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रीतिकाल हिंदी साहित्य ट्रिक्स || Hindi sahitya

दोस्तो आज की पोस्ट में हम रीतिकाल हिंदी साहित्य ट्रिक्स के माध्यम से याद करेंगे ,इसका संकलन याद रखने के उद्देश्य से किया गया है

जैसा कि हम जानते है कि रीतिकाल काव्यधारा को तीन भागों में बांटा गया है

  • रीतिबद्ध काव्यधारा 
  • रीतिसिद्ध काव्यधारा 
  • रीतिमुक्त काव्यधारा 

सभी रीतिकाल के कवियों को कहानी के माध्यम से तैयार करें ,कहानी को 2-3 पढ़ें ,तब आपके कहानी भी कंठस्थ हो जाएगी और रीतिकाल के कवि भी याद हो जायेंगे 

रीतिसिद्ध कवि कहानी 

Table of Contents

  • रीतिसिद्ध कवि कहानी 
  • रीतिसिद्ध कवि कहानी 
  • रीतिबद्ध कवि कहानी 
    • रीतिमुक्त कवि कहानी 

मित्रों अब हम रीतिसिद्ध कवि के बारे में अध्ययन करेंगे हम इन्हें कहानी के माध्यम से याद करने का प्रयास करेंगे
यहां पर जिन शब्दों को कोष्टक में लिखा गया है वह रीतिसिद्ध कवियों के नाम है
हमें रीतिसिद्ध कवियों को याद करने के लिए राजा विक्रमादित्य की कहानी को याद करना पड़ेगा

मित्रों हमें यह कल्पना करनी हैं कि ?(विक्रमादित्य) एक बार सिद्धि प्राप्त करने के लिए अपने मंत्री (नृपशंभू )के साथ में (वृंद कवि )के पास में जाते हैं तो वृंद कवि उन्हें सिद्धि के बारे में बताता है और कहता है की तुम अपना राजकाज (सेनापति) को सौंप दो

इसी बात पर उनके साथ में गया उनका मंत्री नृप शंभू वहां पर हट (हठी जी)कर लेता है जब उनका मंत्री वहां पर हट करता है तो उनको (रामसहाय दास )समझाता है और कहता है कि तुम अब अपना भाग्य के बारे में सोचो अगर विक्रमादित्य सिद्धि प्राप्त करने जाएगा तो मैं तुम्हें एक पाजेब (पजनेस)दूंगा और उस पाजेब को तुम विक्रमादित्य की प्रेमिका को पहना देना इससे वह प्रेमिका तुम्हारे वशीभूत हो जाएगी

रीतिसिद्ध कवि कहानी 

इस प्रकार सेनापति मन में प्रसन्न होता है और वह राम सहायदास से कहता है की विक्रमादित्य तो सिद्धि प्राप्त करने के लिए चला जाएगा तो मैं उसकी प्रेमिका को पाजेब कैसे पहनाऊंगा तो इसका उपाय बताते हुए रामसहाय दास कहता है कि मैं वह पाजेब (नेवाज )नामक स्वर्णकार से लेकर आऊंगा और (बेनी )नामक एक सिद्धि प्राप्त तांत्रिक है उससे तुम्हारे लिए एक रस का पात्र लाऊंगा उस रस के पात्र का नाम( रस निधि) है तुम्हें उस रस को उसकी प्रेमिका को पिलाना है इससे वह तुम्हारे चंगुल में फंस जाएगी इस प्रकार राजा विक्रमादित्य तो सिद्धि प्राप्त करने के लिए चले जाते हैं परंतु उनके दरबारी कवि (बिहारी) और (कृष्ण कवि) को इनकी इस बुरी चाल का पूर्वाभास हो जाता है तो वह इस साजिश को बेनकाब कर देते हैं

मित्रों मैंने इस कहानी के माध्यम से रीतिसिद्ध कवि हुए उनके बारे में बताया है और एक शब्द का बीच में प्रयोग किया है पूर्वाभास
यहां इस पूर्वाभास शब्द का यह अर्थ है कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिसिद्ध कवियों को स्वच्छंदतावाद का पूर्वाभास नाम से संबोधित किया है

रीतिबद्ध कवि कहानी 

मित्रों रीतिबद्ध कवियों का वर्गीकरण करने के लिए हमें एक प्रेमिका और उसका प्रेमी ग्वाले (ग्वाल कवि)के बारे में अध्ययन करना पड़ेगा
एक बार एक ग्वाले को उसकी प्रेमिका अपने प्रेम जाल में फंसा लेती है, यहां फसाने का अर्थ रीतिबद्ध है ,परंतु बाद में वह उससे प्यार करने लग जाती है
क्योंकि एक बार गवाले को एक मनी( कुमार मणि) मिली थी और वह मणि उसने अपनी प्रेमिका को दे दी थी इस प्रकार जब मणि को प्रेमिका को ग्वाला दे देता है तो प्रेमिका उसके प्यार में बंध जाती है और उसे वह देव (देव या देवदत्त)के समान मानने लगती है और उसका मंडन(मंडन मिश्र) करती है

जब ग्वाला की लड़ाई गांव के कुलपति व जसवंत सिंह( यहां यह दोनों नाम कुलपति मिश्र व जसवंत सिंह है) से हो जाती है तो ग्वाले की मती(मतिराम) भ्रष्ट हो जाती है इस प्रकार तो उसकी इस प्रकार की सूरत(सुरति मिश्र) को देखकर उसकी प्रेमिका को चिंता(चिंतामणि) होती है

और वह सोचती है की यह ग्वाला अब भिखारी(भिखारीदास) के समान कैसे लग रहा है मैंने तो इसे खूब भूषण (भूषण)पहनाए थे परंतु यह तो भूषण पहनने के बाद में ही मुझे रसिक (रसिक गोविंद) के समान नहीं लग रहा है अर्थात मुझे रसिक नहीं लग रहा है क्या बात हो गई इसका रस(रसलीन) तो एकदम तोष(तोष) हो गया है अब मैं क्या करूं अब मुझे इसे पद्माकर वैद्य (पद्माकर)के पास ले जाना चाहिए

प्रेमिका जब ग्वाले को पद्माकर वैद्य के पास ले जाती है तो उस वक्त पद्माकर वैद्य उसे कहते हैं इसे तुम केशव(केशवदास) के पास ले जाओ वह इसके सोमरस लगाएगा ( सोमनाथ) तब यह रीति के समान बंध जाएगा

रीतिमुक्त कवि कहानी 

रीतिमुक्त काव्य धारा के कवि
===================
जो शब्द कोष्टक में लिखे हैं वह रीतिमुक्त कवियों के नाम है l

मित्रों अब हम रीतिमुक्त काव्य धारा के कवियों के बारे में अध्ययन करेंगे l
मित्रों रीतिमुक्त कवियों के बारे में याद रखने के लिए हमें मुक्त शब्द को मुख्यतः अपने दिमाग में रखना होगाl
जब (ठाकुर) की कैद से (आलम) मुक्त हो गया तो उसको बोध(बोधा) नहीं रहा यानी उसको होश नहीं रहा क्योंकि उसके आनंद(घनानंद) की सीमा बहुत हद तक पहुंच गई थी
उसको दिखाने के लिए ठाकुर का सेवक उसे वैद्य (द्विज देव) के पास ले जाता है जब वह उसे वैद्य के पास ले जाता है तो उसके दुश्मन को पता चल जाता है और वह उसे रीति के रोग से मुक्त करता है

दोस्तो अगर आपको याद करने का यह तरीका अच्छा लगे तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिखें ,जो भी आपको ट्रिक तैयार करवानी हो वो कमेन्ट बॉक्स में जरुर बताएं और पोस्ट को शेयर जरुर करें 

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