⇒ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ’निबंध’ को व्यवस्थित एवं मर्यादित विचार-प्रधान गद्य रचना माना है, जिसमें शैली की विशिष्टता और लेखक के निजी चिंतन और अनुभव की विशेषता के कारण व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा भी रहती है।
⇒ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने लिखा है-
’’यदि गद्य कवियों या लेखकों की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौटी है। भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंधों में ही सबसे अधिक संभव है।’’
⇒ आचार्य शुक्ल के निबंधों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
- मनोविकार संबंधी निबंध
- आलोचनात्मक निबंध
⇒ चिन्तामणि भाग-1 के ’निवेदन’ में शुक्ल जी ने लिखा है-
’’इस पुस्तक में मेरी अन्तर्यात्रा में पङने वाले कुछ प्रदेश हैं। यात्रा के लिए निकलती रहती है बुद्धि, पर हृदय को भी साथ लेकर अपना रास्ता निकालती रही है।’’
⇒ आचार्य शुक्ल का निबंध संग्रह चिंतामणि चार भागों में प्रकाशित हुआ है।
⇒ चिंतामणि के चारों भागों के संपादक निम्नलिखित है-
- चिंतामणि भाग- 1 (17 निबंध) संपादकः रामचंद्र शुक्ल 1939 ई.
- ⇒चिंतामणि भाग- 2 (3 निबंध) संपादकः विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 1945 ई.
- चिंतामणि भाग- 3 (21 निबंध) संपादकः नामवर सिंह 1983 ई.
- ⇒चिंतामणि भाग- 4 (47 निबंध) संपादकः कुसुम चतुर्वेदी ओम प्रकाश सिहं 2002 ई.
चिंतामणि भाग-1 में संकलित निबंध
(1) भाव या मनोविकार
(2) उत्साह
(3) श्रद्धा और भक्ति
(4) करूणा
(5) लज्जा और ग्लानि
(6) लोभ और प्रीति
(7) घृणा
(8) ईर्ष्या
(9) भय
(10) क्रोध
(11) कविता क्या है ?
(12) मानस की धर्म भूमि
(13) तुलसी का भक्ति मार्ग
(14) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(15) काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था
(16) साधारणीकरण और व्यक्तिवैचित्र्यवाद
(17) रसात्मक बोध के विविध रूप
चिन्तामणि भाग-2 में संकलित निबंध
(1) काव्य में प्रकृति-दृश्य
(2) काव्य में रहस्यवाद
(3) काव्य में अभिव्यंजनावाद
विशेष तथ्यः
- आचार्य शुक्ल का चिंतामणि भाग-1 सर्वप्रथम ’विचार वीथी’ नाम से सन् 1930 ई. में प्रकाशित हुआ था।
- ’कविता क्या है ?’ निबंध ’सरस्वती’ पत्रिका में सन् 1909 ई. में प्रकाशित हुआ था।
- इनका सबसे पहला निबंध ’साहित्य’ शीर्षक से 1904 ई. में ’सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
- इनको ’निबंध सम्राट’ के नाम से जाना जाता है।
- ’चिंतामणि’ रचना के लिए इनको ’देव पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था।
- ये हिन्दी के कलात्मक निबंधों के जन्मदाता माने जाते है।
चिंतामणि रामचंद्र शुक्ल
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Plzz sir ji भाग 3 और भाग 4 के निबंध डाले
Ati Uttam jankari Sir
Apka bahut bahut dhanyabad
जी धन्यवाद