आज के आर्टिकल में हम काव्यशास्त्र के अंतर्गत उदाहरण अलंकार (Udaharan Alankar) को विस्तार से पढेंगे ,इससे जुड़ें महत्त्वपूर्ण उदाहरणों को भी पढेंगे।
उदाहरण अलंकार – Udaharan Alankar
उदाहरण अलंकार किसे कहतें है?
- जब कोई साधारण बात कह कर ’ज्यों’, ’जैसे’ इत्यादि वाचक शब्दों द्वारा किसी विशेष बात से जहाँ समता दिखाई जाती है वहाँ पर उदाहरण अलंकार होता है।
- जब दो वाक्यों में साधारण धर्म की भिन्नता सहित, वाचक शब्दों के द्वारा समानता दिखलाई जाती है, तब उदाहरण अलंकार होता है।
- जब एक बात कहकर उसके उदाहरण के रूप में एक दूसरी बात कही जाये और दोनों को ’जैसे’ ’ज्यों’, ’जिमि’ आदि किसी उपमा वाचक शब्द से जोङ दिया जाए।
- उदाहरण अलंकार में यह आवश्यक है कि पहला वाक्य उपमेय-वाक्य हो और दूसरा उपमान-वाक्य हो, और उपमावाचक शब्द दूसरे वाक्य के साथ आये। उदाहरण अलंकार में उपमा वाचक शब्द जैसे, ज्यों, जिमि, जस, यथा आदि ही आते हैं, वैसे, त्यों, तिमि, तस, तथा आदि नहीं आते।
उदाहरण अलंकार के उदाहरण – Udaharan Alankar ke Udaharan
’’बूँद अघात सहैं गिरि कैसे। -प्रथम वाक्य
खल के वचन संत सह जैसे।।’’ -द्वितीय वाक्य
यहाँ दोनों वाक्यों में – साधारण धर्म (सहनशीलता) की भिन्नता सहित- (कैसे, जैसे) वाचक शब्दों द्वारा सादृश्य प्रकट किया गया है।
’’उदाहरण अलंकार में ’वाचक शब्दों’ का रहना नितान्त आवश्यक है।’’
पहला कथन सामान्य, दूसरा कथन विशेष –
जो पावै अति उच्च पद, ताको पतन निदान।
ज्यों तपि-तपि मध्याह्न लौं, असत होत है भान।।
अन्य उदाहरण –
1. सबै सहायक सबल के, कोइ न निबल सहाय।
पवन जगावत आग ज्यों, दीपहिं देत बुझाय।।
2. बुरो बुराई जो तजै, तो चित खरो सकात।
ज्यों निकलंक मयंक लखि, गनैं लोग उतपात।।
3. एक दोष गुन-पुंज में, तौ बिलीन ह्वै जात।
जैसे चन्द-मयूख में, अंक कलंक बिलात।।
(ख) दोनों विशेष कथन –
1. जपत एक हरि-नाम के, पातक कोटि बिलाहिं।
ज्यों चिनगारी एक तें, घास-ढेर जरि जाहिं।।
2. तत्व गहत ग्यानी पुरुख, बात बिचारि-बिचारि।
मथनहार तजि छाछ ज्यों, माखन लेति निकारि।।
3. हरित-भूमि तृन-संकुल, समुझि परहि नहिं पंथ।
जिमि पाखंड-बिबाद तें लुप्त होहिं सद्ग्रन्थ।।
4. सिमिट सिमिट जल भरहिं तलावा।
जिमि तद्गुन सज्जन पहँ आवा।।
टिप्पणी – संस्कृत के आलंकारिक विद्वान केवल प्रथम प्रकार को ही उदाहरण अलंकार मानते हैं, अर्थात् उनके अनुसार उदाहरण अलंकार तभी होता है जब पहला कथन सामान्य और दूसरा विशेष हो। दोनों कथनों एक से होने पर उनके मत में उदाहरण अलंकार नहीं होता है। ऐसे उदाहरणों में वे उपमा अलंकार ही मानते हैं।
उदाहरण अलंकार के वाचक-शब्द – ’जैसे’, ’ज्यों’, ’जिमि’, ’यथा’, ’जथा’, ’जस’ आदि ’जो’ सर्वनाम से बने हुए उपमावाचक शब्द उदाहरण अलंकार के वाचक-शब्द होते हैं।
विशेष उदाहरण –
1. ’’यों रहीम जस होत है, उपकारी के संग।
बाँटन वारे को लगै, ज्यों मेंहदी को रंग।।’’
उपर्युक्त दोहे की प्रथम पंक्ति में- ’उपकारी के साथ रहने पर यश मिलता है’, यह एक सामान्य बात कही गई है। दूसरी पंक्ति में- ’जैसे मेंहदी बाँटने वाले को उसका रंग लग जाता है’, यह विशेष बात कहकर ’ज्यों’ शब्द द्वारा दोनों की समानता दिखाई गई है, इसलिए यहाँ ’उदाहरण अलंकार’ है।
2. सुख बीते दुख होत है दुख बीते सुख होत।
दिवस गये ज्यों निसि उदित, निसिगत दिवस उद्येत।।
3. नीकी पे फीकी लगै बिन अवसर की बात।
जैसे बरनत युद्ध में रस शृंगार न सुहात।।
4. जगत जनायो जिहि सकल, सो हरि जान्यो नाहिं।
ज्यों आँखिन सब देखिपे, आँख न देखि जाहि।।
5. ’तेरा सांई तुझ में, ज्यों पुहुपन में बास।
कस्तूरी का मृग ज्यों फिर ढूँढै घास।।’’
6. मन मलीन, तन सुंदर कैसे। विष रस भरा कनक-घट जैसे।।
यहाँ ’जैसे’ उपमावाचक शब्द के द्वारा पृथक् कथन का उदाहरण प्रस्तुत करने से ’उदाहरण’ अलंकार है।
7. ऐसी गति संसार की, ज्यों गाङर का ठाठ।
एक पङा जेहि खांङ में, सबहिं जाहिं तेहि बाट।।
स्पष्टीकरण – इस उदाहरण में कहा गया है कि इस संसार की स्थिति उस भेङ की तरह है जहाँ एक जाती है, वहाँ सभी जाती हैं। अतः यहाँ पर उदाहरण अलंकार है।
उदाहरण अलंकार के अन्य उदाहरण
बूंद आघात सहे गिरी कैसे।
खेल के वचन संत सह जैसे।।
छुद्र नदी भरि चलि उतराई।
जस थोरेहुँ धन खल बोराइ।।
ससि सम्पन्न सोह महि कैसी।
उपकारी कै संपत्ति जैसी।।
निकी पै फिकी लगै बिनु अवसर की बात।
जैसे बरनत युद्ध में, रस सिंगार न सुहात।।
बसै बुराई जासु तन ताही को सन्मान।
भलौ-भलौ को छाङियौ खोटे ग्रह जप दान।।
नयना देय बताय सब, हिय को हेत अहेत।
जैसे निर्मल आरसी, भली बुरी कही देत।।
फीकी पै नीकी लगै, कहिए समय विचारि।
सबको मन हर्षित करै, ज्यों विवाह में गारि।।
उदित कुमुदिनी नाथ हुए प्राची में ऐसे।
सुधा-कलश रत्नाकर से उठता हो जैसे।।
स्पष्टीकरण – यहां कुमुदिनी-नाथ और सुधा-कलश दोनों का धर्म एक नहीं है परंतु ’ऐसे’ और ’जैसे’ इन वाचक शब्दों के द्वारा सादृश्य प्रकट किया गया है। इस कारण यहां उदाहरण अलंकार है।
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमनें काव्यशास्त्र के अंतर्गत उदाहरण अलंकार (Udaharan Alankar) को पढ़ा , इसके उदाहरणों को व इसकी पहचान पढ़ी। हम आशा करतें है कि आपको यह अलंकार अच्छे से समझ में आ गया होगा …धन्यवाद
उपमा अलंकार | वक्रोक्ति अलंकार |
उत्प्रेक्षा अलंकार | भ्रांतिमान अलंकार |
दीपक अलंकार | व्यतिरेक अलंकार |
विरोधाभास अलंकार | श्लेष अलंकार |
अलंकार सम्पूर्ण परिचय | साहित्य के शानदार वीडियो यहाँ देखें |
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