• Home
  • PDF Notes
  • Videos
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • PDF NOTES
  • VIDEOS
  • कहानियाँ
  • व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • कविताएँ
  • Web Stories

वापसी कहानी की समीक्षा -उषा प्रियवंदा

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:16th May, 2022| Comments: 1

Tweet
Share
Pin
Share
0 Shares

आज के आर्टिकल में हम उषा प्रियवंदा की वापसी कहानी की समीक्षा (Vapsi Kahani ki Samiksha) करेंगे ,यह कहानी काफी चर्चित रही थी।

वापसी कहानी की समीक्षा – उषा प्रियवंदा

Table of Contents

  • वापसी कहानी की समीक्षा – उषा प्रियवंदा
    • वापसी कहानी का कथानक-
    • वापसी कहानी की भाषा-शैली-
    • वापसी कहानी में संवाद प्रयोग-
    • वापसी कहानी में वातावरण-
    • वापसी कहानी का उद्देश्य-
    • वापसी कहानी के शीर्षक की सार्थकता-
    • वापसी कहानी का निष्कर्ष-
    • महत्त्वपूर्ण लिंक :

उषा प्रियवंदा ने अपनी कहानियों में पारिवारिक जीवन की परिवर्तित व्यवस्था एवं प्रेम सम्बन्धों के बदलते स्वरूप को अभिव्यक्ति प्रदान की है। उनकी कहानियों में आधुनिक परिवारों में बदलते मानवीय सम्बन्धों की व्याख्या बहुत सुन्दर और स्वाभाविक ढंग से की गयी है। ’वापसी’ उनकी चर्चित कहानियों में से एक है। यह कहानी संयुक्त परिवार के विघटन की कहानी है। इसमें एक व्यक्ति के रिटायर होकर घर लौटने और पुनः घर छोङकर अन्यत्र लौटने की कहानी की बहुत मार्मिकता से अभिव्यक्त किया गया है।

वापसी कहानी का कथानक-

’वापसी’ एक रिटायर्ड रेल्वे कर्मचारी की कहानी है। गजाधर बाबू पैंतीस वर्ष की नौकरी के पश्चात् अत्यन्त उत्साह के साथ घर लौटते है। उन्हें अपने परिवार से बहुत स्नेह था। स्त्री और बच्चों को उन्होंने बच्चों की पढ़ाई की सुविधा की दृष्टि से शहर छोङ दिया था तथा स्वयं रेल्वे कर्वाटर में रहते थे। जिस समय रिटायर होते है, तो उन्हें एक परिचित संसार को छोङने का दुख होता है, किन्तु उन्हें अपने परिवार के साथ रह सकने की प्रसन्नता भी होती है। लेकिन अपने घर में आकर इसके विपरीत होता है। उनके अकेलेपन का अहसास और गहरा हो जाता है।

वे अपने घर में अपनी व्यर्थता का अनुभव करते है। जैसे किसी मेहमान के लिए अस्थाई चारपाई का प्रबन्ध कर दिया जाता है वैसे ही उनके लिए बैठक में एक पतली-सी चारपाई डाल दी गयी। वे अपनी पत्नी से भी बातचीत में सहानुभूति का अभाव पाते है और अनुभव करते हैं कि उनकी लङकी, पुत्र, पुत्रवधू को किसी भी बात में उनका हस्तक्षेप सहन नहीं है। उनकी उपस्थिति पर घर में ऐसी लगने लगी जैसे बेठक में उनकी चारपाई थी। उन्होंने अनुभव किया कि वह अपनी पत्नी और बच्चों के लिए धनोपार्जन का साधन मात्र थे।

अन्त में वह किसी दूसरी नौकरी पर चले जाते है तब भी पत्नी उनके साथ नहीं जाती और उनकी उपस्थिति की प्रतीक चारपाई कमरे से बाहर निकाल दी जाती है। यह सम्पूर्ण कथा बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत की गयी है। रोचकता आद्यन्त बनी रहती है। पाठक को यह घर-घर की हानी प्रतीत होती है। पीढ़ी का संघर्ष कुछ इस रूप में मुखरित हुआ है कि पुरानी पीढ़ी में तो सामंजस्य का अभाव नहीं है, अपितु नयी पीढ़ी में हृदयहीनता एवं पुरानी पीढ़ी के प्रति उदासीनता ही अधिक दिखाई पङती है।

चरित्र-चित्रण- कहानी में सर्वाधिक महत्वपूर्ण चरित्र गजाधर बाबू का ही है। प्रारम्भ में ही वह एक सहृदय एवं स्नेही व्यक्ति के रूप में हमारे सामने आते है। घर जाने की खुशी में भी वह एक विषाद का अनुभव करते है जैसे एक परिचित स्नेह, आदरमय, सहज संसार में उनका नाता टूट रहा हो। उनका सेवक गनेशी उनके जाने पर दुखी होता है तो वे कहते है- ’’कभी कुछ जरूरत हो तो लिखना गनेशी, इस अगहन तक बिटिया की शादी कर दो।’’

उन्हें अपनी पत्नी और बच्चों से बहुत लगाव था, किन्तु जब वह यह जान लेते है कि वह उनके लिए धनोपार्जन के निमित्त मात्र है तो वह चुपचाप उनके जीवन से दूर नौकरी करने चले जाते है। उनमें सामंजस्य की क्षमता का अभाव नहीं है, किन्तु बच्चों के साथ गृहस्थ में रम गयी है। पति को उसकी सहानुभूति की कितनी आवश्यकता है, इसका उसे जरा सा भी अहसास नहीं होता है। नरेन्द्र आधुनिक युग का वह युवक है जो पिता के साथ रहना पसन्द नहीं करता है।

वह माँ से कहता है- ’’अम्मा तुम बाबूजी से कहती क्यों नहीं ? बैठे बिठाये कुछ करते नहीं तो नौकर को ही छुङा दिया। अगर बाबूजी यह समझें कि मैं साइकिल पर गेहूँ रखकर आटा पिसाने जाऊँगा तो मुझसे यह नहीं होगा। बूढ़े आदमी है चुपचाप पङे रहें। हर चीज में दखल क्यों देते है।’’ बसन्ती भी पिता के टोकने के कारण उनसे बोलती तक नहीं है। उसे और उसकी भाभी को गजाधर बाबू का नौकर छुङाना बहुत बुरा लगता है। गजाधर बाबू के पुनः नौकरी पर चले जाने से सभी बहुत प्रसन्न होते है।

वापसी कहानी की भाषा-शैली-

’वापसी’ कहानी की भाषा इसके कथ्य एवं चरित्रों के अनुकूल ही है। कहानी की भाषा दैनिक प्रयोग में आने वाली सरल भाषा है। उसमें समप्रेषणीयता एवं गति है। कहानी के मूलभाव स्वरूप घर में गजाधर की स्थिति को व्यक्त करने वाली भाषा का एक उदाहरण देखिए- ’’किसी भी बात में हस्तक्षेप न करने के निश्चय के बाद भी उनका अस्तित्व उस वातावरण का एक भाग न बन सका। उनकी उपस्थिति उस घर में ऐसी असंगत लगने लगी जैसे सजी हुई बैठक में उनकी चारपाई थी। उनकी सारी खुशी एक उदासीनता में डूब गयी।’’

वापसी कहानी में संवाद प्रयोग-

संवाद कहानी की नाटकीयता एवं सजीवता में वृद्धि करते है। प्रस्तुत कहानी के संवादों की भाषा सरल है। वे सहज, स्वाभाविकता से पूर्ण है तथा कथानक को गति प्रदान करते है। पात्रों की मनस्थिति का परिचय देने में ये संवाद विशेष रूप से सहायक हुए है। एक उदाहरण देखिए-
’नरेन्द्र ने थाली सरकाकर कहा, ’मैं ऐसा खाना नहीं खा सकता।’ बसन्ती तुनककर बोली, ’तो न खाओ’ कौन तुम्हारी खुशामद करता है ?’
’तुमसे खाना बनाने को कहा किसने था ?’ नरेन्द्र चिल्लाया
’बाबूजी ने।’
’बाबूजी को बैठे-बैठे यही सूझता है।’

वापसी कहानी में वातावरण-

उषा प्रियंवदा ने ’वापसी’ कहानी में विघटित होते हुए संयुक्त परिवार को सफलतापूर्वक उभारा है। संयुक्त परिवार का एक चित्र इन पंक्तियों में मिल जायेगा-’’अमर और उसकी बहु की शिकायतें बहुत थी। उनका कहना था कि गजाधर बाबू हमेशा बैठक में ही पङे रहते है। कोई आने जाने वाला हो तो बैठाने की जगह नहीं। अमर को अब भी वह छोटा सा समझते थे और मौके बेमौक टोक देते थे। बहू को काम करना पङता था और सास जब तक फूहङपन पर ताने देती रहती थी।

वापसी कहानी का उद्देश्य-

⇒ वापसी कहानी में विघटित होते हुए संयुक्त परिवार की झाँकी प्रस्तुत की गयी है। पीढ़ी-संघर्ष एवं नवीन पीढ़ी की हृदयहीनता का चित्रण लेखिका ने सफलतापूर्वक किया है। गजाधर बाबू नयी पीढ़ी व पुरानी पीढ़ी के संघर्ष के संदर्भ में विवशतापूर्ण अकेलापन चुनने के लिए बाध्य है। पुराने संस्कारों के कारण वह नये के साथ सामंजस्य नहीं कर पाये, यह दृष्टिकोण एकांगी होगा, नये के पास वह सहृदय ही नहीं है जो उन्हें सामंजस्य का अवसर भी प्रदान करता। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ’वापसी’ कहानी कला की कसौटी पर खरी उतरती है।

वापसी कहानी के शीर्षक की सार्थकता-

कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, किन्तु प्रभावशाली होना चाहिए। वस्तुतः कहानी का मूल भाव जब संक्षिप्त होते-होते एक शब्द या शब्द समूह में परिवर्तित हो जाये तो वहीं उसका सार्थक शीर्षक होता है। आलोच्य कहानी का शीर्षक कहानी की प्रमुख घटना पर आधारित एवं कथा की मूल संवेदना को अभिव्यक्त करने में सफल है। गजाधर बाबू पैंतीस वर्ष पश्चात् रेलवे में नौकरी करके रिटायर होते है।

अपनी नौकरी में अधिकतर उन्हें अपने परिवार से अलग रहना पङता। वह स्नेही व्यक्ति थे। जिस समय रिटायर होते है, तो उन्हें एक परिचित संसार को छोङने का दुख होता है, किन्तु उन्हें अपने परिवार के साथ रह सकने की प्रसन्नता भी बहुत होती है। लेकिन अपने घर में आकर व्यर्थता का अनुभव करते है। जैसे किसी मेहमान के लिए अस्थाई चारपाई का प्रबन्ध कर दिया जाता है वैसे ही उनके लिए बैठक में पतली-सी चारपाई डाल दी गयी। वे अपनी पत्नी से भी बातचीत में सहानुभूति का अभाव पाते है और अनुभव करते है कि उनकी लङकी, पुत्र, पुत्रवधू को किसी भी बात में उनका हस्तक्षेप सहनू नहीं है।

उनकी उपस्थिति उस घर में ऐसी लगने लगी जैसे बैठक में उनकी चारपाई थी। उन्होंने अनुभव किया कि वह अपनी पत्नी और बच्चों के लिए धनोपार्जन का साधन मात्र थे। इन सब बातों से क्षुब्ध होकर वे अन्यत्र नौकरी के लिए प्रार्थनापत्र देते है तथा नियुक्ति पत्र मिल जाने पर वहाँ से चले जाते है। उनकी घर से वापिस नौकरी पर लौटने की घटना ही इस कहानी का शीर्षक है। उनके जीवन की सारी कटुता, खिन्नता उनकी इस ’वापसी’ में समाहित हो जाती है। इस प्रकार का शीर्षक अत्यन्त सार्थक सिद्ध होता है।

वापसी कहानी का निष्कर्ष-

संक्षेप में कह सकते है कि ’वापसी’ कहानी कहानी-कला की कसौटी पर खरी उतरती है। यह पारिवारिक विघटन को प्रस्तुत करने वाली कहानियों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कथावस्तु, चरित्र, वातावरण, उद्देश्य आदि सभी दृष्टियों से यह एक विशिष्ट और प्रभावी कहानी है।

आकाशदीप कहानी की तात्त्विक समीक्षा

प्रमुख नाटक सारांश

महत्त्वपूर्ण लिंक :

सूक्ष्म शिक्षण विधि    🔷 पत्र लेखन      

  🔷प्रेमचंद कहानी सम्पूर्ण पीडीऍफ़    🔷प्रयोजना विधि 

🔷 सुमित्रानंदन जीवन परिचय    🔷मनोविज्ञान सिद्धांत

🔹रस के भेद  🔷हिंदी साहित्य पीडीऍफ़  

🔷शिक्षण कौशल  🔷लिंग (हिंदी व्याकरण)🔷 

🔹सूर्यकांत त्रिपाठी निराला  🔷कबीर जीवन परिचय  🔷हिंदी व्याकरण पीडीऍफ़    🔷 महादेवी वर्मा

  • साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 
Tweet
Share
Pin
Share
0 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register

    My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register

  • First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF

    First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF

  • Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game

    Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game

Comments

  1. निज़ाम राम says

    13/05/2021 at 12:38 PM

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Subscribe Us Now On Youtube

Search

सम्पूर्ण हिंदी साहित्य पीडीऍफ़ नोट्स और 5000 वस्तुनिष्ठ प्रश्न मात्र 100रु

सैकंड ग्रेड हिंदी कोर्स जॉइन करें

ट्विटर के नए सीईओ

टेलीग्राम चैनल जॉइन करें

Recent Posts

  • द्वन्द्व समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dwand samas
  • द्विगु समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dvigu Samas
  • NTA UGC NET Hindi Paper 2022 – Download | यूजीसी नेट हिंदी हल प्रश्न पत्र
  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register
  • First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF
  • Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game
  • कर्मधारय समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Karmadharaya Samas
  • Rush Apk Download – Latest Version App, Login, Register
  • AJIO App Download – Latest Version Apk, Login, Register
  • अव्ययीभाव समास – परिभाषा, भेद और उदाहरण || Avyayibhav Samas

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • App Review
  • General Knowledge
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • विलोम शब्द
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • संधि
  • समास
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी पाठ प्रश्नोत्तर
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

हमारा यूट्यूब चैनल देखें

Best Article

  • बेहतरीन मोटिवेशनल सुविचार
  • बेहतरीन हिंदी कहानियाँ
  • हिंदी वर्णमाला
  • हिंदी वर्णमाला चित्र सहित
  • मैथिलीशरण गुप्त
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • महादेवी वर्मा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • कबीरदास
  • तुलसीदास

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
तुलसीदास का जीवन परिचय || Tulsidas ka jeevan parichay
रामधारी सिंह दिनकर – Ramdhari Singh Dinkar || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Footer

हिंदी व्याकरण

 वर्ण विचार
 संज्ञा
 सर्वनाम
 क्रिया
 वाक्य
 पर्यायवाची
 समास
 प्रत्यय
 संधि
 विशेषण
 विलोम शब्द
 काल
 विराम चिह्न
 उपसर्ग
 अव्यय
 कारक
 वाच्य
 शुद्ध वर्तनी
 रस
 अलंकार
 मुहावरे लोकोक्ति

कवि लेखक परिचय

 जयशंकर प्रसाद
 कबीर
 तुलसीदास
 सुमित्रानंदन पंत
 रामधारी सिंह दिनकर
 बिहारी
 महादेवी वर्मा
 देव
 मीराबाई
 बोधा
 आलम कवि
 धर्मवीर भारती
मतिराम
 रमणिका गुप्ता
 रामवृक्ष बेनीपुरी
 विष्णु प्रभाकर
 मन्नू भंडारी
 गजानन माधव मुक्तिबोध
 सुभद्रा कुमारी चौहान
 राहुल सांकृत्यायन
 कुंवर नारायण

कविता

 पथिक
 छाया मत छूना
 मेघ आए
 चन्द्रगहना से लौटती बेर
 पूजन
 कैदी और कोकिला
 यह दंतुरित मुस्कान
 कविता के बहाने
 बात सीधी थी पर
 कैमरे में बन्द अपाहिज
 भारत माता
 संध्या के बाद
 कार्नेलिया का गीत
 देवसेना का गीत
 भिक्षुक
 आत्मकथ्य
 बादल को घिरते देखा है
 गीत-फरोश
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us