काव्यशास्त्र

रस व उसके भेद # काव्य शास्त्र || Kavy shastr

Ras in hindi

दोस्तो आज पोस्ट मे रस का अर्थ, रस व उसके भेद को सविस्तार  पढ़ेंगे.आप इस विषयवस्तु  को अच्छे से तैयार करें   रस का अर्थ व भेद   ⇒ भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सम्प्रदायों में रस सिद्धान्त सबसे प्राचीन सिद्धान्त है। रस सिद्धान्त का विशद एवं प्रामाणिक विवेचन भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में ही सर्वप्रथम उपलब्ध …

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क्रोचे का अभिव्यंजनावाद – काव्यशास्त्र – Hindi Sahitya

क्रोचे का अभिव्यंजनावाद

आज के इस आर्टिकल में क्रोचे का अभिव्यंजनावाद (kroche ka abhivyanjnavad) और इसके संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियाँ आपके साथ शेयर की जा रही है। आप इस टाॅपिक को अच्छे से पढ़े। क्रोचे का अभिव्यंजनावाद  अभिव्यंजनावाद का प्रारम्भ पाश्चात्य देशों में हुआ है। शैली को प्रभावित प्रदान करने वाले यूरोप में दो वाद प्रचलित हुए-एक तो अभिव्यंजनावाद …

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काव्यशास्त्र 200 प्रश्नोत्तर -हिंदी साहित्य

काव्यशास्त्र 200 प्रश्नोत्तर हिंदी साहित्य

आज की पोस्ट में काव्यशास्त्र के महत्त्वपूर्ण 200 प्रश्न दिए गए है,ये प्रश्न परीक्षा के लिए उपयोगी है ,आप इन्हें अपने रजिस्टर में नोट कर लेवें | 1. संस्कृत काव्यशास्त्रीय ग्रंथों के आधार पर काव्यशास्त्र का प्रथम आचार्य माना जाता है ? (अ) आनंदवर्धन (ब) भरतमुनि (स) भट्टतौत (द) कुंतक 2. ’नाट्यशास्त्र’ के रचयिता कौन …

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काव्य प्रयोजन – अर्थ, उद्देश्य | Kavya Prayojan | काव्य शास्त्र

काव्य प्रयोजन

दोस्तो आज की पोस्ट में हम काव्यशास्त्र के महत्वपूर्ण विषय काव्य प्रयोजन के बारे में जानेंगे काव्य प्रयोजन – Kavya Prayojan   ⇒ काव्य प्रयोजन का तात्पर्य है-’काव्य रचना का उद्देश्य’। कवि काव्य-रचना क्यों करता है ? वह अपने काव्य से युग और समाज को क्या देता है ?  पाठक उसका अनुशीलन क्यों करता है …

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काव्य लक्षण -परिभाषा, उदाहरण || आसानी से समझें || Kavya Lakshan

काव्य लक्षण

दोस्तो आज की पोस्ट में हम काव्यशास्त्र के अंतर्गत महत्वपूर्ण विषयवस्तु काव्य लक्षण (Kavya Lakshan) को अच्छे से पढ़ेंगे । काव्य लक्षण – Kavya Lakshn ‘किसी वस्तु अथवा विषय के विशेष धर्म का कथन करना उसका लक्षण कहलाता है।’अलग -अलग आचार्यों के द्वारा काव्य लक्षण को परिभाषित किया गया। संस्कृत आचार्यों के काव्य लक्षण हिन्दी …

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काव्य हेतु काव्यशास्त्र || हिंदी साहित्य – काव्यशास्त्र

काव्य हेतु काव्यशास्त्र

     काव्य हेतु – Kavya Hetu ’हेतु’ का शाब्दिक अर्थ है कारण, अतः ’काव्य हेतु’ का अर्थ हुआ काव्य की उत्पत्ति का कारण।  किसी व्यक्ति में काव्य रचना की सामर्थ्य उत्पन्न कर देने वाले कारण काव्य हेतु कहलाते हैं। साहित्य की रचना क्यों होती है ? क्या कारण है जो कवि अथवा रचनाकार को …

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