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कर्मधारय समास – परिभाषा, उदाहरण, पहचान || Karmadharaya Samas

Author: केवल कृष्ण घोड़ेला | On:2nd Oct, 2022| Comments: 0

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आज के आर्टिकल में हम कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) के बारे में पढेंगे। इसके साथ ही हम कर्मधारय समास किसे कहते हैं, (Karmadharaya Samas ki Paribhasha), कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmadharaya Samas Examples) को विस्तार से पढेंगे।

कर्मधारय समास – Karmadharaya Samas

Table of Contents

  • कर्मधारय समास – Karmadharaya Samas
    • कर्मधारय समास की परिभाषा – Karmadharaya Samas ki Paribhasha
    • कर्मधारय समास के भेद – Karmadharaya Samas ke Bhed
    • कर्मधारय समास के उदाहरण – Karmadharaya Samas ke Udaharan
    • निष्कर्ष :

Karmadharaya Samas

कर्मधारय समास की परिभाषा – Karmadharaya Samas ki Paribhasha

  • वह समास जिसका पहला पद विशेषण एवं दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा पूर्वपद एवं उत्तरपद में उपमान-उपमेय का संबंध माना जाता है, कर्मधारय समास कहलाता है। इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है एवं विगृह करते समय दोनों पदों के बीच में ’के समान’, ’है जो’, ’रुपी’ में से किसी एक शब्द का प्रयोग होता है।
  • वह समास है जिसमें उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद व उत्तर पद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध हो, वह ’कर्मधारय समास’ कहलाता है।
  • इस समास में प्रायः एक पद (प्रथम पद) विशेषण होता है तथा दूसरा पर विशेष्य होता है। उपमान और उपमेय से युक्त पद भी इस समास के अन्तर्गत माने जाते हैं।
  • इस समास को समानाधिकरण तत्पुरुष समास के नाम से भी जाना जाता है। यह समास तत्पुरुष समास का एक भेद है अतः इस समास का भी उत्तर पद प्रधान होता है, किन्तु प्रथम पद द्वितीय पद की विशेषता बतलाने वाला होता है अर्थात् प्रथम पद विशेषण या उपमान के रूप में तथा उत्तर पद विशेष्य या उपमेय के रूप में प्रयुक्त होता है।

उपमेय – वह वस्तु या व्यक्ति जिसको उपमा दी जा रही है।

उपमान – वह वस्तु या व्यक्ति जिसकी उपमा दी जाती है।

विशेषण (उपमान) – संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता (समानता) प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।

विशेष्य (उपमेय) – जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता प्रकट की जाती है, वे विशेष्य कहलाते हैं।

जैसे – ’’पूजा सुन्दर है।’’ इस वाक्य में ’सुन्दर’ शब्द ’विशेषण’ है तथा ’पूजा’ विशेष्य है।

कर्मधारय समास के भेद – Karmadharaya Samas ke Bhed

कर्मधारय समास दो प्रकार के होते हैं –

(1) विशेषता वाचक कर्मधारय समास – विशेष्य विशेषण भाव सूचित करता है।
(2) उपमान वाचक कर्मधारय समास – उपमानोपमेय भाव सूचित करता है।

विशेषता वाचक कर्मधारय समास के 7 भेद है –

(1) विशेषण पूर्व पद
(2) विशेषणोत्तर पद
(3) विशेषणोभय पद
(4) विशेष्य पूर्व पद
(5) अव्यय पूर्व पद
(6) संख्या पूर्व पद
(7) मध्यम पद लोपी

उपमान वाचक कर्मधारय समास के 4 भेद है –

(1) उपमापूर्व पद
(2) उपमानोत्तर पद
(3) अवधारणा पूर्व पद
(4) अवधारणोत्तर पद

’’चन्द्रमुखी’’ इस पद में ’चन्द्र’ उपमान है तथा ’मुख’ उपमेय है।

कर्मधारय समास के उदाहरण – Karmadharaya Samas ke Udaharan

कर्मधारय समास के उदाहरण
मंदबुद्धिमंद है जिसकी बुद्धि
नीलगगननीला है जो गगन
महात्मामहान् है जो आत्मा
रक्ताम्बुजरक्त (लाल) है जो अम्बुज (कमल)
महर्षिमहान् है जो ऋषि
शुभागमनशुभ है जो आगमन
हताशहत है जिसकी आशा
लाल-मिर्चलाल है जो मिर्च
कापुरुषकायर है जो पुरुष
मृगनयनीमृग के समान नयनों वाली
तुषारधवलतुषार (बर्फ) के समान धवल (सफेद)
विद्याधनविद्या रूपी धन
चरण-कमलकमल रूपी चरण
ज्ञानौषधिज्ञान रूपी औषधि
कुपुत्रकुत्सित है जो पुत्र
कुमतिकुत्सित है जो मति
अधमराआधा है जो मरा
नीलोत्पलनीला है जो आचार
हंसगामिनीहंस के समान गमन करने वाली
प्राणप्रियप्राणों के समान प्रिय
नीलगायनीली है जो गाय
सुलोचनासुन्दर हैं जिसके लोचन
भ्रष्टाचारभ्रष्ट है जो आचार
परमात्मापरम है जो आत्मा
राजर्षिजो राजा है जो ऋषि है
देवर्षिजो देव है जो ऋषि है
लाल-सुर्खजो लाल है जो सुर्ख (अत्यंत लाल) है
कोमलांगीकोमल हैं जिसके अंग/कोमल अंगों वाली
अल्पसंख्यकअल्प है जो संख्या में
सज्जनसत् है जो जन
महापुरुषमहान् है जो पुरुष
बहुमूल्यबहुत है जिसका मूल्य
उङनखटोलाउङता है जो खटोला
खुशबूखुश (अच्छी) है जो बू (गंध)
मीनाक्षीमीन के समान अक्षि वाली
उङनतस्तरीउङती है जो तस्तरी
नवोढ़ानव है जो ऊढ़ा
लघूत्तरलघु है जो आचार
भ्रष्टाचारभ्रष्ट है जो आचार
कुकृत्यकुत्सित है जो कृत्य
पीताम्बरपीत है जो अम्बर
नीलकण्ठनीला है जो कण्ठ
पाषाणहृदयपाषाण के समान हृदय
नृसिंहजो नर है जो सिंह है
संसार सागरसागर रूपी संसार
नवयुवकनव है जो युवक
वीरबालावीर है जो बाला
शिष्टाचारशिष्ट है जो आचार
ज्वालामुखीज्वाला से समान मुख
घनश्यामघन की तरह श्याम
पुरुषसिंहसिंह रूपी पुरुष
वचनामृतअमृत रूपी वचन
दीर्घायुदीर्घ है जो आयु
महाराजामहान् है जो राजा
अल्पायुअल्प है जो आयु
क्रोधाग्निअग्नि रूपी क्रोध
महाविद्यालयमहान् है जो विद्यालय
दन्तामुक्तामोती जैसे दाँत वाली
कृष्णसर्पकृष्ण है जो सर्प
पीताम्बरपीत है जो अम्बर
शोकसागरसागर रूपी शोक
अधपकाआधा है जो पका
अन्ध विश्वासअन्धा है जो विश्वास
पूर्णेंंदुपूर्ण है जो इन्दु
शुभागमनशुभ है जो आगमन
बदबूबद है जो बू
नील कमलनीला है कमल जो
नील गायनीली है जो गाय
पूर्व कालपूर्व है जो काल
छुटभैयाछोटा है जो भैया
काली मिर्चकाली है जो मिर्च
सद्धर्मसत् है जो धर्म
महाराजामहान है जो राजा
महादेवमहान् है जो देवता
महात्मामहान् है जो आत्मा
नीलगगननीला है जो गगन
परमात्मापरम है जो आत्मा
खङी बोलीखङी है जो बोली
तलघरतल में है जो घर
मीनाक्षीमीन (मछली) के समान नेत्रों वाली
महाजनमहान् है जो जन
परमानंदपरम है आनन्द जो
भला मानसभला है जो मनुष्य
पीताम्बरपीला है जो वस्त्र
सद्गुणसत् है जो गुण
खुशबूखुश (अच्छी) है जो बू गंध
कालापानीकाला है जो पानी
जवांमर्दजवान है जो मर्द
पुच्छलतारापूँछ है जिस तारे के या पूँछ वाला तारा
मझधारमझ (बीच) में है जो धार
सुन्दर लालसुन्दर है जो लाल
राजीव नयनकमल के समान नेत्र हैं जो
दिगम्बरदिशाएँ ही हैं वस्त्र
उङनतस्तरीउङती है जो तस्तरी
ऊनार्थऊना है अर्थ जो
महादेवीमहान है जो देवी
महाप्रज्ञमहान् है जिसकी प्रज्ञा
कृतार्थपूर्ण हो गया है अर्थ जो
सत् परामर्शसत् है जो परामर्श
बङाघरबङा है जो घर
नीलाकाशनीला है जो आकाश
रक्त कमलरक्त जैसा है जो कमल
कुमारगंधर्वकुमार है जो गंधर्व
दृढ़ प्रतिज्ञदृढ़ है जिसकी प्रतिज्ञा
महाभोजमहान् है जो भोज
अल्प आयुअल्प है जो आयु
अल्पावधिअल्प है जो अवधि
दीर्घावधिदीर्घ है जो अवधि
चरम सीमाचरम तक पहुँचती है जिसकी सीमा
नवयुवकनव है जो युवक
महर्षिमहान् है जो ऋषि
सुदर्शनअच्छे हैं जिसके दर्शन
सुबोधअच्छा है जिसका बोध
सुरम्यसुष्ठु है जो रम्य
सद्बुद्धिसत् है जो बुद्धि
जलपरीजल में रहती है जो परी
लघूत्तरलघु है उत्तर जो
कुपथकु (बुरा) है जो पथ
कुकृत्यकुत्सित है जो कृत्य
कुमार्गकुत्सित है जो मार्ग
शिष्टाचारशिष्ट है जो भक्ति
ज्वालामुखीज्वाला के समान मुख है जो
हताशाहत है जिसकी आश
गतांकगत है जो अंक
अंधभक्तिअंध है जो भक्ति
वायुयानवायु में चलने वाला यान
पनडुब्बीपानी में डूब कर चलने वाला पोत
शकरपाराशक्कर से बना पारा
घृतान्नघृत मिश्रित अन्न
छायातरूछाया प्रधान तरू
गुडंबागुङ में उबाला आम
बहुरंगीबहुत हैं रंग जो
नीलोत्पलनीला है जो उत्पल (कमल)
शुक्ल पक्षशुक्ल है जो पक्ष
महामात्यमहान् है जो अमात्य (प्रधानमंत्री)
नवांकुरनव है जो अंकुर
सदाशयसत् है आशय जो
सन्मार्गसत् है जो मार्ग
सद्गुणसत् है गुण जो
महाकालमहान् है जो काल
नीलकंठनीला है जो कंठ
परमाणुपरम है जो अणु
सूर्यमुखीसूर्य के समान मुख
श्वेताम्बरश्वेत हैं वस्त्र जो
कृष्ण पक्षकृष्ण है जो पक्ष
सुपथअच्छा है जो पथ
तीव्र बुद्धितीव्र है जिसकी बुद्धि
गोरागट्टअत्यंत गोरा
धर्मबुद्धिधर्म है यह बुद्धि
अधमराआधा है जो मरा हुआ
टटपूँजियाटाट की है पूँजी जो
उत्तरार्द्धउत्तर वाला आधा
महामूर्खमहान् है जो मूर्ख
महासागरमहान् है जो सागर
अल्पसंख्यकअल्प है संख्या जो
बहुउद्देशीयबहुत हैं उद्देश्य जो
बहुरूपियाबहुत है रूप जो
अल्प बचतअल्प है जो बचत
अल्पाहारअल्प है जो आहार
अल्पजीवीअल्प है जो जीवी
श्याम घनकाला है जो बादल
सुपुत्रअच्छा है जो पुत्र
सुपाच्यसुष्ठु है जो पचने में
सुलभ्यसु है जो लभ्य
दीर्घजीवीदीर्घ है जीवन जो
प्राण प्रियप्राणों के समान
अरुणाभअरुण है आभा जो
रक्त लोचनरक्त (लाल)
नवोढ़ानव है जो ऊढ़ा
सद्भावनासत् है भावना जो
सदुद्देश्यसत् है जो उद्देश्य जिसका
सदाचारसत् है जो आचार
कापुरुषकायर है जो पुरुष
वीरबालावीर है जो बाला
अल्पेच्छाअल्प है इच्छा जो
परमेश्वरपरम है जो ईश्वर
बङभागीबङा भाग्य है जो
कालामुंहाकाला है मुँह जो
महात्मामहान् है जो आत्मा
लालचट्टअत्यंत लाल
नील लोहितनीला है जो, लाल है जो
सफेद झक्कअत्यंत सफेद
उङनखटोलाउङता है जो उत्सव
महोत्सवमहान् है जो उत्सव
हीनार्थहीन है अर्थ जो
सज्जनसत् है जो जन
सद्गतिसत् है जो गति
लाल-कुर्तीलाल है जो कुर्ती
तिल चावलातिल मिश्रित चावल
पूर्णावतारपूर्ण है जो अवतार
लाल पीलाजो लाल है जो पीला है
सख्त-सुस्तजो सख्त है जो सुस्त है
नीलपीतजो नीला है जो पीला है
श्यामसुन्दरजो श्याम है जो सुन्दर है
कालास्याहजो काला है जो स्याह है
मृदुमंदजो मृदु है जो मंद है
मंद बुद्धिमंद है जिसकी बुद्धि
मंद भाग्यमंद है भाग्य जो
तीव्र दृष्टितीव्र है जिसकी दृष्टि
बहुसंख्यकबहुत है संख्या जो
बहुमूल्यबहुत है मूल्य जो
महाकाव्यमहान् है जो काव्य
अंधश्रद्धाअंध है जो श्रद्धा
सत्यप्रतिज्ञसत्य है प्रतिज्ञा जो
परमआयुपरम है जो आयु
प्रियजनप्रिय है जो जन
गतायुगत है जिसकी आयु
उदयाचलउदय होता है (सूर्य)
पनघटपानी भरा जाने वाला घाट
महावीरमहान् है जो वीर
कृष्ण सर्पकाला साँप
पुरुषोत्तमउत्तम है जो पुरुषों में
नराधमअधम (नीच) है जो नरों में
रामदीनदीन है जो राम
मोटा-ताजाजो मोटा है जो ताजा है
पीला जर्दजो पीला है जो जर्द (पीला) है
देवर्षिजो देव है जो ऋषि हैं
शीतोष्णजो शीत है जो उष्ण है
सज्जनसत् है जो जन
शुभ्रवर्णशुभ्र (सफेद, चाँदी जैसा) है जो वर्ण
कुपुत्रबुरा है जो पुत्र
कुधर्मकुत्सित है जो धर्म
कदाचारकुत्सित है जो आचार
कुलक्षणकुत्सित है जो लक्षण
भ्रष्टाचारभ्रष्ट है जो श्रद्धा
लाल-सुर्खजो लाल है जो सुर्ख है
हरासघनजो हरा है सघन है
शुद्धाशुद्धअत्यन्त शुद्ध
रामदयालदयालु है जो राम
शिवदयालदयालु है जो शिव
जन्मान्तरजन्म है जो अन्य
प्रभुदयालदयालु है जो प्रभु
मुनिवरवर (श्रेष्ठ) है जो मुनियों में
शिवदीनदीन है जो शिव
रामकृपालकृपालु है जो राम
देव ब्राह्मणदेव पूजक ब्राह्मण
गुङधानीगुङ में मिली हुई धानी
गोबर गणेशगोबर का बना गणेश
ऊँच नीचऊँचा है जो नीचा है
बङा-छोटाजो बङा है जो छोटा है
भला बुराजो भला है जो बुरा है
खटमीठा/खटमिट्ठाजो खट्टा है जो मीठा है
कुवेशबुरा है वेश जो
निराशाआशा से रहित
दुकालबुरा काल
सुयोगअच्छा योग
जेब घङीजेब में रखी जाने वाली कुम्भी
रसगुल्लारस में डूबा हुआ गुल्ला
गीदङ भभकीगीदङ जैसी भभकी
तुलादानतराजू में तोलकर बराबर मात्रा में दिया गया दान
कन्यादानकन्या का दान।
पकौङीपकी हुई औङी
हाथघङीहाथ में लगाई जाने वाली घङीे
जल मुर्गीजल में रहने वाली मुर्गी
रेलगाङीरेल पर चलने वाली
जलपोतजल में चलने वाला पोत
जलकुम्भीजल में उत्पन्न होने वाली कुम्भी
दुर्वचनबुरे वचन
दही बङादही में डूबा हुआ बङा
शाक पार्थिवशाक प्रिय, पार्थिव
डाकगाङीडाक लेकर जाने वाली गाङी
पनबिजलीपानी से बनने वाली बिजली
पर्णशालापर्ण निर्मित शाला
बैलगाङीबैलों से चलने वाली गाङी

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) के बारे में पढ़ा । इसके साथ ही हमने कर्मधारय समास की परिभाषा, (Karmadharaya Samas ki Paribhasha), और  कर्मधारय समास के उदाहरणों (Karmadharaya Samas Examples) को भी विस्तार से पढ़ा। हम आशा करतें है कि आपको यह अच्छे से समझ में आ गया होगा…धन्यवाद ..आपका दिन शुभ हो ।

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वाक्य 

संज्ञा
कालभाषा किसे कहते हैतुकांत शब्द
तत्पुरुष समासअव्ययीभाव समाससमास
उपसर्गवाच्य : परिभाषा, भेद और उदाहरणविराम चिह्न क्या है
वर्ण किसे कहते हैनिश्चयवाचक सर्वनामसमुच्चयबोधक अव्यय
संधि हिंदी वर्णमाला 
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