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नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी कृतियां || Hindi Sahiya || Adhunik Kaal

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:25th Nov, 2020| Comments: 0

आज की पोस्ट में हिंदी साहित्य के अंतर्गत आधुनिक काल में नई कविता के प्रमुख कवि (Nayi kavita ke Prmukh kavi)  के बारे में जानेगें |

नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी कृतियां

Table of Contents

  • नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी कृतियां
    • सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ’अज्ञेय’ (1911-1987 ई.)
    • गजानन माधव ’मुक्तिबोध (1917-1964 ई.)
    • गिरिजा कुमार माथुर (1919-1994 ई.)
    • भवानीप्रसाद मिश्र (1914-1985 ई.)
    • धर्मवीर भारती (1926-1997 ई.)
    • नरेश मेहता (1922-2000ई.)
    • सर्वेश्वरदयाल सक्सेना (1927-1983 ई.)
    • कुंवर नारायण (1927 ई.)
    • शमशेर बहादुरसिंह (1911-1993 ई.)
    • जगदीश गुप्त (1924-2001 ई.)

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ’अज्ञेय’ (1911-1987 ई.)

रचनाएँ :

सम्पादन – दिनमान, प्रतीक, एव्रीमेंस, नवभारत टाइम्स, तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक।
काव्य कृतियां – 1. हरी घास पर क्षण भर, 2. बावरा अहेरी, 3. इन्द्रधनुष रौंदे हुए, 4. अरी ओ करुणा प्रभामय, 5. आंगन के पार द्वार, 6. कितनी नावों में कितनी बार, 7. सागर मुद्रा, 8. महावृक्ष के नीचे, 9. क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, 10. नदी का बांक पर छाया, 11. असाध्य वीणा, 12. चिन्ता, 13. इत्यलम


विशेष :

  • विद्रोह, निराशा, भावुकता एवं कुण्ठा का चित्रण
  • प्रयोगधर्मी कवि
  • प्रतीकों का प्रयोग
  • शब्द प्रयोग पर बल
  • क्षण बोध का महत्व
  • प्रारम्भ में छायावादी बाद में प्रयोगवादी कवि
  • बौद्धिकता एवं व्यंग्य
  • युग चिन्तन
  • बिम्ब सृष्टि
  • प्रकृति सौन्दर्य एवं मानव सौन्दर्य का चित्रण

गजानन माधव ’मुक्तिबोध (1917-1964 ई.)

रचनाएँ :

काव्य कृतियां – 1. चांद का मुंह टेढ़ा है, 2. भूरी-भूरी खाक धूल
आलोचना – 1. तार सप्तक के कवि 2. कामायनी एक पुनर्विचार, 3. भारतीय इतिहास और संस्कृति, 4. नई कविता का आत्म संघर्ष और अन्य निबन्ध, 5. नए साहित्य का सौन्दर्य शास्त्र।
कहानी संग्रह – 1. विपात्र, 2. सतह से उठता आदमी

विशेष :

  • प्रगतिवादी दृष्टिकोण,
  • लोक सम्पृक्ति
  • ’ब्रह्मराक्षस’ नामक कविता के रचयिता
  • ’अन्धेरे में’ नामक प्रसिद्ध कविता के रचयिता
  • शोषितों के प्रति गहरा लगाव
  • जीवन से जुङी कविता के सर्जक
  • बिम्ब विधान एवं शिल्प सजगता
  • प्रतीक विधान में नयापन
  • कविताओं में क्लिष्टता एवं जटिलता।

गिरिजा कुमार माथुर (1919-1994 ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – 1. मजीर, 2. नाश और निर्माण, 3. धूप के धान, 4. साक्षी रहे वर्तमान, 5. भीतरी नदी की यात्रा, 6. शिलापंख चमकीले, 7. छाया मत छूना, 8. पृथ्वीकल्प, 9. कल्पान्तर।
आलोचना – नई कविता – सीमाएं और सम्भावनाएँ

विशेष:

  • तार सप्तक के कवि
  • सामाजिक यथार्थ के प्रति आग्रह
  • नए बिम्बों, प्रतीकों एवं उपमानों का प्रयोग
  • रोमांटिक भावना
  • सौन्दर्य बोध
  • शिल्प के प्रति सजग
  • नाद सौन्दर्य, वर्ण मैत्री का कुशल प्रयोग
  • विषय की मौलिकता
  • प्रतीकों एवं बिम्बों का प्रयोग

भवानीप्रसाद मिश्र (1914-1985 ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – 1. कमल के फूल, 2. वाणी की दीनता, 3. टूटने का सुख, 4. सतपुङा के जंगल, 5. सन्नाटा, 6. गीत फरोश, 7. चकित है दुःख, 8. अन्धेरी कविताएं, 9. गांधी-पंचशती, 10. बुनी हुई रस्सी, 11. परिवर्तन जिए, 12. खुशबू के शिलालेख, 13. व्यक्तिगत, 14. शतदल, 15. इदं न मम, 16. कालजयी, 17. अनाम तुम आते हो, 18. व्यक्तिगत
सम्पादन – गांधी वाङ्मय के सम्पादक

विशेष:

  • ’बुनी हुई रस्सी’ साहित्य अकादमी से पुरस्कृत, गीत फरोश कविता सर्वाधिक प्रसिद्ध है
  • फिल्मी गीतकार के रूप में कार्य किया
  • ’परिवर्तन जिए’ नामक कविता उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से पुरस्कृत
  • लोक जीवन का चित्रण
  • सरल भाषा का प्रयोग
  • हिन्दी के प्रमुख गीतकार
  • व्यंग्य का सफल प्रयोग
  •  चिन्तन प्रधान सांस्कृतिक दृष्टि बोध

धर्मवीर भारती (1926-1997 ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – 1. अन्धा युग, 2. कनुप्रिया, 3. सात गीत वर्ष, 4. ठण्डा लोहा, 5. देशान्तर
उपन्यास – 1. गुनाहों का देवता, 2. सूरज का सातवां घोङा
सम्पादन – 1. धर्मयुग (साप्ताहिक), 2. निकष, 3. आलोचना,
कहानी संग्रह – 1. चांद और टूटे हुए लोग, 2. बन्द गली का आखिरी मकान
निबन्ध एवं समीक्षा – 1. ठेले पर हिमालय, 2. मानव मूल्य और साहित्य, 3. सिद्ध साहित्य, 4. कहनी-अनकहनी, 5. पश्यन्ती, 6. प्रगतिवाद एक समीक्षा

विशेष:

  • ’परिमल’ नामक संस्था के संस्थापकों में से एक
  • सिद्ध साहित्य पर शोध उपाधि प्राप्त
  • दूसरा सप्तक के कवि,
  • सर्वाधिक प्रसिद्ध काव्यकृति अन्धा युग,
  • लोकप्रिय उपन्यास गुनाहों का देवता,
  • रोमांटिक भावों के कवि,
  • पौराणिक कथानकों में मानव मूल्यों की खोज,
  • कनुप्रिया में राधा का नवीन रूप में चित्रण,
  • प्रतीकों का प्रयोग
  • नए बिम्ब विधान,
  • युगीन भ्रम, संशय एवं कुण्ठा की अभिव्यक्ति

नरेश मेहता (1922-2000ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – 1. वनपंखी सुनो, 2. बोलने दो चीङ को, 3. पिछले दिनों नंगे पैरों, 4. मेरा समर्पित एकान्त, 5. उत्सव, 6. तुम मेरा मौन हो, 7. आखिर समुद्र से तात्पर्य, 8. देखना एक दिन, 9. अरण्या, 10. संशय की एक रात, 11. महाप्रस्थान 12. प्रबाद पर्व, 13. शबरी, 14. प्रार्थना पुरुष।

विशेष:

  • प्रार्थना पुरुष नामक खण्डकाव्य गांधी जी के जीवन चरित्र पर आधृत है।
  • संशय की एक रात नामक खण्डकाव्य में राम के संशय का चित्रण है। क्या एक सीता के लिए नरसंहार करना उचित है? यह संशय राम के मन में उठा और फिर
  • उन्होंने सोचा कि युद्ध सीता के लिए नहीं प्रजा के लिए करना आवश्यक है।
  • करुणा, आधुनिक बोध का एक साथ कविता में चित्रण है।
  • नए बिम्बों के सर्जक कवि।
  • सांस्कृतिक बोध एवं मानव बोध के कवि।

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना (1927-1983 ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – काठ की घंटियां 2. बांस का पुल, 3. एक सूनी नाव, 4. गर्म हवाएं 5. कुआनो नदी 6. जंगल का दर्द, 7. खूंटियों पर टंगे लोग
उपन्यास – सोया हुआ जल
नाटक- 1. बकरी 2.

सम्पादन – 1. दिनमान, 2. पराग, 3. प्रतीक, 4. नई कविता।

विशेष:

  • नई कविता के प्रमुख कवि,
  • ’बकरी’ नाटक को बहुत प्रसिद्धि मिली,
  • काव्यकृतियों में ’कुआनो नदी’ एवं ’जंगल का दर्द’ को विशेष प्रसिद्धि मिली, समसामयिक जीवन मूल्यों की खोज इनकी रचनाओं में है।
  • इनकी कविताओं का भावातिरेक छांयावाद से भिन्न है। युद्ध, राजनीति, संसद, बकरी, गरीबी को अपनी कविता का विषय बनाया,
  • व्यंग्यधर्मी प्रवत्ति के कारण खरी-खरी कहने वाले कवि।

कुंवर नारायण (1927 ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – 1. तीसरा सप्तक में संकलित कविताएं, 2. चक्रव्यूह, 3. आत्मजयी, 4. परिवेश-हम तुम, 5. आमने-सामने 6. कोई दूसरा नहीं।

विशेष:

  • ’आत्मजयी’ नामक कृति कठोपनिषद् के नचिकेता प्रसंग पर आधारित प्रबन्ध काव्य।
  • ⇒ आत्मजयी मुलतः आधुनिक चेतना का काव्य है। इसके खण्ड आधुनिक चिन्तन के भिन्न-भिन्न आयाम हैं।
  • ’आत्मजयी’ के बिम्ब मूलतः बौद्धिक हैं।
  • ⇒ ’आत्मजयी’ के पात्र प्रतीकार्थ व्यक्त करते हैं।
  • वाजश्रवा पुराने मूल्यों की वाहक पीढी का प्रतीक है।
    जबकि नचिकेता प्रबुद्ध नई चेतना का प्रतीक है।
  • ’आत्मजयी’ में चिन्तन प्रमुख है।
  • कुंवर नारायण मानव मूल्यों की तलाश में रत रहने वाले नए कवि हैं।

शमशेर बहादुरसिंह (1911-1993 ई.)

रचनाएँ

काव्य कृतियां – 1. दूसरा सप्तक में संकलित कविताएं, 2. चुका भी नहीं हूं मैं, 3. इतने पास अपने, 4. काल तुझसे होङ मेरी, 5. बात बोलेगी हम नहीं, 6. उदिता
सम्पादन – 1. कहानी 2. नया साहित्य

विशेष:

  • मार्क्सवाद के समर्थक,
  • सौन्दर्य बोध के कवि ,
  • अधिकांश कविताओं का स्वर कुण्ठित प्रेम है,
  • अमूर्त चित्रात्मकता, शब्द संगीत उनके काव्य शिल्प में प्रमुख स्वर है,
  • अतिशय व्यक्तिवादिता उनकी कविता का प्रमुख स्वर है।

जगदीश गुप्त (1924-2001 ई.)

 रचनाएँ

काव्यकृतियां – 1. नाव के पांव, 2. शब्द दंश, 3. हिम बिद्ध, 4. युग्म, 5. छन्दशती, 6. गोपा गौतम, 7. बोधि वृक्ष, 8. शम्बूक
सम्पादन – नई कविता
आलोचना – नई कविता – स्वरूप और समस्याएं।

विशेष:

  • नई कविता के प्रमुख कवि,
  • नई कविता के पक्षधर,
  • कविताओं में चित्रात्मकता,
  • प्रकृति प्रेम,
  • सौन्दर्य का सूक्ष्म चित्रण,
  • नवीन शिल्प विधान,
  • ’शम्बूक’ में मानवतावादी चेतना की अभिव्यक्ति।

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