भिक्षुक-कविता || सूर्यकांत त्रिपाठी निराला || व्याख्या सहित
आज की पोस्ट में हम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला(suryakant tripathi nirala) की चर्चित कविता भिक्षुक (bhikshuk) को व्याख्या सहित पढेंगे | वह आता- दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता। पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को, मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता दो टूक कलेजे …
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