• Home
  • PDF Notes
  • Videos
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • PDF NOTES
  • VIDEOS
  • कहानियाँ
  • व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • कविताएँ
  • Web Stories

नयी कविता || Nayi Kavita || Hindi Sahitya || hindi sahitya ka itihas

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:12th May, 2022| Comments: 0

Tweet
Share110
Pin
Share
110 Shares

दोस्तो आज की पोस्ट में हम हिन्दी साहित्य (hindi sahitya) में आधुनिक काल के अंतर्गत नयी कविता के बारे में विस्तार से जानेंगे

नयी कविता – 1953 ई.

Table of Contents

  • नयी कविता – 1953 ई.
    • नयी कविता की विशेषताएँ/ प्रवृतियाँ – Characteristics of a nayi kavita
    • नई कविता की प्रमुख कवि एवं रचनाएँ
      • सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ’अज्ञेय’
      • गजानन माघव ’मुक्तिबोध’
      • भारतभूषण अग्रवाल
      • भवानी प्रसाद मिश्र
      • नरेश मेहता
      • उपर्युक्त कवियों से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य:
      • प्रयोगवादी/नई कविता के प्रमुख कवियों की महत्त्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ –
        • मुक्तिबोध
        • शमशेर बहादुर सिंह
        • भवानी प्रसाद मिश्र
        • रघुवीर सहाय
        • सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
        • केदार नाथ सिंह
        • साठोत्तरी कविता
    • प्रमुख काव्यांदोलन एवं प्रवर्तक

नयी कविता अनेक अर्थों में प्रयोगवाद का विकास मानी जाती है। उसने प्रयोग की अनेक उपलब्धियों को आत्मसात् किया है। ऐतिहासिक दृष्टि से नयी कविता ’दूसरा सप्तक’ (1951) के बाद की कविता को कहा जाता है।

जहाँ तक ’नयी कविता’ के नामकरण का प्रश्न है तो ’नई कविता’ नाम भी अज्ञेय द्वारा ही दिया गया है। सन् 1952 ई. में पटना रेडियो से उन्होंने इसकी घोषणा की थी।

लक्ष्मीकांत वर्मा के अनुसार नयी कविता(nayi kavita) मूलतः 1953 ई. में ’नये पत्ते’ के प्रकाशन के साथ विकसित हुई

जगदीश गुप्त तथा रामस्वरूप चतुर्वेदी के संपादन में प्रकाशित होने वाले संकलन ’नई कविता’ (1954 ई.) में सर्वप्रथम अपने समस्त संभावित प्रतिमानों के साथ प्रकाश में आयी।

1954 ई. में प्रयाग के ’साहित्य सहयोग’ नामक सहकारी संस्थान ने नयी कविता का प्रकाशन किया। इसी नई काव्यधारा को उन प्रतिमानों को लेकर विकसित किया गया, जो तत्कालीन भाव-बोध को वहन करते हुए सर्वथा नयी दृष्टि के साथ अवतरित हो रहे थे। नयी कविता(nayi kavita) का मूल स्रोत उस युग-सत्य और युग यथार्थ में निहित है।

प्रयोगवाद के अनेक कवियों ने प्रयोग को ही कविता का साध्य मान लिया इसलिए 1950 ई. के बाद एक समय प्रयोगवादी कहे जाने वाले कवियों ने ही प्रयोगवाद को नयी कविता की उदार और सहज अन्तर्धारा में विलयित कर दिया।

नयी कविता ने स्वातंत्र्योत्तर भारतीय जीवन आौर व्यक्ति की संश्लिष्ट जीवन-परिस्थितियों का रचनात्मक साक्षात्कार किया।

नयी कविता की विशेषताएँ/ प्रवृतियाँ – Characteristics of a nayi kavita

  • यथार्थ के प्रति उन्मुक्त दृष्टि
  • अहं के प्रति सजगता और व्यक्तित्व की खोज
  • नयी कविता लघुमानव की अवधारणा का सूत्रपात करती है।
  • नयी कविता आधुनिक भावबोध की कविता है।
  • निरर्थकता बोध आधुनिक भावबोध की एक स्थिति है।
  • अभिव्यक्ति की स्वछंद प्रवृत्ति।
  • आधुनिक यथार्थ से द्रवित व्यंग्यात्मक दृष्टि
  • क्षणवाद

नई कविता में चार तत्त्व प्रमुख हैं –

  1. वर्जना और कुंठा से मुक्ति
  2. क्षणवाद
  3. अनुभूति की सच्चाई
  4. बुद्धिमूलक यथार्थवादी दृष्टि

नई कविता की प्रमुख कवि एवं रचनाएँ

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ’अज्ञेय’

 भग्नदूत (1933), चिन्ता (1942), इत्यलम् (1946),
 हरी घास पर क्षण भर (1949), बावन अहेरी (1954), इंद्रधनुष रौदे हुए थे (1957), अरी ओ करुणा प्रभामय (1959), आँगन के पार द्वार (1961), पूर्वा (1965), सुनहले शैवाल (1966), कितनी नावों में कितनी बार (1967), क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1969), सागर मुद्रा (1970), पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1973), महावृक्ष के नीचे (1977), नदी की बाँक छाया (1981), ऐसा कोई घर आपने देखा है (1986)।

प्रमुख कविताएँ – (1) असाध्यवीणा, (2) कलगी बाजरे की, (3) साँप (4) नदी के द्वीप (5) यह दीप अकेला।

गजानन माघव ’मुक्तिबोध’

(1) चाँद का मुँह टेढ़ा है (1964), (2) भूरि-भूरि खाक
 धूल (1980 ई.)

प्रमुख कविताएँ-अंधेरे में, ब्रह्मराक्षस, अंतःकरण का आयतन आदि।

गिरिजा कुमार माथुर

(1) मंजीर (1941), (2) नाश और निर्माण (1946), (3) धूप के धान, (4) शिला पंख चमकीले (5) छाया मत छूना, (6) भीतरी नदी की यात्रा (1975), (7) अभी कुछ और (8) साक्षी रहे वर्तमान, (9) पृथ्वी कल्प

प्रभाकर माचवे

(1) मेपल (2) स्वप्नभंग, (3) अनुक्षण।

भारतभूषण अग्रवाल

(1) छवि के बंधन (2) जागते रहो (3) मुक्ति मार्ग (4) ओ अप्रस्तुत मन (5) अनुपस्थिति लोग (6) कागज के फूल (7) उतना वह सूरज है (8) अग्निलीक (1976)

शमशेर बहादुर सिंह

(1) कुछ कविताएँ (1959), (2) कुछ और कविताएँ (1961), (3) चुका भी हूँ मैं नहीं (1975), (4) इतने अपने आप (1980), (5) उदिता अभिव्यक्ति का संघर्ष (1980), (6) बातें बोलेगी (1981), (7) काल तुमसे होङ है मेरी (1988), (8) कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ (1995), (9) सुकून की तलाश (1998)।

केदारनाथ सिंह

(1) अभी बिल्कुल अभी (1976), (2) जमीन पक रही है (1976), (3) अकाल में सारस (1976), (4) यहाँ से देखो (2005), (5) बाघ (2005), (6) उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ (2005), तालस्टाय और साईकिल (1995)।

कुँवर नारायण

(1) चक्रव्यूह (1956), (2) परिवेश हम-तुम (1961), (3) आमने-सामने (1979), (4) कोई दूसरा नहीं (1993), (5) आत्मजयी (प्रबन्धकाव्य, 1965), (6) वाजश्रवा के बहाने (प्रबंध काव्य 2008), (7) इन दिनों (2002)।

भवानी प्रसाद मिश्र

(1) गीत फरोश (1953), (2) चकित है दुःख (1968), (3) अंधेरी कविताएँ (1968), (4) गांधी पंचशती (1969), (5) बुनी हुई रस्सी (1971), (6) खुशबू के शिलालेख (1973), (7) व्यक्तिगत (1973), (8) अंतर्गत (1979), (9) अनाम तुम आते हो (1979), (10) परिवर्तन जिए (1976), (11) इद्नमम् (1977), (12) त्रिकाल संध्या (1978), (13) शरीर, कविता, फसलें और फूल (1980), (14) मानसरोवर दिन (1981), (15) सम्प्रति (1982), (16) नीली रेखा तक (1984), (17) तूस की आग (1985), (18) कालजयी (खण्ड काव्य-1980)

प्रमुख कविताएँ- (1) कमल के फूल (2) सतपूङा के जंगल (3) वाणी की दीनता, (4) गीत फरोश (5) टूटने का सुख।

रामविलास शर्मा

(1) रूप तरंग (1956), (2) सदियों के सोए जाग उठे (1988), (3) बुद्ध वैराग्य तथा प्रारंभिक कविताएँ (1997)।

रघुवीर सहाय

(1) सीढ़ियों पर धूप में (1960), (2) आत्महत्या के विरुद्ध (1967), (3) हँसी हँसी जल्दी हँसो (1975), (4) लोग भूल गए हैं (1982), (5) कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ (1989), (6) एक समय था।

विजयदेव नारायण साही

(1) साखी (2) मछलीघर (3) संवाद तुमसे।

हरिनारायण व्यास

(1) मृग और तृष्णा, (2) त्रिकोण पर सूर्याेदय, (3) बरगद के चिकने पत्ते।

नरेश मेहता

(1) वन पाखी सुनो (1957), (2) बोलने दो चीङों को (1961), (3) मेरा समर्पित एकांत (1963), (4) पिछले दिनों नंगे पेरों, (5) चैत्या, (6) उत्सवा (1979), (7) संशय की एक रात (प्रबंध काव्य-1962), (8) महाप्रस्थान (1964), (9) प्रवाद पर्व (1977), (10) शबरी (1977), (11) अरण्य, (12) आखिरी समुद्र से तात्पर्य, (13) प्रार्थना पुरुष (1985)।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

(1) काठ की खंटियाँ (1959), (2) बाँस का पुल (1963), (3) एक सूनी नाव (1966), (4) गर्म हवाएँ (1966), (5) कुआनी नदी (1973), (6) जंगल का दर्द (1976), (7) खूँटियों पर टंगे लोग (1982), (8) क्या कहकर पुकारूँ (9) कोई मेरे साथ चले।

धर्मवीर भारती

(1) ठण्डा लोहा (1952), (2) अंधा युग (1955), (3) कनुप्रिया (1957), (4) सात गीत वर्ष (1957), (5) देशांतर।

हिंदी साहित्य वीडियो के लिए यहाँ क्लिक करें

 

उपर्युक्त कवियों से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य:

⇒ अज्ञेय अस्तित्ववाद में आस्था रखने वाले कवि है।

⇒ ’असाध्यवीणा’ अज्ञेय की प्रमुख कृति है, इसका मूल भाव ’अहं का विसर्जन’ ’समर्पण की भावना’ है। इसका कथानक चीनी-जापानी कथा ओकाकुरा से प्रभावित है।

नदी के द्वीप में व्यक्ति, संस्कृति और समाज तीनों के अस्तित्व की बात की गई है।
नदी के द्वीप के प्रतीक

  • द्वीप – व्यक्ति/शिशु
     
  • नदी – परंपरा/माँ
     
  • भूखण्ड – समाज/पिता

⇒ मुक्तिबोध की ’अंधेरे में’ कविता का प्रथम प्रकाशन ’कल्पना’ पत्रिका में 1964 में ’आशंका के द्वीप’ ’अंधेरे में’ नाम से हुआ।

⇒ मुक्तिबोध ने ’अंधेरे में’ कविता की रचना फैंटेसी में की है।

शमशेर बहादुर सिंह के अनुसार –
’’यह कविता देश के आधुनिक जन इतिहास का स्वतंत्रता पूर्व और पश्चात् का एक दहकता इस्पाती दस्तावेज है।’’

नामवर सिंह के अनुसार ’अंधेरे में’ कविता ’अस्मिता की खोज’ है।

रामविलास शर्मा ने ’अंधेरे में’ कविता को ’आरक्षित जीवन की कविता’ कहा है।

रामस्वरूप चतुर्वेदी ने लिखा है-’चाँद का मुँह टेढ़ा है’ एक बङे कलाकार की स्कैच-बुक लगता है।’

⇒ मुक्तिबोध पर टालस्टाय, बर्ग साॅ और माक्र्सवाद का स्पष्ट प्रभाव है।

⇔ शमशेर बहादुर को मलजय ने ’मूड्स का कवि’ कहा है।

⇒ शमशेर बहादुर सिंह के अनुसार – ’टेक्नीक में एजरा पाउंड शायद मेरा सबसे बङा आदर्श बन गया था।’

⇔ रामचन्द्र तिवारी ने शमशेर बहादुर के गद्य को ’हिन्दी का जातीय गद्य’ कहा है।

⇒ भवानी प्रसाद मिश्र को ’सहजता का कवि’ कहा जाता है।

⇔ भवानी प्रसाद मिश्र को ’हिन्दी कविता का गांधी’ कहा जाता है।

प्रयोगवादी/नई कविता के प्रमुख कवियों की महत्त्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ –

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता
पर इसको भी पंक्ति दे दो

किन्तु हम हैं द्वीप।
हम धारा नहीं है,
स्थिर समर्पण है हमारा हम सदा से द्वीप है स्त्रोतास्विनी के।

साँप! तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आया
तब कैसे सीखा डँसना-विष कहाँ पाया

मौन भी अभिव्यक्ति है
जितना तुम्हारा सच है
उतना ही कहो

भोर का बाबरा अहेरी
पहले बिछाता है आलोक को
लाल-लाल कनिया

वही परिचित दो आँखे ही
चिर माध्यम है
सब आँखों से सब दर्दों से
मेरे लिए परिचय का

ये उपनाम मैले हो गये हैं
देवता इन प्रतीकों से कर गए है कूच

एक तीक्ष्ण अपांग से कविता उत्पन्न हो जाती है
एक चुंबन से प्रणय फलीभूत हो जाता है।

’मुझे स्मरण है
और चित्र/प्रत्येक स्तब्ध, विजङित करता है मुझे
सुनता हूँ मैं

आ, मुझे भुला
तू उतर बीन के तारों में
अपने से गा/अपने को गा
अपने खग कुल को मुखरित कर

राजकुमुट सहसा हलका हो आया था
मानो हो फूल सिरिस का
ईष्र्या, महत्त्वकांक्षा, द्वेष, चाटुता
सभी पुराने झङ गये

हरी तलहटी में, छोटे की ओट, ताल पर
बंधे समय, वन-पशुओं की नानाविध
आतुर-तृप्त पुकारे
गर्जन, धुर्धर, चीख, भूँक, हुक्का
चिचिराहट है

मुक्तिबोध

मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक वाणी में महाकाव्य-पीङा है।

ओ मेरे आदर्शवादी मन
ओ मरे सिद्वान्तवादी मन

बहुत-बहुत ज्यादा लिया
दिया बहुत-बहुत कम
मर गया देश, अरे, जीवित रह गए तुम

अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे, उठाने होंगे
तोङने होगें मठ और गढ़ सभी

कविता कहने की आदत नहीं, पर कह दूँ
वर्तमान समाज चल नहीं सकता
पूँजी से जुङा हुआ हृदय बदल नहीं सकता

खोजता हूँ पठार, पर्वत, समुद्र
जहाँ मिल सके मुझे
मेरी वह खोई हुई
परम अभिव्यक्ति अनिवार
आत्म-संभवा।

शमशेर बहादुर सिंह

एक पीली शाम
पतझर का जरा अटका हुआ पत्ता

बात बोलेगी, हम नहीं
भेद खोलेगी, बात ही

चूका भी हूँ मैं नहीं
कहाँ किया मैंने प्रेम अभी

घिर आया समय का रथ कहीं
ललिता से मढ़ गया है राग।

हाँ, तुम मुझसे प्रेम करो
जैबे मछलियाँ लहरों से करती है।

दोपहर बाद की धूप-छाँह में खङी
इंतजार की ठेलेगाङियाँ
जैसे मेरी पसलियाँ
खाली बोरे सूजों से रफू किये जा रहे हैं।

भूलकर जब राह-जब जब राह भटका मैं
तुम्हीं झलके हो महाकवि
सघन तम की आँख बन मेरे लिए।

भवानी प्रसाद मिश्र

जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ
मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ
मैं किसिम किसिम के गीत बेचता हूँ।

सतपुङा के घने जंगल
नींद में डूबे हुए से
उँघते अनमने जंगल।

टुटने का सुख
बहुत सारे बंधनों को आज झटका लग रहा है
टूट जायेंगे कि मुझको आज खटका लग रहा है।

फूल लाया हूँ कमल के
क्या करूँ इनका
छोङ दूँ
हो जाए जी हल्का

रघुवीर सहाय

राष्ट्रगान में भला कौन वह भारत भाग्य विधाता है
फटा सुथन्ना पहले, जिसका गुन हरचरना गाता है

मैं अपनी एक मूर्ति बनाता हूँ
और एक ढ़हाता हूँ
और आप कहते हैं कि कविता की है।

कितना अच्छा था छायावाद
एक दुःख लेकर वह गान देता था
कितना कुशल था प्रगतिवादी
हर दुःख का कारण पहचान लेता था

खबर हमको पता है हमारा आतंक है
हमने बनाई है
फिर वो लिखते हैं
खबर वातानुकूलित कक्ष में तय कर रही होगी
करेगा कौन रामू के तले की भूमि पर कब्जा

लोग भूल जाते हैं
अत्याचारी का चेहरा मुस्काने पर

भीङ में मैल खोरी गंध मिली
⇔भीङ में आदिम मूर्खता की गंध मिली
भीङ में नहीं मिली मुझे मेरी गंध

क्रांतिकारी लेखक को आशा है
कि औरों पर उसका अविश्वास
उसको तो उसके जीवन में
एक बङा आदमी बना देगा।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

लोकतंत्र को जूते की तरह
लाठी में लटकाए
भागे जा रहे हैं सभी
सीना फुलाए

मैं नया कवि हूँ
इसी से जानता हूँ
सत्य की चोट बहुत गहरी होती हे

लीक पर चले जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं
हमें तो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पंथ प्यारे हैं

केदार नाथ सिंह

मैंने जब भी सोचा
मुझे रामचन्द्र शुक्ल की मूँछे याद आई

मैं पूरी ताकत के साथ
शब्दों को फेंकना चाहता हूँ।

साठोत्तरी कविता

सन् 1960 ई. के बाद लघु पत्रिकाओं की बाढ़ आ गई तथा प्रत्येक लघु पत्रिका की छत्रछाया में कोई-न-कोई नये वाद अथवा काव्यान्दोलन पनपने लगे। जो आन्दोलन अपेक्षाकृत अधिक स्थिर एवं सुदृढ़ हो पाए, वे निम्न हैं –
⇒ निषेध मूलक
⇔संघर्ष मूलक
⇒ आस्थामूलक
निषेधमूलक वर्ग में उन काव्यान्दोलनों को समाहित किया जाता है, जिन्हांेने परंपरागत सामाजिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का निषेध करते हुए घोर व्यक्तिवाद, उच्शृंखल यौनवाद एवं नग्न भोगवाद को प्रश्रय दिया।
संघर्ष मूलक वर्ग के आन्दोलनों में सामाजिक, आर्थिक, एवं राजनीतिक परिस्थितियों के प्रति असंतोष तथा आक्रोश व्यक्त करते हुए उनके विरोध में संघर्ष का आह्वान किया गया।

आस्थामूलक वर्ग के आन्दोलनों में परंपरागत मूल्यों को स्वीकारते हुए उनकी पुनः प्रतिष्ठा पर जोर दिया गया।

प्रमुख काव्यांदोलन एवं प्रवर्तक

काव्यांदोलन प्रवर्तक
अकविता  श्याम परमार
बीट पीढ़ी  राजकमल चौधरी
अस्वीकृत कविता  श्रीराम शुक्ल
आज की कविता हरीश मादानी
प्रतिबद्ध/वाम कविता  डाॅ. परमानन्द श्रीवास्तव
सहज कविता  डाॅ. रवीन्द्र भ्रमर
ताजी कविता  लक्ष्मीकांत वर्मा
समकालीन कविता  डाॅ. विशम्भरनाथ उपाध्याय
कैप्सूल/सूत्र कविता डाॅ. ओंकारनाथ त्रिपाठी

ये भी जरूर पढ़ें ⇓⇓⇓

आधुनिक काल मे हालावाद

प्रयोगवाद महत्वपूर्ण तथ्य 

 

Tweet
Share110
Pin
Share
110 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • समासोक्ति अलंकार – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Samasokti Alankar

    समासोक्ति अलंकार – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Samasokti Alankar

  • मिश्र वाक्य – परिभाषा, उदाहरण || Mishra Vakya

    मिश्र वाक्य – परिभाषा, उदाहरण || Mishra Vakya

  • कवित्त छंद – परिभाषा, भेद , उदाहरण  – Kavitt Chhand in Hindi

    कवित्त छंद – परिभाषा, भेद , उदाहरण – Kavitt Chhand in Hindi

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Subscribe Us Now On Youtube

Search

सम्पूर्ण हिंदी साहित्य हिंदी साहित्य एप्प पर

सैकंड ग्रेड हिंदी कोर्स जॉइन करें

ट्विटर के नए सीईओ

टेलीग्राम चैनल जॉइन करें

Recent Posts

  • प्रतीप अलंकार – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Prateep Alankar
  • संयुक्त वाक्य – परिभाषा, उदाहरण || Sanyukt Vakya in Hindi
  • सरल वाक्य – परिभाषा, उदाहरण || Saral Vakya in Hindi
  • समासोक्ति अलंकार – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Samasokti Alankar
  • मिश्र वाक्य – परिभाषा, उदाहरण || Mishra Vakya
  • कवित्त छंद – परिभाषा, भेद , उदाहरण – Kavitt Chhand in Hindi
  • द्वन्द्व समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dwand samas
  • द्विगु समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dvigu Samas
  • NTA UGC NET Hindi Paper 2022 – Download | यूजीसी नेट हिंदी हल प्रश्न पत्र
  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk 2023 Register

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • App Review
  • General Knowledge
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • विलोम शब्द
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • संधि
  • समास
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी पाठ प्रश्नोत्तर
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

हमारा यूट्यूब चैनल देखें

Best Article

  • बेहतरीन मोटिवेशनल सुविचार
  • बेहतरीन हिंदी कहानियाँ
  • हिंदी वर्णमाला
  • हिंदी वर्णमाला चित्र सहित
  • मैथिलीशरण गुप्त
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • महादेवी वर्मा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • कबीरदास
  • तुलसीदास

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || रचनाएँ और भाषा शैली
तुलसीदास का जीवन परिचय || Tulsidas ka jeevan parichay
रामधारी सिंह दिनकर – Ramdhari Singh Dinkar || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Footer

हिंदी व्याकरण

 वर्ण विचार
 संज्ञा
 सर्वनाम
 क्रिया
 वाक्य
 पर्यायवाची
 समास
 प्रत्यय
 संधि
 विशेषण
 विलोम शब्द
 काल
 विराम चिह्न
 उपसर्ग
 अव्यय
 कारक
 वाच्य
 शुद्ध वर्तनी
 रस
 अलंकार
 मुहावरे लोकोक्ति

कवि लेखक परिचय

 जयशंकर प्रसाद
 कबीर
 तुलसीदास
 सुमित्रानंदन पंत
 रामधारी सिंह दिनकर
 बिहारी
 महादेवी वर्मा
 देव
 मीराबाई
 बोधा
 आलम कवि
 धर्मवीर भारती
मतिराम
 रमणिका गुप्ता
 रामवृक्ष बेनीपुरी
 विष्णु प्रभाकर
 मन्नू भंडारी
 गजानन माधव मुक्तिबोध
 सुभद्रा कुमारी चौहान
 राहुल सांकृत्यायन
 कुंवर नारायण

कविता

 पथिक
 छाया मत छूना
 मेघ आए
 चन्द्रगहना से लौटती बेर
 पूजन
 कैदी और कोकिला
 यह दंतुरित मुस्कान
 कविता के बहाने
 बात सीधी थी पर
 कैमरे में बन्द अपाहिज
 भारत माता
 संध्या के बाद
 कार्नेलिया का गीत
 देवसेना का गीत
 भिक्षुक
 आत्मकथ्य
 बादल को घिरते देखा है
 गीत-फरोश
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us