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जामुन का पेङ – कहानी सारांश -महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर -कृष्ण चन्दर

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:13th May, 2022| Comments: 5

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आज के आर्टिकल में कृष्ण चन्दर की कहानी जामुन का पेङ(Jamun ka ped) का सारांश व परीक्षोपयोगी  प्रश्नोत्तर भी दिए गए है ,इसे अच्छे से पढ़ें ।

जामुन का पेङ  (कृष्ण चन्दर)

Table of Contents

  • जामुन का पेङ  (कृष्ण चन्दर)
    • जामुन का पेङ
    • जामुन का पेङ
    • जामुन का पेङ
    • महत्त्वपूर्ण प्रश्न (जामुन का पेङ)-
    • प्र.2 दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पङा?
    • जामुन का पेङ
    • प्र. 4 इस पाठ में सरकार ने किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?
    • जामुन का पेङ
    • प्र. 8 सरकारी कार्यालयों की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी कीजिए।
    • जामुन का पेङ
    • जामुन का पेङ
    • प्र. 14 ’जामुन का पेङ’ हास्य-व्यंग्य कथा में लेखक ने कवियों पर क्या व्यंग्य किया है?

’जामुन का पेङ’ कहानीकार कृष्ण चन्दर की एक प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। इस कहानी में हँसते-हँसते ही हमारे भीतर इस बात की समझ जाग्रत होती है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यपद  है। बात यहीं तक विराम नहीं लेती, इस व्यवस्था के संवेदन-शून्य एवं अमानवीय होने का पक्ष भी हमारे सामने आता है।

कहानी का प्रारम्भ जामुन के पेङ के गिरने से होता है। यह पेङ सचिवालय के लॉन में खङा था जो रात में चलने वाली आँधी के झोंकों को सहन नहीं कर सका था। सवेरे एक माली ने देखा कि एक आदमी उस गिरे जामुन के पेङ के नीचे दबा पङा है। माली ने चपरासी को, चपरासी ने क्लर्क को, क्लर्क ने सुपरिटेंडेंट को इसकी सूचना दी।

सूचना पाते ही सब वहाँ उपस्थित हो गये। सभी क्लर्क उस गिरे जामुन के पेङ के लिए अफसोस करने लगे। तभी माली ने दबे हुए आदमी की ओर ध्यान दिलाया। चपरासियों ने कहा कि यह अब तक मर चुका होगा। दबे हुए आदमी की कराहती हुई आवाज आयी-नहीं मैं जिंदा हूँ।

जामुन का पेङ

यह सुनकर माली ने कहा कि हम सब मिलकर इसे तुरन्त निकाल सकते हैं। तब सुपरिन्टेंडेंट ने कहा इस सम्बन्ध में अंडर सेक्रेटरी से पूछ लें। पेङ हटाने के लिए अंडर सेक्रेटरी ने ज्वांइट सेक्रेटरी से, ज्वाइंट सेक्रेटरी ने चीफ सेक्रेटरी से, चीफ सेक्रेटरी ने मंत्री से पूछा। मंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा – इस प्रकार उसी प्रक्रिया में एक दूसरे ने एक दूसरे को कुछ कहा। इसी प्रकार फाइल चलती रही और आधा दिन बीत गया।

जब दोपहर में भीङ में खङे लोग उसे दबे व्यक्ति को निकालने के लिए उस पेङ को हटाने लगे तभी सुपरिन्टेंडेंट ने आकर कहा कि यह काम कृषि विभाग का है इसलिए कृषि विभाग को फाइल भेजी जा रही है। कृषि विभाग ने जवाब में कहा कि पेङ व्यापार विभाग के लान में गिरा है इसलिए उसे उठाना व्यापार विभाग की जिम्मेदारी है। परन्तु व्यापार विभाग ने पेङ हटवाने की जिम्मेदारी पुनःकृषि विभाग की बताते हुए फाइल भेज दी। लेकिन शाम को फैसला हुआ कि यह फलदार पेङ का मामला है, अतः इसे हाॅर्टीकल्चर विभाग में भेजा जाए।

जामुन का पेङ

रात को पुलिस का वहाँ पहरे का इन्तजाम किया गया और उसे दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया गया। आदमी ने अपने आपको लावारिस बताया। दूसरे दिन हाॅर्टीकल्चर विभाग से उत्तर आया कि आजकल ’पेङ लगाओ’ अभियान चल रहा है इसलिए फलदार पेङ को काटने की आज्ञा कदापि नहीं दी जा सकती है।

तब एक मनचले व्यक्ति ने सलाह दी कि पेङ को न काटकर आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए। आदमी ने सुनकर कहा कि वह इस तरह से मर जायेगा। हल निकालते हुए मनचले ने कहा कि आदमी को बीच में से काट दिया जाए और फिर प्लास्टिक सर्जरी करवा दी जाए। इस बात पर उसकी फाइल मेडिकल विभाग को भेजी गयी। सारी जाँच-पङताल करने के बाद पता चला कि प्लास्टिक ऑपरेशन तो हो जायेगा किन्तु आदमी मर जायेगा। अतः यह फैसला अमान्य हो गया।

रात को माली ने दबे हुए आदमी से कहा कि कल उसके केस पर सभी सेक्रेटरियों की मीटिंग होगी। सब काम ठीक हो जायेगा। तब दबे हुए आदमी ने गालिब का एक शेर सुनाया। उसको सुनकर माली ने उससे पूछा कि क्या तुम शायर हो? दबे हुए आदमी ने ’हाँ’ करते हुए अपना सिर हिलाया। फिर क्या था? शायर होने की बात सब जगह फैल गयी।

जामुन का पेङ

सचिवालय की भीङ वहाँ आकर एकत्र हो गयी। परन्तु जब पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है तो फाइल कल्चरल डिपार्टमेन्ट से होती हुई साहित्य अकादमी के सचिव के पास पहुँची तब विभाग के सेक्रेटरी ने आकर पूछा कि ’’तुम कवि हो और किस उपनाम से शोभित हो।’’ दबे हुए व्यक्ति ने उत्तर दिया – ’ओस’। सेक्रेटरी ने जानकारी प्राप्त करने के बाद दूसरे दिन आकर कहा – मुबारक हो, मिठाई खिलाओ, हमारी साहित्य अकादमी में तुम्हें केन्द्रीय शाखा का मेम्बर चुन लिया है। यह लो चुनाव-पत्र।

जब दबे हुए व्यक्ति ने पेङ से निकालने की बात कही, तब उसने असमर्थता व्यक्त की और कहा कि यदि तुम यहीं दबे-दबे मर गये तो तुम्हारी बीबी को वजीफा दिला सकते हैं। वैसे पेङ काटने के लिए फाॅरेस्ट विभाग को लिख दिया गया है। अगले दिन जब फाॅरेस्ट विभाग के लोग पेङ काटने आए तो उन्हें पेङ काटने के लिए यह कहकर रोक दिया गया कि यह पेङ दस साल पहले पीटोनिया के प्रधानमंत्री ने लगाया था। इसको काटने से उनके साथ सम्बन्ध बिगङ जायेंगे।
मामला प्रधानमंत्री तक पहुँचा। प्रधानमंत्री ने पेङ काटने की आज्ञा दे दी। तब जाकर फाइल पूरी हो गयी। दूसरी ओर दबे हुए व्यक्ति की भी साँसें पूरी हो गयी। वह दुनिया से चला गया।

महत्त्वपूर्ण प्रश्न (जामुन का पेङ)-

प्र.1 बेचारा जामुन का पेङ। कितना फलदार था?
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
(क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर – (क) सचिवालय के लान में लगा पेङ जब आँधी में गिर गया और उसके नीचे एक आदमी दब गया तब माली के द्वारा जानकारी देने पर वहाँ भीङ एकत्र हो गयी। तभी वहाँ खङे एक क्लर्क ने कहा कि बेचारा जामुन का पेङ कितना फलदार था और कितनी रसीली जामुन देता था।

(ख) इसमें लोगों की जङ मानसिकता का पता चलता है। आज का आदमी इतना संवेदनहीन हो गया है कि वह पेङ के नीचे दबे हुए आदमी को देखकर भी द्रवित नहीं होता है बल्कि वह अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर रसीले जामुन देने वाले पेङ के गिर जाने की बात को ही याद करता है।

प्र.2 दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पङा?

उ. – दबे हुए आदमी के द्वारा माली की बात सुनकर जब शेर कहा गया कि –
ये तो माना कि तगाफुल न करोगें लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक।
इसको सुनते ही माली ने उससे शायर होने की बात पूछी। उसने अपना सिर हिला दिया। माली के द्वारा यह बात सब जगह पहुँचा दी गयी। दूसरे दिन कवियों और शायरों की भीङ जमा हो गयी। कई क्लर्क दबे हुए व्यक्ति को अपनी कविता की आलोचना करने को मजबूर करने लगे। तभी पता चला कि दबा हुआ आदमी एक कवि भी हैं। इस जानकारी से उसकी फाइल का रुख पलट गया और वह कल्चरल डिपाटमेन्ट में अनेक विभागों से गुजरती हुई साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी के पास पहुँच गयी। लेकिन वहाँ पर भी निर्णय अनिर्णीत ही रहा।

जामुन का पेङ

प्र. 3 कृषि विभाग वालों ने मामले को हाॅर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?

उ. – कृषि-विभाग वालों ने जामुन के पेङ को काटने के मामले को हाॅर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे यह तर्क दिया कि गिरने वाला फलदार जामुन का पेङ है इसलिए इसका मामला कृषि विभाग से सम्बन्धित न होकर उद्यान विभाग से ही है।

प्र. 4 इस पाठ में सरकार ने किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?

उ. – इस पाठ में सरकार के निम्नलिखित भागों और उनके कार्यों के बारे में चर्चा की गयी है –
व्यापार विभाग – इस विभाग का काम देश से होने वाले व्यापार से सम्बन्धित है।
कृषि विभाग – इस विभाग का सम्बन्ध कृषि से है।
हाॅर्टीकल्चर डिपार्टमेन्ट – इस विभाग को उद्यान कृषि विभाग कहते हैं। इसका सम्बन्ध उद्यानों के रख-रखाव से है।
मेडिकल डिपार्टमेन्ट – इसे चिकित्सा विभाग कहते हैं। इसका सम्बन्ध चिकित्सा आदि से है।
कल्चरल डिपार्टमेन्ट – इसे सांस्कृतिक विभाग कहते हैं। इसका सम्बन्ध कला और संस्कृति से है।
फाॅरेस्ट डिपार्टमेन्ट – इसे वन विभाग कहते हैं। इसका सम्बन्ध पेङों आदि से होता है अर्थात् पेङ लगाना, सुरक्षा करना तथा काटना आदि।
विदेश विभाग – इसका सम्बन्ध विदेशों और स्वदेश के आपसी सम्बन्धों से है।

प्र. 5 जामुन के गिर पेङ को देखकर भीङ में खङे हुए क्लर्क ने अपना दुःख व्यक्त करते हुए क्या और क्यों कहा?

उ. – भीङ में खङे एक क्लर्क ने उस गिरे हुए जामुन के पेङ को देखकर अपना दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि बेचारा जामुन का पेङ। कितना फलदार था और इसकी जामुन कितनी रसीली होती थी। उनको खाने में कितना स्वाद आता था। उसने यह इसलिए कहा क्योंकि उसे अब वे रसीले जामुन खाने को नहीं मिलेंगे, पर उस स्वार्थी ने पेङ के नीचे दबे आदमी को देखकर भी नहीं देखा, क्योंकि वह उसके लिए कोई महत्त्व नहीं रखता था।

जामुन का पेङ

प्र. 6 पेङ के नीचे दबे आदमी को निकालने की बजाय माली दौङकर चपरासी के पास, चपरासी दौङकर क्लर्क के पास और क्लर्क दौङकर सुपरिटेंडेंट के पास बताने क्यों चला गया?

उ. – पेङ के नीचे दबे आदमी को निकालने के बजाय अपने से ऊपर के कर्मचारी और अधिकारी को सूचना देकर प्रसन्न रखना ही वे अपना कर्तव्य समझते हैं। वे सचिवालय की कार्यशैली को अच्छी तरह समझते हैं कि यदि अपनी इच्छा से कोई कार्य करोगे तो उसका जवाब अपने से ऊपर वाले को देना पङेगा। जवाब देने के झंझट से बचने के लिए अकर्मण्य और उदासीन होकर नौकरी करना और दूसरे से फायदा उठाना ही वे अपना फर्ज समझते है।

प्र. 7 सुपरिंटेंडेंट ने पेङ के नीचे दबे आदमी को निकालने का आदेश स्वयं न देकर अपने उच्च अधिकारियों का सहारा क्यों लिया ?
उ. – सुपरिंटेंडेंट ने पेङ के नीचे दबे आदमी को निकालने का आदेश स्वयं इसलिए नहीं दिया, क्योंकि वह सचिवालय की कार्य प्रणाली का अभ्यस्त हो चुका था। छोटे से छोटे कार्य को फाइलों में लेकर और उसके लिए आदेशों में उलझना उसकी नियति बन चुकी थी। वह सचिवालय की कार्य-प्रणाली और स्वभाव के वशीभूत होकर सीधे अंडर सेक्रेटरी के पास चला गया।

प्र. 8 सरकारी कार्यालयों की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी कीजिए।

उ. – सरकारी कार्यालयों में कोई भी छोटे से छोटा कार्य एक निर्धारित कार्य-प्रणाली के आधार पर किया जाता है। कार्य के सम्बन्ध में सम्बन्धित छोटे-बङे कर्मचारी और अधिकारी नोटशीट पर अपनी राय और टिप्पणी देते हैं। अन्त में वह नोट-शीट सक्षम अधिकारी की टेबिल पर पहुँचती है और वह टिप्पणी और राय को पढ़कर अपना आदेशात्मक निर्णय देता है। यदि नोट शीट पर उसकी समझ से किसी की टिप्पणी रह जाती है तो वह आदेश देने से पहले उस नोट शीट को सम्बन्धित व्यक्ति के पास भेजकर उसकी टिप्पणी और राय लिखकर मँगवाता है, फिर आदेश करता है। इस प्रक्रिया में समय बहुत खर्च होता है। चाहे पेङ के नीचे दबा व्यक्ति अपना दम क्यों न तोङ दे लेकिन फाइल प्रक्रिया बिना पूरी किए कोई भी निर्देश नहीं दिया जा सकता।

प्र. 9 हुकूमत के फैसले का इंतजार किए बिना जब कुछ मनचले क्लकों ने पेङ हटाने का स्वयं निश्चय किया तब सुपरिटेंडेंट ने उनसे क्या कहा और क्यों?

उ.- हुकूमत के फैसले का इंतजार किए बिना जब कुछ मनचले क्लकों ने पेङ हटाने का स्वयं निश्चय किया, यह जानकर सुपरिंटेंडेंट उनके पास भागा-भागा आया और बोला ’’हम लोग खुद इस पेङ को हटा नहीं सकते। हम लोग व्यापार विभाग से सम्बन्धित हैं और यह पेङ की समस्या है जो कृषि-विभाग के अधीन है। मै। इस फाइल को अर्जेन्ट मार्क करके कृषि-विभाग को भेज रहा हूँ, वहाँ से उत्तर आते ही इस पेङ को हटवा दिया जायेगा।’’

जामुन का पेङ

प्र. 10 ’’सरकारी विभाग कार्य को महत्त्व न देकर एक-दूसरे पर अपने दायित्व को टालने में सिद्धहस्त हैं।’’ इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।

उ. – सरकारी विभागों के सम्बन्ध में यह कथन पूर्णरूपेण सत्य है। वे काम को महत्त्व न देकर आपस में एक-दूसरे पर काम टालते रहते हैं। उदाहरण के लिए यदि व्यापार विभाग का सुपरिंटेंडेंट चाहता तो वह गिरे जामुन के पेङ के नीचे दबे आदमी को तुरन्त निकलवाकर उसे जीवन-दान दे सकता था लेकिन वह ऐसा न कर सचिवालय की कार्य-शैली में उलझ गया और उसने कृषि विभाग का कार्य बताकर उसे पत्र लिखकर अपने को उत्तरदायित्व से मुक्त कर लिया।

प्र. 11 व्यापार विभाग से लौटी फाइल कृषि विभाग ने क्या कहते हुए हार्टीकल्चर डिपार्टमेन्ट के हवाले कर दी?
उ. – व्यापार-विभाग से लौटी फाइल कृषि विभाग ने यह कहते हुए हार्टीकल्चर डिपार्टमेन्ट के हवाले कर दी कि यह एक फलदार पेङ का मामला है और कृषि विभाग अनाज और खेती-बाङी के मामलों में फैसला करने का अधिकार रखता है। जामुन का पेङ चूँकि एक फलदार पेङ है इसलिए यह पेङ हार्टीकल्चर डिपार्टमेन्ट के अन्तर्गत आता है।

प्र. 12 हार्टीकल्चर डिपार्टमेन्ट के सेक्रेटरी के जवाब को व्यंग्यपूर्ण क्यों कहा गया है?

उ. – हार्टीकल्चर डिपार्टमेन्ट के सचिव ने तीसरे दिन अपने जवाब में कहा – ’’उनका विभाग फलदार वृक्ष को काटने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि इस समय हमारा विभाग ’पेङ लगाओ’ अभियान में जुटा हुआ है। इस स्थिति में पेङ काटने की अनुमति किसी भी हालत में नहीं दी जा सकती, वह भी फलदार पेङ की।’’ सचिव का उत्तर व्यंग्यपूर्ण इसलिए कहा गया है, क्योंकि उसे जामुन के फलदार पेङ की चिंता तो थी, पर पेङ के नीचे दबे उस आदमी की चिन्ता नहीं थी जो जीवन और मौत के बीच जूझ रहा था। अतः इसका कथन मानवीय संवेदना से रहित स्वार्थपूर्ण था।

जामुन का पेङ

प्र. 13 मेडिकल डिपार्टमेन्ट पर क्या व्यंग्य किया गया है?
उ. – जैसे ही दबे आदमी की फाइल को मेडिकल डिपार्टमेन्ट को भेजी गयी मेडिकल डिपार्टमेन्ट ने फौरन एक्शन लिया और फाइल पहुँचने के दूसरे दिन ही उन्होंने अपने विभाग का सबसे योग्य प्लास्टिक सर्जन छानबीन के लिए भेज दिया। उस भेजे गये सर्जन ने दबे हुए आदमी को अच्छी तरह टटोलकर उसके खून के दबाव को देखा, नाङी की गति को परखा, दिल और फेफङों की जाँच करके रिपोर्ट भेज दी और कहा कि इस आदमी का प्लास्टिक आपरेशन हो सकता है। लेखक ने ’फौरन एक्शन’ कहकर मेडिकल डिपार्टमेन्ट पर व्यंग्य किया है कि वे मरते हुए आदमी को बचाने के लिए अगले दिन का इन्तजार करते हैं फिर भी फौरन एक्शन कहते हैं।

प्र. 14 ’जामुन का पेङ’ हास्य-व्यंग्य कथा में लेखक ने कवियों पर क्या व्यंग्य किया है?

उ. – लेखक ने कवियों पर व्यंग्य किया है कि जब उन्हें इस बात का पता चला कि जामुन के गिरे पेङ के नीचे दबा आदमी कवि है तब वहाँ भाँति-भाँति के कवि आकर एकत्र होने लगे। उनके इकट्ठे होने से सचिवालय का लाॅन भर गया और उस दबे हुए आदमी ने चारों ओर कवि सम्मेलन का वातावरण बन गया। उपस्थित कवि उस दबे हुए व्यक्ति को निकालने और बचाने के सम्बन्ध में प्रयत्न न कर उस आदमी को अपनी-अपनी कविताएँ और दोहे सुनाने लगे। इसमें लेखक ने आत्म-प्रशंसा के वशीभूत कवियों की संवदेनहीनता पर व्यंग्य किया है।

प्र. 15 साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी को दबे हुए आदमी से मिलकर आश्चर्य क्यों हुआ और उसने उसके लिए क्या किया? इसमें व्यंग्य क्या है?

उ. – साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी को दबे हुए आदमी से मिलकर पता चला था कि वह दबा हुआ आदमी प्रसिद्ध कवि ’ओस’ था। उसका गद्य-संग्रह ’ओस के फूल’ अभी हाल में ही प्रकाशित हुआ था। इतना बङा लेखक होकर भी वह अकादमी का मेम्बर नहीं था, यह जानकर साहित्य-अकादमी के सेक्रेटरी को आश्चर्य हुआ था। उसने उस दबे आदमी को निकलवाने का प्रयास करने से पहले उसे साहित्य अकादमी की केन्द्रीय शाखा का मेम्बर चुन लिया। इसमें व्यंग्य यह है कि उसे अपनी भूल पर तो आश्चर्य हुआ लेकिन मानवीय संवेदना से रहित होने पर आश्चर्य नहीं हुआ।

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Comments

  1. Smita Kumari says

    15/06/2020 at 5:42 PM

    Woh vrey interesting and useful knowledge.

    Reply
  2. राहुल गुप्ता says

    22/07/2020 at 2:50 PM

    अति महत्वपूर्ण प्रश्न है
    आपका यह प्रयास अति प्रशंसनीय है

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      23/07/2020 at 8:54 AM

      जी धन्यवाद

      Reply
  3. मंजू यादव says

    09/09/2020 at 8:27 AM

    बहुत अच्छी जानकारी

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      09/09/2020 at 5:16 PM

      जी धन्यवाद

      Reply

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