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सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं – हिंदी साहित्य

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:30th May, 2022| Comments: 0

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आज के आर्टिकल में हम हिंदी साहित्य के इतिहास के अंतर्गत भक्तिकाल में सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं पढेंगे ,इससे जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य जानेंगे ।

सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं

Table of Contents

  • सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं
    • भक्तिकाल में सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं
    • प्रथम सूफी रचना –
    • प्रमुख प्रेमाख्यानक कवि एवं रचनाएँ –

भक्तिकाल में सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं

सूफी काव्यधारा की विशेषताएँः-
(क) भावगत विशेषताएँ-

  • सूफी दर्शन ने इस्लाम की पारम्परिक धारणा में संशोधन करते हुए ’’तसत्वुफ’’ के दर्शन को मान्यता दी।
  • मानवीय प्रेम को जीवन के आधारभूत मूल्य के रूप में स्थापित किया ।
  •  इस धारा के कवियों ने पारम्परिक इस्लामिक मान्यताओं तथा प्रेम -तत्व का समन्वय किया। अरबी लिपि के साथ अवधी भाषा का समन्वय किया तथा मसनवी शैली को अपनाया ।
  • इन्होंने हिन्दू समाज में प्रचलित लोक कथाओं को अपने काव्यों का आधार बनाया ।
  • इनका प्रेम  अमूर्त ईश्वर के प्रति होने के कारण रहस्यवादी हो गया ।
  • इन्होनें प्रकृति का रागात्मक चित्रण किया है तथा सुख-दुख की अनुभूति से जोङा है।

भक्तिकाल में सूफीकाव्य धारा की विशेषताएं

  • विरह का अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन किया है क्योंकि सूफी काव्य में आत्मा व परमात्मा के मध्य दूरी पीड़ा उत्पन्न करती है।
  • इन्होंने गुरु को अमूर्त ईश्वर तक पहुँचाने वाला मार्ग-दर्शक माना है

’’गुरु सुआ जेहि पंथ दिखावा ,
बिनु गुरु जगत को निरगुन पावा।’’ (जायसी)

(ख) शिल्पगत वैशिष्ट्य –

  • काव्य रूप प्रायः प्रबंधात्मक है।
  • काव्य रूपों की शैली आचार्य शुक्ल के अनुसार मसनवी है जिसमें आरम्भ में ईश वंदना, फिर राजा की प्रशंसा और फिर गुरु की वंदना के बाद पूरी कथा आती है।
  • डाॅ. गणपतिचन्द्र गुप्त इनकी शैली को भारतीय मानते हैं, मसनवी नहीं।
  • भाषा ठेठ अवधी है। दोहा और चौपाई छन्दों को अपनाया गया है।

प्रथम सूफी रचना –

  • हिन्दी साहित्य में सूफी परम्परा का सूत्रपात 1379 ई. में मुल्ला दाउद की ’’चंदायन’’ या ’’लोरकहा’’ से हुआ।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कुतुबन कृत ’’मृगावती’’ को इसी परम्परा का पहला ग्रंथ मानते हैं। इसकी रचना 1503 ई. हुई।
  • डाॅ. नगेन्द्र ने ’’असाइत’’ कृत ’’हंसावली’’ को प्रेमाख्यानक काव्य परम्परा का पहला ग्रंथ स्वीकार किया है जिसकी रचना 1370 ई. में हुई।

प्रमुख प्रेमाख्यानक कवि एवं रचनाएँ –

(1) जायसी
✔️ इस धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं।
⇒ तीन रचनाएँ ’पद्मावत’, ’अखरावट’ एवं ’आखिरी कलाम’
(2) मुल्ला दाऊद –
सूफी काव्य परम्परा के प्रथम कवि
’चंदायन’ या ’लोरकहा’ लिखी। इसका रचनाकाल 1379 ई. माना गया है।

(3) कुतुबन –
’मृगावती’ की रचना की
शुक्ल ने इसे सूफी काव्य परम्परा का प्रथम कवि माना है।
(4) मंझन: ’मधुमालती’ की रचना की।
(5) उसमान: ’चित्रावली’ की रचना की।
(6) कासिम शाह: ’हंस जवाहिर’
(7) नूर मुहम्मद: ’इंद्रावती’ एवं ’अनुराग बांसुरी’ की रचना की।

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