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अलंकार उदाहरण – Alankar Ke Udaharan || Hindi Sahitya

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:8th Jun, 2022| Comments: 7

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आइए दोस्तों आज हम कुछ अलंकार और उनके उदाहरण से रूबरू करवाते है

Alankar

अलंकार – Alankar

Table of Contents

  • अलंकार – Alankar
    • अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
    • 1. छेकानुप्रास अलंकार:-
    • 2. वृत्यानुप्रास अलंकार:-
    • 3. लाटानुप्रास अलंकार:-
    • 4. अन्त्यानुप्रास अलंकार:-
    • 5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार:-
      • श्लेष अलंकार(slesh alankaar)
      • यमक अलंकार (yamak alankar)
      • वक्रोक्ति अलंकार (vkrokti alankar)
      •                                              
      • उपमा अलंकार(upma alankar)
      •  
        • रूपक अलंकार  (rupak alankar)
        • उत्प्रेक्षा अलंकार(utpreksha alankar)
        • उपमेयोपमा अलंकार
        • अतिशयोक्ति अलंकार(atishyokti alankar)
        • 3. उभयालंकार
        •      
        • मानवीकरण अलंकार(manvikarn alankar)
        • दृष्टांत अलंकार(dristaant alankar)
        • उल्लेख अलंकार(ullekh alankar)
        • विरोधाभास अलंकार(virodhabhas alankar)
        • प्रतीप अलंकार(parteep alankar)
      • अलंकार उदाहरण
        • अपन्हुति अलंकार
        • भ्रान्तिमान अलंकार(bharantimaan alankar )
        • काव्यलिंग अलंकार(kavyling alankar)
        • संदेह अलंकार(sandeh alankar)

अलंकार शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है- आभूषण। काव्य रूपी काया की शोभा बढ़ाने वाले अवयव को अलंकार कहते हैं। दुसरे शब्दों में जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा बढ़ते हैं, उसी प्रकार अलंकार साहित्य या काव्य को सुंदर व रोचक बनाते हैं। अलंकार के तीन भेद होते हैं।

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार
  • उभयालंकार

1. शब्दालंकार – जहाँ काव्य में चमत्कार का आधार केवल शब्द हो वहाँ शब्दालंकार होता है। इसके अंतर्गत अनुप्रास, श्लेष,यमक, वक्रोक्ति आदि अलंकार आते हैं।

2. अर्थालंकार – जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में सुन्दरता का होना पाया जाय, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके अंतर्गत उपमा,रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिश्योक्ति आदि अलंकार आते हैं।

3. उभयालंकार – जहाँ शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार निहित होता है, वहाँ उभयालंकार होता है।

उदा.

“मेखलाकार पर्वत अपार,

अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़।।”

इन पंक्तियों में मानवीकरण और रूपक दोनों अलंकार होने से यह उभयालंकार उदाहरण है।

अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)

जहाँ एक ही वर्ण बार – बार दोहराया जाए, अर्थात वर्णों की आवृति हो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

उदा.

” चारु- चन्द्र की चंचल किरणें,

खेल रही थी जल- थल में”।

  • अनुप्रास अलंकार के कितने भेद होते है ?
  • अनुप्रास अलंकार के पांच भेद हैं

 

1. छेकानुप्रास अलंकार:-

जहाँ स्वरूप और क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृति एक बार हो, वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है।

उदा.

“बगरे बीथिन में भ्रमर, भरे अजब अनुराग।

कुसुमित कुंजन में भ्रमर, भरे अजब अनुराग।।”

 

2. वृत्यानुप्रास अलंकार:-

जहाँ एक व्यंजन की आवृति अनेक बार हो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार होता है।

उदा.

“चामर- सी ,चन्दन – सी, चंद – सी,

चाँदनी चमेली चारु चंद- सुघर है।”

 

3. लाटानुप्रास अलंकार:-

जब एक शब्द या वाक्य खंड की आवृति उसी अर्थ में हो वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है।

उदा.

“रामभजन जो करत नहिं, भव- बंधन- भय ताहि।

रामभजन जो करत नहिं, भव-बंधन-भय ताहि।।”

 

4. अन्त्यानुप्रास अलंकार:-

जहाँ अंत में तुक मिलती हो, वहाँ अन्त्यानुप्तास अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“लगा दी किसने आकर आग।

कहाँ था तू संशय के नाग?”

 

5. श्रुत्यानुप्रास अलंकार:-

जहाँ कानो को मधुर लगने वाले वर्णों की आवृति होती है, वहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।

उदाहरण:-

” दिनांत था ,थे दीननाथ डुबते,

सधेनु आते गृह ग्वाल बाल थे।”

श्लेष अलंकार(slesh alankaar)

श्लेष अलंकार – श्लेष का अर्थ -‘चिपका हुआ’ होता है।जहाँ काव्य में प्रयुक्त किसी एक शब्द के कई अर्थ हों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“जो’रहीम’ गति दीप की, कुल कपूत की सोय।

बारे उजियारो करे, बढ़े अंधेरो होय।।”

 

यमक अलंकार (yamak alankar)

जहाँ शब्दों या वाक्यांशों की आवृति एक से अधिक बार होती है, लेकिन उनके अर्थ सर्वथा भिन्न होते हैं,वहाँ यमक अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“कनक-कनक से सो गुनी,मादकता अधिकाय,

वा खाय बौराय जग, या पाय बोराय।।’

 

वक्रोक्ति अलंकार (vkrokti alankar)

जहाँ किसी बात पर वक्ता और श्रोता की किसी उक्ति के सम्बन्ध में,अर्थ कल्पना में भिन्नता का आभास हो, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण:

” कहाँ भिखारी गयो यहाँ ते,

करे जो तुव पति पालो।”

 2. अर्थालंकार –

अब हम बात करेंगे कि अर्थालंकार कोनसे होते है

                                             

उपमा अलंकार(upma alankar)

 

उपमा शब्द का अर्थ है-तुलना। जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की अन्य व्यक्ति या वस्तु से चमत्कारपूर्ण समानता की जाय, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदाहरण:-

” पीपर- पात सरिस मन डोला।”

उपमा अलंकार के चार अंग है:-

  • उपमेय:-जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए।
  • उपमान:- जिससे तुलना की जाए।
  • वाचक शब्द:- समानता बताने वाले शब्द। जैसे-सा, सम, सी, ज्यो, तुल्य आदि।
  • साधारण धर्म:-उपमेय और उपमान के समान धर्म को व्यक्त करने वाले शब्द।

उदाहरण:

“बढ़ते नद सा वह लहर गया ”

यहाँ राणा प्रताप का घोडा चेतक(वह) उपमेय है, बढ़ता हुआ नद ( उपमान) सा ( समानता वाचक शब्द या पद ) लहर गया(सामान धर्म)।

रूपक अलंकार  (rupak alankar)

 

जहाँ उपमान और उपमेय के भेद को समाप्त कर उन्हें एक कर दिया जाय, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

इसके लिए निम्न बातों की आवश्यकता है:-

  • उपमेय को उपमान का रूप देना ।
  • वाचक शब्द का लोप होना।
  • उपमेय का भी साथ में वर्णन होना।

उदहारण:

“उदित उदय गिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग।

विगसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भृंग।।”

 

उत्प्रेक्षा अलंकार(utpreksha alankar)

जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना व्यक्त की जाय , वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।। इसमें ‘मनु’, ‘मानो’,’जणू’, ‘जानो’ आदि शब्दों का प्राय :

प्रयोग होता है।

उदाहरण:-

“सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।

मनहु नील मणि शैल पर, आतप परयो प्रभात।।”

 

उपमेयोपमा अलंकार

जहाँ उपमेय और उपमान को आपस में उपमान और उपमेय बनाने का प्रयत्न किया जाय ,वहाँ उपमेयोपमा अलंकार होता है। इसमें दो प्रकार की भिन्न उपमाएं हैं।

उदाहरण:-

“राम के समान शम्भु, शम्भु सैम राम है

 

अतिशयोक्ति अलंकार(atishyokti alankar)

 

जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णनं बढ़ा-चढ़ाकर किया जाय वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।अर्थात जहाँ उपमेय को उपमान पूरी तरह आत्मसात कर ले।

उदाहरण:-

“आगे नदिया पड़ी अपार,

घोड़ा कैसे उतरे पार।

राणा ने सोचा इस पार,

तब तक चेतक था उस पार।।”

3. उभयालंकार
     
मानवीकरण अलंकार(manvikarn alankar)

जहाँ पर काव्य में जड़ में चेतन का आरोप होता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“मेखलाकार पर्वत अपार

अपने सहस्त्र दृग सुमन फाड़

अवलोक रहा है ,बार-बार

नीचे जल में निज महाकार।”

 

दृष्टांत अलंकार(dristaant alankar)

जहाँ उपमेय और उपमान तथा उनकी साधारण धर्मों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब का भाव हो,वहाँ दृष्टांत अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“सुख-दुःख के मधुर मिलन से,

यह जीवन हो परिपूरन।

फिर घन में ओझल हो शशि,

फिर शशि में ओझल हो घन।”

 

उल्लेख अलंकार(ullekh alankar)

जहाँ एक वस्तु वर्णन अनेक प्रकार से किया जाय,वहाँ उल्लेख अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“तू रूप है किरण में , सौन्दर्य है सुमन में।”

 

विरोधाभास अलंकार(virodhabhas alankar)

जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास किया जाए,वहां विरोधाभास अलंकार होता है।

उदा.

“बैन सुन्या जबतें मधुर,तब ते सुनत न बैन।।”

प्रतीप अलंकार(parteep alankar)

इसका अर्थ है उल्टा। उपमा के अंगों में उलट-फेर अर्थात उपमेय को उपमान के समान न कहकर उलट कर उपमान को ही उपमेय कहा जाता है। इसी कारण इसे प्रतीप अलंकार कहते हैं।

उदा.

“नेत्र के समान कमल है”।

अलंकार उदाहरण

 

अपन्हुति अलंकार

इसका अर्थ है छिपाव। जब किसी सत्य बात या वस्तु को छिपाकर(निषेध) उसके स्थान पर किसी झूठी वस्तु की स्थापना की जाती है,तब अपन्हुति अलंकार होता है।

उदाहरण:-

“सुनहु नाथ रघुवीर कृपाला,

बन्धु न होय मोर यह काला।”

 

भ्रान्तिमान अलंकार(bharantimaan alankar )

जब उपमेय में उपमान का आभास हो तब भ्रम या भ्रान्तिमान अलंकार होता है।

उदा.

“नाक का मोती अधर की कांति से,

बीज दाड़िम का समझ कर भ्रान्ति से

देखता ही रह गया शुक मौन है,

सोचता है अन्य शुक यह कौन है।”

 

काव्यलिंग अलंकार(kavyling alankar)

किसी तर्क से समर्थित बात को काव्यलिंग अलंकार कहते हैं।

उदाहरण:

“कनक-कनक ते सौगुनी,मादकता अधिकाय।

उहि खाय बौरात नर,इही पाय बौराय।।”

 

संदेह अलंकार(sandeh alankar)

जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नही हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनी रहती है,तब संदेह अलंकार होता है।

उदा.

“बाल धी विसाल विकराल ज्वाल-जाल मानौ,

लंक लीलिवे को काल रसना पसारी

अलंकार उदाहरण

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Comments

  1. Kaptan JATAV says

    15/12/2018 at 6:56 PM

    Send 12th syllabus

    Reply
  2. Karisma nayal says

    10/02/2019 at 7:51 PM

    It was awesome to read this page about alankar

    Reply
  3. रोहिताश कुमार घोड़ेला says

    22/03/2019 at 8:20 AM

    बहुत अच्छी जानकारी उपलब्ध करवाई है आपने भाई साब।

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      22/03/2019 at 9:48 PM

      जी धन्यवाद

      Reply
  4. Ankita ojha says

    26/09/2019 at 8:05 AM

    Thanku so much❣️

    Reply
    • Tiya salvi says

      15/10/2019 at 10:13 AM

      Very good condition and so nice

      Reply
  5. Abhinav chourasia says

    24/10/2021 at 1:58 PM

    Thank you so much sir/mam mera hindi ka project complete ho gya thank you so much byyy !

    Reply

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