिए प्रयुक्त होता है, जबकि बिम्ब किसी पदार्थ की प्रतिकृति या प्रतिच्छवि के लिए प्रयुक्त होता है।

⇔ प्रतीक से तुरन्त मन में कोई भावना जाग्रत होती है किन्तु बिम्ब से मस्तिष्क में किसी सादृश्य का चित्र उभरता है।

⇒ व्यक्तित्व उपमान जब रूढ़ हो जाते हैं तो वे प्रतीक बन जाते हैं जबकि बिम्ब में नवीनता व ताजगी होती है।

⇔ प्रतीक कल्पना द्वारा किसी भावना को जाग्रत करते हैं, जबकि सटीक बिम्ब विधान से प्रमाता को तुरन्त ऐन्द्रिक साक्षात्कार होता है।

⇒ प्रतीक में किसी भावना को साकार होने की कल्पना की जाती है जबकि बिम्ब में कार्य का मूर्तिकरण होता है।

⇔ प्रतीक में भावना को उत्पन्न या जाग्रत करने की शक्ति होती है जबकि बिम्ब विधान में भावनाओं की उत्तेजित करने की शक्ति होती है।

⇒ प्रतीक पर युग, देश, संस्कृति, मान्यताओं की छाप रहती है।

ये भी अच्छे से जानें ⇓⇓

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Comments

  1. Santosh Singh says

    07/06/2019 at 8:55 PM

    I want to see ur Chanel on u tube.may it possible? Then how?

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      07/06/2019 at 9:19 PM

      यूट्यूब पर जाकर हिंदी साहित्य चैनल सर्च करें

      Reply

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