Bahuvrihi Samas – बहुव्रीहि समास : परिभाषा, भेद, 500 + उदाहरण

आज के आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas), बहुव्रीहि समास की परिभाषा(Bahuvrihi Samas ki Pribhasha), बहुव्रीहि समास के भेद(Bahuvrihi Samas ke bhed),  बहुव्रीहि समास के उदाहरण(Bahuvrihi Samas ke Udaharan) को विस्तार से समझेंगे।

बहुव्रीहि समास – Bahuvrihi Samas

Bahuvrihi Samas

आज के आर्टिकल में हम निम्न बिन्दुओं का पढेंगे  –

  1. बहुव्रीहि समास किसे कहते है?
  2. बहुव्रीहि समास की विशेषताएँ
  3. बहुव्रीहि समास की पहचान
  4. बहुव्रीहि समास के भेद
  5. बहुव्रीहि समास उदाहरण
  6. बहुव्रीहि समास के महत्त्वपूर्ण प्रश्न

बहुव्रीहि समास की परिभाषा – Bahuvrihi Samas ki Paribhasha

  • वह समास जिसके समस्तपदों में से से कोई भी पद प्रधान नहीं होता एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं, वह बहुव्रीहि समास कहलाता है।
  • बहुव्रीहि समास में बहु का अर्थ है – ’बहुत’ एवं ब्रीहि का अर्थ है – ’’सम्पन्न व्यक्ति’’ अर्थात् बहुत सम्पन्न व्यक्ति ही बहुव्रीहि समास कहलाता है।

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?

ऐसा समास जिसके दोनों पद गौण होते है तथा दोनों पदों के आपस में मिलने पर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। उसे बहुव्रीहि समास कहते है।

बहुव्रीहि समास की विशेषताएँ

  • कोई भी पद प्रधान नहीं होता है।
  • इसमें प्रयुक्त सामान्य पदों की अपेक्षा किसी अन्य अर्थ की प्रधानता रहती है।
  • किसी रूढ़िवादी परम्परा के कारण अथवा किसी विशिष्ट अर्थ के कारण जब कोई शब्द किसी एक ही अर्थ में रूढ़ हो जाता है, वहाँ बहुव्रीहि समास माना जाता है।
  • विग्रह करने पर ’वाला’, ’जो’, जिसका, जिसकी, जिसके आदि का प्रयोग किया जाता है।

बहुव्रीहि समास की पहचान – Bahuvrihi Samas ki Pahchan

एक विशेष अर्थ रूढ़ हो जाता ’’या’’ अन्य पद की प्रधानता होती है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण – Bahuvrihi Samas ke Udaharan

बहुव्रीहि समास के उदाहरण
गजाननगज से आनन वाला (गणेश)
चतुर्भुजचार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु)
त्रिलोचनतीन आँखों वाला (शिव)
चतुराननवह जिसके चतुर (चार) आनन हैं (ब्रह्मा)
पंचाननवह जिसके पाँच आनन हैं (शिव)
षडाननवह जिसके षट् आनन हैं (कार्तिकेय)
सुग्रीववह जिसकी ग्रीवा सुन्दर है (वानरराज)
चक्षुश्रवावह जो चक्षु से श्रवण करता है (साँप)
दशाननदस है आनन जिसके (रावण)
षण्मुखवह जिसके षट् मुख हैं (कार्तिकेय)
मुरलीधरमुरली धारण करने वाला (कृष्ण)
दशमुखवह जिसके दस मुख हैं (रावण)
चतुर्मुखचार हैं मुख जिसके (ब्रह्मा)
पीताम्बरवह जिसके पीत अम्बर (वस्त्र) हैं (कृष्ण/विष्णु)
लम्बोदरलंबा है उदर जिसका (गणेश)
मनोजवह जो मन से जन्म लेता है (कामदेव)
एकदंतएक दंत वाले (श्री गणेश)
वीणापाणिवह जिसके पाणि (हाथ) में वीणा है (सरस्वती)
वक्रतुण्डवक्र है तुण्ड जिनके (श्री गणेश)
वज्रपाणिवह जिसके पाणि में शूल है (शिव)
निशाचरनिशा अर्थात रात में विचरण करने वाला (राक्षस)
शूलपाणिवह जिसके पाणि में शूल है (शिव)
गौरीपुत्रगौरी पुत्र है जो (श्री गणेश)
आशुतोषवह जो आशु (शीघ्र) तुष्ट हो जाते हैं (शिव)
शैलजा/शैलतनाया गिरिजाशेल से जननी है जो (माँ पार्वती)
त्रिनेत्रवह जिसके तीन नेत्र हैं (शिव)
जनकतनयाजनक की पुत्री है जो (माँ सीता)
चन्द्रचूङवह जिसके चूङ (सिर) पर चन्द्र है (शिव)
वृषभानुजावृषभानु कि पुत्री है जो माँ राधा
लम्बोदरवह जिसका उदर लम्बा है (गणेश)
हृषीकेशवह जो हृषीक (इन्द्रियों) के ईश हैं (विष्णु/कृष्ण)
युधिष्ठिरवह जो युद्ध में स्थिर रहता है (धर्मराज)
पंजाबपाँच आबों (नदियों) का क्षेत्र (एक राज्य)
पतझङपत्ते झङ जाते है जिस ऋतु में
त्रिवेणीवह स्थान जो तीन वेणियों (नदियों) का संगम स्थल है (प्रयाग)
शाखामृगशाखाओं पर दौङने वाला मृग (बन्दर)
पंचवटीपाँच वटवृक्षों के समूह वाला स्थान (मध्यप्रदेश का एक स्थान)
नवरात्रनव रात्रियों के चार माह (आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन)
महावीरमहान् है जो वीर वह (हनुमान)
त्रिशूलतीन हैं शूल जिसमें वह (शिव का अस्त्र)
चौमासावर्षा ऋतु के चार माह (आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन)
अनुचरअनु (पीछे) चर (चलने) वाला (सेवक)
रत्नगर्भारत्न हैं गर्भ में जिसके वह (पृथ्वी)
महाविद्यालयमहान है जो विद्यालय
प्रधानमंत्रीप्रधान है जो मंत्री
महाकाव्यमहान है जो काव्य
कापुरूषकायर है जो पुरूष
महापुरूषमहान है जो पुरूष
सज्जनसत् है जो पुरूष
सदाचारसत् है जो आचार
पद्मासनपद्म पर आसित है जो (सरस्वती)
सहस्राक्षसहस्त्र अक्ष (हाथ) है (इन्द्र)
श्रीशश्री (लक्ष्मी) के ईश (पति) है जो (विष्णु)
रेवतीरमणरेवती के साथ रमण करते है (बलराम)
कुसुमसरकुसुम के समान तीर है जिसके (कामदेव)
पुष्पधन्वापुष्पों से निर्मित धनुष है जिसका वह (कामदेव)
वज्रांगवज्र के समान अंग हैं जिसके वह (बजरंग बली)
वक्रतुण्डवक्र (टेढ़ा) है तुंड (मुख) जिसका वह (गणेश)
सूतपुत्रसूत (सारथि) का पुत्र है जो वह (कर्ण)
त्र्यम्बकत्रि (तीन) अम्बक (नेत्र) हैं जिसके वह (शिव)
हलधरवह जो हल को धारण करता है (बलराम)
रघुनन्दनरघु का नंदन है जो वह (विष्णु)
पंचामृतपाँच है अमृत जो वे (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
रमेशरमा का ईश है जो वह (विष्णु)
विश्वंभरविश्व का भरण करता है जो वह (विष्णु)
हरफनमौलाहर फन (कला) में है जो मौला (निपुण)
त्रिदोषतीन दोष हैं जो वे (वात्त, पित्त, कफ)
षट्पदछह हैं पैर जिसके वह (भ्रमर)
तिरंगातीन है रंग जिसके वह (राष्ट्रीय ध्वज)
माधवमधु, राक्षस को मारने वाला (कृष्ण)
गोपालगायों का पालन करने वाला है वह (कृष्ण)
लोहागढ़लोहे के समान अजेय गढ़ है जो वह (भरतपुर का किला)
राजपूतराजा का है पूत जो (एक जाति विशेष)
चौपाईचार हैं पद जिसमें वह (एक छन्द विशेष)
नकटानाक है कटी जिसकी वह (बेशर्म)
विमलमल से रहित है जो वह (स्वच्छ)
षाण्मातुरछह हैं माताएँ जिसकी वह
दिनेशदिन है ईश जो वह (सूर्य)
उमेशउमा है ईश जो वह (शिव जी)
तिरंगातीन है रंग जिसमें वह (राष्ट्रध्वज)
आशुतोषआशु (शीघ्र) हो जाता है तोष

बहुव्रीहि समास के भेद – Bahuvrihi Samas ke Bhed

⇒ बहुव्रीहि समास के पाँच भेद है –

  1.  समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
  2. व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
  3. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
  4.  व्यतिहार बहुव्रीहि समास
  5. प्रादी बहुव्रीहि समास

(1) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास

जहाँ दोनों पदों का रूवरूप समान हों अर्थात् दोनों पदों की विभक्ति समान हो, उसे समानाधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं।

समानाधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण
जितेंद्रियांजीती गई इंद्रियां है जिसके द्वारा
दत्तधनदिया गया है धन जिसके लिए
पीताम्बरपीत है अम्बर जिसका
दत्तचितदे दिया है चित्त जिसने
प्राप्तोदकप्राप्त कर लिया है उदक (जल) जिसने
कलहप्रियकलह है प्रिय जिसको
चौलङीचार हैं लङियाँ जिसमें
गोपालगौ का पालन करता है जोे
दिगम्बरदिक (दिशाएँ) है अम्बर (वस्त्र) जिसका
पंकजपंक (कीचङ) में जन्म लेने वाला अर्थात् कमल
चन्द्रभालचन्द्रमा है माथे पर जिसके अर्थात् शंकर
मृत्युजंयमृत्यु को जीतने वाला अर्थात् शंकर

2. व्यधिकरण बहुव्रीहि समास

जिस समस्त पद में दोनों पदों का अधिकरण समान न हो अर्थात् दोनों पदों में अलग-अलग कारक चिह्नों का प्रयोग हो, उसे व्यधिकरण बहुव्रीहि समास कहते है।

व्यधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण
सूर्यपुत्रवह जो सूर्य का पुत्र है (कर्ण)
नकटाकट गई है नाक जिसकी
दीर्घबाहुलम्बी है भुजाएँ जिसकी (विष्णु)
मोदकप्रियलड्डू है प्रिय जिसको (गणेश)
कामारिकामदेव का है शत्रु जो (शिव)
मकरध्वजवह जिसके मकर का ध्वज है (कामदेव)
ब्रजवल्लभवह जो ब्रज का वल्लभ है (कृष्ण)
रावनारिरावण का है शत्रु जो (राम)
दीर्घबाहुलम्बी है भुजाएं जिसकी (विष्णु)

3. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास

इसमें पहला पद ’सह’ होता है। इसमें ’सह’ (साथ) के द्वारा एक के साथ दूसरे का भी किसी क्रिया के साथ समान योग होता है। उसे तुल्ययोग बहुव्रीहि समास कहते है।

तुल्ययोग बहुव्रीहि समास के उदाहरण
सबलजो बल के साथ है वह
सपरिवारजो परिवार के साथ हैै वह
सदेहदेह के साथ है जो
सचेतचेतना के साथ है जो

4. व्यतिहार बहुव्रीहि समास

जिससे घात-प्रतिघात सूचित होता है। उसे व्यतिहार बहुव्रीहि समास कहते है। इस समास में यह प्रतीत होता है कि इस चीज से और उस चीज से लङाई हुई है।

व्यतिहार बहुव्रीहि समास के उदाहरण
मुक्कामुक्कीमुक्के-मुक्के से जो लङाई हुई
लाठालाठीलाठी-लाठी से जो लङाई हुई
गालागालीगलियों से जो झगङा हुआ हो
धक्काधुक्कीबात बात से जो झगङा हुआ हो

5. प्रादी बहुव्रीहि समास

जिस बहुव्रीहि समास में पूर्व पद उपसर्ग हो वह प्रादी बहुव्रीहि समास कहलाता है।

प्रादी बहुव्रीहि समास के उदाहरण
बेरहमनहीं है रहम जिसमें
निर्जननहीं है जन जहां

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें हिंदी व्याकरण के अंतर्गत समास टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) को विस्तार से पढ़ा। बहुव्रीहि समास की परिभाषा (Bahuvrihi Samas ki Paribhasha), बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas ke Udaharan), बहुव्रीहि समास की पहचान, को बहुत ही अच्छे ढंग से समझा है। आपकी कोई भी प्रतिक्रिया हो तो नीचे की तरफ कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

बहुव्रीहि समास के प्रश्न – Bahuvrihi Samas

1. बहुव्रीहि समास किसे कहते है ?

उत्तर – ऐसा समास जिसके दोनों पद गौण होते है तथा दोनों पदों के आपस में मिलने पर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। उसे बहुव्रीहि समास कहते है।


2. बहुव्रीहि समास का एक उदाहरण बताइये ?

उत्तर – चतुर्भज – चार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु)


3. बहुव्रीहि समास के कितने भेद है ?

उत्तर – बहुव्रीहि समास के पाँच भेद होते हैं –
(1) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
(2) व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
(3) तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
(4) व्यतिहार बहुव्रीहि समास
(5) प्रादी बहुव्रीहि समास

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