आज की पोस्ट में हमे काव्यशास्त्र के तहत अलंकारों के टॉपिक में विरोधाभास अलंकार(Virodhabhas Alankar) के बारे में अच्छे से पढेंगे ।
विरोधाभास अलंकार
’विरोधाभास’ शब्द ’विरोध+आभास’ के योग से बना है, अर्थात् जब किसी पद में वास्तविकता में तो विरोध वाली कोई बात नहीं होती है, परन्तु सामान्य बुद्धि से विचार करने पर वहाँ कोई भी पाठक विरोध कर सकता है तो वहाँ विरोधाभास अलंकार माना जाता है। जैसे-
’’या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहि कोय।
ज्यौं ज्यौं बूङै स्याम रंग, त्यौं त्यौं उजलो होय।।’
प्रस्तुत पद में कवि यह कहना चाहता है कि हमारे अनुरागी मन की गति को कोई भी समझ नहीं सकता है, क्योंकि यह जैसे-जैसे कृष्ण भक्ति के रंग में डूबता जाता है, वैसे-वैसे ही उसके विकार दूर होते चले जाते है।
यहाँ कोई भी सामान्य बुद्धि का पाठक यह विरोध कर सकता है कि जो काले रंग में डूबता है, वह उज्जवल कैसे हो सकता है। इस प्रकार विरोध का आभास होने के कारण यहाँ विरोधाभास अलंकार माना जाता है।
’’अवध को अपनाकार त्याग से, वन तपोवन सा प्रभु ने किया।
भरत ने उनके अनुराग से, भवन में वन का व्रत ले लिया।।’’
प्रस्तुत पद में राम के द्वारा वन को तपोवन सा बनाना एवं भरत के द्वारा राजभवन में ही वन का व्रत ले लेना विरोध का सा आभास कराता है।
’’तंत्री नाद कवित्त रस, सरस राग रति रंग।
अनबूङे बूङे तिरे, जे बूङे सब अंग।।’’
तंत्री के नाद में जो व्यक्ति नहीं डूबा व डूब गया और जो इसमें डूब गया वह तिर गया, यह विरोधाभास का कथन प्रतीत होता है।
विरोधाभास अलंकार के अन्य उदाहरण:
’’विषमय यह गोदावरी अमृतन को फल देत।
केसव जीवन हार को, असेस दुख हर लेत।।’’
’’राजघाट पर पुल बँधत, गयी पिया के साथ।
आज गये कल देखिके, आज ही लौटे नाथ।।’’
’’शीतल ज्वाला जलती है, ईंधन होता दृग जल का।
यह व्यर्थ साँस चल चलकर, करती है काम अनिल का।।’’
’’धनि सूखै भरे भादों माहा।
अबहुँ न आये सींचने नाहा।।’’
’’अचल हो उठते हैं चंचल, चपल बन जाते अविचल।
पिघल पङते हैं पाहन दल, कुलिश भी हो जाता कोमल।।’’
’’सुलगी अनुराग की आग वहाँ जल से भरपूर तङाग जहाँ।’’
’’कत बेेकाज चलाइयत, चतुराई की चाल। कहे देत यह रावरे, सब गुन बिन गुन माल।।’’
महत्त्वपूर्ण लिंक :
सूक्ष्म शिक्षण विधि 🔷 पत्र लेखन 🔷कारक
🔹क्रिया 🔷प्रेमचंद कहानी सम्पूर्ण पीडीऍफ़ 🔷प्रयोजना विधि
🔷 सुमित्रानंदन जीवन परिचय 🔷मनोविज्ञान सिद्धांत
🔹रस के भेद 🔷हिंदी साहित्य पीडीऍफ़ 🔷 समास(हिंदी व्याकरण)
🔷शिक्षण कौशल 🔷लिंग (हिंदी व्याकरण)🔷 हिंदी मुहावरे
🔹सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 🔷कबीर जीवन परिचय 🔷हिंदी व्याकरण पीडीऍफ़ 🔷 महादेवी वर्मा
बहुत बढ़िया
बहुत अच्छा है