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दृष्टान्त अलंकार – परिभाषा , उदाहरण || Drishtant Alankar

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:9th Sep, 2022| Comments: 2

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आज के आर्टिकल में हम काव्यशास्त्र के अंतर्गत दृष्टान्त अलंकार (Drishtant Alankar) को विस्तार से पढेंगे ,इससे जुड़ें महत्त्वपूर्ण उदाहरणों को भी पढेंगे।

दृष्टान्त अलंकार – Drishtant Alankar

Table of Contents

  • दृष्टान्त अलंकार – Drishtant Alankar
    • दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा – Drishtant Alankar ki Paribhasha
    • दृष्टान्त अलंकार के उदाहरण – Drishtant Alankar ke Udaharan
    • दृष्टान्त अलंकार के अन्य उदाहरण
    • निष्कर्ष :

Drishtant Alankar

दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा – Drishtant Alankar ki Paribhasha

  • जहाँ पूर्व में कोई कथन कहकर दूसरे कथन में उसकी पुष्टि की जाये। दृष्टांत में सामान्य से विशेष की पुष्टि होती है।
  • उपमेय वाक्य, उपमान वाक्य तथा उनके साधारण धर्मों में यदि बिम्ब-प्रतिबिंब भाव हो तो दृष्टान्त अलंकार होगा। दृष्टान्त का अर्थ है – उदाहरण।
  • बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होने पर, उपमेय वाक्य में जो बात कही जाती है, उसकी सत्यता प्रमाणित करने के लिए उसी से मिलता-जुलता दूसरा उपमान वाक्य कहा जाता है, जो प्रथम वाक्य भी सत्यता पर प्रामाणिकता की मोहर लगा देता है, तो वहाँ दृष्टान्त अलंकार माना जाता है।
  • दूसरे शब्दों में, ’’जहाँ उपमेय और उपमान के रूप में दो भिन्न-भिन्न वाक्य ऐसे रहते हैं जिनके धर्मों में विभिन्नता होती है, किंतु दोनों में एक प्रकार की समानता या एकता-सी दिखलायी जाती है।
  • दृष्टान्त में जैसे, ज्यों आदि पद नहीं रहते, फिर भी वाक्यों में एकता प्रकट की जाती है।
  • जब पहले एक बात कहकर फिर उससे मिलती-जुलती दूसरी बात पहली बात के उदाहरण के रूप में कही जाए इस प्रकार जब दो वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव हो, तब दृष्टांत अलंकार होता है। इसमें प्रथम वाक्य की छाया द्वितीय वाक्य में पङती है अर्थात् प्रथम वाक्य की पुष्टि के लिए द्वितीय वाक्य की योजना की जाती है।

दृष्टान्त अलंकार के उदाहरण – Drishtant Alankar ke Udaharan

1. कुलहिं प्रकासै एक सुत, नहिं अनेक सुत निंद।
चंद एक सब तम हरै, नहिं ठडगन के वृन्द।।

यहाँ दो पृथक् वाक्यों में, जिनके धर्म (भाव) भी पृथक् ही हैं, एकता एवं समता दिखाई गई है। एक में दूसरे का प्रतिबिंब-सा दिखता है।

2. कन कन जोरै मन जुरै, खावत निबरे सोय।
बूँद-बूँद तें घट भरै, टपकत रीतो होय।।

3. श्रम ही सों सब मिलत है, निन श्रम मिलै न काहि।
सीधी अंगुरी घी जम्यो, क्यों हू निकसत नांहि।।

4. मनुष जनम दुरलभ अहै, होय न दूजी बार।
पक्का फल जो गिरि परा, बहुरि न लागै डार।।

5. पानी मनुज भी आज मुख से राम नाम निकालते।
देखो भयंकर भेङिये भी, आज आँसू ढालते।।

6. परी प्रेम नंदलाल के, हमहिं न भावत जोग।
मधुप राजपद पाय के, भीख न मांगत लोग।।

यहाँ कृष्ण के प्रेम में अनुरक्त होकर गोपियों को योग का न भाना वैसा ही है, जैसा राजपद पाकर भीख न माँगना। प्रथम उपमेय वाक्य है और द्वितीय उपमान वाक्य। प्रथम वाक्य की सत्यता के निश्चय के लिए दूसरे वाक्य की योजना हुई है।

दृष्टान्त अलंकार के अन्य उदाहरण

7. बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथै न माखन होय।।

8. करत-करत अभ्यास के, जङमति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।।

9. रूप नंदलाल को, दृगानि रचै नहि आन।
तजि पीयूष कोउ करत, कटु औषधि को पान।।

10. सिव औरंगहि जिति सकै, और न राजा-राव।
हत्थि-मत्थ पर सिंह बिनु, आन न घालै घाव।।

छत्रपति शिवाजी ही औरंगजेब को जीत सकते है अन्य राजा नहीं। फिर उदाहरण स्वरूप दूसरी बात – जो पहली बात से मिलती-जुलती है, कि हाथी के मस्तक पर सिंह ही घाव कर सकता है और कोई नहीं।

11. रहिमन अँसुवा नयन ढरि, जिय दुख प्रकट करेइ।
जाहि निकारौ गेह तें, कस न भेद कहि देइ।।

12. सठ सुधरहिं सत संगति पाई।
परस परसि कु-धातु सुहाई।।

सत्संगति से दुष्ट भी उस प्रकार सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है।

13. भरतहिं होइ न राजमदु, विधि हरि पद पाय।
कबहुँ कि काँजी सीकरनि, छीर सिन्धु विनसाय।।

(ब्रह्म, विष्णु तथा महेश का पद पाकर भी भरत को राजमद ख्राज का घमंड नहीं हो सकता। इस कथन की पुष्टि करने के लिए उपमान वाक्य में यह दृष्टांत दिया गया है कि भला खटाई की थोङी बूँदों से क्या क्षीर समुद्र फट सकता है अर्थात् नहीं फट सकता) इस दोहे के दोनों तथ्य बिम्बप्रतिबिम्बभाव से जुङे हुए है जिनमें एक दूसरे से मिलती-जुलती बातें कहीं गई है, अतः यहाँ दृष्टान्त अलंकार है।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें काव्यशास्त्र के अंतर्गत दृष्टान्त अलंकार (Drishtant Alankar) को पढ़ा , इसके उदाहरणों को व इसकी पहचान पढ़ी। हम आशा करतें है कि आपको यह अलंकार अच्छे से समझ में आ गया होगा …धन्यवाद

उदाहरण अलंकार

उपमा अलंकारवक्रोक्ति अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकारभ्रांतिमान अलंकार
दीपक अलंकारव्यतिरेक अलंकार
विरोधाभास अलंकारश्लेष अलंकार
अलंकार सम्पूर्ण परिचयसाहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें 
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Comments

  1. Sangeeta Sharma says

    09/09/2022 at 11:59 AM

    Best way to explain drishtant alamkar

    Reply
    • केवल कृष्ण घोड़ेला says

      09/09/2022 at 3:43 PM

      धन्यवाद

      Reply

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