कन्यादान कविता – ऋतुराज || प्रश्नोत्तर

आज के आर्टिकल में हम ऋतुराज की कविता कन्यादान को पढेंगे और इसके महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर भी पढेंगे ।

कन्यादान- ऋतुराज

कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो

लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री जीवन के

माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।

1. ‘‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’’ माँ के इस कथन का आशय क्या था ?
⇒ माँ का आशय था कि उसकी बेटी लड़की होने के कारण अपने मन में किसी प्रकार की हीनता की भावना न आने दे । स्वाभिमान के साथ जिए।

2. माँ ने वस्त्र और आभूषणों के बारे में बेटी को क्या सीख दी ?
⇒ माँ ने बेटी को सावधान किया कि वह सुन्दर वस्त्रों और आभूषणों के मोह में न पड़े। ये स्त्री को पराधीन बना देने वाले बंधनों के समान होते हैं।

3. ‘आग रोटी सेकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ माँ के इस कथन का क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए।
⇒ इस कथन का आशय यह है कि बेटी जीवन की चुनौतियों और अन्यायों से घबराकर आग लगाकर आत्महत्या करने के बारे में कभी न सोचे।

4. माँ ने लड़की से अपने चेहरे पर न रीझने को क्यों कहा ?
⇒ क्योंकि अपनी सुन्दरता पर मोहित होने वाली लड़की अहंकार का और दूसरों की ईष्या का कारण बन जाती है।

5. ‘पीठिका थी वह धुँधले प्रकाश की’ से क्या आशय है ?
⇒ इसका आशय यह है कि लड़की को वैवाहिक जीवन के बारे में स्पष्ट ज्ञान नहीं था।

6. कवि ने लड़की को भोली और सरल क्यों माना है ?
⇒ लड़की को भोली और सरल इसलिए माना गया है क्योंकि उसे आगामी जीवन के सुखों का तो कुछ अहसास पर दुखों का नहीं।

7. ‘कन्यादान’ कविता में कवि ने लड़की को कैसी बताया है ?
⇒ कवि ने कहा है कि लड़की अभी सयानी (समझदार) नहीं थी।

8. लड़की को दान में देते समय माँ को कैसा लग रहा था ?
⇒ माँ को लग रहा था कि बेटी के रूप में उसके जीवन की एकमात्र पूँजी चली जा रही थी।

9. ‘प्रामाणिक’ से कवि का क्या आशय है ?
⇒ प्रामाणिक से कवि का आशय है जो दिखावा न हो, वास्तविक हो।

10. माँ ने वस्त्र और आभूषणों को बताया है-
⇒ स्त्री के जीवन के बंधन

11. माँ के अनुसार आग होती है-
⇒ रोटियाँ सेकने के लिए

12. ‘दुख बाँचना’ से आशय है-
⇒ दुख को समझ पाना

13. माँ अपनी अंतिम पूँजी समझ रही थी-
⇒ बेटी को।

14. ‘कितना प्रामाणिक था उसका दुख’ इस पंक्ति में कवि ने माँ के दुख को माना है-
⇒ वास्तविक

15. माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी क्यों लग रही थी ?
⇒ माँ ने अपनी बेटी को लाड़-प्यार से पाला था। उससे दूर होते समय उसे लग रहा था जैसे उसके जीवन की सारी पूँजी उससे दूर हो रही थी।

16. ‘अपने चेहरे पर मत रीझना’ का क्या तात्पर्य है ?
⇒ इस कथन का तात्पर्य है- अपनी सुन्दरता पर मुग्ध न होना।

17. माँ ने लड़की को कैसा न दिखने के लिए कहा है ?
⇒ माँ ने लड़की को लड़की जैसी न दिखने के लिए कहा है।

18. दुख बाँचना किसे नहीं आता था-
⇒ लड़की को

19. कवि ने अंतिम पूँजी किसे बताया था-
⇒ लड़की को

20. ’आग रोटियां सेंकने के लिए है, जलने के लिए नहीं।’ यह पंक्ति समाज में व्याप्त किस प्रवृत्ति की ओर संकेत करती हैं ?
⇒ संघर्ष से हारकर स्वयं को मिटा लेना।

21. धुंधले प्रकाश की ’पीठिका’ होने का तात्पर्य व्यक्ति के किस गुण से है –
⇒ सरलता व भोलापन

22. ’शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन’ कहने से आशय है –
⇒ शब्द-चमत्कार के फेर में मूल भाव प्रकट न होना।

23. ’कन्यादान’ कविता के लेखक ऋतुराज का जन्म किस स्थान तथा किस राज्य में हुआ है ?
⇒ भरतपुर, राजस्थान

24. ऋतुराज के अब तक कितने कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं ?
⇒ आठ

25. ’कन्यादान’ कविता में किस दुःख की बात की गई है ?
⇒ बेटी की विदाई के

26. विदाई के समय लङकी को कैसा बतलाया है –
⇒ अबोध और भोली

27. ’लेकिन दुःख बाँचना नहीं आता था’ यहाँ पर ’बाँचना’ किस प्रकार की भाषा का प्रतिनिधित्व करता है ?
⇒ क्षेत्रीय/आंचलिक

28. ’माँ ने कहा पानी में झाँककर…………. मत रीझना।’ यहाँ पर ’पानी में झाँककर’ कथन किस प्रकार के अनुभव को पुष्ट करता है ?
⇒ ग्रामीण अनुभव को

29. ऋतुराज ने ’कन्यादान’ कविता में किसको सम्बोधित करके सीख दी हैं ?
⇒ माँ-बेटी को

30. कवि ऋतुराज द्वारा रचित कविता ’कन्यादान’ के अनुसार दुःख बाँचना किसे नहीं आता था ?
⇒ नवविवाहिता पुत्री को

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