Dwand samas – द्वन्द्व समास : परिभाषा, उदाहरण, पहचान

द्वन्द्व समास (Dwand samas): आज के आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत समास टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए द्वन्द्व समास (Dwand samas) को विस्तार से पढेंगे। द्वन्द्व समास की परिभाषा (Dvandva Samas ki Paribhasha), द्वन्द्व समास के उदाहरण (Dvandva Samas ke Udaharan), द्वन्द्व समास की पहचान, इन सबके बारे में चर्चा करेंगे।

द्वन्द्व समास – Dwand Samas

Table of Contents

dwand samas

द्वन्द्व समास की परिभाषा – Dwand Samas ki Paribhasha

  • जिस समास के दोनों ही पद प्रधान होते हैं, उसे द्वन्द्व समास(Dwand samas) कहते हैं।
  • इस समास में दोनों पदों के मध्य प्रयुक्त होने वाले योजक शब्दों (और, अथवा, या, व आदि) का लोप हो जाता हैं तथा उनके स्थान पर हाइफन (-) का प्रयोग हो जाता है।

अब हम यह जानेंगे कि द्वंद्व समास किसे कहते है (Dwand Samas kise kehte Hain)

द्वन्द्व समास किसे कहतें है?

  • जिस समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद समान हों एवं दोनों पदों को मिलाते समय ’और’, ’अथवा’, ’या’, ’एवं’ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता हे।

द्वन्द्व समास के उदाहरण – Dvandva Samas ke Udaharan

  • अन्न-जल = अन्न और जल
  • कृष्णार्जुन = कृष्ण और अर्जुन
  • दिन-रात = दिन और रात
  • शीतातप = शीत या आतप
  • काला-गोरा = काला और गोरा
  • दाल-रोटी = दाल और रोटी
  • यशापयश = यश या अपयश
  • शीतोष्ण = शीत या उष्ण
  • सुरासुर = सुर या असुर
  • देश-विदेश = देश और विदेश
  • भला-बुरा = भला और बुरा
  • धर्माधर्म = धर्म या अधर्म
  • जलवायु = जल और वायु
  • सम्मान-अपमान = सम्मान और अपमान
  • अपना-पराया = अपना या पराया

द्वन्द्व समास के भेद – Dwand samas Ke Bhed

द्वन्द्व समास तीन प्रकार का होता है।

  1. इतरेतर द्वन्द्व
  2.  समाहार द्वन्द्व
  3. वैकल्पिक द्वन्द्व।

(1) इतरेतर द्वन्द्व समास

दोनों पदों की प्रधानता इतरेतर द्वन्द्व की पहचान है। इतरेतर द्वन्द्व में ’और’ का लोप होता है तथा ऐसे संख्यावाची शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है जिनके दोनों ही पद संख्या का बोध कराने वाले होते हैं।

इतरेतर द्वन्द्व के उदाहरण
धन-दौलतधन और दौलत
धनी-मानीधनी और मानी
धनी-निर्धनधनी और निर्धन
धनुर्बाणधनुष और बाण
धूप-छाँवधूप और छाँव
यश-अपयशयश और अपयश
घी-दूधघी और दूध
घी-गुङघी और गुङ
घनघोरघना और घोर
घटी-बढ़ीघटी और बढ़ी
खट्ठा-मीठाखट्टा और मीठा
ऋषि-मुनिऋषि और मुनि
शीतोष्णशीत और उष्ण
हृष्ट-पुष्टहृष्ट और पुष्ट
ऊपर-नीचेऊपर और नीचे
इक्कीसबाँस और एक
इकतीसतीस और एक
बाईसबीस और दो
बाप-दादाबाप और दादा
बारहदस और दो
बेटा-बेटीबेटा और बेटी
बत्तीसतीस और दो
कृष्णार्जुनकृष्ण और अर्जुन
कंद-मूल-फलकंद और मूल और फल
माँ-बापमाँ और बाप
माता-पितामाता और पिता
मेल-मिलापमेल और मिलाप
शिव-पार्वतीशिव और पार्वती
पिचैत्तरसत्तर और पाँच
छियासीअस्सी और छह
चिट्ठी-पत्रीचिट्ठी और पत्री
चिट्ठी-पातीचिट्ठी और पाती
तिरानवेंनब्बे और तीन
तिरेपनपचास और तीन
तिल-चावलतिल और चावल
हरि-हरहरि और हर
हाथ-पाँवहाथ और पाँव
हाथी-घोङाहाथी और घोङा
हाथी-घोङा-पालकीहाथी, घोङा और पालकी
हानि-लाभहानि और लाभ
हुक्का-पानीहुक्का और पानी
भाई-बहिनभाई और बहिन
भला-बुराभला और बुरा
पशु-पक्षीपशु और पक्षी
पढ़ा-लिखापढ़ा और लिखा
पंद्रहदस और पाँच
पाप-पुण्यपाप और पुण्य
पाला-पोसापाला और पोसा
पचपनपचास और बढ़ी
पच्चीसबीस और पाँच
पेङ-पौधेपेङ और पौधे
राधा-कृष्णराधा और कृष्ण
राधेश्यामराधा और श्याम
राम-बलरामराम और बलराम
राम-कृष्णराम और कृष्ण
राम-लक्ष्मणराम और लक्ष्मण
रात-दिनरात और दिन
रोटी-कपङा-मकानरोटी, कपङा और मकान
राजा-रंकराजा और रंक
राजा-रानीराजा और रानी
ज्ञान-विज्ञानज्ञान और विज्ञान
स्त्री-पुरुषस्त्री और पुरुष
सीधा-सादासीधा और सादा
सीता-रामसीता और राम
सोलहदस और छः
सुख-दुःखसुख और दुःख
सुरासुरसुर और असुर
सत्ताईसबीस और सात
उछल-कूदउछल और कूद
दाल-भातदाल और भात
दाल-रोटीदाल और रोटी
देश-विदेशदेश और विदेश
देवासुरदेव और असुर
दूध-रोटीदूध और रोटी
छल-कपटछल और कपट
चौसठसाठ और चार
चौदहदस और चार
चवालीसचालीस और चार
चलता-फिरताचलता और फिरता
फल-फूलफल और फूल
तेंतालीसचालीस और तीन
तेरहदस और तीन
तन-मनतन और मन
तन-मन-धनतन, मन और धन
जन्म-मरणजन्म और मरण
जला-भुनाजला और भुना
जलवायुजल और वायु
नर-नारीनर और नारी
नाक-काननाक और कान
नोन-मिर्चनोन-मिर्च
नदी-नालेनदियाँ और नाले
अङोस-पङोसअङोस और पङोस
अङसठसाठ और आठ
अमीर-गरीबअमीर और गरीब
अहर्निशअहन् और निशा
आचार-व्यवहारआचार और व्यवहार
आन-बान-शानआन, बान और शान
आना-जानाआना और जाना
आग-पानीआग और पानी
आगा-पीछाआगा और पीछा
अन्न-जलअन्न और जल
ग्यारहदस और एक
गाय-बैलगाय और बैल
गाय-भैंसगाय और भैंस
गौरीशंकरगौरी और शंकर
गेंद-डंडागेंद और डंडा
लीपा-पोतीलीपना और पोतना
लोटा-डोरलोटा और डोर
लाल-बाल-पाललाल, बाल और पाल
लेन-देनलेन और देन

(2) समाहार द्वन्द्व –

(क) जिस द्वन्द्व समास से उसके पदों के अर्थ और अर्थ के सिवा उसी प्रकार का और भी अर्थ सूचित हो या इस समास में ऐसे युग्म शब्द बनते हैं जिनसे दो पदों के अर्थ के अतिरिक्त कुछ और भी अर्थ निकलता है।

समाहार का अर्थ है समष्टि या समूह। जब द्वन्द्व समास के दोनों पद और समुच्चयबोधक से जुङे होने पर भी पृथक-पृथक अस्तित्व न रखें, बल्कि समूह का बोध करायें तब वह समाहार द्वन्द्व कहलाता है।

(अ) सेठ साहूकार – यह सामासिक पद अर्थ प्रकट कर रहा है कि ’सेठ और साहूकारों के सिवा और भी दूसरे धनी लोग’।

(ब) दाल-रोटी – यहाँ पद यह व्यक्त कर रहा है कि यहाँ पद यह व्यक्त कर रहा है कि दाल रोटी का आशय केवल दाल रोटी ही नहीं बल्कि जीवन निर्वाह या जीवन को सूचारू रूप से चलाने के लिए एक आवश्यक वस्तु है।

(ख) ऐसे समासों का विग्रह करने में इत्यादि, आदि का प्रयोग किया जाता है।

समाहार द्वन्द्व के उदाहरण
रुपया-पैसारुपया, पैसा आदि
धोती-कमीजधोती, कमीज आदि
धन-दौलतधन, दौलत आदि
घर-द्वारघर, द्वार आदि
घास-फूसघास, फूस आदि
खान-पानखान, पान आदि
खत-वतखत आदि
झाङ-फूंकझाङ, फूंक आदि
ऊँचा-नीचाऊँचा, नीचा आदि
हृष्ट-पुष्टहृष्ट, पुष्ट आदि
बहू-बेटीबहू, बेटी आदि
बासन-बर्तनबासन, बर्तन आदि
बोलचालबोल, चाल आदि
बाल-बच्चाबाल, बच्चा आदि
बैरी-दुश्मनबैरी, दुश्मन आदि
कंकर-पत्थरकंकर, पत्थर आदि
कहासुनीकहा, सुनी आदि
कीङा-मकोङाकीङा, मकोङा आदि
कील-कांटाकील, कांटा आदि
कपङे-लत्तेकपङे, लत्ते आदि
करनी-भरनीकरनी, भरनी आदि
काम-काजकाम, काज आदि
कुरता-टोपीकुरता, टोपी आदि
कूङा-कचराकूङा, कचरा आदि
मारपीटमार, पीट आदि
मोटा-ताजामोटा, ताजा आदि
मोल-तोलमोल, तोल आदि
मिठाई-सिठाईमिठाई आदि
दिया बत्तीदीया (दीपक), बत्ती आदि
तिरसठतीन और साठ
हाथ-पाँवहाथ, पाँव आदि
भरा-पूराभरा, पूरा आदि
भाई-बिरादरभाई, बिरादर आदि
भूखा-प्यासानंगा, उघारा आदि
भूत-प्रेतभूत, प्रेत आदि
भूल-चूकभूल, चूक आदि
भला-चंगाभला, चंगा आदि
पान-वानपान आदि
पान-फूलपान, फूल आदि
पान-तम्बाकूपान, तम्बाकू आदि
पैंतीसपाँच और तीस
रहन-सहनरहन, सहन आदि
रोक-टोकरोक, टोक आदि
रोना-धोनारोना, धोना आदि
साँप-बिच्छूसाँप, बिच्छू आदि
साग-पातसाग, पात आदि
उल्टा-सुलटाउल्टा आदि
दाल-रोटीदाल, रोटी आदि
देख-भालदेख, भाल आदि
देखा-देखीदेखा, देखी आदि
चढ़ा-उतरीचढ़ा, उतरी आदि
चमक-दमकचमक, दमक आदि
चाय-पानीचाय, पानी आदि
चाय-वायचाय आदि
चाल-चलनचाल, चलन आदि
फल-फूलफल, फूल आदि
तीन-तेरहतीन, तेरह आदि
तन-बदनतन, बदन आदि
जंगल-झाङीजंगल, झाङी आदि
जी-जानजी, जान आदि
जीव-जन्तुजीव, जन्तु आदि
जैसा-तैसाजैसा, तैसा आदि
जलवायुजल, वायु आदि
नंगा-उघारानंगा, उघारा आदि
नाच रंगनाच, रंग आदि
अङोस-पङोसपङोस आदि
आमने-सामनेसामने आदि
आहार-निद्राआहार, निद्रा आदि
आस-पासपास आदि
टोपा – टाईटोपा, टाई आदि
आगा-पीछाआगा, पीछा आदि
अदला-बदलाबदला आदि
अगल-बगलबगल आदि
गंवार-संवारगंवार आदि
गोला-बारूदगोला, बारूद आदि
लंगङा-लूलालंगङा, लूला आदि
लीपा-पोतीलीपना, पोतना आदि
लेन-देनलेन, देन आदि
लूट-मारलूट, मार आदि

(3) वैकल्पिक द्वंद्व समास –

  • इस समास में बहुधा परस्पर विरोधी शब्दों का मेल होता है।
  • इस समास में दो शब्दों के बीच या अथवा आदि विकल्प सूचक अव्यय का लोप होता है।
वैकल्पिक द्वंद्व के उदाहरण
एक-दोएक या दो
धर्माधर्मधर्म या अधर्म
यश-अपयशयश या अपयश
घट-बढ़घट या बढ़
शीतोष्णशीत या उष्ण
शादी-गमीशादी या गमी
शस्त्रास्त्रशस्त्र या अस्त्र
ऊँच-नीचऊँच या नीच
इधर-उधरइधर या उधर
बीस-पच्चीसबीस से पच्चीस तक
कर्मधर्मकर्म या धर्म
कर्तव्या कर्तव्यकर्तव्य अथवा अकर्तव्य
मारपीटमार या पीट
थोङा-बहुतथोङा या बहुत
हानि-लाभहानि या लाभ
भला-बुराभला या बुरा
पाँच-दसपाँच से लेकर दस तक
पाप-पुण्यपाप या पुण्य
राग-विरागराग या विराग
सौ-दो सौसौ दो सौ तक
साग-पातसाग या पात
सुख-दुःखसुख या दुःख
उल्टा-सुल्टाउल्टा या सुल्टा
दो-चारदो से चार तक
दो-तीनदो से तीन तक
दस-बीसदस से बीस तक
दस-बारहदस से बारह तक
दस-पाँचदस से पाँच तक
जीवन-मरणजीवन या मरण
जात-कुजातजात या कुजात
नौ-दसनौ से दस तक
आठ-दसआठ से दस तक
आज-कलआज या कल
लाख-दो लाखलाख से दो लाख
लाभ-हानिलाभ या हानि
लाभालाभलाभ या अलाभ

द्वंद्व समास के सहचर

द्वंद्व समास में सहचर शब्दों का निर्माण होता है। द्वंद्व समास में तीन सहचर शब्द होते हैं –

(अ) एकार्थक सहचर शब्द – इसके निम्नलिखित उदाहरण हैं –

  • दीन-दुखी
  • हाट-बाजार
  • धन-दौलत
  • श्रद्धा-भक्ति।

(ब) विपरीतार्थक सहचर शब्द – इसके निम्नलिखित उदाहरण हैं –

  • हानि-लाभ
  • यश-अपयश
  • जय-पराजय
  • राजा-रंक
  • अमीर-गरीब।

(स) सजातीय सहचर शब्द – इसके निम्नलिखित उदाहरण हैं –

  • हाथ-पाँव
  • कुरता-टोपी
  • कागज-कलम
  • अस्त्र-शस्त्र
  • नाम-धाम।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें हिंदी व्याकरण के अंतर्गत समास टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए द्वन्द्व समास (Dvandva Samas) को विस्तार से पढ़ा। द्वन्द्व समास की परिभाषा (Dvandva Samas ki Paribhasha), द्वन्द्व समास के उदाहरण (Dvandva Samas ke Udaharan), द्वन्द्व समास की पहचान, को बहुत ही अच्छे ढंग से समझा है। आपकी कोई भी प्रतिक्रिया हो तो नीचे की तरफ कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

FAQ – Dwand samas

1. द्वन्द्व समास किसे कहते है ?

उत्तर – जिस समास के दोनों ही पद प्रधान होते हैं, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।


2. द्वन्द्व समास के उदाहरण बताइये ?

उत्तर – द्वन्द्व समास के उदाहरण –

  • धनी-निर्धन – धनी और निर्धन
  • धनुर्बाण – धनुष और बाण
  • धूप-छाँव – धूप और छाँव
  • यश-अपयश – यश और अपयश
  • घी-दूध – घी और दूध
  • गाय-बैल – गाय और बैल
  • गाय-भैंस – गाय और भैंस
  • गौरीशंकर – गौरी और शंकर
  • गेंद-डंडा – गेंद और डंडा
  • शस्त्रास्त्र – शस्त्र या अस्त्र
  • ऊँच-नीच – ऊँच या नीच
  • इधर-उधर – इधर या उधर

3. द्वन्द्व समास के कितने भेद होते है ?

उत्तर – द्वन्द्व समास तीन प्रकार के होते है –
(1) इतरेतर द्वन्द्व
(2) समाहार द्वन्द्व
(3) वैकल्पिक द्वन्द्व।


4. इतरेतर द्वन्द्व किसे कहते है ?

उत्तर – दोनों पदों की प्रधानता इतरेतर द्वन्द्व की पहचान है। इतरेतर द्वन्द्व में ’और’ का लोप होता है तथा ऐसे संख्यावाची शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है जिनके दोनों ही पद संख्या का बोध कराने वाले होते हैं। यह इतरेतर द्वन्द्व होता है।


5. इतरेतर द्वन्द्व का एक उदाहरण बताइये ?

उत्तर – धन-दौलत – धन और दौलत।


6. समाहार द्वन्द्व किसे कहते है ?

उत्तर – जिस द्वन्द्व समास से उसके पदों के अर्थ और अर्थ के सिवा उसी प्रकार का और भी अर्थ सूचित हो या इस समास में ऐसे युग्म शब्द बनते हैं जिनसे दो पदों के अर्थ के अतिरिक्त कुछ और भी अर्थ निकलता है। यह समाहार द्वन्द्व होता है।


7. समाहार द्वन्द्व का एक उदाहरण बताइये ?

उत्तर – रुपया-पैसा – रुपया, पैसा आदि।


8. वैकल्पिक द्वंद्व किसे कहते है ?

उत्तर – इस समास में बहुधा परस्पर विरोधी शब्दों का मेल होता है। इस समास में दो शब्दों के बीच या अथवा आदि विकल्प सूचक अव्यय का लोप होता है। यह वैकल्पिक द्वंद्व समास होता है।


9. वैकल्पिक द्वंद्व का एक उदाहरण बताइये ?

उत्तर – एक-दो – एक या दो।

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