• Home
  • PDF Notes
  • Videos
  • रीतिकाल
  • आधुनिक काल
  • साहित्य ट्रिक्स
  • आर्टिकल

हिंदी साहित्य चैनल

  • Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • Home
  • PDF NOTES
  • VIDEOS
  • कहानियाँ
  • व्याकरण
  • रीतिकाल
  • हिंदी लेखक
  • कविताएँ
  • Web Stories

बहुव्रीहि समास – परिभाषा, भेद और उदाहरण || Bahuvrihi Samas

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:21st Sep, 2022| Comments: 0

Tweet
Share
Pin
Share
0 Shares

आज के आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas), परिभाषा, भेद, उदाहरण को विस्तार से समझेंगे।

बहुव्रीहि समास – Bahuvrihi Samas

Table of Contents

  • बहुव्रीहि समास – Bahuvrihi Samas
    • बहुव्रीहि समास की परिभाषा – Bahuvrihi Samas ki Paribhasha
    • बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?
    • बहुव्रीहि समास की विशेषताएँ
    • बहुव्रीहि समास के उदाहरण – Bahuvrihi Samas ke Udaharan
    • बहुव्रीहि समास के भेद –
      • (1) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
      • 2. व्यधिकरण बहुव्रीहि समास
      • 3. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
      • 4. व्यतिहार बहुव्रीहि समास
      • 5. प्रादी बहुव्रीहि समास
    • बहुव्रीहि समास के प्रश्न
      • 1. बहुव्रीहि समास किसे कहते है ?
      • 2. बहुव्रीहि समास का एक उदाहरण बताइये ?
      • 3. बहुव्रीहि समास के कितने भेद है ?

Bahuvrihi Samas

बहुव्रीहि समास की परिभाषा – Bahuvrihi Samas ki Paribhasha

  • वह समास जिसके समस्तपदों में से से कोई भी पद प्रधान नहीं होता एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं, वह बहुव्रीहि समास कहलाता है।
  • बहुव्रीहि समास में बहु का अर्थ है – ’बहुत’ एवं ब्रीहि का अर्थ है – ’’सम्पन्न व्यक्ति’’ अर्थात् बहुत सम्पन्न व्यक्ति ही बहुव्रीहि समास कहलाता है।

बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?

ऐसा समास जिसके दोनों पद गौण होते है तथा दोनों पदों के आपस में मिलने पर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। उसे बहुव्रीहि समास कहते है।

बहुव्रीहि समास की विशेषताएँ

  • कोई भी पद प्रधान नहीं होता है।
  • इसमें प्रयुक्त सामान्य पदों की अपेक्षा किसी अन्य अर्थ की प्रधानता रहती है।
  • किसी रूढ़िवादी परम्परा के कारण अथवा किसी विशिष्ट अर्थ के कारण जब कोई शब्द किसी एक ही अर्थ में रूढ़ हो जाता है, वहाँ बहुव्रीहि समास माना जाता है।
  • विग्रह करने पर ’वाला’, ’जो’, जिसका, जिसकी, जिसके आदि का प्रयोग किया जाता है।

पहचान –

एक विशेष अर्थ रूढ़ हो जाता ’’या’’ अन्य पद की प्रधानता होती है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण – Bahuvrihi Samas ke Udaharan

बहुव्रीहि समास के उदाहरण
गजाननगज से आनन वाला (गणेश)
चतुर्भुजचार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु)
त्रिलोचनतीन आँखों वाला (शिव)
चतुराननवह जिसके चतुर (चार) आनन हैं (ब्रह्मा)
पंचाननवह जिसके पाँच आनन हैं (शिव)
षडाननवह जिसके षट् आनन हैं (कार्तिकेय)
सुग्रीववह जिसकी ग्रीवा सुन्दर है (वानरराज)
चक्षुश्रवावह जो चक्षु से श्रवण करता है (साँप)
दशाननदस है आनन जिसके (रावण)
षण्मुखवह जिसके षट् मुख हैं (कार्तिकेय)
मुरलीधरमुरली धारण करने वाला (कृष्ण)
दशमुखवह जिसके दस मुख हैं (रावण)
चतुर्मुखचार हैं मुख जिसके (ब्रह्मा)
पीताम्बरवह जिसके पीत अम्बर (वस्त्र) हैं (कृष्ण/विष्णु)
लम्बोदरलंबा है उदर जिसका (गणेश)
मनोजवह जो मन से जन्म लेता है (कामदेव)
एकदंतएक दंत वाले (श्री गणेश)
वीणापाणिवह जिसके पाणि (हाथ) में वीणा है (सरस्वती)
वक्रतुण्डवक्र है तुण्ड जिनके (श्री गणेश)
वज्रपाणिवह जिसके पाणि में शूल है (शिव)
निशाचरनिशा अर्थात रात में विचरण करने वाला (राक्षस)
शूलपाणिवह जिसके पाणि में शूल है (शिव)
गौरीपुत्रगौरी पुत्र है जो (श्री गणेश)
आशुतोषवह जो आशु (शीघ्र) तुष्ट हो जाते हैं (शिव)
शैलजा/शैलतनाया गिरिजाशेल से जननी है जो (माँ पार्वती)
त्रिनेत्रवह जिसके तीन नेत्र हैं (शिव)
जनकतनयाजनक की पुत्री है जो (माँ सीता)
चन्द्रचूङवह जिसके चूङ (सिर) पर चन्द्र है (शिव)
वृषभानुजावृषभानु कि पुत्री है जो माँ राधा
लम्बोदरवह जिसका उदर लम्बा है (गणेश)
हृषीकेशवह जो हृषीक (इन्द्रियों) के ईश हैं (विष्णु/कृष्ण)
युधिष्ठिरवह जो युद्ध में स्थिर रहता है (धर्मराज)
पंजाबपाँच आबों (नदियों) का क्षेत्र (एक राज्य)
पतझङपत्ते झङ जाते है जिस ऋतु में
त्रिवेणीवह स्थान जो तीन वेणियों (नदियों) का संगम स्थल है (प्रयाग)
शाखामृगशाखाओं पर दौङने वाला मृग (बन्दर)
पंचवटीपाँच वटवृक्षों के समूह वाला स्थान (मध्यप्रदेश का एक स्थान)
नवरात्रनव रात्रियों के चार माह (आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन)
महावीरमहान् है जो वीर वह (हनुमान)
त्रिशूलतीन हैं शूल जिसमें वह (शिव का अस्त्र)
चौमासावर्षा ऋतु के चार माह (आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन)
अनुचरअनु (पीछे) चर (चलने) वाला (सेवक)
रत्नगर्भारत्न हैं गर्भ में जिसके वह (पृथ्वी)
महाविद्यालयमहान है जो विद्यालय
प्रधानमंत्रीप्रधान है जो मंत्री
महाकाव्यमहान है जो काव्य
कापुरूषकायर है जो पुरूष
महापुरूषमहान है जो पुरूष
सज्जनसत् है जो पुरूष
सदाचारसत् है जो आचार
पद्मासनपद्म पर आसित है जो (सरस्वती)
सहस्राक्षसहस्त्र अक्ष (हाथ) है (इन्द्र)
श्रीशश्री (लक्ष्मी) के ईश (पति) है जो (विष्णु)
रेवतीरमणरेवती के साथ रमण करते है (बलराम)
कुसुमसरकुसुम के समान तीर है जिसके (कामदेव)
पुष्पधन्वापुष्पों से निर्मित धनुष है जिसका वह (कामदेव)
वज्रांगवज्र के समान अंग हैं जिसके वह (बजरंग बली)
वक्रतुण्डवक्र (टेढ़ा) है तुंड (मुख) जिसका वह (गणेश)
सूतपुत्रसूत (सारथि) का पुत्र है जो वह (कर्ण)
त्र्यम्बकत्रि (तीन) अम्बक (नेत्र) हैं जिसके वह (शिव)
हलधरवह जो हल को धारण करता है (बलराम)
रघुनन्दनरघु का नंदन है जो वह (विष्णु)
पंचामृतपाँच है अमृत जो वे (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
रमेशरमा का ईश है जो वह (विष्णु)
विश्वंभरविश्व का भरण करता है जो वह (विष्णु)
हरफनमौलाहर फन (कला) में है जो मौला (निपुण)
त्रिदोषतीन दोष हैं जो वे (वात्त, पित्त, कफ)
षट्पदछह हैं पैर जिसके वह (भ्रमर)
तिरंगातीन है रंग जिसके वह (राष्ट्रीय ध्वज)
माधवमधु, राक्षस को मारने वाला (कृष्ण)
गोपालगायों का पालन करने वाला है वह (कृष्ण)
लोहागढ़लोहे के समान अजेय गढ़ है जो वह (भरतपुर का किला)
राजपूतराजा का है पूत जो (एक जाति विशेष)
चौपाईचार हैं पद जिसमें वह (एक छन्द विशेष)
नकटानाक है कटी जिसकी वह (बेशर्म)
विमलमल से रहित है जो वह (स्वच्छ)
षाण्मातुरछह हैं माताएँ जिसकी वह
दिनेशदिन है ईश जो वह (सूर्य)
उमेशउमा है ईश जो वह (शिव जी)
तिरंगातीन है रंग जिसमें वह (राष्ट्रध्वज)
आशुतोषआशु (शीघ्र) हो जाता है तोष

बहुव्रीहि समास के भेद –

⇒ बहुव्रीहि समास के पाँच भेद है –

  1.  समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
  2. व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
  3. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
  4.  व्यतिहार बहुव्रीहि समास
  5. प्रादी बहुव्रीहि समास

(1) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास

जहाँ दोनों पदों का रूवरूप समान हों अर्थात् दोनों पदों की विभक्ति समान हो, उसे समानाधिकरण बहुव्रीहि समास कहते हैं।

समानाधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण
जितेंद्रियांजीती गई इंद्रियां है जिसके द्वारा
दत्तधनदिया गया है धन जिसके लिए
पीताम्बरपीत है अम्बर जिसका
दत्तचितदे दिया है चित्त जिसने
प्राप्तोदकप्राप्त कर लिया है उदक (जल) जिसने
कलहप्रियकलह है प्रिय जिसको
चौलङीचार हैं लङियाँ जिसमें
गोपालगौ का पालन करता है जोे
दिगम्बरदिक (दिशाएँ) है अम्बर (वस्त्र) जिसका
पंकजपंक (कीचङ) में जन्म लेने वाला अर्थात् कमल
चन्द्रभालचन्द्रमा है माथे पर जिसके अर्थात् शंकर
मृत्युजंयमृत्यु को जीतने वाला अर्थात् शंकर

2. व्यधिकरण बहुव्रीहि समास

जिस समस्त पद में दोनों पदों का अधिकरण समान न हो अर्थात् दोनों पदों में अलग-अलग कारक चिह्नों का प्रयोग हो, उसे व्यधिकरण बहुव्रीहि समास कहते है।

व्यधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण
सूर्यपुत्रवह जो सूर्य का पुत्र है (कर्ण)
नकटाकट गई है नाक जिसकी
दीर्घबाहुलम्बी है भुजाएँ जिसकी (विष्णु)
मोदकप्रियलड्डू है प्रिय जिसको (गणेश)
कामारिकामदेव का है शत्रु जो (शिव)
मकरध्वजवह जिसके मकर का ध्वज है (कामदेव)
ब्रजवल्लभवह जो ब्रज का वल्लभ है (कृष्ण)
रावनारिरावण का है शत्रु जो (राम)
दीर्घबाहुलम्बी है भुजाएं जिसकी (विष्णु)

3. तुल्ययोग बहुव्रीहि समास

इसमें पहला पद ’सह’ होता है। इसमें ’सह’ (साथ) के द्वारा एक के साथ दूसरे का भी किसी क्रिया के साथ समान योग होता है। उसे तुल्ययोग बहुव्रीहि समास कहते है।

तुल्ययोग बहुव्रीहि समास के उदाहरण
सबलजो बल के साथ है वह
सपरिवारजो परिवार के साथ हैै वह
सदेहदेह के साथ है जो
सचेतचेतना के साथ है जो

4. व्यतिहार बहुव्रीहि समास

जिससे घात-प्रतिघात सूचित होता है। उसे व्यतिहार बहुव्रीहि समास कहते है। इस समास में यह प्रतीत होता है कि इस चीज से और उस चीज से लङाई हुई है।

व्यतिहार बहुव्रीहि समास के उदाहरण
मुक्कामुक्कीमुक्के-मुक्के से जो लङाई हुई
लाठालाठीलाठी-लाठी से जो लङाई हुई
गालागालीगलियों से जो झगङा हुआ हो
धक्काधुक्कीबात बात से जो झगङा हुआ हो

5. प्रादी बहुव्रीहि समास

जिस बहुव्रीहि समास में पूर्व पद उपसर्ग हो वह प्रादी बहुव्रीहि समास कहलाता है।

प्रादी बहुव्रीहि समास के उदाहरण
बेरहमनहीं है रहम जिसमें
निर्जननहीं है जन जहां

बहुव्रीहि समास के प्रश्न

1. बहुव्रीहि समास किसे कहते है ?

उत्तर – ऐसा समास जिसके दोनों पद गौण होते है तथा दोनों पदों के आपस में मिलने पर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। उसे बहुव्रीहि समास कहते है।


2. बहुव्रीहि समास का एक उदाहरण बताइये ?

उत्तर – चतुर्भज – चार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु)


3. बहुव्रीहि समास के कितने भेद है ?

उत्तर – बहुव्रीहि समास के पाँच भेद होते हैं –
(1) समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
(2) व्याधिकरण बहुव्रीहि समास
(3) तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
(4) व्यतिहार बहुव्रीहि समास
(5) प्रादी बहुव्रीहि समास

पदबंध क्या है तत्सम व तद्भव शब्दपारिभाषिक शब्दावली
वचनहिंदी बारहखड़ी सीखेंप्रत्यय
शब्द शुद्धि ओर वाक्य शुद्धि के नियमशब्द भेदवाक्य रचना अन्वय
हिंदी पत्र लेखनसर्वनामहिंदी में लिंग बदलना सीखें
व्याकरण किसे कहते हैं लेटर क्या होता है  लिंग
कारक स्वर व्यंजन क्रिया
हिंदी मात्रा सीखेंहिंदी वर्णमाला चित्र सहितसंयुक्त व्यंजन कितने होते हैं ?
हिन्दी मुहावरेवर्ण-विच्छेद क्या होता है ?गुणवाचक विशेषण
संख्यावाचक विशेषणपरिमाणवाचक विशेषणसार्वनामिक विशेषण
अनेकार्थी शब्दविशेषणवाक्य शुद्धि
विलोम शब्दमुहावरे और लोकोक्ति में अंतरअव्यय के बारे मे जानें
शब्द समूह के लिए एक शब्द

वाक्य 

संज्ञा
कालभाषा किसे कहते हैतुकांत शब्द
तत्पुरुष समासअव्ययीभाव समाससमास
उपसर्गवाच्य : परिभाषा, भेद और उदाहरणविराम चिह्न क्या है
वर्ण किसे कहते हैनिश्चयवाचक सर्वनामसमुच्चयबोधक अव्यय
संधि हिंदी वर्णमाला 
Tweet
Share
Pin
Share
0 Shares
Previous Post
Next Post

Reader Interactions

ये भी पढ़ें

  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register

    My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register

  • First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF

    First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF

  • Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game

    Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Subscribe Us Now On Youtube

Search

सम्पूर्ण हिंदी साहित्य पीडीऍफ़ नोट्स और 5000 वस्तुनिष्ठ प्रश्न मात्र 100रु

सैकंड ग्रेड हिंदी कोर्स जॉइन करें

ट्विटर के नए सीईओ

टेलीग्राम चैनल जॉइन करें

Recent Posts

  • द्वन्द्व समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dwand samas
  • द्विगु समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Dvigu Samas
  • NTA UGC NET Hindi Paper 2022 – Download | यूजीसी नेट हिंदी हल प्रश्न पत्र
  • My 11 Circle Download – Latest Version App, Apk , Login, Register
  • First Grade Hindi Solved Paper 2022 – Answer Key, Download PDF
  • Ballebaazi App Download – Latest Version Apk, Login, Register, Fantasy Game
  • कर्मधारय समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Karmadharaya Samas
  • Rush Apk Download – Latest Version App, Login, Register
  • AJIO App Download – Latest Version Apk, Login, Register
  • अव्ययीभाव समास – परिभाषा, भेद और उदाहरण || Avyayibhav Samas

Categories

  • All Hindi Sahitya Old Paper
  • App Review
  • General Knowledge
  • Hindi Literature Pdf
  • hindi sahitya question
  • Motivational Stories
  • NET/JRF टेस्ट सीरीज़ पेपर
  • NTA (UGC) NET hindi Study Material
  • Uncategorized
  • आधुनिक काल साहित्य
  • आलोचना
  • उपन्यास
  • कवि लेखक परिचय
  • कविता
  • कहानी लेखन
  • काव्यशास्त्र
  • कृष्णकाव्य धारा
  • छायावाद
  • दलित साहित्य
  • नाटक
  • प्रयोगवाद
  • मनोविज्ञान महत्वपूर्ण
  • रामकाव्य धारा
  • रीतिकाल
  • रीतिकाल प्रश्नोत्तर सीरीज़
  • विलोम शब्द
  • व्याकरण
  • शब्दशक्ति
  • संतकाव्य धारा
  • संधि
  • समास
  • साहित्य पुरस्कार
  • सुफीकाव्य धारा
  • हालावाद
  • हिंदी डायरी
  • हिंदी पाठ प्रश्नोत्तर
  • हिंदी साहित्य
  • हिंदी साहित्य क्विज प्रश्नोतर
  • हिंदी साहित्य ट्रिक्स
  • हिन्दी एकांकी
  • हिन्दी जीवनियाँ
  • हिन्दी निबन्ध
  • हिन्दी रिपोर्ताज
  • हिन्दी शिक्षण विधियाँ
  • हिन्दी साहित्य आदिकाल

हमारा यूट्यूब चैनल देखें

Best Article

  • बेहतरीन मोटिवेशनल सुविचार
  • बेहतरीन हिंदी कहानियाँ
  • हिंदी वर्णमाला
  • हिंदी वर्णमाला चित्र सहित
  • मैथिलीशरण गुप्त
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • महादेवी वर्मा
  • हरिवंशराय बच्चन
  • कबीरदास
  • तुलसीदास

Popular Posts

Net Jrf Hindi december 2019 Modal Test Paper उत्तरमाला सहित
आचार्य रामचंद्र शुक्ल || जीवन परिचय || Hindi Sahitya
तुलसीदास का जीवन परिचय || Tulsidas ka jeevan parichay
रामधारी सिंह दिनकर – Ramdhari Singh Dinkar || हिन्दी साहित्य
Ugc Net hindi answer key june 2019 || हल प्रश्न पत्र जून 2019
Sumitranandan pant || सुमित्रानंदन पंत कृतित्व
Suryakant Tripathi Nirala || सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Footer

हिंदी व्याकरण

 वर्ण विचार
 संज्ञा
 सर्वनाम
 क्रिया
 वाक्य
 पर्यायवाची
 समास
 प्रत्यय
 संधि
 विशेषण
 विलोम शब्द
 काल
 विराम चिह्न
 उपसर्ग
 अव्यय
 कारक
 वाच्य
 शुद्ध वर्तनी
 रस
 अलंकार
 मुहावरे लोकोक्ति

कवि लेखक परिचय

 जयशंकर प्रसाद
 कबीर
 तुलसीदास
 सुमित्रानंदन पंत
 रामधारी सिंह दिनकर
 बिहारी
 महादेवी वर्मा
 देव
 मीराबाई
 बोधा
 आलम कवि
 धर्मवीर भारती
मतिराम
 रमणिका गुप्ता
 रामवृक्ष बेनीपुरी
 विष्णु प्रभाकर
 मन्नू भंडारी
 गजानन माधव मुक्तिबोध
 सुभद्रा कुमारी चौहान
 राहुल सांकृत्यायन
 कुंवर नारायण

कविता

 पथिक
 छाया मत छूना
 मेघ आए
 चन्द्रगहना से लौटती बेर
 पूजन
 कैदी और कोकिला
 यह दंतुरित मुस्कान
 कविता के बहाने
 बात सीधी थी पर
 कैमरे में बन्द अपाहिज
 भारत माता
 संध्या के बाद
 कार्नेलिया का गीत
 देवसेना का गीत
 भिक्षुक
 आत्मकथ्य
 बादल को घिरते देखा है
 गीत-फरोश
Copyright ©2020 HindiSahity.Com Sitemap Privacy Policy Disclaimer Contact Us